Kya haya (sharm) sirf auraton ke liye hai? (Part-5)

Kya haya (sharm) sirf auraton ke liye hai? (Part-5)


क्या हया (शर्म) सिर्फ़ औरतों के लिए है?

इंसानी जिंदगी में लिबास का किरदार

हया के लिए इंसानी जिंदगी में लिबास का एक अहम किरदार है, बल्कि ज़रूरी है की इंसान का लिबास धारण करे और ऐसा लिबास जो शरियत ए इस्लामिया ने हमारे लिय जायज़ करार दिया है। लिबास इंसान की शख़्सियत को निखारता हैं उसकी जीनत को चार चांद लगा देता है साथ ही उसकी हया की हिफ़ाज़त भी करता है और इसी लिबास को उतरवा कर बेहयाई को आम करना शैतान की चाल है।


लिबास और पर्दा खत्म करना शैतान की एक बड़ी चाल:

कुरान में लिबास की एहमियत पर कुछ आयतें बयान हुई हैं-

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने सबसे पहले हजरत आदम अलैहिस्सलाम और अम्मा हव्वा को लिबास अता किया। शैतान ने अपने घमण्ड में अल्लाह की नाफरमानी की और आदम अलैहिस्सलाम के आगे सज्दा नहीं किया और अपनी जलन की वजह से उन दोनों को अल्लाह की नाफरमानी पर आमादा किया।

इस तरह धोखा देकर वो उन दोनों को धीरे-धीरे अपने तरीक़े पर ले आया। आख़िरकार जब उन्होंने उस पेड़ का मज़ा चखा तो उनके सतर  [गुप्तांग] एक-दूसरे के सामने खुल गए और वो अपने जिस्मों को जन्नत के पत्तों से ढाँकने लगे। तब उनके रब ने उन्हें पुकारा, “क्या मैंने तुम्हें इस पेड़ से न रोका था और न कहा था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?” [सूरह आराफ़ आयात 22]

तब से अब तक शैतान इसी ताक में रहता है कि मर्द वा औरत का लिबास उतार कर उन्हें नंगा कर दे जिससे इंसान बेहयाई के जाल में फंसकर अपने रब की अता की हुए नेमतों, उसकी अता की हुई जिंदगी का मक़सद, नबी  ﷺ की तालीमात की नाफरमानी कर के उस इब्लिस का पैरोकार बन जाए। अपने, घर, परिवार, रिश्तेदार और मुआशरे में जलील वा रुसवा होता फिरे, अल्लाह को नाराज़ करे और जहन्नम को अपना ठिकाना बना ले।

क्यों कि अल्लाह से उसका वादा है,

बोला, “अच्छा तो जिस तरह तूने मुझे गुमराही में डाला है, मैं भी अब तेरी सीधी राह पर इन इनसानों की घात में लगा रहूँगा, आगे और पीछे, दाएँ और बाएँ, हर तरफ़ से इनको घेरूँगा और तू इनमें से ज़्यादातर लोगों को शुक्रगुज़ार न पाएगा।" [सूरह अराफ आयात 16, 17]


ईरशाद ए बारी ताला है, 

"शैतान तुम्हें ग़रीबी से डराता है और बेहयाई की राह अपनाने के लिये उकसाता है, मगर अल्लाह अपनी बख्शिश और मेहरबानी की उम्मीद दिलाता है। अल्लाह बड़ी वुसअत वाला और सब कुछ जानने वाला है।" [सूरह बक़रह 2:268]

अल्लाह ने अपनी आखिरी किताब में शैतान की इसी चाल से आगाह करते हुए फ़रमाया:

"ऐ आदम की औलाद! मैंने तुम पर लिबास उतारा है जो तुम्हारे जिस्म के क़ाबिले-शर्म हिस्सों को ढाँके और तुम्हारे लिये जिस्म की हिफ़ाज़त और खूबसूरती का ज़रिआ भी हो और बेहतरीन लिबास तक़वा का लिबास है। ये अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है, शायद कि लोग इससे सबक़ लें।" [सूरह अराफ़ 26]

ऐ आदम की औलाद! ऐसा न हो कि शैतान तुम्हें फिर उसी तरह फ़ितने(आजमाइश) में डाल दे, जिस तरह उसने तुम्हारे माँ-बाप को जन्नत से निकलवाया था और उनके लिबास उन पर से उतरवा दिए थे; ताकि उनकी शर्मगाहें एक-दूसरे के सामने खोले। वो (शैतान) और उसके साथी तुम्हें ऐसी जगह से देखते हैं जहाँ से तुम उन्हें नहीं देख सकते। इन शैतानों को हमने उन लोगों का सरपरस्त बना दिया है जो ईमान नहीं लाते।" [सूरह अराफ़ 27]

ये लोग जब कोई बेहयाई का काम करते हैं तो कहते हैं, हमने अपने-बाप-दादा को इसी तरीक़े पर पाया है और अल्लाह ही ने हमें ऐसा करने का हुक्म दिया है। इनसे कहो, “अल्लाह कभी भी बेशर्मी का हुक्म नहीं देता।”

"क्या तुम अल्लाह का नाम लेकर वो बातें कहते हो जिनके बारे में तुम्हें जानकारी नहीं है।" [सूरह आराफ़ 28]

"ऐ नबी ! इनसे कहो: मेरे रब ने तो सच्चाई और इंसाफ़ का हुक्म दिया है और उसका हुक्म तो ये है कि हर इबादत में अपना रुख़ ठीक रखो और उसी को पुकारो अपने दीन को उसके लिये ख़ालिस रखकर, जिस तरह उसने तुम्हें अब पैदा किया है उसी तरह तुम फिर पैदा किये जाओगे।" [सूरह आराफ़ 29]

या रब हम मुस्लमानों को हर फितना, अजमाइश से महफूज़ रख शैतान के चाल से हमारी हिफाजत फरमा हमें जहन्नम के आग से बचा!

आमीन 

अगली कड़ी (पार्ट-6) में कुछ ख़ास बिंदुओं पर रोशनी डालेंगे इन शा अल्लाह


आपकी दीनी बहन 
फ़िरोज़ा   

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