Duniya Ko Kisne Banaya???

Duniya Ko Kisne Banaya???



इस क़ायनात और इसमें मौजूद तमाम मख़लूक़ात (चीजोंको देखकरहर इंसान की ज़िंदगी में कम से कम एक बार तो ये सवाल जरूर आता हैकि दुनिया को किसने बनाया? या ये दुनिया खुद  खुद बन गई है...
इन सब चीजों को देखकर कोई भी अक़्ल रखने वाला इंसान ये नही कह सकता हैकि ये सब चीजें खुद  खुद बन गई हैंवो यही कहेगा जरूर इन सब चीज़ों को किसी ने बनाया हैये तमाम कि तमाम चीज़ें खुद  खुद नही बन सकती है फिर Universe को किसने बनाया...

Table Of Content

क़ायनात - Universe
क़ायनात के फासले - Distance between Galaxies
सौलर सिस्टम - Solar System
पृथ्वी की गति (motion of the earth)
पृथ्वी का निज़ाम - Complex Ecosystem on Earth
साइंस
लॉ ऑफ कॉस एंड इफेक्ट
(atheists) से सवाल 
पहचान

क्या इस कायनातइस दुनिया को कोई बनाने वाला हैया ये कायनात खुद  खुद बन गई है(Existence of God)


इस क़ायनात और इसमें मौजूद तमाम मख़लूक़ात (चीजों) को देखकर, हर इंसान की ज़िंदगी में कम से कम एक बार तो ये सवाल जरूर आता है, कि क्या इस क़ायनात का कोई बनाने वाला है?  या ये क़ायनात खुद व खुद बन गई है? इस क़ायनात की तमाम मख्लूकात (चीजों) को किसी ने बनाया है? या ये तमाम मख्लूकात (चीज़ें) खुद व खुद बन गई है? इंसान की अक़्ल में इस सवाल का आना फितरती है, हम अपने लेख में इसी सवाल का जबाब देने की कोशिश करेंगे।

मान लीजिये आप एक किसी  रेगिस्तान में जा रहे हैं, वहाँ अचानक आपको एक घड़ी मिलती है तो आप उस घड़ी के बारे में क्या सोचेगें ? क्या आप ये कहेंगे इस घड़ी को किसी ने नही बनाया है? ये खुद व खुद बनकर यहाँ आ गई है,  क्या आप ये कहेंगे की ये घड़ी बिना किसी के बनाये नही बन सकती है,  जरूर इस घड़ी को किसी ने बनाकर यहाँ रखा है, ज़ाहिर सी बात है आप उस घड़ी के पेचीदा निज़ाम (complex system) और उसकी कार्य विधि को देखकर यही कहेंगे की जरूर इस घड़ी का कोई बनाने वाला है। ये घड़ी बिना किसी के बनाये खुद व खुद नही बन सकती है।

ऐसे ही हम इस क़ायनात और इसमें मौजूद तमाम मख्लूकात (चीजों) पर गौर-ओ-फिक्र करके उसके बनाने वाले तक पहुँच जाएंगे जैसे सूरज,  चाँद,  सितारे,  सय्यारे,  जमीन और आसमान,  समुन्द्र और समुंद्री जीव,  पेड़ पौधे,  इंसान, चरिंद,  परिंद,  और तमाम जानवरो को देख कर और उनके पेचीदा निजाम (complex system) पर गौर-ओ-फिक्र करके हम उसके बनाने वाले तक पहुंच सकते हैं, इन सब चीजों को देखकर कोई भी अक़्ल रखने वाला इंसान ये नही कह सकता है, कि ये सब चीजें खुद व खुद बन गई हैं,  वो यही कहेगा जरूर इन सब चीज़ों को किसी जात ने बनाया है, ये तमाम कि तमाम चीज़ें खुद व खुद नही बन सकती है।


क्या इन लोगों ने आसमानों और ज़मीन के इन्तिज़ाम पर कभी ध्यान नहीं दिया और किसी चीज़ को भी, जो अल्लाह ने पैदा की है, आँखें खोलकर नहीं देखा?

📓(कुरआन 7:185)


ज़मीन और आसमानों में कितनी ही निशानियाँ हैं जिनपर से ये लोग गुज़रते रहते हैं और ज़रा ध्यान नहीं देते।

📓(कुरआन 12:105)


अगर कोई व्यक्ति आपसे कहे कि ये मोबाइल जो आपके पास है, ये खुद व खुद बन गया है क्या किसी के कहने से आप मान सकते हैं,  कि ये मोबाइल खुद व खुद बन सकता है?

