Table Of Content
- लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम नौजवानों को सताने का प्लान
- लव ट्रैप की ट्रेनिंग
- ताग़ूत और मुस्लिम नौजवानो के हालात
- लव ट्रैप ऑन सोशल मीडिया
- लव ट्रैप में फंसी लड़कियों की हकीकत
- वालिदैन की गफलत
- लव ट्रैप पर फरमाने इलाही
- मेरी इल्तेज़ा
- गुजारिश ए आम
तागूत का मिशन है जिसके तहत मुस्लिम लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनसे मीठी मीठी बातें कर के, उन्हें दुनियां के सब्ज बाग दिखा कर झूठी शादी करना और उनकी इज़्जत से खेलना। इस के सहारे मुस्लिम्स जनसंख्या पर रोक लगाया जाए, मुस्लिमों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हर तरीके से कमज़ोर किया जाए, ये मिशन है इनका। इस्लाम की जड़ों में गरम पानी डाला जाए। जब तागूत और इस्लाम के दुशमन को हर जगह से मुसलमानो को अज़ीयतें दे कर उन्हें परेशान करके चैन न आया तो एक नया रास्ता निकाला। उन्हें पता है कि ये दुखती रग है और यहां वार कर के आसानी से मुस्लिम महिलाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें कई मुद्दों पर बरगलाया जाता है। मुस्लिम्स खुद ही कमजोर हो जायेगा, जनसंख्या पर भी रोक लगेगा, आने वाली नस्ल भी उसके खत्म हो जाएंगे, और उनकी खुद की नस्ल बढ़ेगी।
तागूत ने बहुत से लड़कों को ट्रेनिंग दे कर मुस्लिम लड़कियों से शादी करके मुर्तद बनाने के काम में लगा रखा है, जिसके लिए वो ऐसा करने में कामयाब होने वाले लड़कों को इनाम का वादा कर रहे हैं और दे भी रही है।
लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम नौजवानों को सताने का प्लान
इस मिशन पर तागूत भी अहम भूमिका में है, अगर कोइ मुस्लिम लड़का किसी गैर मुस्लिम लडकी से मुहब्बत कर के शादी करता है तो उसे लव जिहाद बता कर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, उन्हे कमजोर करने और प्रॉपर्टी से अपाहिज बनाने के लिए उनके घरों पर बुल्डोज़र चलाए जाते हैं, गैर मुस्लिम लड़कियों को बरगलाने के नाम पर उसे जेल में डाल दिया जाता है, कही अवैध कब्जा के नाम पर बिल्डिंग को गिरा कर तो कही लड़की भगाने के नाम पर बिल्डिंग गिरा रहे तो कही पत्थर चलाने के नाम पर बिल्डिंग गिरा दे रहें, और मुस्लिम नौजवान जो मुस्लिम समाज के लिए आवाज उठाने वाला और प्रोटेस्ट करने वाले को NSA , UAPA लगा कर सालो साल जेल में डाल रहें हैं ताकि कोई फिर आवाज उठाने वाला न रहे। लव ट्रैप संगठित तौर पर स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, ऑफिस, मार्केट शॉप , सिम पोर्ट, मेडिकल होस्पिटल्स हर जगह अपना काम अपने तरीके से कर रहा और उनको व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के पोस्ट के जरिए मोटिवेट और इनफॉर्मेशन शेयर किया जाता है।
लव ट्रैप की ट्रेनिंग
हुनूद लड़कों को आम बोल चाल की बातें सिखाते हैं, उर्दू के वर्ड जो रोज़ मर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल किया जाता है इसकी उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है- माशाअल्लाह, सुब्हानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अस्तग़फ़िरुल्लाह, अस्सलामु अलयकुम, वालेकुम अस्सलाम, ख़ैरियत से है? कुछ को कुरान की कुछ आयतें भी याद कराई जाती है, नबी की सीरत से रिलेटेड बातें भी ताकि मुस्लिम लड़कियों को शक न हो जिसके तहत अब तक देश भर में बहुत सी मुस्लिम लड़की धोकेबाज़ लड़कों के जाल में फंस कर मुर्तद हो चुकी है।
अगर आप मुस्लिम हैं तो हम सबकी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी बनती है की अपने घरो, मोहल्लो, रिश्तेदारों, दोस्तो को ताग़ूत की इस ख़तरनाक मुहिम से आगाह करें और मुस्लिम लड़कियों की इज़्ज़त आबरू और ईमान को बचाने की कोशिश करे। अपनी और अपने घर वालो की हिफ़ाज़त करें।
याद रखें, काफ़िर के साथ किया गया निकाह ख़ालिस ज़िना होता है!
