Theory of Evolution vs Allah Ki Qudrat

डार्विन थ्योरी के आधार पे इवोल्यूशन स्टेप बाय स्टेप हुआ। मगर हैरत की बात ये है के कोई भी आसान मशीन को भी एक डिजाइन की ज़रूरत है। और पूरा एक साथ तैयार होने की जरूरत है। जीव का ऑर्गन सिस्टम ही नहीं मोलीक्यूलर सिस्टम भी एक जटिल मशीन है।

हर बारीक सेल से लेकर टिशू, फिर ऑर्गन, ऑर्गन सिस्टम, और पूरा का पूरा organism, सब का आपस में बेहतरीन तालमेल। इसे डिजाइन और तैयार करने के लिए बहुत अधिक बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है। ये कोई बेतरतीब सा काम नहीं।

theory of evolution vs Adam aur hawwa


थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन या अल्लाह कि कुदरत

अल्लाह कौन है?

इस धरती पर करोड़ों लोग रहते हैं, सभी की अपनी मान्यताएं अपने मजहब हैं। हर इंसान अपने मजहब को सच मानता है और बाकी मजहब के बारे में अनिश्चित रहता है। तो इनमे से किस धर्म का ख़ुदा सच्चा है? 

क्या अल्लाह अरब देशों के इश्वर का नाम है? अल्लाह मुसलमानो का रब है? अल्लाह सिर्फ मुसलामानों के ही लिए है? 

अल्लाह, God, Lord, प्रभु, परमेश्वर, रब, इलाही, supreme power इन सारे नाम अपने ईश्वर को इंसान पुकारते हैं। दरअसल ये सारे ही नाम एक ही अजीम ताकत के नाम हैं, जो लोगों ने अपनी भाषा के अनुसार कहे। अल्लाह दरअसल एक अरबी शब्द है, और पैगंबर मुहम्मद ﷺ के जन्म से पहले से अरब के लोग अपने रब को इस नाम से पुकारते थे।

जी हाँ। अरब में इस्लाम के आने से पहले बहुत से देवता को मानते थे। और अल्लाह के नाम से बहुत अच्छी तरह परिचित थे। ये नाम उनके लिए नया नहीं था। अरबी भाषा मे ये दो शब्दों के जोड़ से बना शब्द है अल्+इलाह। अल् अरबी भाषा में “The” की तरह इस्तेमाल होता है, किसी ऐसे संज्ञा (noun) के पहले जो अपने आप में अनोखी और इकलौती हो, जैसे The Sun- अल् शम्स, The Moon- अल–क़मर।  इलाह का मतलब होता है- रब, God, ईश्वर। अल्लाह का शाब्दिक अर्थ है “The God”.


आइए जानते हैं के अल्लाह कौन है?

अल्लाहﷻ उस अजीम ताकत का नाम है जिसने ये सारी क़ायनात बनाई। आप जिस नाम से पहचाने। एक supreme being जिसने इस दुनिया की हर चीज़ बनाई। जिसने सूरज, चांद,  रात, आसमान, पेड़, पौधे, जानवर, कीड़े, मछली, और यहां तक parasite या उससे भी छोटी चीज़ें बनायी। और जो इस दुनिया का निज़ाम चला रहा है।


क्या अल्लाह तआला सच में है?

Is God Real


 आज का दौर science और technology का दौर है। विज्ञान हमें सीखाता है के किसी भी बात को जांचे परखे बिना उसपे विश्वास नहीं करना चाहिए। और हर तथ्य को मानने के लिये एक ठोस वजह होना ज़रूरी है। बिल्कुल। 

तो हमें अल्लाह के बारे में जानने के लिए इस बात की तह तक जाना होगा। 


Theory of evolution-

चार्ल्स डार्विन, एक मशहूर वैज्ञानिक, जिन्होंने थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन (theory of evolution) की धारणा दी। इस थ्योरी में उन्होंने इस धारणा को परिभाषित किया कि किस तरह प्राकृतिक चयन (natural selection) द्वारा जीव विकास हुआ। और पहले ये सारी पौधे और जीव एक ही थे। आसपास के पर्यावरण में जिवित बचे रहने के लिए प्राकृतिक रूप से धीरे-धीरे जीव स्वरूप बदलता रहा। 