यह बिजली का बल्ब जो आपके सामने मौजूद है, क्या किसी के कहने से मान सकते हैं, कि रोशनी इस बल्ब में खुद व खुद पैदा हो जाती है?

ये हवाई जहाज़ जो जो रात दिन आपके सामने उड़ रहा है, क्या किसी बड़े से बड़े दार्शनिक (फलसफी) के कहने से आप ये मान सकते हैं, कि इस हवाई जहाज़ को बनाने वाला कोई नही है ?

ये कपड़े जो आप पहने हुए हैं, क्या दुनिया के किसी बड़े से बड़े आलिम और पंडित के कहने से आप यह तसलीम करने को तैयार हो जायेंगे कि उनको किसी ने बुना नही है ये खुद व खुद बुन गए है?

ये घर जो आपके सामने खड़े हैं, यदि तमाम दुनिया की यूनिवर्सिटीयों के प्रोफेसर मिलकर भी आपको यकीन दिलाना चाहें कि इन घरों को किसी ने नही बनाया है, बल्कि ये खुद व खुद बन गए हैं तो क्या उनके यकीन दिलाने से ऐसी गलत बात पर यकीन आ जायेगा ?

जरा विचार कीजिये अगर कोई व्यक्ति आप से कहे ये कार जो आप चलाते हैं, ये खुद व खुद बन गई है और आपको यकीन दिलाने के लिए आपसे कहे कि इस कार को बनाने के लिए जो कच्चा माल (row material ) इस्तेमाल हुआ है उसमें कुछ लोहा, प्लास्टिक,  काँच, रबड़, ताँबा, और स्टील आदि मौजूद है और ये सब चीजें हमारी जमीन से पाई जाती हैं, फिर वो आपसे कहे कि कई वर्षो पहले दुनिया में भूकंप आये और उस भूकंप के नतीजे में ये सारी चीज़े बाहर निकलकर आ गई थीं और फिर कई वर्षो बाद इस दुनिया में कुछ रासायानिक अभिक्रिया ( Chemical process) हुई जिसके नतीजे में ये सारे ये सारे तत्व अलग अलग हो गए,  फिर कई वर्षो  बाद इस दुनिया में अम्लीय वर्षा (Acid rain) हुए जिसकी वजह से लोहा, प्लास्टिक, कांच, रबड़, ताँबा, और स्टील के आकार में परिवर्तन होना शुरु हुआ,  फिर धीरे -धीरे इन सब चीज़ो से कार के पार्ट्स बन गए और फिर तूफान चले, भूकंप आये और ये सब कार के पार्ट्स खुद व खुद  अपनी अपनी जगह आकर लगते गए, फिर कार का इतना पेचीदा इंजन भी खुद व खुद इसी हादसे से बन गया, और खुद व खुद चल भी रहा है और ईंधन भी इसमें खुद व खुद आ जाता है।

सच बताइये, जो व्यक्ति आपसे ये बात कहेगा, क्या आप हैरत से उसका मुंह न देखने लगेंगे? क्या आपको ये शक न होगा कि कहीं इसका दिमाग खराब तो नही हो गया है?  क्या एक पागल के सिवा ऐसी गलत बात कोई कह सकता है?

अब सोचिये कि एक मामूली सी कार के बारे में जब आपकी अक़्ल ये नही मान सकती कि वह किसी बनाने वाले के बिना खुद व खुद बन सकती है किसी इंजीनियर के डिजाइन किए बिना वह खुद व खुद नही बन सकती है तो आप इस क़ायनात के बारे में कैसे मान सकते हैं कि ये खुद व खुद बन गई है ? आइए अब हम इस कायनात के निजाम पर गौर-ओ-फिक्र करते है।


क़ायनात - Universe

हमारी इस क़ायनात के अंदर नासा की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक 250 अरब गैलेक्सीस दर्याफत हो चुकी है और हर गैलेक्सी के अंदर 300 अरब से ज्यादा सूरज मौजूद हैं,  मिसाल के तौर पर हमारी milky way गैलेक्सी के अंदर जो सूरज हमें नज़र आ रहा है ये सूरज हमारी धरती से 13 लाख गुना बड़ा है, और ये सूरज इस गैलेक्सी का सबसे छोटा सितारा है, इसी तरह के 300 अरब सूरज हमारी milky way गैलेक्सी में मौजूद हैं,  और इस तरह की 250 अरब गैलेक्सी इस क़ायनात में मौजूद है। 

