अगर हर चीज को बनाने वाला कोई है तो फिर अल्लाह को किसने बनाया? जहाँ भी ये सिलसिला रुके तो उस को साइंस की जवान में (first cause) यानी पहला सबब कहा जाता है उस first cause यानी इस कायनात को बनाने वाले पहले सबब को ही मोमिन अल्लाह कहता है, इसी को हम cosmological argument कहते हैं।
अल्लाह को किसने बनाया? - (Who Created God?)
जब हर चीज को खुदा ने बनाया है तो फिर खुदा को किसने बनाया?
अक्ल और साइंस के बेलगाम घोड़े पर सवार खुदा के वुजूद की थका देने वाली बहस में नास्तिक (Atheist) और आस्तिक (Theist) दोनों के सामने हमेशा एक फैसलाकुन मोड़ आता है, जहाँ नास्तिक (Atheist) हथियार डालकर अपना आखरी पत्ता फेंकता है, कि चलो आस्तिक (Theist) अगर हर चीज़ का कोई बनाने वाला होता तो बताओ खुदा को बनाने वाला कौन है?
ये सवाल नास्तिकता (Atheism) के बरअक्स फितरती है और फितरत का जादू नास्तिक (Atheist) और आस्तिक (Theist) दोनों पर बराबर असरंदाज़ होता है। हां, फर्क अगर है तो इतना एक सादा सा आस्तिक (Theist) अपनी अक्ल से माज़रत लेकर अक्सर इन जैसे सवालात को न समझ आने वाली पहली कहकर झटक देता है, जबकि नास्तिक (Atheist) इस सवाल के दुरूस्त जबाब से रुख मोड़कर खुदा का इंकार कर देता है, ये एक अहम मसले के बारे में इंतिहाई जल्दबाजी है, जो कम से कम साइंसी रवैया तो कही से हो नही सकता, बहरहाल कुछ भी हो ये सवाल जिस क़दर एक सादा आस्तिक (Theist) को सताता है, उतना ही नास्तिक (Atheists) इस सवाल के सहारे खुदा के वुजूद को सिरे से ही मशकूक करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
ईमान और नास्तिकता (Atheism) की इस बेरहम जंग में देसी नास्तिकों को सांइस के चोर दरवाज़े से जो (logistics support) मदद पहुंच रही है उन पहुँचाने वालो में स्टीफन हॉकिन और रिचर्ड डोकिंस किसी तआरुफ के मोहताज नहीं हैं, दोस्तो इस सवाल की अहमियत इस से भी करे कि नास्तिकों के ये शैखेन भी जब छुपने की कोई राह नही पाते है, तो ये इसी फितरती सवाल की आड़ लेते हुए दिखाई देते हैं, स्टीफन हॉकिन अपनी किताब The Grand Design और रिचर्ड डॉकिन्स The God Delusion में वुज़ूदे खुदा के फितरती दलाईल का मुकाबला इसी एक फितरती सवाल से करते हैं, गोया यूं लगता है जैसे आलमी नास्तिकता की रक्षा (defense) में ये फितरती सवाल परमाणु बम के फ़राइज़ अंजाम दे रहा है, जिसके सक्रिय (Activate) होने पर न नास्तिकता बचती है, और ना नास्तिक, अलवत्ता खालिक की जरूरत जू की तू कायम रहती है, रहे बाकी सवाल तो कुछ तो हल हो चुके हैं, और कुछ में इतना दम नही है, कि वह खुदा के न होने पर पेश किए जा सके।
दोस्तो जबकि आलमी नास्तिकता अपने तमाम अंडे इस एक सवाल की टोकरी में रख चुका है, तो यह एक अहम मोड़ है, कि जब नास्तिकता (Atheism) ईमान से मंज़िल का पता पूछ रहा है किसी मोमिन के लिए ये मोड़ किसी हसीं वादी की तरफ जाती बलखाती रोड़ से कम नही है, क्योंकि इस रोड़ के इख़्तिताम (खात्मे) पर खुदा अपनी पूरी शान ओ शौकत के साथ नास्तिक (Atheist) का इंतज़ार कर रहा है, गोया मोमिन हाथ पकड़कर नास्तिक (Atheist) की खुदा से मुलाकात कराने वाला है, वो कहते है न, कि सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नही कहते।
खुदा का खालिक कौन है?