चार्ल्स डार्विन, 6 माह तक यात्रा करके, जीव अध्ययन करके इस नतीजे पे पहुंचे। उनकी किताब origin of species में उन्होंने इसे स्पष्ट किया। मगर डार्विन के अनुसार ये जीव और प्रजातियाँ एक ही प्रजाति के अलग अलग रूप हैँ और ये बिना किसी Intelligent supreme being या अजीम ताकत के समय के साथ पैदा होते गए। इन्हें बनाने वाला कोई नहीं है। 

डार्विन के अनुसार किसी पर्यावरण में किसी जीव के जिवित रहने के लिए सबसे अनुकूल स्थिति होती है, उनका शारीरिक विकास इसी अनुसार होता है। इसी सिधांत को डार्विन ने नाम दिया प्राकृतिक चयन,  natural selection. 

थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन – डार्विन ने ये थ्योरी लिखी, इससे विज्ञान को जीव संरचना समझने में मदद मिली। लेकिन ये थ्योरी किसी ठोस सबूत के आधार पे नहीं लिखी गई, मगर इस थ्योरी लिखने वाले वैज्ञानिक को खुद इस थ्योरी के कुछ हिस्सों पे शक था, इसका जिक्र डार्विन ने अपनी नोटबुक में भी किया था।

कुछ अहम सवाल-


Origin

जीवन की शुरुआत (origin) कैसे और किस परिस्थिति में हुई?

थ्योरी ऑफ नेचरल सेलेक्शन सिर्फ इस बारे में जानकारी देती है के समय के साथ जीव जंतुओं का शारीरिक विकास किस प्रकार हुआ। इस थ्योरी के हिसाब से एक जिवित कोशिका (cell) समय के साथ ज्यादा कोशिका बनी। फिर कोशिकाओं में इजाफ़ा होते होते एक जटिल जंतु बना। ये जंतु ने अपने जैसे और जंतु पैदा किए। और सारे ही जीव जंतुओं का जन्म एक जिवित कोशिका के कारण हुआ।


इस थ्योरी में एक नहीं अनेक इख्तिलाफ (contradictions) हैं। पहली जिवित कोशिका की उत्पत्ति के बारे मे कोई ज़िक्र नहीं। ये पहली कोशिका किस केमिकल और किस temperature और pressure के केमिकल रिएक्शन से उत्पन्न हुई? इतनी तरक्की के बावजूद कोई भी लैब सारे तत्व प्रोटीन,  अमीनो एसिड, कार्बोहाइड्रेट, फैट को किसी लैब में सही मात्रा मे मिला के भी जिवित कोशिका बना नहीं सकता।

थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन में इस बात का भी कोई जिक्र नहीं के किस प्रकार इवोल्यूशन हुआ। शुरुआती दौर मे, कोशिकाओ के विकास के दौरान सबसे पहले कौनसा अंग बना। पहले आंखे या कान, दिल या दिमाग़। 


इसके 2 ही जवाब हो सकते हैं-

1. पहले कोई सा भी एक अंग बना।

क्या एक अंग अलग से दूसरे किसी अंग के बिना जिवित रह सकता है? हम जानते हैं इसका जवाब ना है। एक बेसिक सिस्टम जीवन के बाकी रहने के लिए जरूरी है। 


2. सारे अंगों का विकास एक साथ शुरू हुआ।

क्यूंकि अंगों का बिना दूसरे अंगों के सिस्टम के जिवित रहना ही मुमकिन नहीं तो सारे अंगों के बेसिक सिस्टम का विकास साथ में शुरू हुआ। ये तथ्य अपने आप मे डार्विन के कहानी के खिलाफ एक मजबूत प्रमाण है। एक जटिल सिस्टम बिना किसी डिजाइनर के कैसे वुजूद में आ सकता है?

