क्या अल्लाह मौजूद है? (Intelligent design)


Intelligent Design Argument Hindi


अगर इस इको सिस्टम में से किसी एक को भी निकाल दिया जाए तो इसका प्रभाव हमारी दुनिया पर बहुत पड़ेगा। आखिर वो कौन है? जिसने इस दुनिया में इतना शानदार मैनेजमेंट किया है। क्या आपको इस दुनिया का मैनेजमेंट देखकर नही लगता की किसी ने इसे ऐसा डिजाइन किया है? intelligent design...


क्या अल्लाह मौजूद है? (Intelligent design)


कल्पना कीजिए की आप कही जा रहे हैं और रास्ते मे आपको जगह जगह सिक्के बिखरे हुए मिले तो आप यही सोचेंगे कि जरूर किसी की जेब से या किसी थैले के फटे होने के कारण से, ये सिक्के जगह जगह गिर गए होंगे। लेकिन अगर आपको सिक्के जगह जगह बिखरे होने के बजाए इस तरह मिले कि सिक्के एक के ऊपर एक अच्छी तरह से रखे हुए है और आगे चलकर आप देखे कि ये हर एक मीटर की दूरी पर इसी प्रकार रखे हुए है तो क्या आप अब भी यही सोचेंगे कि किसी का थैला फट गया होगा और ये सिक्के इसी तरतीब के साथ गिर गए होंगे ? जाहिर सी बात है आप इन सिक्कों की व्यवस्था और मैनजमेंट को देखकर यही कहेंगे की जरूर कोई है जो इन्हें यहाँ इस तरतीब से रखकर गया है। इस उदाहरण के जरिय हमने जाना कि किसी चीज़ में भी व्यवस्था और मैनजमेंट हो तो जरूर उस व्यवस्था और मैनजमेंट को भी करने वाला भी होना चाहिए।


ऐसे ही जब हम दुनिया को देखते है तो दुनिया मे हमें एक व्यवस्था और मैनजमेंट नज़र आता है। हम देखते है कि दुनिया की हर चीज़ किसी न किसी काम मे लगी हुई है और वह अपने काम को अच्छी तरह अंजाम भी दे रही है। और दुनिया की सारी चीजें मिलकर एक व्यवस्था बना रही है जिस व्यवस्था की वजह से ही दुनिया मे हमारा रह पाना मुमकिन हो रहा है। जैसे सूरज को ही ले लीजिए जिसकी वजह से ही समुन्द्रों का पानी भाप में बदलकर आसमान में जाता है और फिर बादल बनकर बारिश की सूरत में हम तक वापस आता है, जिसकी वजह से जमीन से तरह तरह के पेड़ पौधे निकलते है और समुद्र का खारा पानी हमारे पीने योग्य मीठा बनता है। सूरज की वजह से ही सब जीवों की ज़िंदगी मुमकिन हो रही है। अगर हमारी दुनिया की व्यवस्था मे से सिर्फ सूरज ही अपना काम करना बंद करदे तो यहाँ ज़िंदगी ही मुमकिन नही है। ऐसे ही हमारी दुनिया मे मौसम की व्यवस्था, दुनिया मे वातावरण का होना, और दुनिया मे रात दिन का लगातार एक दूसरे के बाद आना। और भी बहुत सारी व्यवस्था हमारी दुनिया मे मौजूद है जिसका यहाँ ज़िक्र कर पाना नामुमकिन है और इन व्यवस्थाओ की वजह से ही हमारा दुनिया मे रह पाना मुमकिन हो रहा है।


जब हम अपने आस पास के जीवों को देखते है तो हम उनके अंदर भी एक व्यवस्था और मैनजमेंट पाते है और हर जीव के अंग का चुनाव उसकी परिस्थिति को देखकर किया गया है। जैसे आप ऊंट को हो देख लीजिए ऊंट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है क्योंकि ये रेगिस्तान की गर्म रेत में आसानी से दौड़ लेता है और अपनी कूबड़ के अंदर कई दिनों का खाना और पानी जमा कर लेता है जिसकी वजह से बिना खाने और पानी के कई दिनों तक आसानी से सफर कर लेता है। ऊंट का मुंह और पेट कटीले भोजन को आसानी से खा लेता है। रेत आँधी के समय ऊंट आसानी से अपने नथुने बंद कर लेता है और ऊंट की लम्बी दोहरी पलकें आंखों में रेत नही जाने देती और ऊंट का घट्टा जो बैठने के दौरान उसे गर्मी से बचता है। ऊंट के पास वो सब अंग मौजूद है जो उसे रेगिस्तान में रहने के लिए जरूरी है।


तो क्या ये ऊंटो को नही देखते की कैसे बनाये गए है?

