अन नूर ٱلْنُّورُ
अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है अन-नूर।
अन-नूर का रुट है -ن و ر- इसका मतलब होता है रौशन। अन नूर वो ज़ात है जो खुद भी रौशन है और उसी ने ज़मीन और आसमान का तमाम नूर यानि रौशनी पैदा की। वो मुख्तलिफ चीज़ों को नूर अता करता है। अल्लाह ने फ़रिश्तो नो नूर से पैदा किया। अल्लाह ने अपने एहकाम भेजे और उन्हें नूर क़रार दिया। अपनी किताब को, अपने पैगम्बर को और हिदायत और ईमान को भी नूर क़रार दिया। अन-नूर यानि रौशन करने वाला। (to give light, to illuminate, to fill with light, to clarify, to reveal, to make visible, to enlighten)
अल्लाह आसमानों और ज़मीनों का नूर है।
(कायनात में) उसके नूर की मिसाल ऐसी है जैसे एक ताक़ में चिराग़ रखा हुआ हो, चिराग़ एक फ़ानूस में हो, फ़ानूस का हाल ये हो कि जैसे मोती की तरह चमकता हुआ तारा, और वो चिराग़ ज़ैतून के एक ऐसे मुबारक पेड़ के तेल से रौशन किया जाता हो जो न पूरबी हो न पश्चिमी, जिसका तेल आप ही-आप भड़का पड़ता हो, चाहे आग उसको न लगे, (इस तरह कि) रौशनी पर रौशनी (बढ़ने के तमाम साधन जमा हो गए हों)। अल्लाह अपने नूर की तरफ़ जिसकी चाहता है रहनुमाई फ़रमाता है, वो लोगों को मिसालों से बात समझाता है, वो हर चीज़ को ख़ूब जानता है।क़ुरआन 24:35
अल्लाह सुब्हान व तआला खुद भी नूर है और सरे जहां को उसी ने नूर अता किया और मोमिन की दिल को भी हिदायत के नूर से रौशन करने वाला अन नूर। और अल्लाह ही तौफ़ीक़ देता है के हिदायत की रौशनी में मोमिन भटके बिना चलता रहे।
क्या वो शख़्स जो पहले मुर्दा था फिर हमने उसे ज़िन्दगी बख़्शी और उसको वो नूर अता किया जिसके उजाले में वो लोगों के दरमियान ज़िन्दगी का रास्ता तय करता है, उस शख़्स की तरह हो सकता है जो तारीकियों में पड़ा हुआ हो और किसी तरह उनसे न निकलता हो?कुरआन 5:3
ये वो नूर है वो हिदायत है जो अल्लाह अपने बन्दे को बख्शते हैं जिसकी बदौलत वो लोगों के दरमियान रहते हुए भी बिलकुल वाज़ेह तौर पर सही और गलत में फर्क देख सकता है। और अल्लाह ऐसा नूर है जिसे किसी दुनिया के नूर से तश्बीह नहीं दी जा सकती। और न ही हमारी कमज़ोर आँखें उसके नूर को इस ज़िन्दगी में देख सकती।
मिसाल के लिए अगर कोई पैदाइशी देख न सकता हो क्या वो सूरज और चाँद के नूर को रौशनी को इमेजिन कर सकता है ? चाहे हम कितनी भी डिस्क्रिप्शन दे दें मगर वो ये कभी इमेजिन नहीं कर सकता जब तक उसकी देखने की ताकत न आ जाये। और दूसरी मिसाल लें कोई इंसान कलर ब्लाइंड है तो क्या वो कभी लाल हरा नीला पीला कलर इमेजिन कर सकता है ? चाहे उसे इसका कितना भी ब्यौरा दे दिया जाये मगर उसकी आँखें इस सतरंगी स्पेक्ट्रम को देखने के काबिल नहीं है और उसकी आँखे काले और सफ़ेद के बीच महदूद है या कुछ ही रंगो का नूर उसकी आँखों के देखने की ताकत है।
ये नूर या रौशनी जो अल्लाह ने इस दुनिया में रखी है और हमारी आँखों को देखने के लिए अता की है ये उसके नूर के सामने कुछ भी नहीं। हम चाहे कितना भी अंदाज़ा लगा लें केअल्लाह का नूर किस तरह होगा मगर हमारी आँखे उस क़ाबिल नहीं के उसके नूर की ज़ियारत कर पाएं।
अब्दुल्लाह-बिन- शाक़ीक़ ने हज़रत अबू-ज़र (रज़ि०) से कहा "काश मैं मैंने नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा होता तो मैं उनसे एक सवाल ही पूछ लेता।
हज़रत अबू-ज़र (रज़ि०) ने कहा" तुम उनसे क्या सवाल पूछते ?"
