Insan Ki Takhleeq (Paidaish) Kaise Hui?

 इंसान की तख़लीक़ (पैदाइश) कैसे हुई?


हमारी तख़लीक़ को लेकर तरह-तरह की बातें सुनने मे आती हैं। दुनिया में इस्लाम के साथ दूसरे मज़हब को मानने वाले लोग भी हैं जो अपने-अपने मज़हब में बताई गई बातों के हिसाब से हमारी पैदाइश पर बहस करते रहते है। साइंस भी इसमें कही पीछे नहीं है। साइंस के मुताबिक मज़हबी बातों का कोई मतलब नहीं है। आइये जानते हैं क़ुरान और साइंस के हिसाब से हमारी तख़लीक़ कैसे हुई?


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1. हमारी तख़लीक़ से मुतअल्लिक़ कुरान क्या कहता है?


क़ुरान एक अज़ीम मुक़द्दस किताब है, जिसका हर एक अल्फ़ाज़ सच्चा और असरदार है, जिसमे हर मर्ज़ की दवा  है, हर परेशानी का हल है। कुरान में कई बार अल्लाह ताला हमारा ध्यान हमारी तख़लीक़ के तरीके की ओर खींचता है। हालांकि यह याद रखना दिलचस्प है कि जिस समय इन आयतों का खुलासा हुआ, उस वक़्त अब के मुकाबले इंसानो के पास इंसानी पैदाइश के अमल के बारे में महदूद इल्म था। अल्लाह ताला इंसान की तख़लीक़ के मुतअल्लिक़ कुरआन में फरमाता है:

أَكَفَرۡتَ بِٱلَّذِي خَلَقَكَ مِن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ سَوَّىٰكَ رَجُلٗ
"क्या तुम उसका इनकार करते हो जिसने तुम्हें धूल से पैदा किया, फिर एक नुत्फ़े से, फिर तुम्हें एक आदमी बना दिया?" [कुरान 18: 37]


कुरान मजीद में इस बीज़ (Sperm-drop) को "नुतफा (نطفہ) कहां गया है। शुरू में यह इतना छोटा होता है कि इंसानी आंख को छोटे से नुक्ते (dot) की तरह नजर आता है। इसमें मुकम्मल इंसान की तफसीली मालूमात (Fine details) मौजूद होती है। इंसान से खारिज होने वाले करोड़ों स्पर्म मे से सिर्फ एक स्पर्म से इंसान बनता है। अल्लाह ताला क़ुरान में फरमाता है:

خَلَقَ ٱلْإِنسَـٰنَ مِن نُّطْفَةٍۢ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌۭ مُّبِينٌۭ
"उसने इंसान को एक ज़रा सी बूँद से पैदा किया और देखते-देखते खुले तौर पर वह झगड़ालू हस्ती बन गया।"
[कुरान 16: 4]



2. इंसान की तख़लीक़ पर साइंस-दानों की तहक़ीक़


18 वीं सदी तक जानदार चीजों की पैदाइश को लेकर चार्ल्स डार्विन नजरिए पर यकीन रखा जाता था। डार्विन ने अपनी किताब (Origin of species) में Theory of Evolution पेश किया, शुरू में जिंदगी की शुरुआत खुद-ब-खुद हो गई, उसके बाद विकासवादी (evolutionary) के तहत जरूरत के मुताबिक तब्दीलियां से गुजर कर अलग-अलग किस्में (species) वजूद में आ गयी।

19वीं सदी की खोज से साइंटिस्ट का इन नजरियात से यकीन उठ गया, 1878 ईसवीं में क्रोमोजोम्स (chromosomes) की खोज, 1955 मे DNA, Genes वगैरा की हैरान कर देने वाली खोज ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया के जानदारों समेत इंसान की तख़लीक़ सादा नहीं बल्कि बहुत पेचीदा है, उन Genes पर इंसान की सारी तफ़सीलात (Details), उसकी आंखों का रंग, आकार, इंसान की उम्र, कद, रंगत समेत जिस्म के तमाम हिस्सों की तफ़सीली मालूमात लिखी होती है, यह मालूमात इतनी ज्यादा है कि दुनिया जहान में लिखी जाने वाली तमाम किताबों के पेज भर जाए।

