ताग़ूत का इनकार [पार्ट-10]
(यानि कुफ्र बित-तागूत)
जम्हूरियत (Democracy) आज के दौर का ताग़ूत कैसे है?
ताग़ूत का मतलब होता है हर वो चीज़ या शख्स जो इंसान को अल्लाह की इबादत और शरीअत से दूर करके किसी और के कानून या हुकूमत को मानने पर मजबूर करे। कुरआन और हदीस में ताग़ूत से बचने की ताकीद की गई है। ताग़ूत वो है जो अल्लाह की हुकूमत और उसकी बनाई हुई शरीअत के खिलाफ हो।
ताग़ूत की पहचान:
कुरआन में अल्लाह ने फरमाया:
और यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) ने कहा, "हुकूमत और इक़्तिदार अल्लाह के सिवा किसी के लिये नहीं है। उसका हुक्म है कि ख़ुद उसके सिवा तुम किसी की बन्दगी न करो। ज़िन्दगी का यही ठेठ सीधा तरीक़ा है, मगर ज़्यादातर लोग जानते नहीं हैं।" [अल-क़ुरआन 12:40]
इस आयत से ये वाजेह होता है कि कानून बनाने का हक़ सिर्फ अल्लाह को है। जम्हूरियत (Democracy) में कानून जनता के मुताबिक बनाए जाते हैं, यानि इंसान खुद फैसला करता है कि सही क्या है और गलत क्या है। इससे अल्लाह के कानून को दरकिनार कर दिया जाता है, जो शिर्क और ताग़ूत के दायरे में आता है।
जम्हूरियत (Democracy) और अल्लाह का कानून:
जम्हूरियत का असल मक्सद ये होता है कि बहुमत के कहने पर फैसले किए जाते हैं, चाहे वो फैसले शरीअत के खिलाफ ही क्यों न हों। अगर बहुमत ने कोई ऐसा कानून बना दिया जो अल्लाह के हुक्म के खिलाफ हो, तो उसे भी मानना पड़ेगा। यही चीज़ ताग़ूत का बड़ा जरिया है। जम्हूरियत में इंसानी सोच को अल्लाह के हुक्म से ऊपर रखा जाता है, जबकि इस्लाम में सिर्फ अल्लाह का हुक्म ही सबसे ऊपर होता है।
जम्हूरियत के ख़तरनाक असरात:
इस तरह की हुकूमत का नतीजा ये होता है कि शरीअत को नजरअंदाज किया जाता है। इंसानी कानून अल्लाह के कानून की जगह ले लेते हैं।
लोग अल्लाह के बताए हुए सही और गलत की जगह इंसानी फैसले मानने लगते हैं।
इस्लाम की नजर में ये ताग़ूत इसलिए है क्योंकि अल्लाह की जगह इंसानों को कानून बनाने का हक़ दिया गया, जो कि शरीअत के खिलाफ है।
ताग़ूत से बचने की हिदायत:
अल्लाह ने फरमाया: “और हमने हर उम्मत में एक रसूल भेजा कि अल्लाह की इबादत करो और ताग़ूत से बचो।” [अल-क़ुरआन 16:36]
ताग़ूत से बचने का मतलब ये है कि हमें सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह के कानून और शरीअत को मानना चाहिए। जो भी इंसान या सिस्टम हमें अल्लाह के कानून से हटाकर किसी और के कानून को मानने पर मजबूर करे, वो ताग़ूत है और उससे बचना हर मुसलमान पर फर्ज़ है।
आज के दौर में जम्हूरियत (Democracy) ताग़ूत इसलिए है क्योंकि ये इंसानों के बनाए हुए कानूनों को अल्लाह के कानूनों से ऊपर मानती है। हमें अल्लाह के कानून के मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी गुजारनी चाहिए, ना कि बहुमत के फैसले पर।
- मुवाहिद
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