उन्होंने कहा "मैं पूछता क्या अपने अपने रब अज़वजल को देखा है ?"
हज़रत अबू-ज़र (रज़ि०) ने कहा" ये सवाल तो मैं आप ﷺ से पूछ चूका हूँ, जिसके जवाब में उन्होंने फ़रमाया: वो नूर है, मैं उसे कहाँ से देखूँ! ''
सहीह मुस्लिम 178
इससे पता चला के अल्लाह सुब्हान व तआला नूर है और वो ऐसा नूर है जो दुनिया के किसी नूर की तरह नहीं है। अल्लाह तआला ही ने हमें बताया के उसका हिजाब यानि पर्दा भी नूर ही का है, और अगर वो पर्दा हटा दे तो जहाँ तक उसकी निगाहें जाती है यानि सारी की सारी कायनात उसकी ताब और उसकी शुआओं से जल जाये, कोई उसको देखने कि ताब नहीं रखता और न कोई उसके नूर को बर्दाश्त कर सकता है। और अल्लाह तआला का नूर बुझाया नहीं जा सकता। अल्लाह फरमाता है -
ये लोग अपने मुँह की फूँकों से अल्लाह के नूर को बुझाना चाहते हैं, और अल्लाह का फ़ैसला ये है कि वो अपने नूर को पूरा फैलाकर रहेगा चाहे इनकार करनेवालों को ये कितना ही नागवार हो।क़ुरआन 61:8
ख़्वाह के अल्लाह की हिदायत का नूर अल्लाह फैला के ही रहेगा चाहे काफिरों को ये बात कितनी ही नागवार गुज़रे। . जो लोग हिदायत से मुँह मोडे हुए हैं जो हिदायत का इंकार कर रहे हैं उनके लिए अल्लाह फरमाता है के उन्हें चाहे अच्छा लगे या न लगे मगर अल्लाह ताला कदम कदम पे अपनी हिदायत और वजह निशानिया सारी कायनात में फैलाये हुए हैं ,वो अल्लाह की कौन कौन सी नेमतों का इंकार करेंगे और कितनी नेमतों का इंकार करेंगे और कब तक इंकार करेंगे। अल्लाह की निशानियां देखने के बावजूद जो लोग हिदायत को नहीं अपनाते फिर अल्लाह तआला भी उन्हें हिदायत नहीं देता। मगर जब ये लोग चाहते हैं के दूसरे भी अल्लाह की हिदायत से मुँह मोड़ लें तो उनकी तरकीबें किसी काम नहीं आती। बल्कि जिसे चाहता है नूर से रौशन कर देता है।
यक़ीनन अल्लाह का नूर तो फ़ैल के ही रहेगा। और क़यामत के दिन जमीं अपने रब के नूर से चमक उठेगी। अल्लाह फरमाता है -
ज़मीन अपने रब के नूर से चमक उठेगी, आमाल की किताब लाकर रख दी जाएगी, पैग़म्बर और तमाम गवाह हाज़िर कर दिये जाएँगे, लोगों के बीच ठीक-ठीक हक़ के साथ फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई ज़ुल्म न होगा।क़ुरआन 39:69
क़यामत के दिन हर चीज़ इतनी रौशन होगी के कोई चीज़ किसी से ओझल न होगी, और हर चीज़ इंसान को पूरी पूरी नज़र आ रही होगी। और इंसान किसी भी चीज़ को छुपा न सकेगा। न अपने आमाल को न अपने इरादों को न अपनी नियतों को। और जो काम उसने दुनिया में छुप कर किये वो भी बिलकुल सब ज़ाहिर हो जायेंगे। दिलों में छुपा हुआ शिर्क कुफ्र निफ़ाक़ सब ज़ाहिर हो जायेगा और इंसान उस वक़्त पछतायेगा के ये कैसी किताब है नामा ऐ आमाल। अल्लाह फरमाता है -