एक उदाहरण से समझें। कोई भी साधारण मशीन है, फ़र्ज़ करें चूहेदानी। बहुत ही सरल डिजाइन है। अगर इसे इवोल्यूशन के सिधांत पे परखा जाए। इस चूहेदानी के किसी एक भी हिस्से को हटा दिया जाए तो चूहेदानी बेकार हो जाएगी। यानी इसे बनाने के लिए एक डिजाइन और सारे सिस्टम को एक साथ डिवेलप करना ज़रूरी है।

जीवन के आधार जिसे कोशिका (cell) कहते हैं ये बहुत जटिल मशीन द्वारा संचालित होता हैं, ये छोटी छोटी मशीन molecules से मिलकर बनी हैं। कुछ का काम oxygen को दूसरे सेल्स तक पहुंचाना है, कुछ प्रोटीन्स को बनाने का काम करती है। एक छोटा सा सेल पूरा का पूरा कारख़ाना है। और सभी सेल्स एक दूसरे पे निर्भर हैं।

डार्विन थ्योरी के आधार पे इवोल्यूशन स्टेप बाय स्टेप हुआ। मगर हैरत की बात ये है के कोई भी आसान मशीन को भी एक डिजाइन की ज़रूरत है। और पूरा एक साथ तैयार होने की जरूरत है। जीव का ऑर्गन सिस्टम ही नहीं मोलीक्यूलर सिस्टम भी एक जटिल मशीन है।

हर बारीक सेल से लेकर टिशू, फिर ऑर्गन, ऑर्गन सिस्टम, और पूरा का पूरा organism, सब का आपस में बेहतरीन तालमेल। इसे डिजाइन और तैयार करने के लिए बहुत अधिक बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है। ये कोई बेतरतीब सा काम नहीं।


अल्लाह ﷻ फरमाता  है-

क्या ये किसी ख़ालिक़ के बग़ैर ख़ुद पैदा हो गए हैं?  या ये ख़ुद अपने पैदा करने वाले हैं?

या ज़मीन और आसमानों को इन्होंने पैदा किया है? असल बात ये है कि ये यक़ीन नहीं रखते।

कुरआन 52:35-36

क्या ये किसी ख़ालिक़ के बग़ैर ख़ुद पैदा हो गए हैं?  या ये ख़ुद अपने पैदा करने वाले हैं?  या ज़मीन और आसमानों को इन्होंने पैदा किया है? असल बात ये है कि ये यक़ीन नहीं रखते।  कुरआन 52:35-36

Evolution

डार्विन के अनुसार मनुष्य पहले बंदर की प्रजाति में से था, इवोल्यूशन के साथ मनुष्य बना, तो बंदर अभी तक जिवित क्यूँ हैं?


डार्विन के अनुसार किसी भी प्रजाति के विकास के लिए उस प्रजाति के सबसे ताकतवर और इम्यून, जिसमें पर्यावरण के अनुसार जीवन की संभावना अधिक हो वो ही जिवित बचता है, और कमज़ोर प्राणी खत्म होते जाते हैं। इस प्रकार इवोल्यूशन होता है। और मनुष्य बंदर के एक प्रजाति से विकसित हुए। इसका मतलब बंदर की प्रजाति में से कमज़ोर को ख़तम हो जाना चाहिए, या फिर विकसित होकर इंसान बन जाना चाहिए। 


लेकिन हमे अब तक सभी तरह के बंदर दिखाई देते हैं। और हम में से किसी ने, किसी वैज्ञानिक तक ने ऐसा कोई बंदर नहीं देखा जो मनुष्य बनने की प्रक्रिया में किसी स्टेज पे हो। 


हाँ, ये बात और है के कुछ मनुष्यों की हरकतें बन्दरों जैसी होती हैँ, लेकिन उन्हें देख कर ये अनुमान लगाना ठीक नहीं के वो इवोल्यूशन की किसी स्टेज पे हैं, यकीनन उनके माता पिता इंसान ही होते हैं।