अमेरिका में एक इंटेलिजेंट डिजाइन मूवमेंट (Intelligent Design Movement) चलाया गया, जिसके नतीजे में फैक्ट ऑफ क्रियेशन (Fact Of Creation) का नजरिया आया जिसकी बिना पर साइंटिस्ट यह मानने पर मजबूर हो गए के जानदारों की तख़लीक़ बेहद पेचीदा है जिनके खुद-ब-खुद बन जाने के बारे में गुमान भी नहीं किया जा सकता। इस तरह डार्विन का मौक़िफ़ (point of view) बहुत कमजोर हो गया। अब हम अपनी तख़लीक़ के कुछ अहम पहलुओं पर गौर करते हैं।


3. साइंस के मुताबिक हमारी तख़लीक़


हम सब इंसान एक बीज (Sperm-drop) से पैदा हुए हैं। यह बीज नर और मादा के मिलाप से पैदा हुआ है। इस बीज में मर्द की तरफ से स्पर्म (sperm) और औरत की तरफ से अंडा (ovum) आपस में रहम मादर (uterus) ही नाली (tube) मे एक हुए हैं। स्पर्म और ओवम के मिलाप से फर्टिलाइजेशन (fertilization) के अमल के तहत मुकम्मल होता है जिसका साइंसी नाम ज़ाइगोट (zygote) है।

gametes se zygote ka banna



औरतों में महावारी (reproductive cycle) के दौरान ओव्यूलेशन के समय एक अंडा कोशिका को कूप (ट्यूब) से फैलोपियन ट्यूब में छोड़ा जाता है। अगर स्पर्म मौजूद हैं, तो हजारों स्पर्म इस एक अंडे की कोशिका में दाखिल होने की कोशिश करने लगते हैं। एक बार जब एक स्पर्म अंडे की बाहरी सतह को तोड़ कर उसके अंदर दाख़िल हो जाता है, तो एक ज़ाइगोट बनता है। अंडे की सतह में रासायनिक बदलाव दूसरे इस स्पर्म को दाखिल होने से रोकते हैं।


3.1. Sperm (स्पर्म/शुक्राणु)


औसतन, हर बार जब मर्द इंज़ाल (मनी ख़ारिज करना) करते हैं तो वे लगभग 100 मिलियन शुक्राणु (स्पर्म) छोड़ते हैं। इनमें से कुछ की हरकत तेज होती है जिन्हें एक्टिव स्पर्म (Active sperm) कहते हैं, कुछ की हरकत सुस्त (sluggish) और कुछ मुर्दा (dead) होते हैं, हैरत की बात तो यह है कि रतूबत (moisture/मनी) के 1 मिलीलीटर यानी एक छोटे से कतरे में करीबन 15 मिलियन से लेकर 200 मिलियन से ज़्यादह स्पर्म होते हैं जिनमे से एक करोड़ तेज रफ्तार स्पर्म होते हैं। स्पर्म की ज़िन्दगी कई चीज़ों पर मब्नी है लेकिन सबसे अहम ये है के मनी (semen) कहाँ मौजूद है। सुखी जगह पर, जैसे कपडे या बिस्तर, मनी के सूखने तक स्पर्म मर जाते हैं। पानी में, जैसे गर्म पानी के टब में ज़्यादह देर तक ज़िंदा रहते हैं क्यूंकि स्पर्म गर्म, गीली जगह पर ज़्यादह देर तक ज़िंदा रहते हैं। जब स्पर्म औरत के जिस्म के अंदर होते हैं तो वो 5 दिन तक ज़िंदा रह सकते हैं

स्पर्म (Sperm) की बनावट (संरचना)