और आमालनामा सामने रख दिया जाएगा। उस वक़्त तुम देखोगे कि मुजरिम लोग अपनी ज़िन्दगी की किताब में लिखी बातों से डर रहे होंगे और कह रहे होंगे कि “हाय, हमारी बदनसीबी! ये कैसी किताब है कि हमारी कोई छोटी-बड़ी हरकत ऐसी नहीं रही जो इसमें दर्ज न हो गई हो।” जो-जो कुछ उन्होंने किया था, वो सब अपने सामने मौजूद पाएँगे, और तेरा रब किसी पर ज़रा भी ज़ुल्म न करेगा।क़ुरआन 18:49
अल्लाह सुब्हान व तआला ही नूर को पैदा करने वाला है और इसी वजह से हम मुख्तलिफ चीज़ों को देख पाते हैं। और सूरज और चाँद को नूर देने वाला भी वही है। अल्लाह फरमाता है -
क्या देखते नहीं हो अल्लाह ने किस तरह 7 आसमान तह-ब-तह बनाया और उनमें चाँद को नूर और सूरज को चराग़ बनाया?कुरआन 71:16
अल्लाह ताला ने फरिश्तों को भी नूर से बनाया। हमने फरिश्तों को नहीं देखा मगर रसूल अल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद बताया और फरिश्तों पर यक़ीन हमारे ईमान का हिस्सा है।
नूर से मुराद सिर्फ ज़ाहिरी ही नहीं बल्कि बातिनी भी होता है। अल्लाह ने इंसान को देखने के लिए आँखे दी हैं, जो ज़ाहिर की चीज़ों के नूर और रौशनी को देखती हैं। लयकीन अल्लाह तआला ने हमारे दिल को भी बसीरत की निगाहें दी हैं, जो इससे आगे के भी नूर को देख सकती हैं पहचान सकती हैं और वो है हक़्क़ का नूर। इसलिए हम देखते हैं के अल्लाह तआला ने अपनी वही को भी नूर कहा है जो लोगों के लिए हिदायत है।
तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ़ से रौशनी और हक़ दिखानेवाली एक ऐसी किताब आ गई है।क़ुरआन 4:174
इसी तरह आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह ने रौशन चिराग कहा है, यानि आप को अल्लाह सुब्हान व तआला ने वो रौशन चिराग बनाया जिसके ज़रिये अल्लाह तआला लोगों को अंधेरो से निकल कर रौशनी की तरफ लाता है और सलामती के रास्तों की हिदायत देता है। और उन्हें अपने हुक्म से तारीकियों से निकल कर सीधे रस्ते की हिदायत देता है। तो जिनके दिलों की निगाहें खुली हो वो इन रौशनियों को पहचान जाते हैं। और वो किताब और पैगम्बर को हक़्क़ मानते हैं और उनका बताये हुए रस्ते पर चलने में उनको कुछ भी मुश्किल नहीं होती।
ईमान का भी एक नूर होता है, जब इंसान अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान ले आता है ,उसके फरिश्तों पर ईमान रखता है उसकी किताब पर, आख़िरत पर यक़ीन रखता है अल्लाह तआला उसे एक रौशनी अता कर देते हैं।
आप सल्ललाहु के साथ के साथ हिदायत का एक नूर अता किया गया था। अल्लाह तआला फरमाता है -