पिछले 13.8 अरब सालो से ये तमाम की तमाम  गैलेक्सी पूरी समन्वय (perfect harmony) के साथ गति कर रही है और ये गैलेक्सी अपनी गति (movement) के दौरान एक दूसरे पास से निकल जाती है लेकिन कभी कोई सितारा दूसरे सितारे से नही टकराता, और ये क़ायनात ऐसे ही पिछले 13.8 अरब सालो से पूरे संतुलन (perfect balance) के साथ चल रही है,  अब आप इस क़ायनात के बारे में सोच कर देखिये और बताइये कि ये इतना बड़ा काम क्या  खुद व खुद हो रहा है?


वो अल्लाह ही है जिसने आसमानों को ऐसे सहारों के बिना क़ायम किया जो तुम्हें नज़र नहीं आते हों, फिर वो अपने तख़्ते-सल्तनत  [ राजसिंहासन] पर विराजमान हुआ, और उसने सूरज और चाँद को एक क़ानून का पाबन्द बनाया। इस सारे निज़ाम की हर चीज़ एक मुक़र्रर वक़्त तक के लिये चल रही है, और अल्लाह ही इस सारे काम की तदबीर कर रहा है। वो निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, शायद कि तुम अपने रब की मुलाक़ात का यक़ीन करो।

📓(कुरआन 13:2)


क़ायनात के फासले - Distance between Galaxies

अगर में आपसे क़ायनात के फासलों की बात करूं तो वो इतने बड़े हैं,  कि इनको किलोमीटर में मापना नामुमकिन है इसलिए क़ायनात के फासलों को नूरी साल (Light year) में मापा जाता है 

एक नूरी साल (Light year) ये होता है, रोशनी (light) के द्वारा एक साल में तय की गई कुल दूरी, रोशनी की रफ्तार 1,86,000 मील प्रति सेकेंड या 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड है, रोशनी (light) की रफ्तार का अंदाज आप इससे करें कि एक सेकेंड में रोशनी (light) पृथ्वी के 7.5 चक्कर लगा लेगी। अगर रोशनी (light) को एक साल तक सफर करने को छोड़ दिया जाये तो वह 9.5 खरब (9.5 Trillion) किलोमीटर दूरी तय कर लेगी।

पृथ्वी के करीब जो गैलेक्सी मिली है वह हमारी पृथ्वी से 20 लाख नूरी साल (light year) के फासले पर है, यानी 20 लाख साल तक रोशनी (light) 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से सफर करती रहे तो तो वो पहली गैलेक्सी तक पहुँचेगी और इसी तरह की 250 अरब गैलेक्सी इस क़ायनात में और मौजूद है, हमारी ये क़ायनात इतनी बड़ी है कि हम इसके बारे में तसव्वुर भी नही कर सकते हैं। ये इतनी बड़ी क़ायनात क्या खुद व खुद बन गई है ? और क्या ये क़ायनात खुद व खुद चल भी रही है ?


अगर तुम ज़मीन और आसमानों की सरहदों से निकलकर भाग सकते हो तो भाग देखो। नहीं भाग सकते। इसके लिये बड़ा ज़ोर चाहिये।

📓(कुरआन 55:33)


सौलर सिस्टम - Solar System

अब हम अपने सौलर सिस्टम को देखे जिसमे सूरज के चारो तरफ ग्रह (planet) चक्कर लगा रहे हैं, ये सूरज हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है और इस सूरज के अंदर से हर सेकेण्ड में 50 करोड़ परमाणु बम (Atomic Bomb) के बराबर एनर्जी निकल रही है और एनर्जी निकलने के साथ साथ ही ये सूरज अपने पूरे सौलर सिस्टम को लेकर पिछले 13.8  अरब सालों से 200 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से स्टार बैगा की तरफ सफर कर रहा है लेकिन अभी तक वहाँ पर पहुंचा नही है ये सूरज और इसका ये सारा सौलर सिस्टम क्या खुद व खुद चल रहा है? क्या सूरज को कोई ड्राइबर चला रहा है? या इसके अंदर कोई ईंधन (fuel) डाला जा रहा है 