अल्लाह ﷻ फरमाता  है-

यक़ीनन हमने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाल के पैदा किया है।

कुर’आन 94:4

यक़ीनन हमने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाल के पैदा किया है।  कुरआन 18:37


Natural Selection

सिर्फ पृथ्वी पर ही जीवन सम्भव है, natural selection ही वजह होती तो मार्स, ज्यूपीटर, और तमाम जीवन क्यूँ नहीं वहाँ के प्राकृतिक वातावरण के अनुसार ढल रहा?


डार्विन की थ्योरी के अनुसार प्राकृतिक वातावरण के अनुसार वहां पाए जाने वाले जीव जंतु अपने आपको ढाल लेते हैं और सरवाईव कर लेते हैं। जैसे ऊंट, कैक्टस रेगिस्तान में जिवित रहने के लिए विकसित हुए और पोलर बीयर बर्फ़ में।

इस हिसाब से तो सभी ग्रह उपग्रह पे जीवन होना लाजमी है, वहाँ के प्राकृतिक वातावरण के हिसाब से जीवन होना चाहिए। अगर oxygen ना हो तो जिंदा रहने के लिए दूसरी कोई गैस या बिना उसके किसी दूसरी तरह जीवन की राह खोज ली जाए।



Algorithm

बिना किसी algorithm और प्रेरणा के किसी ऐसे जीवन का सारा निज़ाम चल सकता है, जिसमें हर एक तत्त्व दुसरे पे निर्भर है?


यहां एक महत्वपूर्ण तथ्य, डार्विन ने evolution एक single organism के अनुसार समझाया। पहली जिवित कोशिका। 

यहां गौर करने की बात ये है के सिर्फ कोई प्राणी ही एक जटिल डिजाइन नहीं है मगर पूरा ecosystem ही बहुत जटिल और एक दूसरे पे निर्भर है।

एक इकोसिस्टम में पेड़ पौधे, जानवर,  इंसान, परिंदे, कीड़े, parasite, सांप बिच्छु, फल फूल- ये सब आपस में एक दूसरे पे निर्भर हैं। तो ये सवाल भी दुरुस्त है के पहले कौनसा जीव बन कर तैयार हुआ, और बिना इकोसिस्टम के जिवित कैसे बचा। 


ये सारे सवाल जिनके जवाब इस थ्योरी में नहीं। ये स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है के ecosystem और organism जैसे जटिल डिजाइन किसी बेतरतीब हादसे की वजह से नहीं मगर एक बेहतरीन कारीगरी का नमूना है।


अल्लाह ﷻ फरमाता  है-

अल्लाह ने तुम्हें कान दिए, आंखे दी और सोचने वाले दिल दिए इसलिए के तुम शुक्रगुजार बनो।

कुर’आन 16:78


DNA 

DNA जो हर जिवित प्राणी में मौजूद है, इसका डार्विन को कोई इल्म नहीं था। DNA machanism क्यूँ और कैसे काम करता है? 


डार्विन को DNA के बारे मे इल्म नहीं था। आज विज्ञान हमें DNA के बारे मे जानकारी देता है। हर इंसान का DNA दूसरे से अलग होता है। DNA मे इंसान की बॉडी और उसके नेचर की, इंसान की पुरखों तक कि जानकारी कोड रहती है। और सिर से पैर तक जिस्म के हर हिस्से मे एक DNA होता है, कोई नई कोशिका बनने पर उसमें DNA कॉपी हो जाता है। 

आज हम देखें एक छोटी सी पेपर पिन बनाने में एक डिजाइन,  एक बुद्धि की जरूरत है। एक आसान सा hello world का computer प्रोग्राम भी लिखने के लिए दिमाग़ और हुनर चाहिए।


DNA जैसा कोड, हर इंसान के लिए अलग, उसमें तमाम information, वो microscopic कण में. क्या ये बिना किसी खालिक (creator) के मुमकिन है? 