यह स्पर्म बुनियादी तौर पर तीन हिस्सों में बटे होते हैं: सर (Head), गर्द (Neck) और दुम (Tail)। इसकी गर्दन वाले हिस्से में एक ताकतवर इंजन (mid piece) होता है जो इसकी दुम को तेजी से हिलाता है जिसकी वजह से यह हरकत करता हुआ रहम मादर में पहुंचता है। इसके सर में 23 धागे नुमा क्रोमोज़ोम्स होते हैं जिन पर नए बनने वाले इंसान की खुसूसियात (features) की तफसील लिखी होती है। जिस तरह कंप्यूटर सीडी, पेन ड्राइव, यूएसबी, मेमोरी कार्ड वगैरह पर मालूमात लिखी होती है। ये स्पर्म जब मादा के अंडे (ovum) को तलाश कर लेता है तो उसके सर से खोल उतर जाती है जिसके अंदर से तुरंत मशीन के वरमे (Drill Machine) की तरह की साख्कतें निकलकर मादा के अंडे में सुराख करती हैं और स्पर्म का जरूरी हिस्सा अंडे में दाखिल हो जाता है। दुम कट कर अलग हो जाती है। अल्लाह ताला फरमाता है:

أَلَمْ نَخْلُقكُّم مِّن مَّاء مَّهِينٍ
"क्या हमने तुम्हें एक हक़ीर पानी से नहीं पैदा किया?"
[कुरान 77:20]


जो बात सामने आती है वह यह है कि कैसे अल्लाह हम में से हर एक हर एक को इस दुनिया में पानी की एक बूंद से लाया - एक बूँद जिसे गंदा, नीच और धोने और हक़ीर समझा जाता है; जो जिस्म के उस हिस्से से निकलता है जिसे छिपाकर भी रखा जाता है और शर्मनाक माना जाता है। एक हिस्सा जो हमारे शरीर से गंदगी (पेशाब) को बाहर निकालता है।


sperm aur ovum ka structure (banawat)


3.2. ओवम (अंडा/Ovum)


यह औरत के reproductive organ ओवरी (ovary) में से किसी एक से निकलने वाली एक कोशिका (cell) है। जो स्पर्म के साथ जुड़ने पर नए जानदार को बनाने की ताक़त रखती है, जिसे ओवम (ovum) कहा जाता है। लैटिन भाषा में ओवम का मतलब 'अंडा' होता है और ओवम की जमा (प्लुरल) ओवा (ova) होता है।

अंडा (ovum) की बनावट (संरचना)


बालिग (mature) ओवम की संरचना आमतौर पर गोलाकार (sрheriсаl), नॉन-मोटाइल गैमेटे (nоn-mоtile gаmete) के साथ योल्की साइट्रोप्लाज़म (yоlky сytорlаsm) और एक या या एक से ज़्यादा ओवम के लिफाफे में बंद होता है। इसका साइज़ (size) मुख्तलिफ जानवरों में आकार मुख्तलिफ होता है और जर्दी की मात्रा पर निर्भर करता है। ओवम का साइज़ 10 माइक्रोन से लेकर कुछ सेंटीमीटर तक अलग-अलग होता है, इसलिए ओवम की संरचना साइज़ पर निर्भर करती है।
सबसे बड़ा अंडा शुतुरमुर्ग (оstriсh) का होता है और लगभग 170 x 135 मिमी का होता है। अंडे का साइज़ और जर्दी एक दूसरे पर निर्भर हैं। यह कई कीड़ों (роly chattels) में करीब 50 माइक्रोन, ट्यूनीसेट (tuniсаtes) में 150 माइक्रोन लेकिन परिंदों और रेंगने वाले जानवरों में बहुत बड़ा होता है। स्तनधारियों (जो बच्चे पैदा करते हैं) में, यह आमतौर पर छोटा और अमूमन 100 माइक्रोन होता है।

इंसानी ओवम की बनावट


इंसानी ओवम की शारीरिक बनावट माइक्रोलेसिथल (miсrоleсithаl) है जिसमें बहुत ज़्यादा साइटोप्लाज्म (сytорlаsm) होता है। साइटोप्लाज्म को दो हिस्सों में बता जाता है:
  1. बाहरी (outer), छोटे और ट्रांसपेरेंट एक्सोप्लाज्म (exорlаsm) या एग कॉर्टेक्स (egg cortex) और
  2. इनर (inner), लार्जर और अस्पष्ट एंडोप्लाज्म (ораque endорlаsm) या оорlаsm
एग कॉर्टेक्स कुछ साइटोस्केलेटल संरचनाओं (cytoskeletal structures) जैसे सूक्ष्मनलिकाएं और माइक्रोफिलामेंट्स (miсrоfilаments), पिगमेंट ग्रैन्यूल (рigment grаnules) और म्यूकोपॉलीसेकेराइडस (muсороlysассhаrides) के कॉर्टिसियल ग्रैन्यूल (соrtiсаl grаnules) के साथ होते है। एंडोप्लाज्म (Endорlаsm) सेल-ऑर्गेनेल, सूचना, tRNАs, हिस्टोन, एंजाइम आदि के साथ मौजूद होते है।