इस सवाल जबाब है तो बहुत आसान और सीधा सा जैसा की रिचर्ड डॉकिन्स से डिबेड के दौरान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन लेनिक्स ने कहा था कि खुदा कहते ही उसको है, जो मखलूक ना हो ,यानी खुदा का बुनियादी तसव्वुर ही यह है, कि खुदा बिना किसी खालिक (creator), जमान (time), मकाम (space) और मबाद (matter) के अपना वजूद रखता है।
जिसे डॉ ज़ाकिर नाइक ने एक नास्तिक (atheist) के पूछने पर बेहतरीन मिसाल से समझया था, कि खुदा का खालिक कौन है? ये सवाल करना बिल्कुल ऐसा है जैसे आप ये कहें कि बिलाल ने बच्चा जना, बताए वो लड़का है या लड़की?
जबकि ये मुसल्लमा हकीकत है कि मर्द की फितरत ही नही है कि वह बच्चा जने, कि जाकर हम उसकी तफसील मालूम करे, आसान लफ़्ज़ों में ये कह सकते है, कि ये सवाल ही गैर-जरूरी है।
इसी तरह से ये सवाल भी गैर जरूरी है, कि खुदा का खालिक कौन है? क्योंकि वो खुदा हो नही सकता जिसका कोई बनाने वाला हो, खुदा कहते ही उसको है जिसका कोई बनाने वाला न हो जिसका कोई खालिक न हो।
लेकिन नास्तिक (atheist) की अक्ल इसको तसलीम करने को तैयार नही होती है, उसकी अक्ल में में यही ख्याल आता रहता है कि जब हर चीज़ का कोई बनाने वाला होता है, तो खुदा का बनाने वाला कौन है?
तो आइए नास्तिक की बिफरी हुई अक्ल का cosmological argument के द्वारा इलाज करते हैं
Cosmological Argument
अगर में इसको आसान भाषा समझाऊं तो वो ये होगा, कि देखे कोई भी वाक़्या इस दुनिया मे रुहनुमा होता है या पेश आता है तो उसकी कोई ना कोई वजह होती है, वो वाकिया बिला वजह रुनुमा नही होता विला वजह पेश नही आता। तो फिर उस वाकिया रुनुमा होने के पीछे भी कोई वजह होती है, फिर उस वजह की वजह भी वजह होती है, तो कहीं न कही ये सिलसिला रुकेगा, अगर ये सिलसिला यूँही हमेशा चलता रहे तो, वो जो पहले वाकिया रुनुमा हुआ था पेश आया था तो वो कभी की रुनुमा न हो, क्योंकि ये सिलसिला हमेशा यू ही चलता रहेगा, इसलिए उस पहले वाकिया के रुनुमा होने के लिए इस सिलसिले को कहीं ना कहीं रुकना पड़ेगा, और जहाँ भी ये सिलसिला रुके तो उस को साइंस की जवान में (first cause) यानी पहला सबब कहा जाता है उस first cause यानी इस कायनात को बनाने वाले पहले सबब को ही मोमिन खुदा कहता है, इसी को हम cosmological argument कहते हैं।
1. इस को एक मिसाल से समझिये:-
ये दुनिया बनी तो सवाल पैदा होगा की दुनिया को बनाने का सबब (cause) क्या है? तो मान लीजिये मैटर और एनर्जी है फिर सवाल होगा की मैटर और एनर्जी का सबव क्या है? तो पता चला मैटर और एनर्जी का सबव बिग बैंग है, तो फिर बिग बैंग का सबव क्या है? अगर अब ये कहा की बिग बैंग का सबव खुदा है तो सवाल होगा खुदा का सबब क्या है?