पृथ्वी की गति (motion of the earth)

जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं उसकी तीन बड़ी बड़ी गति (motion) अब तक दर्याफ़्त हो चुकी है 


पहली गति (first motion)

पृथ्वी अपने एक्सिस के गिर्द हर सेकेंड में आधा किलोमीटर घूमती है, जिसकी वजह से 24 घंटे के अंदर हमारे रात दिन मुकम्मल होते है 

दूसरी गति (second motion)

पृथ्वी सूरज के गिर्द हर सेकेंड में 30 किलोमीटर दूरी तय करती है जिसकी वजह से 365 दिनों में हमारा साल मुकम्मल होता है 

तीसरी गति (third motion)

पूरा सौलर सिस्टम सूरज और उसके गिर्द के सारे ग्रह (planet) पिछले 13.8 अरब सालों से हर सेकेंड में 200 किलोमीटर सफर कर रहे हैं

इन तीन बड़ी बड़ी गति (motion) के वावजूद पृथ्वी पर रहने वाले किसी चरिंद , परिंद, जानवर और इंसान को कभी इसका अहसास भी नही होता कि वह कितने खतरनाक किस्म के जहाज में सवार है जो हर सेकेंड में आधा किलोमीटर अपने एक्सिस पर और हर सेकेंड के अंदर साथ साथ सूरज के गिर्द 30 किलोमीटर और साथ साथ ही हर सेकेंड में पूरे सौलर सिस्टम के साथ 200 किलोमीटर से चल रही है इस क़ायनात के अंदर इतना जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force) मौजूद है जिसकी वजह से हमे पृथ्वी पर रहते हुए भी इन चीजों का अहसास नही है ये इतने बड़े बड़े काम क्या खुद वे खुद हो रहे है ? क्या जमीन और आसमान की सारी मख्लूकात मिलकर इस क़ायनात को चला सकती है ? तो जो काम सारी मखलूक मिलकर नही कर सकती वो खुद व खुद कैसे हो सकता है?


और वो कौन है जिसने ज़मीन को ठहरने की जगह बनाया?

📓(कुरआन 27:61)


उसने आसमानों और ज़मीन को हक़ (मकसद) के साथ पैदा किया है। वही दिन पर रात और रात पर दिन को लपेटता है। उसी ने सूरज और चाँद को इस तरह ख़िदमत में लगा रखा है कि हर एक, एक तयशुदा वक़्त तक चले जा रहा है। जान रखो, वो ज़बरदस्त है और माफ़ करनेवाला है।

📓(कुरआन 39:5)


पृथ्वी का निज़ाम - Complex Ecosystem on Earth

अब हम अपनी पृथ्वी को देखे जिसमें सूरज की गर्मी की वजह से समुंद्रो के पानी का तापमान बढ़ता है और पानी भाप में बदल जाता है फिर वो भाप, दबाब (Pressure) कम होने की वजह से आसमान में ऊपर जाती है आसमान में पहुँच कर भाप बादलों में बदल जाती है,  बादलों को हवाएं उड़ा कर जमीन के कोने कोने में फैलाती हैं फिर आसमान में तापमान (temperature) कम होने की वजह से ठीक समय पर भाप पानी मे बदल जाती है भाप का पानी मे बदलने  की वजह से इसका दबाब (pressure) बढ़ जाता है, जिसकी वजह से पानी बारिश की बूंदों के रूप में जमीन पर गिरता है फिर उस बारिश की वजह से मरी हुई जमीन के पेट से तरह तरह के लहलहाते हुए पेड़ पौधे निकाले जाते है और तरह तरह के अनाज, रंग बिरंगे फूल और तरह तरह के फल पैदा किये जाते हैं पृथ्वी पर इन चीज़ों को रात दिन हम होते हुए देख रहे हैं ? क्या पृथ्वी पर इतना पेचीदा निज़ाम (complex system) जो हमारी ज़िंदगी के लिए बहुत जरूरी है क्या ये खुद व खुद बन गया है?


भला वो कौन है जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया और तुम्हारे लिये आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिए से वो लुभावने बाग़ उगाए जिनके पेड़ों का उगाना तुम्हारे बस में न था?

