Kya Awliya Allah Ghaib mein madad karte hai?

Kya Awliya Allah Ghaib mein madad karte hai?

 

क़ुरआन की एक आयत के शुकूक का इज़ाला


وَالَّذِيۡنَ تَدۡعُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِهٖ مَا يَمۡلِكُوۡنَ مِنۡ قِطۡمِيۡرٍؕ
"जिन्हें तुम उसके सिवा पुकार रहे हो वो तो खजूर की गुठली के छिलके के भी मालिक नहीं।"

اِنۡ تَدۡعُوۡهُمۡ لَا يَسۡمَعُوۡا دُعَآءَكُمۡ‌ ۚ وَلَوۡ سَمِعُوۡا مَا اسۡتَجَابُوۡا لَـكُمۡ ؕ وَيَوۡمَ الۡقِيٰمَةِ يَكۡفُرُوۡنَ بِشِرۡكِكُمۡ ؕ وَلَا يُـنَـبِّـئُكَ مِثۡلُ خَبِيۡرٍ
"अगर तुम उन्हें पुकारो वो तुम्हारी पुकार सुनते ही नहीं और अगर सुन भी लें तो फ़रियाद रसी नहीं करेगा बल्कि कयामत के दिन तुम्हारे शरीक उस शिर्क का साफ़ इनकार कर देंगे आपको कोई भी हक़ त' आला जैसा खबरदार खबरें ना देगा। 

[सूरह फ़ातिर 13-14]

जब हम ये आयतें मुखालिफीन को पेश करते हैं  कि, "अल्लाह के अलावा किसी को पुकारा ना जाएं क्यूंकि अल्लाह के अलावा कोई नहीं जो ग़ैब में मदद करता है और जिसकी इबादत की जाए" तो कहते हैं कि ये आयत तो बुतों के लिए नाजिल हुई थी ना के औलिया अल्लाह के लिए।


आज हम देखते हैं कि क्या अब ये आयत सिर्फ़ बुतों के लिए नाजिल हुई थी?

अल्लाह रब्बुल आलमीन का कलाम एक जामे कलिमात है, जब भी बात करता है तो उसूली बात करता है और एक आयत में कई बातें होती। अलहम्दुलिल्लाह यही तो शान है रब के कलाम की। सब से पहले अल्लाह त'आला ने इस आयत में फ़रमाया कि, "अल्लाह के अलावा जिन जिन को तुम पुकारते हो।"

अब यहां एक बात याद रखें, हर वो चीज़ जो अल्लाह नहीं है वो अल्लाह के अलावा ही हुआ चाहे वो नबी हो, रसूल हो, औलिया हो वगैरा। 

अल्लाह जिन से खिताब था वो किन लोगों को पुकारते थे? 

आईए क़ुरआन और हदीस की रौशनी में देखते हैं- 

रसूलुल्लाह (सल्ल०) जब (फ़तह मक्का के दिन) तशरीफ़ लाए तो आप (सल्ल०) ने काबा के अन्दर जाने से इसलिये इनकार फ़रमाया कि उसमें बुत रखे हुए थे। 
फिर आप (सल्ल०) ने हुक्म दिया और वो निकाले गए लोगों ने इब्राहीम और इस्माईल (अलैहि०) के बुत भी निकाले। उनके हाथों में फ़ाल निकालने के तीर दे रखे थे। 
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, “अल्लाह उन मुशरिकों को ग़ारत करे अल्लाह की क़सम उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि उन बुज़ुर्गों ने तीर से फ़ाल कभी नहीं निकाली।" 
उसके बाद आप (सल्ल०) काबा के अन्दर तशरीफ़ ले गए और चारों तरफ़ तकबीर कही। 
आप (सल्ल०) ने अन्दर नमाज़ नहीं पढ़ी।
[सहीह बुखारी-1601]

1. मुश्रिकीन ए मक्का सिर्फ़ अपने हाथों से ख़ुद के बनाए बुतों की इबादत नहीं करते थे बल्कि वो अम्बिया अलैहिस सलाम का बुत बना कर उनकी भी इबादत करते थे।

2. मुश्रिकीन ए मक्का इब्राहीम और इस्माईल अलैहिस्सलाम का भी बुत बना कर इबादत करते थे। 

3. मुश्रिकीन ए मक्का 5 और बुतों की इबादत करते थे और 5 बुत क़ौम ए नूह अलैहिस्सलाम के नेक बंदे थे। 

4. मुश्रिकीन ए मक्का और भी 2 बुत की इबादत करते थे, लात और उज्जा ये लोग भी अल्लाह के नेक बंदे थे जो हाजियों को सत्तू घोल कर पिलाया करते थे

इससे पता चला ये जितने भी बुत थे सिर्फ़ यूंही नहीं थे बल्कि ये नेक सालेह मोमिन और अम्बिया अलैहिस्साम थे, जिनको ये पुकारा करते थे और ये उम्मीद करते थे कि ये हमें अल्लाह के क़रीब करते है यानी वो उनका वासीला बनाया करते थे। 

ख़बरदार! "दीन ख़ालिस अल्लाह का हक़ है। रहे वो लोग जिन्होंने उसके सिवा दूसरे सरपरस्त बना रखे हैं (और अपने अमल की तौजीह ये करते हैं कि) हम तो उनकी इबादत सिर्फ़ इसलिये करते हैं कि वो अल्लाह तक हमारी रसाई करा दें। अल्लाह यक़ीनन उनके बीच उन तमाम बातों का फ़ैसला कर देगा जिनमें वो इख़्तिलाफ़ कर रहे हैं।"
[सूरह ज़ुमर: 3]

दरअसल वो लोग बुतों की पहचान के लिए एक नक्स बनाया करते थे, उसका असल मकसद तो वो असल हस्ती थे जिनके नाम से ये बुत बनाए हुए थे। जैसा के उसी आयत में अल्लाह ने ये वाज़ेह कर दिया कि कल कयामत में उनके शरीक इनकार कर देंगे। 

अल्लाहु अकबर.... इससे और वाज़ेह और क्या बात चाहिए। 

एक दूसरी आयत में अल्लाह ने और भी वाज़ेह कर दिया,

"तुम लोग अल्लाह को छोड़कर जिन्हें पुकारते हो वो तो सिर्फ़ बन्दे हैं, जैसे तुम बन्दे हो।" 
[सूरह अराफ़: 194]

अल्लाहु अकबर.... इससे और साफ़ वाज़ेह हो जाता है जिन जिन को वो लोग अल्लाह के अलावा पुकारा करते थे 

वो सब एक अल्लाह के बंदे थे, अल्लाह के फ़रिश्ते थे, अल्लाह के अम्बिया अलैहिस सलाम थे।


اَللّٰھُمَّ فَقِّھْنِیْ فِی الدِّیْن
अल्लाह दीन समझने की तौफ़ीक दें। 

आमीन


आपका दीनी भाई
सरफराज़ आलम


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