Jahannum mein aurton ki tadad

क्या जहन्नम में औरतों की तादाद ज्यादा होगी???


क्या जहन्नम में औरतों की तादाद ज्यादा होगी???


रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: मुझे दोज़ख़ दिखलाई गई तो इस में ज़्यादा-तर औरतें थीं जो कुफ़्र करती हैं।

कहा गया या रसूल अल्लाह! क्या वो अल्लाह के साथ कुफ़्र करती हैं?

 आप ﷺ ने फ़रमाया वो  शौहर की नाशुक्री करती हैं, और एहसान की नाशुक्री करती हैं, अगर तुम उम्र-भर उनमें से किसी के साथ एहसान करते रहो, फिर तुम्हारी तरफ़ से कभी कोई उनके ख़्याल में नागवारी की बात हो जाये तो फ़ौरन कह उठेंगी की मैंने कभी भी तुझसे कोई भलाई नहीं देखी।

सहीह बुख़ारी :29

ये हदीस अक्सर औरतों के के दिल और दिमाग़ पर असर करती है।

 बाज़ औरतें डिस्टर्ब हो जाती हैं उनका कहना है कि ये कैसे हो सकता है,

हम इतना कुछ करते हैं अपने परिवार और खानदान के लिए और हम फिर भी जहन्नुम में सबसे ज्यादा होंगे ।

हदीस तो सही है अब इसे तो बदला नहीं जा सकता फिर हम औरतों को क्या करना चाहिए जो हम जहन्नुम से बच सकें??

हमें इस बात पर फिक्र करना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों है जहन्नुम में औरतों की तादाद सबसे ज्यादा क्यों होगी??

तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही व आली वसल्लम ने हमें इसकी  वजह भी बता दी और इसकी एक वजह यह है कि औरतें अपने शौहर की शुक्रगुजार नहीं होती है, नाशुक्री करती हैं, लान तान करती हैं।

यहां औरतों के मन में एक सावल और आता है उनका सवाल  होता है कि किस बात का शुक्र??? 

किस बात का एहसान, ये तो मर्द का फर्ज़ है, तो शुक्र किस चीज़ का क्या इस बात का शुक्र करें कि वह मुझे मारते नहीं हैं दूसरे मर्दों की तरह.. या सुबह-शाम  खाना खाने को देते हैं या फिर मेरे लिए कपड़े बनवा देते हैं, ये कौन सी बडी बात है यह सब तो हम औरतें खुद भी अफ़्फोर्ड कर सकती हैं.

क्या मुझे जहन्नुम में इसलिए फेंका जाएगा?? 

फिर हमें क्या कर ना चाहिए?

अल्लाह  तआला ने मर्द का एक दर्जा इस लिए बुलंद रखा है कि,

वह मुहाफिज़ होता है __

वह ख़ुद को परेशानी में डाल कर औरत को राहत पहुंचाता है, उसका ख्याल रखता है, फ़िर भी औरत ने जब भी मर्द के ताल्लुक़ से तब्सिरा किया तो उसे "ज़ालिम" कहा "दग़ाबाज़, बे-वफ़ा" और, "मतलब परस्त" कहा "औरत पर ज़ुल्म व ज़्यादती" करने वाला कहा ।

मगर हर वक्त उसकी मुहब्बतऔर हमदर्दी को ही नज़र अंदाज़ करती रही कभी भी  उसके ख़याल रखने वाले पहलू की सराहना नहीं की, कि वह ख़ुद दिन भर तकलीफ़ सहता है दिन भर भाग दौड़ करता है मगर उसकी पूरी कोशिश होती है  कि वह आप को हर परेशानी से  दूर रखे.

अब यहां सवाल यह पैदा होता है कि क्या आपके शौहर सिर्फ breadwinner की जिम्मेदारी ही पूरी करते हैं क्या उन्होंने कभी भी आपकी परेशानी में अच्छा मशवरा नहीं दिया? कभी भी आप की बीमारी में आपका ख्याल नहीं रखा?