📓(कुरआन 27:60)


जो लोग अक़्ल से काम लेते हैं, उनके लिये आसमानों और ज़मीन की बनावट में रात और दिन के मुसलसल एक-दूसरे के बाद आने में, उन नावों में जो इन्सान के फ़ायदे की चीज़ें लिये हुए दरियाओं और समन्दरों में चलती-फिरती हैं, बारिश के उस पानी में जिसे अल्लाह ऊपर से बरसाता है, फिर उसके ज़रिए से ज़मीन को ज़िन्दगी देता है और अपने उसी इन्तिज़ाम की बदौलत ज़मीन में हर तरह की जानदार मख़लूक़ को फैलाता है, हवाओं के चलने में और उन बादलों में जो आसमान और ज़मीन के बीच फ़रमाँबरदार बनाकर रखे गए हैं, बेशुमार निशानियाँ हैं।

📓(कुरआन 2:164)


ऐसे ही क़ायनात में बहुत चीज़े एक कानून के तहत काम कर रही हैं जिसको अगर मैं लिखना चाहूँ भी तो नही लिख सकता। क़ायनात का निज़ाम इतना ज्यादा पेचीदा (complex) और अच्छी तरह से स्थापित (well established) है कि अगर  इसको लिखने के लिए दुनिया के सारे पेड़ो से कलम बना ली जाए और सारे समुन्द्रों से स्याही बना ली जाए तो भी कम पड़ जाएगी, पर हम इस क़ायनात के बारे में नही लिख पायेंगे। इसी बात को अल्लाह ने अपने आखिरी पैगाम कुरआन में कुछ यूं कहा है कि:


*ज़मीन में जितने पेड़ हैं, अगर वो सब के सब क़लम बन जाएँ और समुद्र (दवात बन जाए) जिसे सात और समुद्र स्याही जुटाएँ, तब भी अल्लाह की बातें (लिखने से) ख़त्म न होंगी। बेशक अल्लाह ज़बरदस्त और हिकमतवाला है।*

📓(कुरआन 31:27)


*ऐ नबी! कहो कि अगर समन्दर मेरे रब की बातें लिखने के लिये रौशनाई बन जाए तो वो ख़त्म हो जाए, मगर मेरे रब की बातें ख़त्म न हों, बल्कि अगर उतनी ही रौशनाई हम और ले आएँ तो वो भी काफ़ी न हो।*

📓(कुरआन 18:109)


हमारी क़ायनात को चलाने में काम करने वाले कानूनों में पिछले 13.8 अरब साल गुजर जाने के वाबजूद कोई तब्दीली नही आई है और ये सब कानून इस कदर नपे तुले हिसाब के साथ वुज़ूद में आये थे कि अगर इसके मूल्यों (values) में एक मिली मीटर का भी फ़र्क़ हुआ होता तो ये क़ायनात मुकम्मल तरीके से तबाह और बर्बाद हो जाती और कभी भी इस सूरत में नही हो सकती थी जिस सूरत में आज ये क़ायनात मौजूद है।

उदाहरण के लिए क़ायनात एक खास रफ्तार और विस्तार या फैलाव (expansion) के साथ फैल रही है अगर उस रफ्तार और फैलाव (expansion) में एक मिलीमीटर या जर्रे बराबर का भी फ़र्क़ हो जाए तो ये क़ायनात उसी वक़्त खत्म हो जाएगी।

जैसे इस क़ायनात की रफ्तार और फैलाव (expansion) मे एक मिलीमीटर की कमी कर दी जाए या एक मिलीमीटर की ज्यादती कर दी जाए तो ये क़ायनात उसी वक़्त खत्म हो जाएगी, जरा सोचिए कि वह कौन है?  जो इस क़ायनात की रफ्तार और फैलाव (expansion ) को इतना अच्छे से कंट्रोल कर रहा है?


