निकाह से मुतअल्लिक अहम मालूमात
B. निकाह के दौरान (During Nikah) (पार्ट - 3)
x. निकाह आसान और मुख़्तसर मुद्दत में ख़त्म किया जा सकता है:
2. वली की रज़ामंदी, दो गवाहों की मौजूदगी, लड़का और लड़की का इजाब व क़ुबूल — ये सब सिर्फ़ आधे घंटे में अंजाम दिया जा सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि: “सिर्फ़ आधे घंटे में निकाह हो सकता है, इंशा अल्लाह।”
xi. निकाह के वक़्त किए गए शर्तिया वादों की जाइज़ व नाजाइज़ क़समें:
नोट: कुछ शर्तिया वादे सही होते हैं और उनकी वफ़ा ज़रूरी होती है। कुछ शर्तें फ़ासिद होती हैं लेकिन अक़्द-ए-निकाह को नहीं तोड़तीं, सिर्फ़ शर्त ساقित हो जाती है। जबकि कुछ शर्तें फ़ासिद भी होती हैं और निकाह को बातिल भी कर देती हैं।
a. जाइज़ शर्तिया वादे: (अगर मर्द मान ले, जैसे:)
2. तालीम की तकमील या इस्तिमरार
3. मुस्तक़िल घर
4. जाइज़ काम या कारोबार की इजाज़त
5. खादिमा की मांग
6. मर्द के लिए जाइज़ है कि वह शर्त लगाए बारी और नफ़क़े में नरमी के लिए — लेकिन मन-ए-हम्ल (प्रेगनेंसी रोकने) की शर्त नहीं लगा सकता।
यह ऐसे हुकूक़ हैं जो न पूरे होने पर माफ़ भी किए जा सकते हैं या उन पर गिरफ़्त कर के हक़-ए-फस्ख़ (निकाह तोड़ने का हक़) भी तलब किया जा सकता है।
b. नाजाइज़ शर्तिया वादे:
पहली बीवी से तलाक़ का मुतालिबा (निकाह सही है, लेकिन पहली बीवी को तलाक़ देना लाज़िम नहीं — क्योंकि यह शर्त फ़ासिद है। – इब्न बाज़)
c. नाजाइज़ शर्तें:
जो फ़ासिद भी हैं और निकाह को बातिल भी कर देती हैं:
2. किसी दूसरे के लिए औरत को हलाल करने के लिए निकाह (हलाला)
3. निकाह मुतअह (मियादी / टेम्पररी निकाह)
xii. मुनकरात व मुख़ालिफ़ात जिनसे बचना ज़रूरी है:
2. बहुत ज़्यादा मेहर बांधकर मुआशरे को तकलीफ़ में डालना।
3. दावत में सिर्फ़ मालदार को बुलाना और ग़रीब को न बुलाना।
4. वक़्त बरबाद करना, वक़्त की पाबंदी न करना।
5. बिना वजह और यादगार तस्वीरें लेना।
6. नाचना।
7. गाना।
8. म्यूज़िक (मौसीकी)।
9. ट्रैफिक और रास्ते ख़राब करना या रुकावट डालना।
10. लड़के का सोना पहनना।
11. शराब।
12. मर्द और औरत का एक-दूसरे की मुशाबहत इख़्तियार करना।
13. इख़्तिलात (ग़ैर महरम मर्दों और औरतों का मिलना-जुलना)।
14. फ़ुज़ूलखर्ची।
15. सेहरा बांधना।
16. बातिल तरीक़े से माल खाना और दहेज लेना-देना।
17. बारात के साथ बैंड-बाजा।
18. ख़ुत्बा से पहले तजदीद-ए-कलिमा करवाना।
19. हाज़िरीन-ए-निकाह को छुवारे तक़सीम करने को लाज़मी समझना।
20. जूता-चप्पल की चोरी की रस्म।
21. पैर से दूध का प्याला गिराकर घर में दाख़िल होने की रस्म।
22. कुरआन सर पर रखकर घर में दाख़िल होने की रस्म।
23. मुँह दिखाई, घर भरनी या चिल्ला की रस्म (शादी या ज़चगी के बाद)।
24. मुहर्रम में शादी न करना।
25. तलाक़ की नीयत से निकाह करना।
26. अजनबी औरत से मुसाफहा (हाथ मिलाना)।
27. अपनी बीवी को ढूंढने के लिए औरतों में चले जाना।
28. टाइट कपड़े पहनना।
29. मर्द का टख़नों से नीचे कपड़े लटकाना।
30. दाढ़ी मुंडवाना।
31. औरत का ख़ुशबू लगाना।
32. औरत की बेपर्दगी।
33. औरत का बारीक या चुस्त (टाइट) कपड़े पहनना।
34. पलकें उखाड़ना (इलाज, ऐब या ज़रर दूर करने के लिए कुछ बाल निकालने की इजाज़त है, लेकिन ज़ीनत के लिए नहीं)।
35. बालों में बाल लगाना।
36. टैटू बनवाना।
37. शादी को बाक़ी रखने की ग़रज़ से वहमी रस्में / मख़सूस अंगूठी, पत्थर, छल्ला, माला, काली पोट का लच्छा, तावीज़ात वग़ैरह।

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