आपने कहा कि खुदा का सबव x है, तो सवाल होगा x का सबव क्या है? तो आप कहैंगे y है तो सवाल होगा y का सबव क्या है? तो आप कहेंगे z है तो सवाल होगा z का सबव क्या है? तो A है, A का सबव क्या है? तो B है, B का सबव क्या है? तो c है, c का सबव क्या है?...
इसी तरीके से आप हमेशा चलते रहेंगे तो ये दुनिया कभी वज़ूद में नही आ सकती, तो आपको कहीं ना कही रूकना पड़ेगा।
मसलन आप ये कहेंगे कि ये दुनिया बनी इसका सबव क्या है? तो बिग बैंग है तो बिग बैंग का सबव क्या है? तो खुदा है तो खुदा का सबब क्या है? तो कोई नही! लिहाज़ा जब खुदा का सबव कोई नही है। तो वह कहीं से वुजूद में नही आया, यानी कि खुदा हमेशा से वुजूद में है, तो खुदा ने अपने इरादे से इस दुनिया को वज़ूद बख्शा, बिग बैंग हुआ और बिग बैंग के नतीजे में ये क़ायनात, फिर ये दुनिया बन गई।
2. इसको एक मिसाल से और समझिये:-
आप एक सैनिक के बारे में सोचिये जिसे आपका लक्ष्य (target) मिल गया, लेकिन अभी उसे गोली चलाने के लिए अपने से ऊपर के अधिकारी से पता करने की जरूरत है, लेकिन वह ऊपर का अधिकारी कहता है, मैं भी अपने ऊपर के अधिकारी के मातहत हूं, मुझे भी अपने से ऊपर के अधिकारी से पता करने की जरूरत है, अब वह ऊपर का अधिकारी कहता है, कि मैं भी अपने ऊपर के अधिकारी के मातहत हूं, मुझे भी अपने से ऊपर के अधिकारी से पता करने की जरूरत है, जरा सोचिए यदि मातहती की यह चैन अंतहीन हो तो क्या वह सैनिक अपने लक्ष्य (target) पर गोली चला पायेगा? निश्चित रूप से नही, सैनिक अपने लक्ष्य पर गोली उसी समय चला सकता है, जबकि उस चैन में एक अधिकारी ऐसा हो जो निर्णय (फैसला) लेने में किसी का मातहत ना हो, और किसी से सलाह मशवरा किये वगैर फैसले लेने का अधिकार रखता हो।
जब हम इस नियम को क़ायनात पर लागू करते हैं तो हम बहुत आसानी से इस नतीजे पर पहुच जाते हैं कि क़ायनात के आंरभ का यही बिंदु वह सत्ता है जो किसी की भी मातहत नही है और स्वतंत्रता पुर्वक फैसले लेती है, इसी स्वतंत्रता सत्ता को खुदा कहते है।
खुदा पर ऐतराजत के सवाल-जवाब
खुदा को किसने बनाया? ये सवाल तो तब हो जब क़ायनात बनी न हो लेकिन अब क़ायनात बन चुकी है हम दुनिया में मौजूद है हम खा रहे है पी रहे हैं चरिंद परिंद सब मौजूद हैं इसका मतलब कोई तो जात है जिसने कहा मुझे किसी से पता करने की कोई जरूरत नही है, उसी जात को हम खुदा कहते हैं।
नास्तिक (atheist) का एक ऐतराज
जब हम इस तरह से मुल्हिद को खुदा का वजूद समझाते हैं, तो वह एक ऐतराज़ करता है मुल्हिद कहता है कि मोमिन Special Pleading का शिकार है
Special Pleading ये होता है कि एक कानून जो सब के लिए हो सब पर लागू होता हो, उसमे से अगर हम किसी चीज़ को मुस्तसना (exception) कर दें और कहें इस पर ये कानून लागू नही होगा इसी को हम special pleading कहते हैं।