हक़ीक़त ये है कि अल्लाह ही है जो आसमानों और ज़मीन को टल जाने से रोके हुए है और अगर वो टल जाएँ तो अल्लाह के बाद कोई दूसरा इन्हें थामनेवाला नहीं है।

📓(कुरआन 35:41)


जब बिग बैंग हुआ और ये क़ायनात वुज़ूद मे आई उस समय क़ायनात मे ज़िंदगी के मुमकिन होने के लिए *10^10^123 (10 to the power 10 to the power 123)* सम्भावना मे से सिर्फ एक सम्भावना ऐसी थी जिससे इस क़ायनात मे ज़िंदगी का होना मुमकिन था ये 10^10^123 (10 to the power 10 to the power 123) इतना बड़ा नम्बर है कि न तो हम इसको लिख सकते और न ही इस नम्बर की गणना (calculate) कर सकते है और इतनी बड़ी सम्भावना का होना प्रायिकता (probability) के खिलाफ है, और इतनी ज्यादा संभावनाओं में से सिर्फ एक संभावना का होना  प्रायिकता (probability) में 0 माना गया है यानि के यह बात नामुमकिन है कि इस क़ायनात में ज़िंदगी एक्सीडेंटिली वज़ूद में आ गई।

जब बिग बैंग हुआ और ये क़ायनात बनी तो उस समय कोई ज़िंदगी मौजूद नही थी तो फिर इस क़ायनात में ज़िंदगी का वुज़ूद कैसे मुमकिन हुआ जीव विज्ञान (biology) का एक नियम है कि:

Living cell can never be produced from non living source.

यानी ज़िंदा चीज़  कभी भी मुर्दा चीज़ से नही बनाई जा सकती ज़िंदा चीज़ हमेशा ज़िंदा चीज़ो से ही बनेगी, जैसे आप दुनिया के सारे केमिकल जोड़ कर भी खून (blood ) नही बना सकते इसलिए ही ज़िंदा इंसान का खून ही दूसरे इंसान को दिया जा सकता है। इसी बात को मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी रह० अपनी किताब शांति मार्ग में कुछ यूं लिखते है कि:

आदमी का शरीर जिन पदार्थो से मिलकर बना है, उन सबको साइंसदानो ने अलग-अलग करके देखा तो मालूम हुआ कि कुछ लोहा हैं, कुछ कोयला, कुछ गन्धक, कुछ फास्फोरस, कुछ कैल्शियम, कुछ नमक, कुछ गैसे और बस ऐसी ही कुछ और चीजे हैं, जिनकी पूरी कीमत कुछ रूपयों से अधिक नही हैं। ये चीजे जितने-जितने वजन के साथ आदमी के शरीर मे शामिल हैं उतने ही वजन के साथ उन्हे ले लीजिए और जिस प्रकार जो चाहे मिलाकर देख लीजिए, आदमी किसी तरकीब से न बन सकेगा। फिर किस प्रकार आपकी अक्ल यह मान सकती हैं कि उन कुछ बेजान चीजो से देखता, सुनता, बोलता, चलता-फिरता इन्सान वह इन्सान जो हवा  जहाज और रेडियो बनाता हैं, किसी कारीगर की हिकमत और सूझबूझ के बिना आप-से-आप बन जाता है? 

कभी आपने सोचा कि मॉ के पेट की छोटी-सी फैक्ट्री मे किस प्रकार आदमी तैयार होता हैं? बाप की कारसाजी का इसमें कोई हाथ नही, मॉ की हिकमत का इसमें कोर्इ काम नही। एक छोटी-सी थैली में दो कीड़े जो सूक्ष्म-दर्शक यंत्र (Microscope) के बिना देखे तक नही जा सकते, न जाने कब आपस मे मिल जाते हैं। मां के खून ही से उनको खुराक पहुचना शुरू होती हैं, वही लोहा, गन्धक, फास्फोरस वगैरह सब चीजे जिनको मैने उपर बयान किया, एक खास वजन और एक खास अनुपात के साथ वहॉ जमा होकर लोथड़ा बनती है, फिर उस लोथड़े मे जहॉ आंखे बननी चाहिए वहा आंखे बनती है, जहां कान चाहिए वहां कान बनते हैं, जहॉ दिमाग बनना चाहिए वहां दिमाग बनता है, जहा दिल बनना चाहिए वहां दिल बनता है, हडडी अपनी जगह पर, मांस अपनी जगह पर, रगें अपनी जगह पर, यानी एक-एक पुर्जा अपनी-अपनी जगह पर ठीक बैठता हैं। फिर उसमें जान पड़ती हैं, देखने की ताकत, सुनने की ताकत, चखने और सुघने की ताकत, बोलने की ताकत , सोचने और समझने की ताकत, और कितनी ही अनगिनत ताकते उसमें भर जाती हैं। इस प्रकार जब इन्सान पूर्ण हो जाता हैं तो पेट की वही छोटी-सी फैक्ट्री, जहां नौ महीने तक वह बन रहा था, खुद जोर लगाकर उसे बाहर ढकेल देती हैं और संसार यह देख कर चकित रह जाता हैं कि इस फैक्ट्री मे एक ही तरीके से लाखों इन्सान रोज बनकर निकल रहे हैं, किन्तु हर एक का नमूना भिन्न और अलग हैं, शक्ल अलग, रंग अलग, आवाज, ताकतें और सलाहियते अलग, स्वभाव और विचार अलग, आचार और खूबियॉ अलग, यानी एक ही पेट से निकले हुए दो सगे भा तक एक-दूसरे से नही मिलते । यह ऐसा चमत्कार हैं जिसे देख कर अक्ल दंग रह जाती हैं। इस चमत्कार को देख कर भी जो इन्सान यह कहता हैं कि यह काम किसी जबरदस्त हिकमत, सूझबूझ और जबरदस्त ताकतवाले और जबरदस्त ज्ञान रखनेवाले और अनुपम चमत्कार रखने श्वर के बिना हो रहा हैं या हो सकता हैं, निश्चय ही उसका दिमाग ठीक नही हैं। उसको अक्लमंद समझना अक्ल का अपमान करना हैं। कम-से-कम मै तो ऐसे व्यक्ति को इस योग्य नही समझता कि किसी बौद्धिक और माकूल मसले पर उससे बात-चीत करूॅ।