📓(क़ुरआन 88:17)


अगर ये सब काम हमारी प्रकृति ने खुद वा खुद कर लिया तो हमारी प्राकृती ने सांप को ऊंट की टाँगे क्यों नही दे दी? ऊंट को हाथी की सुंड क्यों नही दे दी?


हर जानवर के पास इतने यूनिक अंग है जिसके कारण वो अपना जीवन आसानी से गुज़ार लेते है आखिर इन जानवरों को इसकी परिस्थिति के हिसाब से अंग किसने दिए है? कौन है? जो शिकारी जानवर के दांतों को तेज़ रखता है। और उसके तेज़ पंजे का निर्माण करता है। कौन है? जो जेवरा के ऊपर काली सफेद धारियां बनाता है। क्योंकि ज़ेबरा ज्यादा तेज़ दौड़ नही पाता है इसलिए वो अपनी काली और सफेद धारियों के जरिये दूसरे जानवरों को धोखा देकर अपनी जान बचाता है। आखिर वो कौन है? जिसने जेवरा को ये तरीका बताया।


अब आप अपने ऊपर ही गौर कर लीजिये कि कैसे हमारे शरीर का एक एक अंग बना है और काम कर रहा है। हमारे शरीर के सारे अंग मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाते है जिससे हम अपने सब काम आसानी से कर पाये हम अपने पाचन तंत्र पर गौर करे कि कैसे ये खाने को हज़म करता है? आप अपने रेस्पिरेटरी सिस्टम पर गौर करे कि कैसे इससे हमारे शरीर में हर अंग तक ऑक्सीजन पहुँच रही है? और आप गौर करे कि कैसे खून हमारे शरीर मे चीज़ों को एक जगह से दूसरे जगह तक लेकर जाता है। और हम इस पर गौर भी करे कि हमारी एक कोशिक ( cell ) के अंदर पूरी एक फैक्टरी मौजूद है जहाँ से ही हमारे शरीर में ताक़त पहुचती है और हमारे शरीर का हर अंग न्यूरोन के जरिए हमारे दिमाग से जुड़ा हुआ है इस दिमाग से ही हम हाथ पैर से जैसा चाहे वैसा काम लेते हैं आप ये गौर करे कि जिस अंग की जहाँ जरूरत थी वो वहीँ लगा हुआ है और इस सब मे से एक अंग भी खराब हो जाये तो हमारा पूरा शरीर ही खराब हो जाता है।


हमारी दुनिया में ये व्यवस्था और मैनेजमेंट आखिर किसने किया? कि हर चीज एक दूसरे का सहयोग कर रही है। और दुनिया हर चीज दूसरी चीज पर निर्भर करती है। जैसे आप इस दुनिया में मौजूद इको सिस्टम को ही देख सकते है, पेड़ पौधे अपना भोजन सूरज के जरिया खुद बना लेते है, और शाकाहारी जीव इन पेड़ पौधों को खाकर अपना जीवन जीते है फिर इन शाकाहारी जीवों को मांसाहारी जीव खाते है। अगर इस इको सिस्टम में से किसी एक को भी निकाल दिया जाए तो इसका प्रभाव हमारी दुनिया पर बहुत पड़ेगा। आखिर वो कौन है? जिसने इस दुनिया में इतना शानदार मैनेजमेंट किया है। क्या आपको इस दुनिया का मैनेजमेंट देखकर नही लगता की किसी ने इसे ऐसा डिजाइन किया है?


दुनिया को इतना शानदार मैनेजमेंट कौन दे सकता है?


दुनिया की सब चीज़ें और सारे जीव मैटर से बने है और मैटर के अंदर सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है यानि उन्हें ज्ञान नही है। इसलिए उन सब चीज़ों का अपना कोई मक़सद भी नही है तो ये सब चीजें एक मकसद के लिए काम क्यों कर रही है? जब दुनिया की सब चीज़ों का अपना कोई मक़सद नही है क्योंकि इनके पास ज्ञान नही है तो कहीं न कहीं इनके पीछे एक छुपा हुआ हाथ जरूर है जो इन सब चीज़ों से ये काम करवा रहा है और उसी को हम खुदा कहते है। जिसने इन सब चीजों को अपने अपने काम पर लगाया है। जैसे एक तीर चलाने वाला जहाँ चाहेगा तीर को वहाँ फेंकेगा, तीर को नही पता है कि मुझे जाना कहाँ है। बिल्कुल ऐसे ही जो तीर है ये हमारी प्राकृति है और इसको चलाने वाला खुदा है। खुदा जहाँ चाहता है प्राकृति वहीं जाती है।


इसको एक उदाहरण से और समझते है- इंसान, जानवर और दुनिया की सब चीजें मैटर से बनी है। और मैटर के अंदर सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है यानि उन्हे ज्ञान नही है। अगर मैटर के अंदर खुद सोचने समझने की सलाहियत होती तो जैसे ही हम कोई रोबोट या छोटा बच्चा भी कोई पुतला बनाता तो वह फ़ौरन ज्ञान हासिल करने लग जाता, फिर हमें कृत्रिम होशियारी (Artificial intelligence) की कोई जरूरत नही थी लेकिन होता ये है कि पहले हम एक रोबोट बनाते है फिर उसमें कोडिंग (coding) करते है और वो मैटर बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे उसकी कोडिंग की गई है।


दुनिया की हर चीज़ों को क्यों लाया गया?


