ये बाबरकत किताब है जिसे हमने आपकी तरफ़ इसलिए नाजिल फ़रमाया कि लोग इसकी आयतों पर गौर ओ फ़िक्र करे और अकलमंद इससे नसीहत हासिल करे। [कुरआन 38:29]
- महासागर का निर्माण
- समुद्र/महासागर में ज्वालामुखी
- साहिली (तटीय) कटाव
- दो जल निकायों के बीच बाधा
- महासागर का प्रवाह
- गहरे समुद्र/महासागर में अंधेरा
- समुद्र/नदी में ज़ेवरात की किस्में
- मोती और मूंगे
- समुद्री जीवन में समुदाय
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने कुरआन में बार-बार फ़रमाया
नसीहत है अक्लमंदों के लिए यानि उन लोगों के लिए जो गौर ओ फ़िक्र करते हैं उसकी खिलकत (Creation) पे और फ़िर उसकी तरफ़ रुजू करते हैं क्योंकि उसकी खिलकत उसके वजूद की गवाही देती है।
वो (अल्लाह) ही है वो अपने बंदों पर वाजेह आयतें उतारता है ताकि वो तुम्हें अंधेरों की तरफ़ से नूर की तरफ़ ले जाए यकीनन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त तुम पर नर्मी करने वाला रहम करने वाला है।
कुरआन 57:9
अंधेरों से मुराद जहालत और ला-इल्मी है, यह किताब (क़ुरआन) इंसानों को जहालत से निकाल कर नूर (Light) की तरफ़ लाती है कुरआन में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अहकामात के साथ-साथ अपनी खिलकत (Creation) की भी निशान देही (Signs) की है। तो उसकी निशानियों में से एक निशानी को जानने और समझने की कोशिश करते हैं-
1. महासागर का निर्माण (Formation of Ocean)
समुन्द्र के बनने के ताल्लुक़ से बहुत सी Theory दी गई लेकिन वक्त ग़लत बता कर नकार दिया गया आख़िर में जो दी गई
पृथ्वी की तह में रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण भाप उत्पन्न हुआ। पृथ्वी पे पानी गैसीय रूप में तब तक रहा जब तक कि गृह की सतह 100⁰C से नीचे नहीं हो गई। पानी बारिश में संघनित हुआ और फ़िर पृथ्वी पर बरसा।
"इस (ज़मीन) में से पानी चाराह निकाला।"
कुरआन 79:31
क़ुरआन की यह आयत कई बातों की तरफ़ इशारा कर रही है जैसे :- पानी का ज़मीन से ही निकलना
ज़मीन से चारा का निकलना और पानी के बाद ही पृथ्वी जानदारों के लिए रहने लायक़ बनी। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क़ुरआन की और आयत में यह भी फ़रमाया कि हमने हर जानदार को पानी से पैदा किया।
अल्लाह ही वो है जिसने छः दिन में आसमान और ज़मीन को पैदा किया और इसका अर्श ( तख़्त ) पानी पर था।
कुरआन 11:7
इस आयत के ताल्लुक से आलिम-ऐ-दीन बयान करते हैं कि पृथ्वी पे पहली बारिश के कई सालों तक पृथ्वी पे कोई तख़लीक़ नहीं हुई थी आयत के मुताबिक़ तब अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बादशाही पानी पर थी।
Watson and Harison (2006)- इन वैज्ञानिकों के अनुसार पहले पृथ्वी पिघली हुई (molten State) में थी इन्होंने पश्चिमी आस्ट्रेलिया के Jack hells की carbon Dating करके बताया कि ये सबसे पुराने पत्थर है यानि 500 मिलियन पुराने इन लोगों ने अपनी तहकीक के नतीजे में यह बताया कि पानी के ऊपर ज़मीन बिछाई गई है।
ज़मीन के बिछने और फैलने के साथ-साथ समुंद्र बना उससे पहले मौजूद पानी को super ocean (Panthalassa) कहते हैं।
रोये ज़मीं के (तमाम) दरख्तों की अगर क़लम हो जाएं और तमाम समुंद्रों की सियाही हो और इनके बाद सात समुद्र और हो ताहम अल्लाह के कलिमात ख़त्म नहीं हो सकते बेशक अल्लाह गालिब और बाहिकमत है।
कुरआन 31: 27
2. समुद्र/महासागर में ज्वालामुखी (Volcano in the Sea/Ocean)
और कसम है भड़काए हुए समुंद्र की।
(And by sea filled with fire)
कुरआन 52:6