कभी तो ऐसा होता होगा  कि जब आप थकी हुई हो तो पानी लाकर दे दिया हो, आपके लिए कभी चाय या कॉफी बना दी हो किचन में आकर आपका हाथ बटा दिया हो, और कुछ नहीं तो साथ आकर खड़े हो गए हो और जब बच्चे  आपको परेशान कर रहे हो तो उनको समझाया हो कि आप की मां बहुत अच्छी है उन्हे तंग न करो वो आप के लिए दिन भर तकलीफ़ उठाती हैं, सारा दिन आप लोगों का ख्याल रखती हैं।

और शायद कभी बीती रात में आप की तबीयत खराब हो गई हो और वो दवा खाने से से दवाई ले आए हो, कभी तो ऐसा होता होगा कि अपने मन की छोड़कर वह आपके मन की करते हो आपकी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते हो क्या कभी ऐसा नहीं हुआ कि घर की छोटी मोटी कोई चीज हैंड पाइप वगैरह खराब हो गई हो और उन्होंने अपना जरूरी काम छोड़कर पूरा दिन उसे ठीक करने में लगा दिया हो और ऐसा इसलिये कि आपको परेशानी न हो... आप की सहूलियत के लिए अपनी ज़रूरी मीटिंग रद्द कर दी हो?

यहां इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की सभी शौहर एक जैसे नहीं हो सकते  यह तमाम बातें आपके शौहर  में ना हो क्योंकि सब शौहर एक जैसे नहीं होते फिर भी हम उनकी जिंदगियों को देखें आमतौर पर वह सुबह से शाम तक कितनी मेहनत करते हैं किसके लिए ? 

यह आसान तो नहीं है न! अक्सर हम बाज दफा ये देखते हैं औरतें कहती  हैं यह कौन सी बात ये उनका फर्ज़ है सब मर्द करते हैं फिर इन्होंने कौन सी तीर मारा है । और ये मान लीजिए अगर कोई शौहर  भूल कर भी यह कह दे कि सभी औरतें बच्चा पैदा करती हैं तुमने कौन सी बड़ी बात कर दी, फिर तो हमारे जिस्म में  आग लग जाए रोना-धोना शुरू हो जाए, कितने ही लोगों से इस बात की शिकायत दर्ज हो जाए!

 पता नहीं किस किस को फोन कर डालें कि इनको तो मेरी कोई कदर ही नहीं है...

औरत को सोचना चाहिए की मर्द के पास भी दिल होता है उन्हें भी तकलीफ़ होती है, उन्हें भी बुरा लगता है जब वो थक हार कर घर आए और आप दस बातें सुना दें, ये कहीं से भी शोभनीय नहीं है, मर्द पत्थर के नहीं होते उनका सुबह से शाम तक काम करना ये एक बडी ज़िम्मेदारी है..... और हमें जहन्नम से बचने के लिए करना भी क्या है एक लफ़्ज़ appreciation का शुक्रिया!

खुश मिज़ाजी से पेश आना बस इतना ही काफी है अल्लाह को राजी करने के लिए...

शौहर जब  घर आए तो चाय पूछ ले जरा सा मुस्कुरा कर कुछ खुशमिजाज बातें कर लें और बाज दफा कुछ करने की जरूरत नहीं होती बस अपना हाल हुलिया ठीक करके जरा देर उनके पास बैठ जाए और इसकी तरबियत अपनी औलाद में भी डालें ताकि भविष्य में उनका जीवन आसान हो वो एक पुरसुकून जिंदगी बसर कर पाएं।

बीबी पर शौहर के हुक़ूक़ के हवाले से

फरमाने नबबी पर एक नज़र

हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :

"जो औरत 5 वक़्त की नमाज़ अदा करे, रमजान के रोज़े रखे, अपनी इफ़्फ़त व पाकदामनी की हिफाज़त करे, और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे तो वो जन्नत के जिस दरवाज़े से चाहे दाखिल हो जाएगी |"

सहीह इब्ने हिब्बान 4252


हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अबी ऊफ़ी (रजी ०) कहते हैं रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया :अगर मैं किसी को अल्लाह के इलावा सजदा करने का हुक्म देता तो- "बीवी को कहता है कि वो अपने शौहर को सजदा करे।"

لَا تَؤَدِّي الْمَرْأَةَ َّ رَبِّهَا حَتَّى تَؤَدِّيَ حَقَّ َوْجِهَا

औरत अल्लाह के हुकूक़ उस वक्त तक अदा नहीं कर सकती जब तक की वो अपने शौहर के हुकूक को अदा ना करे।

मुसनद अहमद 11198, इब्न माजा  1853


हज़रत अबू उमामा (रज़ि.) से रिवायत है नबी करीमﷺ ने फरमाया:

 لَاثَةٌ لَا تَجَاوِزَ َلَاتَهَهََْانَهَهَْ:‏‏‏‏ الْعَبدَ الْآبِقَ َتَّى يَرْجِعَ،َ ‏‏‏‏‏‏وَامعرَأَةٌ بَاتَََََََََََََََْ

 तीन आदमियों की नमाज़ क़ुबूल नहीं की जाती है (उसमे से एक) वो है जिसका शौहर नराज हो और बीवी रात भर सोती रही।