हमने इन्सान को मिट्टी के सत् से बनाया, फिर उसे एक महफ़ूज़ जगह टपकी हुई बूँद में तब्दील किया, फिर उस बूँद को लोथड़े की शक्ल दी, फिर लोथड़े को बोटी बना दिया, फिर बोटी की हड्डियाँ बनाईं, फिर हड्डियों पर गोश्त चढ़ाया, फिर उसे एक दूसरा ही जानदार बना खड़ा किया। तो बड़ा ही बरकतवाला है अल्लाह, सब कारीगरों से अच्छा कारीगर।

📓(कुरआन 23:12-14)


जरा अब आप सोचिए! एक मामूली बल्ब जो आपके सामने जल रहा है, गज भर कपड़ा जिसे आप पहने हुए है, घड़ी जिसमे आप समय देखते है, मोबाइल जो आपके हाथ में है, हवाई जहाज जिसे रात दिन आप उड़ते हुए देखते है और एक मामूली सी कार, जब  इन सब चीजों के बारे में आपकी अक्ल यह नहीं मान सकती कि वह किसी बनाने वाले के बिना बन गई है और किसी चलाने वाले के बिना चल रही है। तो इतनी बड़ी कायनात के बारे में आपकी अक्ल इसपर किस प्रकार यकीन कर सकती है कि वह किसी बनाने वाले के बिना बन गई है? और किसी चलाने वाले के बिना चल रही है?


आईए अब साइंस के जरिए समझते है कि क्या इस कायनात को बनाने वाला कोई है या ये कायनात खुद व खुद बन गई है?

फिजिक्स के लॉ ऑफ कॉस एंड इफेक्ट (law of cause and effect) से भी यही बात साबित होती है कि इस क़ायनात को किसी ने बनाया है, ये खुद व खुद नही बन सकती है, लॉ ऑफ कॉस एंड इफेक्ट ये कहता है कि हर इफेक्ट के पीछे कॉस भी मौजूद होता है, इस क़ायनात में कही भी कुछ भी इफेक्ट हो रहा होता है तो उसके पीछे कोई कॉस मौजूद होता है और हर इफेक्ट का कोई का कोई प्रारभिक बिंदु (starting point) होता है जिसे हम फर्स्ट कॉस कहते है, इस क़ायनात में कोई भी इफेक्ट हो रहा हो उसके पीछे फर्स्ट कॉस का होना जरूरी है  अगर किसी इफेक्ट का फर्स्ट कॉस ही न हो तो वह इफेक्ट कभी भी नही हो सकता है, और जब हम साइंस के इसी नियम को क़ायनात पर लगाते हैं तो हमें ये मानना ही पड़ेगा कि इस क़ायनात का भी फर्स्ट कॉस होना चाहिए जिसकी वजह से ये सारी क़ायनात वुजूद में आई,  इस क़ायनात को वुजूद मे लाने के लिए जो फर्स्ट कॉस ज़िम्मेदार है उसी को हम खुदा कहते हैं !