जैसे में आपको एक कानून बताऊ कि दुनिया मे कोई भी किसी का क़त्ल करेगा तो उस पर मुकदमा चलेगा अगर मुकदमें के नतीजे में जुर्म साबित हुआ तो उसे सजा दी जाएगी ये कानून दुनिया में सबके लिए है अगर उसके बाद में ये कहूं इस कानून से मैं मुस्तसना हूँ, मेरे उपर ये कानून लागू नही होगा, मेरे ऊपर ये कानून लागू होता है, में जिसको चाहूं क़त्ल कर दू, न मुझे सज़ा दी जाएगी न मुझ पर मुकदमा चलेगा,अगर में ये कहूं तो में special pleading का शिकार हूँ।
तो ऐसे ही नास्तिक ये कहता है कि मोमिन special pleading fallacy का शिकार है, कि जब इस क़ायनात में हर चीज़ का सबब मौजूद है तो खुदा का भी कोई सबव होगा, जब हर चीज़ पैदा की गई है तो खुदा को भी पैदा क्या गया होगा? चूँकि आप ने खुदा को इस कानून से अलग कर दिया लिहाज़ा आप special pleading fallacy का शिकार है
नास्तिक (atheist) को ऐतराज का जबाब
नास्तिक के ऐतराज का जबाब देने से पहले मैं आपको कुछ मिसालों से कानून समझाना चाहूंगा ताकि आपको नास्तिक के ऐतराज़ का जवाब आसानी से समझ मे आ जाये।
पहली मिसाल= जैसे आपने खाना बनाया और बनाकर उसको रख दिया तो कुछ समय बाद खाने में तब्दीली आना शुरू हो जाएगी, आप सेब ही ले लीजिए उसे काटकर आप रख दे फिर थोड़े समय तक आप उसे देखते रहिये उसके अंदर स्याही आना शुरू हो जाएगी कुछ घंटे गुजरने के बाद वो ऐसा हो जायेगा कि आपको उसका दिल ही नही करेगा कि आप उसको खा लें, ऐसा ही उस खाने के ऊपर एक दिन गुज़र जाए तो वो खाना इतना वासी हो जाएगा कि उसको आम लोगो के लिए खाना मुश्किल हो जाएगा और ऐसे ही दो चार दिन गुजरने के बाद उसमे कीड़े पड़ जाएंगे और मज़ीद वक़्त गुज़रने पर वह खाना बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा, वो खाना, खाना नही रहेगा कुछ और बन जायेगा।
दूसरी मिसाल= अब आप इंसान की मिसाल ले लीजिए आप ये देखिए कि एक दौर था जब हम बच्चे थे, उसके बाद समय बहुत तेज़ी से गुजरता जा रहा है और उमर ढलती जा रही है, फिर बच्चे से थोड़े बड़े हुए उसके बाद ज़वानी आई जवानी बहुत तेज़ी से गुज़र रही है, हमारे बाल झड़ रहे है और सफेद हो रहे हैं, जो ताक़त पहले थी वैसी नही रही, फिर जब बुढ़ापा आ जायेगा तो इंसान की ताकत बिल्कुल खत्म हो जाएगी फिर इंसान मर जायेगा उसको दफना दिया जाएगा, फिर वह मिट्टी में मिल जाएगा ये जो रात दिन हम तबदीली देख रहे हैं।
इससे ये पता चला ये क़ायनात मुसलसल जाबाल (खात्मे) की तरफ जा रही है।
तो इन दोनों की मिसालों से ये साबित हुआ कि ये कायनात मुस्तकिल जबाल की तरफ बड़ रही है। तो क्या साइंस भी इसको मानती है?