ताग़ूत की खूबी यह है कि ये बहुत बड़े पैमाने पर मुस्लिम लड़कियो के सपोर्ट में खड़े रहते है चाहे उनका घरेलू मामला हो या सामाजिक मामला या पढ़ाई का मामला हो ये सबसे पहले उनके साथ हमदर्दी दिखाते है और उनके साथ पैसा और टाइम दोनो देते है, मीठी मीठी बातें करते हैं। आप को अंदाजा ही नहीं होगा कि इनका इरादा गलत हो सकता है। ये मुसलमानो कि कमियां गिनाते हैं ताकि लड़कियां अपने समाज वालो से नफरत करने लगे और फिर उसका झुकाव उनकी तरफ हो जाए।
ताग़ूत और मुस्लिम नौजवानो के हालात
दुसरी तरफ़ मुस्लिम नौजवान इनकी आंखों की किरकिरी बने हुए हैं मुस्लिम लड़कों को देश के गद्दार, आतंकवादी, पाकिस्तान सपोर्टर के नाम पर झूठी खबर दिखा कर प्रोपगैंडा करते हैं। दुनिया को ही जन्नत पेश कर के खुद को सक्सेस होने के लिए मुस्लिम समाज से हटकर रहने की सलाह देते है।
ये धोकेबाज़ नौजवान मुस्लिम लड़कियों को यह कहकर गुमराह करते है कि,
- इस्लाम धर्म में महिलाओं को इज्जत नही मिलती।
- उन्हें घरों में कैद रखा जाता है।
- उनको आजादी नहीं मिलती।
- उन्हें अपनी ज़िन्दगी खुल के जीने का हक नहीं मिलता।
- उन्हें नौकरानी की तरह रखा जाता है।
- उनके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है।
- उनसे मोहब्बत नहीं बल्कि जिस्मानी ज़रुरत के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- अपनी नस्ल बढ़ने के लिए उनसे बच्चा पैदा करने वाली मशीन की तरह काम किया जाता है।
काश कि उन शिकार बच्चियों को दुनियावी तालीम के साथ घर में ही सही थोड़ा दीन सिखाया जाता।
लव ट्रैप ऑन सोशल मीडिया
आज कल सोशल मीडिया पर ये सब बहुत आम बात है मेरी प्यारी बहनों किसी भी अंजान व्यक्ति से दोस्ती न करें।अक्सर फेक I'd से फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है कभी किसी मुस्लिम लड़कियों के नाम से तो कभी लडको के नाम से और हम खैर ख्वाह समझ कर एक्सेप्ट भी कर लेते हैं, फिर इनबॉक्स में बात चीत का सिलसिला शुरू होता है। पहले शुरू में तो नॉर्मल बातें होती है फिर जब बातों का चस्का लग जाता है तो गुफ्तगू लंबी होती चली जाती है। बातों में भी जादू सा असर होता है इंसान उसकी गिरफ्त में जाकर होश खो देता है।
हो सकता है जिसे मुस्लिम समझ के आप सोशल मीडिया पर वक्त दे रही हैं वो मुस्लिम ना हो और अगर मुस्लिम हो भी तो आप के लिए गैर मेहरम ही है क्योंकि औरत के सिर्फ़ चार हमदर्द हैं बाप, भाई, शौहर, और बेटा, इसके अलावा किसी और की हमदर्दी या प्यार आप के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जो मुहब्बत करते हैं वो निकाह करते हैं मेरी बहनों होटल के कमरे की फरमाइश करने वाले सिर्फ़ इस्तेमाल करते हैं। रही बात सोशल मीडिया की तो कोई भी किसी भी नाम से आईडी बना कर आ सकता है।