अल्लाह ﷻ फरमाता  है-

ऐ इंसान! किस चीज़ ने धोखे में डाला तुझे??? तेरे रब के बारे में, जो बहुत इज्जत वाला है। जिसने पैदा किया तुझे, फिर दुरुस्त किया तुझे, फिर बराबर किया तुझे, और उसने जोड़ दिया तुझे जिस सूरत में चाहा।

क़ुरआन 82:6-8

ऐ इंसान! किस चीज़ ने धोखे में डाला तुझे??? तेरे रब के बारे में, जो बहुत इज्जत वाला है। जिसने पैदा किया तुझे, फिर दुरुस्त किया तुझे, फिर बराबर किया तुझे, और उसने जोड़ दिया तुझे जिस सूरत में चाहा।  क़ुरआन 82:6-8



विज्ञान ही जवाब है –


 हम विज्ञान को जितना समझेंगे और उसपे गौर करेंगे उतना ज़्यादा इस बात का हमे संकेत मिलेगा के ये सारी तख्लीक (creation) बिना खालिक (creator) के मुमकिन ही नहीं।


सारे भौतिक नियम इस संसार को बांधे हुए है, जो बदलते नहीं। किसने बनाए ये नियम। रोशनी किस स्पीड से चलेगी, गुरुत्वाकर्षण कितना होगा, ऊर्जा ना ही बनाई जा सकती ना नष्ट की जा सकती, सिर्फ एक ऊर्जा के रूप से दूसरे में बदली जा सकती। इस ब्रह्मांड में ऊर्जा energy और पदार्थ matter की कुल मात्रा स्थिर रहती है, केवल एक रूप से दूसरे रूप मे बदल सकती है।


नियम कहाँ होते हैं?

कोई भी स्कूल हो, संस्थान हो, ऑफिस, आर्मी, देश, इनमें हमें नियम देखने को मिलते हैं।

मेले, बाजार, जंगल इनमें नियम नहीं दिखते। जहाँ नियम नहीं होते अव्यवस्था होती है।

जहाँ नियम होते हैं, व्यवस्था होती है वहाँ उन नियमो को बनाने वाला और पालन कराने वाला होता है। 


यदि इस ब्रह्मांड को बनाने वाला कोई ना होता, तो ये सारे भौतिक नियम भी ना होते और ये सारी दुनिया अव्यवस्था से भरी होती। फिर कोई scientific invention मुमकिन ना होता। कोई नियम स्थिर ना होता।


इस्लाम और विज्ञान 


विज्ञान, हमारी क़ायनात के हर ज़र्रे को समझने का ज़रिया है। विज्ञान के साथ इन्सान अपने रचनाकार तक आसानी से पहुंच सकता है। विज्ञान की हर नयी खोज के साथ साथ हम अपने खालिक के करीब हो जाते हैं।


थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन, चार्ल्स डार्विन की थ्योरी है, fact नहीं। science में कई बार मुश्किल हल करने को assumption का सहारा लिया जाता है। ये थ्योरी assumption पर आधारित है। 


इस संसार को बनाने और चलायमान रखने वाला खालिक, जो हमें नजर नहीं आता, मगर उसकी बनाई हुई हर चीज़ उसकी बेहतरीन कारीगरी और उसके असीमित बुद्धिमत्ता का परिचय देती हैं।

अल्लाह ने इस सारे क़ायनात को बनाया। सभी जानवर और परिंदे बनाए। और इन्सान को बनाया। और सारा ecosystem अल्लाह की कारीगरी का बेहतरीन नमूना है। 



अल्लाह ﷻ फरमाता  है-

अगर तुम अल्लाह की नेमतों को गिनना चाहो तो गिन नहीं सकते। हकीक़त तो ये है के इंसान बड़ा ही बे-इंसाफ और नाशुक्रा है।

कुर’आन 14:34


साभार : फ़िज़ा ख़ान 

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