ऐसे ही दुनिया के अंदर जितनी भी चीज़ें है इंसान और जानवरों के अंग है। इन सब की कोडिंग की गई है। और मैटर में खुद सोचने समझने की सलाहियत मौजूद नही है इसलिये मैटर कोडिंग नही कर सकता है। इससे ही ये बात साबित होती है कि कोडिंग करने वाली जात दूसरी है और वही डिज़ाइनर है। उसी को हम खुदा कहते है उसी खुदा ने ही दुनिया की सब चीज़ों को एक मकसद के लिए लगाया है।


हमारा रब वो है जिसने हर चीज़ को उसकी सही शक्ल (आकार) दी , फिर उसको रास्ता बताया। (यानी उसकी कोडिंग की)

📓(क़ुरआन 20:50)


दुनिया की सब चीज़ों की रहनुमाई कोन करता है?


यानि दुनिया की हर चीज़ जैसी कुछ भी बनी हुई है, ख़ुदा के बनाने से बनी है, हर चीज़ को जो बनावट, जो शक्ल सूरत जो ताक़त और सलाहियत और जो खूबी और खासियत मिली हुई है खुदा की दी हुई है। हाथ को दुनिया में अपना काम करने के लिए जिस बनावट की जरूरत थी, वो उसको दी और पांव को जो सबसे ज्यादा मुनासिब बनावट चाहिए थी, वो उसको दी इंसान, जानवर, पेड़, पौधे, पत्थर, पहाड़, धातु, हवा, पानी, रोशनी, हर एक चीज़ को उसने एक ख़ास सूरत दी है जो उसे क़ायनात में अपने हिस्से का काम ठीक ठीक अंजाम देने के लिए मतलूब (जरूरत) है। फिर खुदा ने ऐसा नही किया कि हर चीज़ को उसकी खास बनावट देकर यों ही छोड़ दिया हो बल्कि उसके बाद खुदा ही उन सब चीज़ों की रहनुमाई करता है।


इंसान को सिखाने और हिदायत देने वाला कौन है?


दुनिया की कोई चीज़ ऐसी नही है जिसे अपनी बनावट से काम लेने और अपनी पैदाईश के मकसद को पूरा करने का तरीका खुदा ने न सिखाया हो। कान को सुनना और आंख को देखना खुदा ने सिखाया है। मछ्ली को तैरना और चिड़िया को उड़ना खुदा की तालीम से आया है। पेड़ को फल और फूल देने और जमीन को पेड़ पौधे उगाने की हिदायत खुदा ने ही दी है। कहने का मतलब यह है कि खुदा सारी क़ायनात और उसकी हर चीज़ का सिर्फ पैदा करने वाला ही नहीं, बल्कि हिदायत देनेवाला और सिखानेवाला भी है।


इनसे पूछो, कौन तुमको आसमान और ज़मीन से रोज़ी देता है? ये सुनने और देखने की ताक़त किसके इख़्तियार में है? कौन बेजान में से जानदार को और जानदार में से बेजान को निकालता है? कौन इस दुनिया के निज़ाम की तदबीर कर रहा है? वो ज़रूर कहेंगे कि अल्लाह। कहो, फिर तुम (हक़ीक़त के ख़िलाफ़ चलने से) परहेज़ नहीं करते?

📓(क़ुरआन 10:31)


नतीजा (निष्कर्ष) 


अगर अल्लाह मौजूद नहीं है तो ज़िन्दगी का कोई मतलब नहीं है। अगर आपकी ज़िन्दगी मौत पर खत्म हो जाती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के आप कैसे जी रहे थे। आखीर में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के आपका वजूद है या नहीं। यक़ीनी तौर पर, आपकी ज़िंदगी की निस्बती अहमियत हो सकती है के आपने दूसरों को मुतासिर किया या खुद एक तारीखी मसला बन गए। इंसान क़ायनात की गर्मी की मौत में फनाह होने को है। और इससे कोई फर्क नही पड़ता के आप कौन हैं? आप क्या करते हैं? आपकी ज़िन्दगी ग़ैर ज़रूरी
है।

साभार : अकरम हुसैन 


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