लड़की बन कर आ सकता है, आपसे दोस्ती कर सकता है, आपकी तस्वीर ले सकता है और आप उसकी आवाज़ सुनने को बोलो तो कोई भी आवाज़ changer application की मदद से वो लड़की की आवाज़ भेजकर आपको ट्रस्ट करा सकता है कि वो लड़की है और आप उसका यक़ीन करके उससे बिल्कुल फ्रेंडली हो कर बात करने लगो, अपने फैंमिली की प्रॉब्लम शेयर करने लगती हैं, अपनी पर्सनल बातें शेयर करने लगती हैं। बस यहीं धोखा खा जाती हैं आप और फ़िर आपकी सारी पर्सनल डिटेल्स ले कर आपको ब्लैकमेल करना शुरू करते हैं लोग, इसलिए सोशल मीडिया पर किसी अनजान से दोस्ती ना करें। ये एक इल्तेज़ा है।
लव ट्रैप में फंसी लड़कियों की हकीकत
हराम आशिकी वही लड़किया करती हैं जिनके दिलों में अल्लाह का खौफ और नबी ﷺ की मोहब्बत न हो। कितनी कोमल होती हैं बच्चियां बिल्कुल नाजुक और नर्म दिल मगर इस बात से ला इल्म कैसे हो सकती है कि जितना नाजुक दिल होता है उस से भी ज्यादा नाज़ुक और कीमती उनकी अस्मत होती है बिल्कुल सफेद कपड़े की तरह, क्या सफ़ेद कपड़े पर कोई धब्बा लग जाए तो कोई उसे पसंद करता है? नहीं, बल्कि वो बेकार हो जाता है।
छिपकली और कॉकरोच से डर जानें वाली लड़कियां किसी गैर मर्द से अकेले में मिलने से क्यों नहीं डरती? जबकि कॉकरोच कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। छिपकली के काटे से जान नहीं जाती और मान लीजिए जान चली भी जाए तो कुछ नहीं होगी मगर इज़्जत चली गई तो जो ज़िल्लत और रुसवाई नसीब होगी उसका खामियाजा ता उम्र ही नहीं ना जानें कितनी नस्लों को भुगतना होता है।
जब कोई लडकी इश्क के जाल में फंसकर घर से बाहर कदम रखती है तो सिर्फ़ वो खुद की ही नहीं बल्कि अपने बाप की इज्ज़त, अपने भाई का गुरूर, अपनी मां की परवरिश खानदान की गैरत को साथ ले जाकर एक बदनुमा धब्बा लगा देती हैं। बाज दफा होता है कि मां-बाप तो माफ कर देते हैं मगर समाज और ज़माना कभी माफ़ नहीं करता वो बार बार आप के खानदान और वालदेन को जलील करता रहता है।
एक गैर मर्द तुम्हारा जिस्म, तुम्हारी रूह, तुम्हारी पाक दामनी, तुम्हारी इज्जत, तुम्हारे परिवार की इज्जत, तुम्हारे खानदान का नाम, यहां तक कि तुम्हारी आखिरत को भी हमेशा के लिए तबाह ओ बर्बाद कर सकता हैं।
वालिदैन की गफलत
अफ़सोस की बात ये है कि आज हम जिस दौर में जी रहे हैं उसमें हर कोई मॉर्डन लाइफ स्टाइल को फ़ॉलो कर रहा है और जाने अनजाने में हम अपनी बच्चियों को खुद ही जंगली भेड़ियों और दरिंदों के हवाले कर रहे हैं। ऐसे में हम बच्चियों से क्या उम्मीद कर सकते हैं। जब हमने खुद ही उन्हें दीन से दूर किया हुआ है।
जब मैं मुस्लिम लड़कियों को समझती हूं कि पर्दे का एहतराम करें, अगर पर्दा नहीं कर सकतीं हैं तो कम से कम सर तो कवर करें।
इसके जवाब में वे कहती हैं, "मैम आप किस ज़माने में जी रही हैं। इतनी पढ़ लिख कर भी आप ऐसी बातें करती है, अब जमाना बदल गया है।"
फिर हम उन से क्या उम्मीद कर सकते हैं। कैसे समझाऊं कि बेटियों के लिए जमाना कभी नहीं बदलता।
लव ट्रैप पर फरमाने इलाही
गौर करें और पढ़ें मेरी बहनों! कुरान में क्या आया है? फरमाने इलाही है:
मर्दों के लिए:
तुम मुशरिक [ बहुदेववादी] औरतों से हरगिज़ निकाह न करना, जब तक कि वो ईमान न ले आएँ। एक मोमिन लौंडी शरीफ़ मुशरिक औरत से बेहतर है, चाहे वो तुम्हें बहुत पसन्द हो।