सवाल: खुदा लॉ ऑफ कॉस एंड इफेक्ट में क्यों नही आएगा?

जवाब - क्योंकि ये नियम फिजिक्स का है और फिजिक्स का विषय ये क़ायनात है, लिहाजा इस क़ायनात के अंदर जो भी चीज़ होगी वो इस कानून के ताबे होगी इस क़ायनात के बाहर यानी टाइम एंड स्पेस से बाहर जो भी जात होगी, वो इस कानून के ताबे नही होगी, चूंकि खुदा इस क़ायनात से बाहर है इसलिए ये कानून खुदा पर लागू नही होगा।

ये क़ायनात हमारे सामने मौजूद है, इस लिए इस क़ायनात का फर्स्ट कॉस भी मानना पड़ेगा चूंकि खुदा इस क़ायनात का फर्स्ट कॉस है इसलिए भी खुदा इस कानून के अंदर नही आएगा, क्योंकि क़ायनात के वुजूद के लिए फर्स्ट कॉस का होना भी जरूरी है। नही तो हम कभी न खत्म होने वाली चैन मे फंस जाएंगे जिसकी वजह से कायनात का वुजुद में आना ही नामुमकिन हो जायेगा।

कुछ लोगों ने पैगम्बर मुहम्मद ﷺ से इस कायनात की पैदाइश के बारे में पता किया तो  पैगम्बर मुहम्मद ﷺ फरमाया:-


अल्लाह तआला अजल (हमेशा) से मौजूद था और उसके सिवा कोई चीज मौजूद न थी। फिर उसने कलम बनाई और जो कुछ होने वाला था सब कुछ लिख दिया फिर अल्लाह ने आसमानों और जमीन को पैदा किया।

📓(सहीह बुखारी : 3191)


जब पैगम्बर मुहम्मद ﷺ ने बिस्तर पर तशरीफ ले जाते तो ये कहा करते थे: ऐ अल्लाह, ऐ आसमानों और जमीन के मालिक और हर चीज के मालिक, ऐ दाने और गुठली को फाड़ने वाले, ऐ तौरात (old testament), इंजील (new testament) और कुरआन ए अजीम (Final testament) को नाजिल फरमाने वाले, मैं हर उस जानदार के शर से तेरी पनाह में आता हूं जिसकी पेशानी तेरे कब्जे में है। *तु ही अव्वल (first) है तुझ से पहले कुछ नहीं, तु ही आखिर (last) है तेरे बाद कुछ नहीं, तु ही जाहिर है तुझ से उपर कुछ नहीं, तु ही बातीन (छुपा हुआ) है तुझ से छुपा हुआ कुछ भी नहीं।*

📓(इब्ने माजा : 3873)


अब तक ये जितनी भी बातें हुई हैं इन सब बातों पर गौर-ओ-फिक्र करके कोई भी इंसान एक super controlling authority  तक पहुँच सकता है, और वही super controlling Authority खुदा है जो इस क़ायनात का अकेला मालिक और अकेला खालिक है।


अल्लाह कुरआन में नास्तिको (atheists) से सवाल करता है:-


क्या ये किसी ख़ालिक़ (बनाने वाले) के बग़ैर ख़ुद पैदा हो गए हैं? या ये ख़ुद अपने पैदा करने वाले हैं?

या ज़मीन और आसमानों को इन्होंने पैदा किया है? असल बात ये है कि ये यक़ीन नहीं रखते।

 📓(कुरआन 52:35-36)

 

अगर तुम इनसे पूछो कि ज़मीन और आसमानों को किसने पैदा किया है, तो ये ज़रूर कहेंगे कि अल्लाह ने। कहो अलहम्दुलिल्लाह! (तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिये हैं) मगर इनमें से अक्सर लोग जानते नहीं हैं। 

📓(कुरआन 31:25)


अल्लाह खुद अपनी पहचान कुछ इस तरह कराता है-


कह दो बात ये है अल्लाह हर लिहाज से एक है अल्लाह ही ऐसा है, कि सब उसके मोहताज़ हैं, वह किसी का मोहताज़ नहीं।न उसकी कोई औलाद है, और न वह किसी की औलाद है। और उसके जोड़ (बराबर) का कोई भी नही।

📓(कुरआन 112:1-4)


साभार: अकरम हुसैन

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