जी बिल्कुल साइंस भी इस बात को मानती है, कि ये क़ायनात मुस्तकिल जबाल की तरफ बड़ रही है। भौतिक विज्ञान का ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम (the second law of thermodynamics) से यही बात साबित होती है।
इस नियम को समझाने के लिए दो वैज्ञानिक कैल्विन प्लांक और कलालियस ने अपने अपने स्टेटमेंट दिए है, लेकिन में आपको इस नियम को अपनी आसान जुबान में समझाना चाहूंगा।
कोई भी काम (work) करने के लिए हमे हीट (heat) और एनर्जी (energy) की जरूरत होती है, second law of the thermodynamics ये कहता है कि हम heat and energy को पूरी तरह work में नही बदल सकते हैं, उसमे से कुछ न कुछ heat and energy बरबाद (waste) हो जाती है। ये बात नामुमकिन है कि हम heat and energy की पूरी तरह work में बदल पाये।
इसी तरह इस क़ायनात को चलाने में जो heat and energy लग रही है वो धीरे धीरे कम हो रही है और एक वक्त ऐसा आएगा कि इस क़ायनात को चलाने के लिए जितनी heat and energy की जरूरत होगी वो सब खत्म हो जाएगी। ये क़ायनात कायम नही रह पाएगी। इसी को साइंस की जबान में the big freeze कहते है, ये ऐसा कानून है जिसका कोई भी वैज्ञानिक इंकार नही कर सकता, जिसने ये कह दिया कि मैं इस कानून को नही मानता, तो वैज्ञानिकों के नज़दीक उसने कुफ्र(इंकार) किया, यानी वो काफिर (इनकारी) हो गया। क्योंकि ये कानून इतनी अच्छी तरह से स्थापित है कि इसका इंकार नही किया जा सकता, इससे ये साबित होता है कि ये क़ायनात अपने खात्मे की तरफ बड़ रही है और एक वक्त ऐसा आएगा ये क़ायनात खत्म हो जाएगी।
जब आपने ये कानून समझ लिया है, तो में नास्तिक के ऐतराज़ का जबाव आपको मुख्तसर समझा देता हूँ कि जब क़ायनात में हर चीज़ का सबब है तो खुदा का सबब क्या है?
जबाव ये है कि thermodynamics के second law से हमे पता चला कि हर चीज़ का नुक़्ता ए आगाज़ (beginning point) होता है। कोई भी चीज़ कहीं न कहीं से शुरू हुई है तभी तो उसका जबाल (खात्मा) हो रहा है। मिसाल के तौर पर खाना तभी खराब होगा जब आप उसे बनाएँगे, जब आप खाना बनाएंगे ही नही तो खराब कैसे होगा? आप बूढ़े तभी होंगे जब आप पैदा हुए हों, अगर आप पैदा ही न हो तो आप बूढ़े कैसे होंगे?
तो ये क़ायनात जबाल की तरफ तभी चलेगी जब उसका कोई न कोई नुक़्ता ए आगाज़ (beginning point) होगा। अगर इस क़ायनात का कोई नुक़्ता ए आगाज़ नही होगा तो ये कायनात जबाल की तरफ जा ही नही सकती। लिहाजा ये भी साबित हुआ क़ायनात का नुक़्ता ए आगाज़ (beginning point) है। जिस चीज़ का भी नुक़्ता ए आगाज़ होगा तो उसका कोई न कोई सबव होगा कि वो मौजूद क्यों है? लेकिन किसी चीज़ का नुक़्ता ए आगाज़ ही न हो तो उसके लिए हम सबव तलाश नहीं करेंगे कि इसका सबब क्या है, लिहाज़ा सबब तलाश उसी चीज़ का होगा जिसका नुक़्ता ए आगाज़ (beginning point) हो।
इस क़ायनात का नुक़्ता ए आगाज़ है, ये बात साइंस ने साबित कर दी, इसलिए क़ायनात के बारे में सवाल होगा कि उसका सबव (cause) क्या है? उसका prime mover क्या है? उसका पहला सबब (first cause) क्या है?