औरतों के लिए:
और अपनी औरतों का निकाह मुशरिक मर्दों से कभी न करना, जब तक कि वो ईमान न ले आएँ। एक मोमिन ग़ुलाम मुशरिक मर्द से बेहतर है, चाहे वो तुम्हें बहुत पसन्द हो। ये लोग तुम्हें आग की तरफ़ बुलाते हैं, और वो अपने अहकाम [ आदेश] वाज़ेह तौर पर लोगों के सामने बयान करता है, उम्मीद है कि वो सबक़ लेंगे और नसीहत क़बूल करेंगे।"
[क़ुरआन 2 :221]
मेरी कौम की बहनों अपनी और अपने घर वालो की इज्जत की कद्र करो, लेहाजा किसी की गर्लफ्रेंड मत बनों और अपनी इज्जत से समझौता मत करो।
नाजायज़ मोहब्बत में मुब्तला हो या फिर हराम शादी करके जिंदगी गुजार रही हो तो तुम गलत रास्ते पर हो यकीन जानों यह रास्ता अच्छा रास्ता नहीं। अगर इसी सूरत ए हाल में तुम को मौत आ गयी तो फिर तुम्हारा अंजाम बहुत बुरा होगा।
मेरी बहनों चंद दिन की यह दुनिया की जिंदगी हैं इसे अपने नफ्स (ख्वाहिशो) की पैरवी और नाजायज़ कामों में मत लगाओं बल्कि इस जिंदगी को जिंदगी देने वाले के मुताबिक गुजारो, फरमान ए इलाही के मुताबिक गुजारो। अगर कामयाब होना हैं तो वरना कल आखिरत में पछतावा ही पछतावा।
अल्लाह से सच्ची तौबा कर लेना यकीनन अल्लाह तुम्हे माफ कर देगा क्यूकी तुम्हारे तमाम गुनाह अल्लाह की रहमत से बढ़कर नहीं हैं। अल्लाह कुरान में कहता हैं :
"अलबत्ता जो तौबा कर लें और ईमान ले आए और अच्छे काम करें फिर सीधा चलता रहें उसके लिए मैं बहुत माफ करने वाला हूं।" [क़ुरआन 20:82]
मेरी इल्तेज़ा
1. एक इल्तेज़ा बेटियों, बहनों और बीवियों से
मेरी प्यारी बहनों आप के बाप, भाई और शौहर का सर आपकी वजह से झुक जाए ये आप को कैसे गवारा हो सकता है?
इसका ख्याल रखें!
जब कभी भी घर से बाहर निकलें तो अपने बाबा का चेहरा एक बार ज़रूर देखें और जब भी दिल किसी गुनाह की तरफ़ माइल हो तो उनका चेहरा याद करें और अल्लाह को अपने सामने हाज़िर जानें गुनाहों से अस्तगाफर करें।
ऐ फ़ातिमा ज़हरा रज़ि० की बेटियों अपनी इज़्ज़त वक़ार की फिक्र किया करो, तुम्हारे बाप का सर तुम्हारी लापरवाहियों और बद अमली की वजह से झुक सकता है, इसे कभी झुकने मत देना।
ये वो सर है कि आपकी बेहतर तरजिहात की वजह से ये उठ जाता है, बाप को अपने बच्चों पर फ़ख्र हो इससे बेहतर एजाज़ उनके लिए क्या हो सकता है?
यकीन जानो दुनिया में जो कुछ भी हैं उन सब से बढ़कर तुम्हारे लिए तुम्हारी इज्जत हैं फिर क्यों तुम चंद मीठे - मीठे अल्फाज पर अपनी इज्जत से समझौता कर लेती हो?
स्कूल - कॉलेज में जो हो रहा हैं उसे बताने की जरूरत नहीं मेरी बहनों, अल्लाह तुम्हारा इम्तिहान ले रहा हैं। अब तुम्हे खुद फैसला करना है कि इस इम्तिहान में तुम्हें कैसे पास होना हैं ?
मेरी कौम की बहनों अब भी वक्त हैं काफिरों की नाजायज मोहब्बत को अपने दिलो से निकाल दो और अपने दिलों में अल्लाह की मोहब्बत पैदा करो वरना कल आखिरत में पछतावा ही पछतावा।
इस्लाम किसी गैरमहरम लड़के को देखने की इजाजत नहीं देता और तुम हुनूद के साथ इश्कबाजी करती हो शर्म करो!