ओवम का न्यूक्लियस (Nuсleus) बड़ा होता है, न्यूक्लियोप्लाज्म से फूला हुआ होता है और इसे जर्मिनल वेसिकल (germinаl vesiсle) कहा जाता है। अंडे के लिफाफे की संरचना कई अंडे के लिफाफों से घिरी होती है जैसे कि एक विटेलिन झिल्ली (vitelline membrane), जोना पेलुसीडा (zona pellucida), कोरोना रेडियाटा (corona radiata)। विटलाइन झिल्ली भीतरी, पतली और पारदर्शी होती है। और यह ओवम से ही ख़ारिज होती है। 


3.3. क्रोमोज़ोम्स (Chromosomes/गुणसूत्र) की बनावट


क्रोमोज़ोम जानवर और पौधों की सेल्स के बिच पाई जाने वाली धागे जैसा होता है।हर एक क्रोमोज़ोम 50% प्रोटीन और 50% डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) के एक अणु से बना होता है।


Chromosomes ki banawat


क्रोमोज़ोम हाउस जीन लक्षणों की विरासत और ज़िन्दगी के अमल की रहनुमाई के लिए जिम्मेदार हैं।
क्रोमोज़ोम की संरचना में एक लंबा भुजा क्षेत्र (long arm region) और एक मध्य क्षेत्र (short arm region) से जुड़ा एक छोटा भुजा क्षेत्र होता है जिसे सेंट्रोमियर (centromere) कहा जाता है। क्रोमोज़ोम के सिरों को टेलोमेरेस (telomeres) कहा जाता है। डुप्लीकेट क्रोमोज़ोम्स (Duplicated or replicated chromosomes) X-आकार के होते है और एक जैसे क्रोमैटिड्स से बना होता है। 


आप देख सकते हैं, सिर्फ दो गैमेट्स से बने जयगोटे में क्रोमोसोम्स, DNA, एंडोप्लाज्म, सेल-ऑर्गेनेल, tRNАs, हिस्टोन, एंजाइम आदि के साथ मौजूद होते है। इंसान की तख़लीक़ एक सेल से हुई और हर एक सेल में एक न्युक्लीयस नहीं बल्कि बहुत सारे ऑरगॅनेल्स से मिल कर बनी होती है, जैसा के आप दी हुई इमेज में देख सकते हैं।


structure of cell | cell ki banwat (sanrachna)



एक छोटी सी सेल जिसे हम आँखों से देख भी नहीं सकते उसने इतना कुछ मौजूद होता है तो ज़र सोचे अल्लाह ताला ने हमें किस खूबसूरत अंदाज़ में बनाया है के उसकी जितनी तारीफ की जाये कम है। अल्लाह ताला कुरान मजीद में फरमाया है: 

لَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَـٰنَ فِىٓ أَحْسَنِ تَقْوِيمٍۢ
"बेशक, इंसानो को बेहतरीन अंदाज़ से बनाया है।" 
[कुरान 95: 4]

जब अल्लाह ताला ने खुद इस बात की तस्दीक़ कर दी के उसने इंसान को बेहतरीन अंदाज़ में बनाया है, हमें आला दर्जे का जिस्म अता किया जो किसी दूसरी जानदार मख्लूक़ को नहीं किया, और इसे सोचने समझने, इल्म और अक्ल की वो बुलंद क़ाबिलियतें बख्शी है जो किसी दूसरे मख्लूक़ को नहीं बख्शी तो हम कैसे उसके वजूद का इंकार कर सकते है और उसके खिलाफ जेक इस साइंसी दुनिया को तर्जी दे रहे है? 


3.4. क्रोमोज़ोम्स: बच्चा लड़का होगा या लड़की?


