1. आशूरा के रोज़े की फ़ज़ीलत
आशूरा का रोज़ा इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए कई हदीसों में विशेष सवाब का वर्णन मिलता है। यह मुहर्रम महीने के 10वें दिन रखा जाता है।
आशूरा के रोज़े की फ़ज़ीलत हदीसों के आधार पर
i. पिछले एक साल के गुनाहों की माफ़ी:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया, "मैं अल्लाह से उम्मीद करता हूँ कि आशूरा 10 मुहर्रम का रोज़ा पिछले एक साल के गुनाहों का कफ्फारा बन जाएगा।" [सहीह मुस्लिम, हदीस 1162]
ii. यहूदियों से अलग करने के लिए 9 और 10 या 10 और 11 मुहर्रम रोज़े रखें:
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने देखा कि यहूदी भी 10 मुहर्रम का रोज़ा रखते हैं,
तो आपने कहा "अगले साल हम 9 मुहर्रम का भी रोज़ा रखेंगे यहूदियों से अलग करने के लिए।" [सहीह मुस्लिम, हदीस 1134]
इसलिए सुन्नत तरीका यह है:
- 9 + 10 मुहर्रम या
- 10 + 11 मुहर्रम के रोज़े रखें
iii. आशूरा के दिन अल्लाह ने कई बड़ी नेमतें अता कीं:
इस दिन की फ़ज़ीलत इसलिए भी है क्योंकि,
- हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और बनी इसराइल को फिरौन से नजात मिली।
- हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती ज़मीन पर लगी।
- हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट से निकाले गए।
[तफ्सीर इब्न कसीर, सूरह ताहा 20 77 से 79]
2. आशूरा का रोज़ा रखने का सही तरीका
- 9 और 10 मुहर्रम के रोज़े रखें यह सबसे अफज़ल है।
- अगर न रख सकें, तो सिर्फ 10 मुहर्रम का रोज़ा रखें लेकिन यहूदियों से मिलता है, इसलिए 9 या 11 का भी रोज़ा मिलाएँ।
- जो पहली बार रोज़ा रख रहा हो, उसके लिए सिर्फ 10 मुहर्रम का रोज़ा भी काफी है।
3. आशूरा के दिन अन्य अमल सुन्नतें और दुआएँ
- दान सदक़ा दें इस दिन दान का बड़ा सवाब है।
- अपने परिवार पर रक़मत खर्च बढ़ाएँ सुन्नत है।
- ज्यादा से ज्यादा इस्तिगफार तौबा करें।
निष्कर्ष
- आशूरा 10 मुहर्रम का रोज़ा पिछले साल के गुनाह मिटा देता है।
- सुन्नत तरीका 9 और 10 मुहर्रम रोज़े रखें।
- इस दिन दान करें, परिवार पर खर्च बढ़ाएँ और दुआएँ करें।
अल्लाह हमें आशूरा के रोज़े की तौफ़ीक़ दे और हमारे गुनाह माफ़ करे।
आमीन
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