प्रशान्त महासागर (Pacific Ocean) के चारों ओर आग का घेरा (Ring of fire) है जिसकी लम्बाई 40,000 km पूरी दुनिया की ज्वालामुखी का 3/4 भाग इसी Ring में है यानि 452 ज्वाला मुखी मौजूद है और 90% भूकम्प इसी Ring में आता है।
अब्दुल्लाह बिन उमर ( रजि०) कहते हैं कि नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया :-
समुन्द्र का सफ़र न करें मगर हज करने वाला या उमराह करने वाला या अल्लाह की राह में जिहाद करने वाला क्योंकि समुन्द्र के नीचे आग है और आग के नीचे समुन्द्र
सुन्न अबु दाऊद:2489
यह हदीस दो बातों की तरफ़ इशारा कर रही है। एक जिसे अभी समझने की कोशिश की और दूसरा समुन्द्र के नीचे आग यानि ज़मीन का Care Temp. 75,000°C है समुन्द्र की सतह में दरारे और इन दरारों मे ऊष्मा निकलती है। यह हदीस बताने वाले यानि नबी करीम ﷺ ने ख़ुद समुन्द्र का सफ़र नहीं किया और न ही साहिल ए समुन्द्र पे गए तो सोचने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी रहस्य (Secret) कैसे बता सकते हैं? तो सच यह है वह ख़ुद से कुछ नहीं कहते थे सिर्फ़ वही कहते जो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की तरफ़ से होती थी।
क्या ये कहते हैं कि इसने (नबी करीम ﷺ) इसे (कुरआन ) गड़ लिया (नहीं नहीं) बल्कि ये तेरे रब की तरफ़ से हक (truth) है।
कुरआन 32.3
3. साहिली (तटीय) कटाव (Coastal Erosion)
समुद्र कटाव जमीन का नुकसान या विस्थापन है जो समुद्री लहरों, ज्वारों, हवा से चलने वाले पानी या तूफानों के प्रभाव की वजह से होता है यानी जमीन समुद्र के किनारों से तंग हो जा रही है।
क्या वो नही की हम जमीन को इसके किनारों से घटाते चले आ रहे है , अब क्या वही गालिब है?
कुरआन 21.44
इस आयत की तफसीर में कोई बातें कही जाती है जैसे : नबी करीम ﷺ के ज़माने में इस्लामी रियासत का लगातार फैलाना और बदी (बुराई) का घटना। कुरान की एक आयात कई बातों की तरफ इशारा करता है जैसे :— यह भौतिक रूप से परिभाषित (defined) है।
क्या वो नही देखते की हम जमीन को इसके किनारों से घटाते चले आ रहे है अल्लाह हुक्म करता है कि इसके अहकाम पीछे डालने वाला नही वो जल्द हिसाब लेने वाला है।
कुरआन 13.41
4. दो जल निकायों के बीच बाधा (Barrier between two water bodies)
दो समुद्र के बीच आड़ जो पानी को मिलने पर भी नही मिलने देती यानि मीठा और खारा पानी आपस में मिलकर एक property के नहीं बनते है जिसे Halocline कहते है और अगर पानी अलग-अलग कई गुण के साथ आते है जैसे : salinity, oxygenation, density, temperature and mineral etc. भी मिल कर एक गुण (property) नहीं बना पाते इसे water stratification करते हैं।
इसे दो दरिया जारी कर दिए जो एक दूसरे से मिल जाते है । इन दिनों में एक आड़ है की बढ़ नही सकते।
कुरान की यह दो आयतें इतनी चमत्कारी है की आप खुद अंदाज कर सकते हैं इसे science ने लगभग कुछ सालो पहले ही साबित जबकि कुरान 1400 सालों से बयान कर रहा है। अल्लाह रब्बुल इज्जत ने दो water bodies के बीच ऐसा आड़ बनाया जो दिख के भी (less salty water light blue and more salty water dark blue) नहीं दिखता यानि दो अलग–अलग किस्म समुद्र/दरियायें एक साथ बहते ही नहीं बल्कि कई किलो मीटर तक एक दूसरे में दाखिल होकर भी एक दूसरे के property को नहीं अपनाते जिसे homogenising barrier कहते है।
क्या वो जिसने जमीन को कारगाह बनाया और इसके दरमियान नहरे जारी कर दी और इसके लिए पहाड़ बनाए और दो समुंद्रो के दरमियान रोक बना दी क्या अल्लाह के साथ और कोई माबूद भी है?