खुदा के बारे में सारे मज़हब के मानने वालों का ये तसव्वुर है कि वो हमेशा से ही है, और हमने पहले ही ये बात साबित कर दी है कि खुदा हमेशा से है,तभी से क़ायनात वज़ूद में आई है, अगर आप खुदा को हमेशा से नही मानेंगे तो कभी भी ये क़ायनात वज़ूद में नही आ सकती है। जब खुदा हमेशा से है उसका कोई नुक़्ता ए आगाज़ नही है तो ये सवाल खुदा के बारे में किया ही नही जा सकता कि उसका सबब क्या है? और खुदा को किसने पैदा किया?
लिहाज़ा जो ये नास्तिक ने जो इलज़ाम लगाया था कि मोमिन special pleading fallacy का शिकार है कि वो पूरी कायनात के लिए एक कानून बनाते हैं, फिर उस कानून से अपने खुदा को अलग कर लेते है तो इसका जबाब यही है कि special pleading fallacy का शिकार हम
उस वक़्त होते जब हम पूरी कायनात को मानने के बाद ये कहते हैं कि पूरी कायनात का तो सबब है, लेकिन बृहस्पति ग्रह (Jupiter planet) का कोई सबव नही है, बृहस्पति ग्रह (Jupiter planet) भी तो क़ायनात के अंदर है,अब हम special pleading fallacy का शिकार होते।
लेकिन हम ये कह रहे हैं कि पूरी कायनात एक कानून के तहत है कि इसमें हर चीज़ का कोई न कोई सबब मौजूद है लेकिन खुदा इस क़ायनात के बहार है तो जो चीज़ इस क़ायनात के बाहर हो वो तो जाहिर सी बात है, इस कानून से अलग होगी इसलिए मोमिन special pleading fallacy का शिकार नही है।
अल्लाह तआला अजल (हमेशा) से मौजूद था और उसके सिवा कोई चीज मौजूद न थी। फिर उसने कलम बनाई और जो कुछ होने वाला था सब कुछ लिख दिया फिर अल्लाह ने आसमानों और जमीन को पैदा किया।
📓(सहीह बुखारी : 3191)
जब पैगम्बर मुहम्मद ﷺ ने बिस्तर पर तशरीफ ले जाते तो ये कहा करते थे: ऐ अल्लाह, ऐ आसमानों और जमीन के मालिक और हर चीज के मालिक, ऐ दाने और गुठली को फाड़ने वाले, ऐ तौरात (old testament), इंजील (new testament) और कुरआन ए अजीम (Final testament) को नाजिल फरमाने वाले, मैं हर उस जानदार के शर से तेरी पनाह में आता हूं जिसकी पेशानी तेरे कब्जे में है। तु ही अव्वल (first) है तुझ से पहले कुछ नहीं, तु ही आखिर (last) है तेरे बाद कुछ नहीं, तु ही जाहिर है तुझ से उपर कुछ नहीं, तु ही बातीन (छुपा हुआ) है तुझ से छुपा हुआ कुछ भी नहीं।
📓(इब्ने माजा : 3873)
अगर खुदा का भी कोई खालिक मान भी लिया जाए तो इसमें असल मसला क्या है?