जो इस पैग़म्बर, उम्मी नबी की पैरवी इख़्तियार करे जिसका ज़िक्र उन्हें अपने यहाँ तौरात और इंजील में लिखा हुआ मिलता है। वो उन्हें नेकी का हुक्म देता है, बुराई से रोकता है, उनके लिये पाक चीज़ें हलाल और नापाक चीज़ें हराम करता है, और उनपर से वो बोझ उतारता है जो उनपर लदे हुए थे और उन बन्धनों को खोलता है जिनमें वो जकड़े हुए थे, इसलिये जो लोग उसपर ईमान ले आएँ और उसकी हिमायत और मदद करें और उस रौशनी की पैरवी करें जो उसके साथ उतारी गई है, वही कामयाब होनेवाले हैं।क़ुरआन 7:157
इसी तरह नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ को भी नूर क़रार दिया -नमाज़ नूर है। यानि नमाज़ मोमिन के दिल में नूर पैदा करती है। इंसान को गुनाहो से रोकती है , इंसान के गुनाहो की मेल कुचैल को धो डालती है।
अल्लाह सुब्हान व तआला वो नूर भी है जो नूर की तरह रहनुमाई करने वाला भी है। अल्लाह आपने नूर की तरफ जिसकी चाहता है रहनुमाई फरमाता है। ऐसे लोगों को अल्लाह तआला अंधेरो से निकल कर रौशनी में ले आता है , ऐसे लोग जो हक़ को पाना चाहते हैं, जो अंधेरों से निकलना चाहते हैं, जो हिदायत क़ुबूल करना चाहते हैं , जिनके दिल पिघले हुए हैं, जो अल्लाह की निशानिया देख कर उसको मान जाते हैं।
वो अल्लाह ही तो है जो अपने बन्दे पर साफ़-साफ़ आयतें नाज़िल कर रहा है ताकि तुम्हें तारीकियों से निकालकर रौशनी में ले आए, और हक़ीक़त ये है कि अल्लाह तुम पर बहुत ही शफ़ीक़ और मेहरबान है।क़ुरआन 57:9
अल्लाह अपने बन्दों को अंधेरों से निकाल कर रौशनी में ले आता है जबकि वो लोग जिन्होंने कुफ्र किया वो उनके बातिल माबूद है जो उन्हें रौशनी से अंधेरों की तरफ ले जाते हैं। वाज़ेह तौर पर अल्लाह ने बता दिया के दो ही रास्ते हैं एक रौशनी का रास्ता और अंधेरो का रास्ता , ईमान का रास्ता और कुफ्र का रास्ता , एक हिदायत का रास्ता और गुमराही का रास्ता, इल्म का रास्ता और जहालत का रास्ता। तो जो लोग वाक़ई रौशनी में आना उनको अल्लाह तआला अंधेरो से रौशनी में ले आते हैं।
कुरआन के तार्रुफ़ में अल्लाह फरमाता है -
अलिफ़-लाम-रा। एक किताब है, जिसकी आयतें पुख़्ता और तफ़सील से बयान हुई हैं एक हिकमतवाली और ख़बर रखनेवाली हस्ती की तरफ़ से कि तुम बन्दगी न करो, मगर सिर्फ़ अल्लाह की। मैं उसकी तरफ़ से तुमको ख़बरदार करनेवाला भी हूँ और ख़ुशख़बरी देनेवाला भी।कुरआन 11:1-2
अल्लाह तआला ने क़ुरआन को इंसानो की रहनुमाई और रहमत बनाकर नाज़िल किया। तो जो शख्स भी अंधेरों से निकलकर रौशनी की तरफ आयना चाहता है उसके लिए ज़रूरी है के क़ुरआन की तरफ रुजू करे।
2 टिप्पणियाँ
Masha Allah
जवाब देंहटाएंAlhamduLILLAH
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।