87. Al Jami - अल जामिउ - Asma ul husna - 99 Names Of Allah

अल जामिअ जमा करने वाला। यानि अल जामिअ  वो ज़ात है जो क़यामत  के दिन सबको जमा करने वाला है।अल जामिअ  वो ज़ात है जो जिस्म से रूह के अलग होने के बाद एक दिन इब्तिदा से क़यामत तक की सारी मखलूक को इकठ्ठा एक साथ एक ऐसे दिन जमा करने वाला है जिसे होने में कोई शक नहीं। 


88. Al Jami - अल जामिउ - Asma ul husna - 99 Names Of Allah


अल जामिउ - ٱلْجَامِعُ


अल्लाह ﷻ नाम सर्वशक्तिमान, सारी क़ायनात बनाने वाले ख़ालिक का वो नाम है, जो कि सिर्फ उस ही के लिए है और इस नाम के अलावा भी कई और नाम अल्लाह के हैं जो हमे अल्लाह की खूबियों से वाकिफ़ करवाते हैं। अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है अल  जामिअ  

अल जामिअ  के रुट है ج م ع जिसका मतलब होता है इकठ्ठा करना, एकत्रित करना, जमा करना, जुटाना, सामंजस्य बिठाना, जोड़ना, संघठित करना, व्यवस्थित करना, to collect, gather up, to congregate, gather together. 

अल जामिअ - जमा करने वाला। यानि अल जामिअ वो ज़ात है जो क़यामत  के दिन सबको जमा करने वाला है।अल जामिअ  वो ज़ात है जो जिस्म से रूह के अलग होने के बाद एक दिन इब्तिदा से क़यामत तक की सारी मखलूक को इकठ्ठा एक साथ एक ऐसे दिन जमा करने वाला है जिसे होने में कोई शक नहीं। 

अल्लाह के 99 नाम में से 81 नाम कुर’आन में मौजूद है। बाकी 18 में अलग अलग स्कॉलर की अलग अलग राय है।अल जामिअ , उन 18 नाम में से है जो कुछ स्कॉलर की लिस्ट में नहीं है हालांकि इब्न अरबी र.अलै., इमाम बेहक़ी र.अलै., इमाम ग़जाली र.अलै. की लिस्ट में ये नाम शामिल है, मगर इब्न ए वज़ीर र.अलै., इब्न हज्म र.अलै. की लिस्ट में नहीं है।

अल जामिअ  किसी भी लिहाज़ से महदूद या सिमित नहीं है, वो जमा करने वाला है, उसके पास तमाम चीज़ों को मिलाने की ताक़त है। चाहे समान हो या बिलकुल अलग, जगह और वक़्त के मामले में। उसने इंसानो को जमा किया, रूह डाली, और पृथ्वी पर भेज दिया। और बारीकी से इस सिफ़त को जाने तो अल जामिअ  एक मख्लूक़ की तख़लीक़ पर गौर करें, इंसान का जिस्म। इंसान के शरीर की संरचना बहुत जटिल है, circulatory system (ख़ून, आर्टरी, वेंस, नसों का जाल ) digestive system(दांत,जीभ, अमाशय), नर्वस सिस्टम  (दिमाग़, नर्व, न्युरॉन, spinal chord  ) और भी बहुत सिस्टम (जिनका अभी साइंस को मालूम है और उससे ज़्यादा मालूम नहीं है, उसपर लगातार रिसेर्च चलती है) इन सबको आपस में जमा करने और तालमेल बिठाने वाला। फिर पूरा इकोसिस्टम और साडी गैलेक्सीज और यूनिवर्स को साथ मिलाने और आपस में बेहतरीन तालमेल बिठाने और जमा करने वाला। 

क्या इनसान ये समझ रहा है की हम उसकी हड्डियों को जमा न कर सकेंगे, क्यों नहीं? हम तो उसकी उंगलियों की पोर-पोर तक ठीक बना देने पर क़ादिर हैं। मगर इनसान चाहता ये है की आगे भी बदआमालियाँ करता रहे।

क़ुरआन 75:3-5

ज़रा गौर करें, हमारी कोई चीज़ भी खो जाये या ओझल हो जाये तो हमे उसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है, घर की चीज़ें ही हमसे संभाली नहीं जाती और अल जामिअ  सुब्हान व तआला अपनी सारी मखलूक को जमा करने वाला है वो भी तब जब जिस्म अलग रूह अलग जिस्म की कोई चीज़ सलामत नहीं, उस वक़्त सबको बिलकुल सही अंदाज़ में जमा करने वाला है।  

ज़रा तसव्वुर करें एक मुर्गी का दड़बा खोल दें और उससे साडी मुर्गियां निकल भागे।  और आपको उन्हें वापस जमा करना हो , क्या आसान काम है ? नहीं न।  और फिर ये काम देखें साडी मखलूक रेज़ा रेज़ा दोबारा जमा करने वाला और पूरा पूरा दोबारा पैदा करना और उन सबको एक साथ इकठ्ठा करने वाला,अल जामिअ  ... 
आज ये तसव्वुर करना हमारे लिए बहुत मुश्किल है के किस तरह हमारा ख़ालिक़ हम सबको दोबारा जमा करेगा, लेकिन आज से 100 या 200 पहले ये भी तसव्वुर मुश्किल था के किस तरह हर इंसान की हर छोटी  बात लिखी जा रही है और कोई एक भी ऐसा लम्हा नहीं जिसका रेकार्ड मौजूद न हो. फ़रिश्ते  हर पल हमारा हिसाब लिख रहे हैं और लुह ए महफूज में हर छोटी बड़ी बात लिखी हुई है।  लेकिन आज टेक्नोलॉजी को देखिए, एक छोटी सी चिप में हज़ारो किताबें जमा करने और लिखने और सेव करने की सलाहियत है। अब ये बात हमारे लिए समझना आसान है।  लेकिन इतनी टेक्नोलॉजी आने के बावजूद भी इंसान एक ज़र्रे का भी मालिक नहीं है।  आज हमारे पास हज़ार GB का भी डाटा हो उसमे तसवीरें हो किताबें हो और ज़रा सा वायरस आ जाये और सब  सेकंड में ख़त्म। 