कुरआन 27.61
eg: Baltic and north sea, Pacific Ocean and altantic ocean
और भी बहुत से उदाहरण है उन सबका जिक्र करना मुमकिन नहीं और ना हमारा मकसद है हमारा मकसद सिर्फ अल्लाह की निशानियो को समझना और समझाना है।
5. महासागर का प्रवाह (Flow of Ocean)
लगातार सागरीय पानी का एक दिशा में प्रवाह (flow) करना Ocean current कहलाता है। यह बहुत दूर तक बहते है और एक साथ मिलकर Globe convey belt बनाते है जो पृथ्वी के कई हिस्सों में Climatic conditions को determine करते है।
और वही है जिसने दो समुंद्रो को एक साथ जारी किया यह है मीठा और मजे दार और यह है खारा कड़वा और इन दोनो के दरमियान एक हिसाब (पर्दा) और मजबूत आड़ कर दी।
कुरआन 25.53
इस आयत में तो अल्लाह ने बिल्कुल साफ अंदाज में बयान कर दिया की दो अलग–अलग किस्म (मीठा और खारा) पानी एक मजबूत आड़ के साथ बहते है फिर भी आपस में मिलते नहीं जिसको उदाहरण से भी हमने समझने की कोशिश की।
6. गहरे समुद्र/महासागर में अंधेरा (Darkness in Deep sea/ocean)
आज वैज्ञानिक खोज हमे बताती है की जब समुद्र पर सूर्य के प्रकाश पड़ती है तो 30% लौट जाति है बाक़ी 70% में spectrum बनता है जिसमें 7 रंग की प्रकाश होती है जो 15–20 m से लेकर 1000 m तक सातों रंग की प्रकाश अवशोषित हो जाती है यानी 1000 m नीचे जाने पर समुंद्र में कुछ भी नजर नहीं आयेगा।
या फिर उसकी मिसाल ऐसी है जैसे समंदर में अंधेरा की ऊपर एक मौज छाई हुई है उसपर एक और मौज और उसके ऊपर बादल अंधेरा छाया हुआ है आदमी अपना हाथ निकाले तो उसे भी न देखने पाए । जिसे अल्लाह नूर न दे , उसके लिए फिर कोई नूर नही।
कुरआन 24.40
कुरान की यह आयत तीन बातों की तरफ इशारा कर रही है, एक को समझ लिया।
मौजों के अंदर मौज यानी समुंद्र में जो तरंगे होती हैं वह सिर्फ ऊपर सतह पे नहीं होती बल्कि उसके अंदर भी होती है जो गुरुत्वाकर्षण तरंगे होती है।
तीसरी बात, इन अंधेरों में वह जीव (मछलियां) है जो खुद से प्रकाश उत्पन्न करती है (emit their own light) eg. Anglerflesh इन्हें bioluminescent भी कहते है।
7. समुद्र/नदी में ज़ेवरात की किस्में (Type of Ornament in ocean/river)
National geography की तहकीक के अनुसार समुद्र की तह में बहुत ज़्यादा कीमती तत्व (Silver, Gold, diamond, and cobalt etc) पाए जाते हैं।
और दरिया भी इसी ने तुम्हारे बस में कर दिया तुम इस में से (निकला हुआ) ताज़ा गोश्त खाओ और इसमें से अपने पहनने के जेवरात निकाल सको।
कुरआन 16.14
इस आयात के मुताबिक समुद्र को कई तरह से अल्लाह ने इंसानों के लिए नफाबक्श (Benificial) बनाया।
और तहकीक हमें यह बताती है की अगर समुद्र में से सोना निकाला जाए तो हर एक (व्यक्ति) को 9 pound सोना दिया जा सकता है यह धातु कुछ सौ फीट से लेकर 20,000 फीट तक पाई जाती है।
तुम इन दोनों में से ताज़ा गोश्त खाते हो और वो जेवरात निकालते हो जिन्हें तुम पहनते हो।
कुरआन 35.12
8. मोती और मूंगे (Pearl and Corals)
कोरल एक प्रकार का जीव होता अपनी रक्षा के लिए शरीर की बाहरी सतह पर calcium carbonate का स्त्राव करता है जो कई मी० तक लंबा, जिससे जेवर बनाए जाते है। मोती (pearl) तो हमें पता ही है।
इन दोनो (समुंद्रों) में से मोती (Pearls) और मूंगे (Corals) बरामत होते है।
कुरआन 55.22
आप (नबी ﷺ) फरमाइए की अल्लाह के पैदा किए हुए असबाब जीनत को जिनको इसने अपने बंदों के वास्ते बनाया और खाने पीने की हलाल चीजों को शख्स ने हराम किया।
कुरआन 7.32
9. समुद्री जीवन में समुदाय (Community in Marine Life)
जीव विज्ञान में, जब किसी समूह की मछलियां किसी कारण एक जगह ठहरती है तो उसे shoaling, और जब अपने समूह के साथ कही और जाती है तो schooling कहते है।
और जितने किस्म के जानवर जमीन पर चलने वाले और जितने किस्म के परिंदे जानवर है की अपने दोनो बाजुओं से उड़ते है इनमें कोई किस्म एसी नही की तुम्हारी तरह के जमात (community) न हो।
कुरआन 6.38
अल्लाह रब्बुल इज्जत ने इस आयत में सारे जानदारो मुखातिब किया है और हमने देखा भी कोई जानदार हो वह एक साथ ही एक जगह दूसरी जगह जाते है लेकिन समुद्री जीवो के बारे में तो अल्लाह ने बताया।
तुम अपने रब की किस–किस निअमत को झूठलाओगे।
कुरआन 55.16
-अहमद बज़्मी
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