 जामे तिर्मिज़ी 360


 हज़रत मुआज इब्न जबल (रज़ि) से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ ने फरमाया:

 لَا تُؤْذِي امْرَأَةٌ زَوْجَهَا فِي الدُّنْيَا إِلَّا قَالَتْ زَوْجَتُهُ مِنَ الْحُورِ الْعِينِ:‏‏‏‏ لَا تُؤْذِيهِ قَاتَلَكِ اللَّهُ، ‏‏‏‏‏‏فَإِنَّمَا هُوَ عِنْدَكَ دَخِيلٌ يُوشِكُ أَنْ يُفَارِقَكِ إِلَيْنَا

 जो औरत दुनिया में अपने शौहर को  तकलीफ देती है, तो जन्नत की हूरो में से (उसकी) एक हूर कहती है, अल्लाह तुझे तबाह करे ये तेरे पास कुछ दिनों का मेहमान है अनकरीब ये तुझे छोड़ कर हमारे पास आने वाला है।

जामे तिर्मिज़ी 1174


لَا تَصُومَ الْمَرْأَةَ وَبَعْلَهَا َاهِدٌ لَّا بِإِذْنِهِ

हज़रत अबू हुरैरा (रज़०) बयान करते हैं कि रसूल अल्लाहﷺ  ने फरमाया कि कोई औरत अपने शौहर के इजाज़त के बिना (नफिल) रोजा ना रखे...

 सही बुखारी 5192


 हज़रत हुसैन बिन मिहसन (रजी ०) से रिवायत है...

 रसूलअल्लाह ﷺ के पास, एक औरत आई तो आपने उससे पूछा कि तुम शौहर के नज़दीक कैसी हो?

 उसने कहा की हां मैं बहुत ख़िदमत करती हूं।  फिर आपने फरमाया अच्छे से खिदमत करना इसलिये कि

 وَ َنَّتَکِ وَنَارَکِ۔

 वह तेरी जन्नत और जहन्नम है।

मुसनद अहमद 7111


हज़रत अनस बिन मलिक (रज़) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया: 

मुझे उस पाक जात की कसम जिसके कब्जे में मेरी जान है अगर शौहर सर से पांव तक ज़खम से भरा हो और उसके अंदर से खून और पीप भी निकल रहा हो उसकी बीवी अगर जबान से चाट कर भी साफ करे तब भी वो उसका हक अदा नहीं कर सकती।

 मुसनद अहमद  11286


 हज़रत इब्न अब्बास (रज़ी०) से रिवायत है, रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

 जन्नती औरत वह है जो आपने शौहर से मुहब्बत करने वाली हो, उसके लिए खैर ही का ज़रिया बनने वाली हो, ऐसी औरत की जब उसका  शौहर उससे नराज़ हो जाए तो बीवी खुद शौहर के पास जाए और उसका हांथ अपने  हाथ में ले और कहे जब तक तुम राज़ी नहीं होगे तब तक मै एक लुकमा भी नहीं छूउंगी।

 सिलसिला तुस साहिहा  272


 हज़रत उम्मे सलमा (रजी ०) कहती हैं  कि रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया

  َيَّمَا امْرَأَةٍ مَاتَتْ وَزَوْجَهَا َنْهَا رَاضٍ دَخَلَتِ الْجَنَّةَ .

जो औरत इस हाल में मरे की उसका शौहर उससे राज़ी था तो वह जन्नत में दाखिल होगी।

इब्न माजा 1854

अल्लाह सुबहानहू ताला औरतों पर बहुत मेहरबान है  वह हमारे लिए अच्छा ही करता है कभी हमें मायूस नहीं करता.... मगर हमारा सारा फोकस इस बात पर होता है कि :

क्यों??

कभी हमें "क्यों "को छोड़ कर। " कैसे "?? पर भी गौर करना चाहिए।

हमें यह सोचना चाहिए की अल्लाह ने छोटी-छोटी बातों में इतने बड़े-बड़े इनाम रखे हैं अल्लाह को राज़ी करने के लिए हमें इन बातों पर अमल करना चाहिए जो कुरान और सुन्नत हमे बताता है  ना कि गुमराह हो कर जिद्द पर अड़े रहें।

इसलिए Why का रास्ता छोड़कर how पर फोकस करें और अपने अल्लाह पर खूब तवक्कल करें अल्लाह सारी परेशानियां खत्म कर देता है... और हमारे लिए आसानियां पैदा करता है।

अल्लाह हम मुसलमानो को नेक अमाल करने की तौफिक अता फरमाए हमारी खताओं को माफ़ फरमाए

आमीन



आपकी दीनी बहन
फिरोजा खान


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