Qur'an: Our constitution

Quran Our constitution


क़ुरआन: हमारा संविधान

जब हम लफ्ज़ संविधान सुनते हैं तो हमारे जहन में सबसे पहले, जिस मुल्क में हम रह रहें हैं उसके क़ानून का ख्याल आता है, जिसे डॉक्टर अंबेडकर ने लिखा है जो 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान के रूप में माना गया और 26 नवम्बर को constitution day के रूप में मनाते हैं। और फिर 26 जनवरी 1950 को इसे भारतीय संविधान के रूप लागू किया गया और इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप मानते हैं। 

अब ज़रा गौर करें इन्सान को किसने बनाया? 
क्या इन्सान ख़ुद बा ख़ुद ही वजूद में आ गया? 
और ख़ुद ही वजूद में आ गया तो फिर किसी कानून और जाब्ते की क्या ज़रूरत? 
और अगर किसी ने खल्क (create) किया तो इन्सान ने आपने लिए ख़ुद ही क्यों क़ानून बनाएं? 
क्या खल्क करने वाले ने कोई क़ानून और जाब्ता नहीं दिया? 

इसे मिसाल से समझें क्या कोई इंसान जब कोई चीज़ ईजाद करता तो उसे चलाने (operate), करने का तरीक़ा नहीं बताता? या फिर वो चीज़ वजूद में आ कर ख़ुद को ऑपरेट करने का कोई हिदायत नामा लिखती/लिखता है?

नहीं ना, ज़ाहिर है कि ईजाद कर्ता ही उसे ऑपरेट करने का तरीक़ा बताएगा। 

ठीक उसी तरह हमें भी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने खल्क करके यूं ही बे रवा दवा नहीं छोड़ दिया बल्कि हमारी तख़लीक़ से पहले ही एक निजामे ज़िंदगी का तसव्वुर पेश किया। और फिर दुनिया में इन्सानों की आमद के साथ ही उनकी ज़िन्दगियों के मामलात के मुताबिक़ पैग़ाम दिया। और उसे किस तरह अपनी ज़िंदगी में अमल करना इस के लिए हर दौर में एक रहनुमा (पैगंबर) भेजा। फिर 571 ई० में अरब मुल्क के शहर मक्का में, रहती दुनिया तक के लिए एक रहनुमा (नबी करीम ﷺ) के ज़रिए एक पैग़ाम (क़ुआन) भेजा।


"बेशक अल्लाह के नज़दीक दीन इस्लाम ही है। और अहले किताब अपने अपने पास इल्म आ जाने के बाद आपस में सरकशी और हसद की बिनाह पे इख्तिलाफ किया और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की आयतों के साथ जी भी कुफ्र करे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इसका जल्द हिसाब लेगा।" [क़ुरआन 3:19]


सवाल: क्या अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से कुफ्र सिर्फ़ यही है कि हम उसके अलावा किसी और के आगे झुके? 

जवाब: नहीं! बल्कि कुफ्र ये भी है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के बताए क़ानून के अलावा किसी और के क़ानून की पैरवी करें।


"अगर तुम इन लोगों की इताअत करने लग जाओगे तो यक़ीनन तुम मुशरिक बन जाओगे।" [क़ुरआन 6:121]


हमारा ख़ालिक़ (creator) एक ही है और हम सब एक ही जोड़े से पैदा हुए हैं तो हमारा रहनुमा (लीडर) और क़ानून और जाब्ता भी एक ही होना चाहिए क्योंकि खल्क करने वाले ने एक ही फितरत पे क़ायम रखा है। तो फिर मुल्क के मुताबिक़ या इन्सानों के ज़रिए बनाएं गए क़ानून की पैरवी क्यों की जाए?

अब ख़ुद ही गौर करें! 

जैसे: इस्लाम ने शराब हराम किया है और दुनिया की ज़्यादा तर देश ने अपने अपने देशों में जायज़ किया है तो सब ने जायज़ क्यों नहीं किया और इस्लाम ने हराम क्यों किया? 

ये सारे सवालों के जवाब तलाशने के लिए आप एक बार cause of cancer पढ़ लें। 

और कहीं क़ातिल आज़ाद है तो कहीं मजलूम क़ैद है। जानियों को ईनाम और मजलूम औरतों पे अत्याचार। चोर लोग बा असर है तो मुस्ताहिक लोग बेअसर। 

क्यों है ऐसा? 

सवाल: क़ानून तो हमनें बना लिए फिर इंसाफ़ से ना उम्मीद और महरूम क्यों?


"जो लोग अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के बताए हुए अहकाम के मुताबिक़ फ़ैसला ना करें वो काफ़िर है।" [क़ुरआन 5:44]


सवाल: क्या किसी ने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के पैग़ाम को जाना समझा?

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त फरमाता है:


"आम लोगों के लिए तो ये (क़ुआरन) बयान है और परहेज़गारो के लिए हिदायत और नसीहत है।" [क़ुरआन 3:138]


हिंदुस्तान की आज़ादी को 75 साल हो गए और आज तक ऐसा ही लगता है हिंदुस्तान एक और आज़ादी का तलब गार है जबकि क़ुरआन के ज़रिए नबी करीम ﷺ ने 23 सालों में अरब ममालिक(countries) में ऐसी क्रांति लाई जिससे पुरी दुनिया दंग रह गई और इसका असर पुरी दुनिया पर भी हुआ।

और आज हमने क्या किया कुआरन को महज़ एक मजहबी किताब बना के रख दिया जबकि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इस किताब (क़ुरआन) और इस दीन (इस्लाम) को हमारे लिए एक तरीक़े ज़िंदगी बताया और हम इंसानों के बनाए हुए क़ानून के पैरोकार बन गए।


सवाल: क्या इंसानों के बनाए हुए क़ानून हमसे हमारी अच्छाइयों के बदले में कोई वादा करता है? 


"बेशक ईमान क़ुबूल करने वालो और नेक काम करने वालो के लिए वो बगात (जन्नत) हैं जिनके नीचे नहरे बह रही हैं यही बड़ी कामयाबी है।" [क़ुरआन 85:11]


"एहसान (नेकी) का बदला एहसान (नेकी) के सिवा कुछ नहीं।" [क़ुरआन 55:60]


सवाल: क्या जालिमों को उनके किए के बारे में उन्हें डराता है? 


"बेशक जिन लोगों ने मोमिन मर्द और औरतो को सताया फिर तौबा (भी) ना की तो इनके लिए जहन्नम का अजाब है और जलने का अज़ाब है।" [क़ुरआन 85:10]


सवाल: या मासूमों पे हुए ज़ुल्म के बारे में कुछ कहता है?

"गम ना करो यकीनन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमारे साथ है। " [क़ुरआन 9:40] 

"यकीनन तेरे रब की पकड़ बड़ी सख्त है।" [क़ुरआन 85:12]



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