2. एक इल्तेज़ा बाप से
मेरे कौमी भाइयों आप की बेटियां आप का गुरूर हैं इनका ख्याल रखें। उन्हें बेहतर परवरिश और तालीम दें। दीन से जोड़ें, हदीस और क़ुरआन सिखाएं।
तमाम मुस्लिम नौजवान और मुस्लिम लड़कियों के मां बाप से गुज़ारिश है की स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियों का ख़ास ख़्याल रखिए। आज कल कुछ बदमाश लड़के मुस्लिम लड़कियों से दोस्ती के नाम पर ना-जायज़ फ़ायदा उठा रहे हैं और एक टार्गेट चल रहा है हमारी सेक्युलर सोच हमारे इज़्जत ए नफ्स पर डाका डाल रहा है।
ये मुस्लिम लड़कियों से मोहब्बत का नाटक करते हैं उनसे झूठे वादे करते हैं, उनसे शादी का वादा करते हैं, झुठी मोहब्बत का दावा करते हैं, बाद में उनसे ग़लत काम लेते हैं और शादी के बाद इतना परेशान करते की बेचारी मुस्लिम लड़कियां ग़लत क़दम उठाने को मजबूर हो जाती जिसकी वजह से लड़की के मां बाप को शर्मिंदा होना पड़ता है।
3. एक इल्तेज़ा मां से
कहते हैं मां की गोंद बच्चे की मुकम्मल दर्सगाह है, यहीं से उन्हें अच्छे और बुरे हर बात की परवरिश मिलती है जो जिन्दगी भर काम आती है और एक बेटी के लिए तो मां सबसे अच्छी दोस्त होती है, इस से अच्छी दोस्त तो मिल ही नहीं सकती फिर कोई और शख्स आप की बच्ची को अपना दोस्त बना कर उसे बदकार बना दे? मां को चाहिए कि उसे अपनी दोस्त बना कर एक नेक मोमिना बना दें।
ये मां का फर्ज़ है की अपनी बच्चियों की एक्टिविटी पर नज़र रखें। वो कब क्या करती है? कहां जाती है? किससे मिलती है? उसकी सहेलियां कौन हैं? अगर आप की बच्ची तोहफ़े और कपडे वगैरह लाती है तो अच्छे से तहकीक करें। उसके मोबाइल की जांच करती रहें। उन्हें समझाए की किसी भी मर्द से कभी भी अकेले में न मिलें।
4. एक इल्तेज़ा भाइयों से
अल्लाह ने भाई को भी मुहाफिज़ बनाया है तो एक भाई का फर्ज़ ये है की हर हाल में अपनी बहन की हिफ़ाज़त करें। उसे स्कूल, कॉलेज-यूनिवर्सिटी ,ऑफिस, मार्केट शॉप, सिम पोर्ट मेडिकल होस्पिटल्स आदि जगहों पर अकेला ना छोड़े। बाज दफा ज्यादा सख्ती भी नहीं करनी चाहिए उसे प्यार और नरमी से समझाते रहे।
5. एक इल्तेजा कौम के नौजवानों से:
मिल्लत के नौजवानों से मेरी गुज़ारिश है कि वो निकाह को आसान बनाएं,सुन्नत तरीके अपनाएं। दहेज़ जैसी बला का Boycott करें। चार बीबियों का शौक रखने वाले बेवा और तलाक़ सुदा से निकाह कर के नबी की सुन्नत को जिंदा करें। मर्द अपने कव्वाम होने की जिम्मेदारी पूरी करे अपनी बीवी के साथ खुश अखलाकी से पेश आए।
अगर मर्द ये point अपना ले तो कौम की बच्चियों को ताकत मिलेंगी, भरोसा भी कायम होगा।
गुजारिश ए आम
तमाम वालिदैन (मां - बाप) और भाइयों से गुजारिश करती हूं कि अगर आपकी बेटी या बहन किसी काफिर के साथ भाग गई थी मगर अब उसे अपनी इस गलती का अहसास हो गया हैं और वह अब सुधरना चाहती हैं तो खुदारा आप लोग बड़ा दिल दिखाए और उसे एक मौका जरुर दें और लोगों की परवाह न करें कि लोग क्या कहेगें? हो सकता हैं आपके इसी अमल को अल्लाह पसंद फरमा लें और आप की मगफिरत फरमा दें।
अल्लाह रब्बुल इज़्जत से दुआ करती हूं कि अल्लाह उम्मत की शहजादियों को सिरातल मुस्तकीम पर चलने की तौफीक इनायत फरमा दें।
आमीन या रब-उल आलमीन
जज़ाक अल्लाह खैर
मुसन्निफ़ा (लेखिका): फ़िरोज़ा खान
2 टिप्पणियाँ
Allah hidayat kre qaum e muslimah ki. Ameen
जवाब देंहटाएंaameen
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।