अल जामिअ  जब सबको जमा करने का इरादा फरमाएगा तो उसे कोई भी मशक्कत न होगी बल्कि अपने इल्म ए मुहीत और क़ुदरत ए कामिला से सबको इकठ्ठा कर देगा। अब सोचें इंसान मरता है, कोई जला दिया जाता है, कोई दफना कर मिटटी में मिल जाता है, किसी के जिस्म को जानवर खा लेते हैं, कोई एक्सीडेंट ही में कई हिस्से में बट जाता है, कोई धमाके में, कोई पहाड़ के नीचे दब के तो किसी का जिस्म पानी में गल जाता है। इन सब के बावजूद अल जामिअ  दुनिया की इब्तिदा से क़यामत तक के हर हर फरद हर हर मखलूक को पूरा पूरा दोबारा जमा करने वाला है। 

पालनहार! तू यक़ीनन सब लोगों को एक दिन जमा करनेवाला है, जिसके आने में कोई शक नहीं। तू हरगिज़ अपने वादे से टलनेवाला नहीं है।”
क़ुरआन 3-9


यक़ीन जानो कि अल्लाह मुनाफ़िक़ों और हक़ का इनकार करनेवालों को जहन्नम में एक जगह जमा करनेवाला है।
क़ुरआन 4-140 


यक़ीनन तुम्हारा रब इन सबको इकटठा करेगा, वो हिकमतवाला भी है और सबकुछ जाननेवाला भी।
क़ुरआन 15:25


आज भी अल जामिअ  किस तरह जमा करता है उसे एक मिसाल से समझें।  किस तरह हमारे माँ और बाप को जमा किया और हमारी तख़लीक़ कर दी और हम जो खाना कहते हैं, हमारी अंदर जो विटामिन, मीरल, फैट जो कुछ बन रहा है वो कहाँ कहाँ से अल जामिअ  ने जमा कर दिया। आज आप खरीदने ही जाते है सब्ज़ी तो कश्मीर का सेब तो नागपुर का संतरा पंजाब का अनाज तो बंगाल का चावल।  विदेशो से दवाइयां और तमाम तरह के खाने की चीज़ें।  यानि हमारे जिस्म की ग़िज़ा को भी किस तरह मुख्तलिफ जगह से जमा करने वाला - अल जामिअ। जब आज इतनी मुख्तलिफ जगहों से इंसान की जिस्म के ज़र्रों को बनाने वाला अल जामिअ।  और अल्लाह सुब्हान व तआला ही है जिसकी क़ुदरत से इंसान का जिस्म मरने के बाद ज़र्रा ज़र्रा होकर बिखर जाता है।  अल जामिअ  की कुदरत इस पर भी पूरी पूरी है के  चाहे करोडो साल पहले के इंसान हो जिनके जिस्म फ़ना होने के बाद जिस जरासिम या जिस जानवर ने खाया और उस को भी दूसरे जानवर ने खा लिया हो तब उन सब को भी पूरा दोबारा उनको पूरे जिस्म के साथ जमा करने वाला है और इसमें उसको कोई भी मुश्किल नहीं होगी। अल्लाहुअक्बर कबीरा।  

 हुज़ैफ़ा (रज़ि०) ने बयान किया कि मैंने नबी करीम (सल्ल०) को ये कहते सुना था कि एक शख़्स की मौत का वक़्त जब क़रीब हुआ और वो ज़िन्दगी से बिल्कुल ना-उम्मीद हो गया तो अपने घर वालों को वसीयत की कि जब मेरी मौत हो जाए तो पहले मेरे लिये बहुत सी लकड़ियाँ जमा करना और उस से आग जलाना। जब आग मेरे जिस्म को ख़ाकस्तर बना चुके और सिर्फ़ हड्डियाँ बाक़ी रह जाएँ तो हड्डियों को पीस लेना और किसी सख़्त गर्मी के दिन में या (इस तरह फ़रमाया कि) सख़्त हवा के दिन मुझको हवा मैं उड़ा देना। लेकिन अल्लाह तआला ने उसे जमा किया और पूछा कि तूने ऐसा क्यों किया था? उसने कहा कि तेरे ही डर से। आख़िर अल्लाह तआला ने उसको बख़्श दिया। अक़बा (रज़ि०) ने कहा कि मैंने भी आप (सल्ल०) को फ़रमाते हुए ये हदीस सुनी है। हम से मूसा ने बयान किया हम से अबू-अवाना ने बयान किया हम से अब्दुल-मलिक ने बयान किया और कहा कि इस रिवायत में है في يوم راح इसके माना भी किसी तेज़ हवा के दिन के हैं।

किताब : नबियों (अलैहि०) के बयान में#3479



अस सिलसिला अस सहीह 3561 

जिस दिन सख़्त वक़्त आ पड़ेगा  और लोगों को सजदा करने के लिये बुलाया जाएगा तो ये लोग सजदा न कर सकेंगे
क़ुरआन 68:42

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