जबाब= ये मफरूजा की खुदा का भी कोई खालिक होगा खुदा के इंकार के उजर कैसे बन सकता है? क्योंकि अगर इस मफरुजे को मान भी लिया जाए तो हम फ़ौरन उस खालिक को खुदा मान लेंगे जिसने एक ऐसे खुदा को बनाया हो जो कि खुद मखलूक हो और यही दावली स्टाईल हमें क़ुरआन में हज़रत इब्राहीम अलै. के मुतल्लिक मिलता है।
अल्लाह अपने आखिरी संदेश क़ुरआन में कहता है कि:-
इबराहीम को हम इसी तरह ज़मीन और आसमानों का निज़ामे-सल्तनत दिखाते थे और इसलिये दिखाते थे कि वो यक़ीन करनेवालों में से हो जाए।
चुनाँचे जब रात उस पर छा गई तो उसने एक तारा देखा। कहा : ये मेरा रब है। मगर जब वो डूब गया तो बोला : डूब जानेवालों का तो मैं चाहनेवाला नहीं हूँ।
फिर जब चाँद चमकता नज़र आया तो कहा : ये है मेरा रब। मगर जब वो भी डूब गया तो कहा : अगर मेरे रब ने मेरी रहनुमाई न की होती तो मैं भी गुमराह लोगों में शामिल हो गया होता।
फिर जब सूरज को रौशन देखा तो कहा : ये है मेरा रब, ये सबसे बड़ा है। मगर जब वो भी डूबा तो इबराहीम पुकार उठा कि “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं उन सबसे बेज़ार [ विरक्त] हूँ जिन्हें तुम ख़ुदा का शरीक ठहराते हो।मैंने तो यकसू [ एकाग्र] होकर अपना रुख़ उस हस्ती की तरफ़ कर लिया जिसने ज़मीन और आसमानों को पैदा किया है और मैं हरगिज़ शिर्क करनेवालों में से नहीं हूँ।”
(क़ुरआन सूरह अनआम आयत 75-79)
अगर खुदा का भी खालिक मान लिया जाए तो इसमें क्या मसला आता है?
वो ये है कि क़ायनात का वुजूद हमारे सामने है और इस क़ायनात के मखलूक होने में कोई दूसरी राय नही हो सकती है और रहा खुदा के मखलूक होने का मफरूजा तो जब खुदा को बतौर ए वुज़ूद सामने लाया जाएगा तो तभी फैसला किया जा सकेगा कि ये मखलूक है भी या नही? और ये बात इंतेहाई माकूल और साइंस के मिजाज के ऐन मुताबिक है क्योंकि किसी के वुजूद के बारे में साइंस और इंसानी अक्ल पूरी तौर पर तभी बता सकती है,जब वो वुजूद या उस जैसा कोई वुजूद साइंस की प्रयोगशाला (laboratory) में मुआनने के लिए मुअससर हो।
8 वी सदी हिजरी के मशहूर मुताकल्लिम इब्ने तैमियाह ने अपने एक रिसाले अतादुम मुरिया में खुदा के वे मिस्ल होने में ऐसा ही इस्तेदलाल किया है कि जब खुदा जैसा कोई है ही नही, तो खुदा को दूसरी मख़लूक़ात पर कयास करना खुदा को समझने का गैर-मंतकी नज़रिया है।
दोस्तो ये बाते आपको चाहे कितनी ही माकूल लगती हो लेकिन नास्तिक की बिफरी हुई अक्ल किसी तौर पर इसकी माकूलियत को हजम नही कर पाती इसलिए नास्तिक (atheist) कि गाफिल फिक्र को अपने इस फॉर्मूले से चित करना होगा।
जनाब प्यारे नास्तिक (atheist) आप भी मानते ही होंगे,अगर इनकार करोगे तो साइंस हमारी गवाही देने के लिए तैयार है कि आज 13.8 अरब साल पहले ना तो समय (time)था और ना ही मकान (space) और ना ही मवाद (matter), अब भला ऐसा था तो खुदा, कब? कहां? और किस मवाद (matter) से तखलीफ किया गया? क्योंकि किसी मखलूक को बनाने के लिये जगह, वक़्त और मटेरियल दरकार होता है।
अब एक ऐसी क़ायनात जिसमे एक ग्रह (planet) से दूसरे ग्रह पर सफर करना फिलहाल किसी चमत्कार से कम न हो। ऐसी क़ायनात के खालिक को अगर खुद मखलूक मान लिया जाए तो इसकी तखलीफ और खालिक की कैफियत क्या होगी? और ऐसी तखलीफ को अक़्ल और साइंस किन बुनियादों पर कबूल करेंगी?