स्पर्म के 23 क्रोमोज़ोम्स अंडे में दाखिल हो जाते हैं साथ ही अंडे में 23 क्रोमोजोम्स पहले से मौजूद होते हैं। इस तरह स्पर्म और अंडे के मिलने से 46 क्रोमोजोम्स बन जाते हैं। इस तरह इंसान के gametes grow करने के काबिल हो जाते हैं। इस अमल को फलदायक अमल कहते हैं। इस ज़ाइगोट में मर्द के (xy) जबकि औरत के (xx) क्रोमोजोम्स होते हैं। मिलाप के दौरान अगर मर्द का 'x' और औरत का 'x' आपस में मिले तो लड़की (xx) पैदा होती है। और अगर मर्द का 'y' और औरत का 'x' मिले तो लड़का (xy) पैदा होगा।

sex determination chromosomes


4. गौर-ओ-फ़िक्र करने वाले सवालात


हमारे लिए सोचने की बात यह है कि,
  • क्या यह स्पर्म खुद-ब-खुद बन गया?
  • क्या औरत और मर्द दोनों में 23-23 क्रोमोज़ोम्स का होना सिर्फ इत्तेफाक से मुमकिन हो गया है?
  • अफसोस के हम इतनी साफ निशानियां से भी मुंह फेर लेते हैं। क्या इतनी बा-मकसद और पेचीदा तस्कील (complicated designing) खुद-ब-खुद हो सकती है?
  • क्या स्पर्म का खोल खुद-ब-खुद फट पड़ता है और उसमें सुराख करने वाली ड्रिल मशीन खुद-ब-खुद बन गई है?
  • क्या मादा (gamete) खुद-ब-खुद अपने आप को इतनी बामकसद (Well Designed) सूरत मे तब्दील कर लेता है?

अगर आपका जवाब हाँ में है तो चैलेंज दिया जाता है कि तमाम मख़लूकात मिलकर किसी फैक्ट्री या मशीन में एक स्पर्म बनाएं। क्योंकि वह चीज़ जो खुद-ब-खुद बन गई है वह इतनी आसान होगी के अगर लोग उसे बनाना चाहे तो आसानी से बन जाती होगी?
अगर हम ऐसा ना कर सके तो फिर हमें जरूर तस्लीम कर लेना चाहिए कि यह काम किसी ला-महदूद ताकत वाले ने किया है। जिसका नाम अल्लाह रब्बुल आलमीन है। उसने कुरान मजीद में फरमाया है के:

.... ہَلۡ اَتٰی عَلَی الۡاِنۡسَانِ حِیۡنٌ مِّنَ الدَّہۡرِ لَمۡ یَکُنۡ شَیۡئًا مَّذۡکُوۡرًا - اِنَّا خَلَقۡنَا الۡاِنۡسَانَ مِنۡ نُّطۡفَۃٍ اَمۡشَاجٍ
"क्या इन्सान पर लामुतनाही ज़माने का एक वक़्त ऐसा भी गुज़रा है जब वो कोई क़ाबिले-ज़िक्र चीज़ न था? हमने इन्सान को एक मख़लूत नुत्फ़े से पैदा किया....."
[कुरान 76: 1-2]


अल्लाह बार-बार इंसान को उसके कमतर और हक़ीर नुत्फ़े, उसके पहले और बाद की तख़लीक़ की याद दिलाता है, ताकि उसके तकब्बुर को खत्म किया जा सके और अल्लाह की तख़लीक़ और क़यामत के मुतअल्लिक़ क़ुदरत पर उसके यक़ीन को मजबूत किया जा सके।

क्योंकि जब तक हम खुद को यह याद दिलाते रहते हैं कि हम कैसे पैदा हुए, कैसे पैदा हुए, और कैसे हम कुछ नहीं से वजूद में आए, आखिरकार दो छोटे सेल्स के मिलने से बड़े होने और एक कामकाजी इंसान का आकार लेने के लिए, हम शायद यह शक करना बंद कर दे कि अल्लाह हमें अखिरत में वापस ज़िंदा कैसे करेगा।




मुसन्निफ़ा (लेखिका): मरियम फातिमा अंसारी 



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