अब हमारे पास सिर्फ खालिद के वुजूद को तस्लीम करने के कुछ माकूल नही बचा।
खुदा का मखलूक होना उसको खुदाई दायरे से बाहर कर देता है और फिर ऐतराज़ का ऐसा सुनामी आता है जिसका सामना सिवाय नास्तिक (atheist) की जिद के कोई चीज़ नही कर सकती।
इन्ही भूल भुलाइयो से बचाने के लिए और इंसानी तवानाई को फ़क़त कारे खैर में रखने के लिए ही खुदा के अंतिम पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.) ने इस सवाल की वजाय जबाव हासिल करने की जिद को ला हासिल ठहराया था। अगर अब भी कोई मुल्हिद (atheist) ज़िद पर अड़ा रहे तो उसे हम यही कहेंगे कि भला खुद के खालिक को तो मानते नही और खुदा के खालिक पर अड़े बैठे हो।
अल्लाह कुरआन में नास्तिको (atheists) से सवाल करता है:-
اَمۡ خُلِقُوۡا مِنۡ غَیۡرِ شَیۡءٍ اَمۡ ہُمُ الۡخٰلِقُوۡنَ
क्या ये किसी ख़ालिक़ (बनाने वाले) के बग़ैर ख़ुद पैदा हो गए हैं? या ये ख़ुद अपने पैदा करने वाले हैं?
اَمۡ خَلَقُوا السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ ۚ بَلۡ لَّا یُوۡقِنُوۡنَ
या ज़मीन और आसमानों को इन्होंने पैदा किया है? असल बात ये है कि ये यक़ीन नहीं रखते।
📓(कुरआन 52:35-36)
ये सवाल हमारे दिमाग में क्यों आता है? और जब आये तो हमे क्या करना चाहिए?
इस सवाल के बारे में तफसील से हमें खुदा के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.)ने बता दिया है आइए जानते है
पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.) ने फरमाया:-
लोग सवालात करते रहेंगें हत्ता कहेंगे कि ये सब मखलूक अल्लाह ने पैदा की है तो फिर अल्लाह को किसने पैदा किया है? तो जो कोई इस तरह की बात करे या वहम पाए तो उसको चाहिए यूं कहे:
मैं अल्लाह पर ईमान लाया।
📓(अबू दाउद :4721)
पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल) ने फरमाया:-
एक जमाना ऐसा आएगा लोग यहाँ तक सवाल करेंगे कि क़ायनात को अल्लाह ने बनाया है तो अल्लाह को किसने बनाया?
📓(बुखारी, मुस्लिम)
पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल) ने फरमाया:-
इंसान के पास शैतान आता है और कहता है कि ये चीज़ किसने बनाई? और ये चीज किसने बनाई? और फिर पूछता है अल्लाह को किसने बनाया? जब बे ये कहे तुम कहो
आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम
तर्जुमा: मैं पनाह माँगता हूं अल्लाह की शैतान मरदूद से।
📓(बुखारी ,मुस्लिम)
और एक दूसरी हदीस में है तुम कहो:
قُلۡ ہُوَ اللّٰہُ اَحَدٌ
कह दो बात ये है अल्लाह हर लिहाज से एक है
اَللّٰہُ الصَّمَدُ ۚ
अल्लाह ही ऐसा है,कि सब उसके मोहताज़ हैं, वह किसी का मोहताज़ नहीं।
لَمۡ یَلِدۡ ۬ ۙ وَ لَمۡ یُوۡلَدۡ
न उसकी कोई औलाद है, और न वह किसी की औलाद है।
وَ لَمۡ یَکُنۡ لَّہٗ کُفُوًا اَحَدٌ
और उसके जोड़(बराबर) का कोई भी नही
📓(कुरआन सूरह इखलास)
2 टिप्पणियाँ
नास्तिक जब बात करता है तो तर्क से बात करता है...
जवाब देंहटाएंतो जो तर्क से बात करे उसके इमान की जड़ जल जाती है... गोया बंजर जमीन, जिसमे कभी फसल उग ही नहीं सकती
Jazak ALLAH
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।