खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (070) अल मआरिज
सूरह (070) अल मआरिज
(i) क़यामत का आना
मांगने वालों ने जब अज़ाब ही मांगा है तो वह अल्लाह ज़िल मआरिज (बुलंद व बाला) की तरफ़ से आयेगा जहां पहुंचने में फ़रिश्तों और रूह यानी जिब्रील को पचास हज़ार साल लगते हैं। (1 से 4)
(ii) क़यामत का दृश्य
आसमान पिघली हुई चांदी और पहाड़ धुनी हुई रुई की तरह हो जाएगा। जिगरी दोस्त एक दुसरे को दिखाए जाएंगे लेकिन वह एक दूसरे से बात नहीं करेंगे। बल्कि मुजरिम तो अपनी बीवी, अपने भाई, अपने मोहसिन, और दुनिया के तमाम लोगों को बदले में दे कर बचना चाहेगा लेकिन वह तो आग की लिपट हो होगी जो चमड़ी तक उधेड़ देगी। (8 से 16)
(iii) इंसान तंगदिल है।
इंसान थुड़दिला (तांगदिल) पैदा किया गया है। जब मुसीबत आती है तो घबरा जाता है और जब ख़ुशहाली आती है तो नाशुक्रा हो जाता है। (19 से 21)
(iv) जन्नत के वारिस कौन
◆ जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं,
◆ अपने माल में मांगने वाले और न मांगने वाले ग़रीबों का हक़ समझते हैं,
◆ आख़िरत के दिन को सच जानते हैं,
◆ रब के अज़ाब से डरते हैं,
◆ शर्मगाह की हिफ़ाज़त करते हैं,
◆ अमानत में ख़यानत और वादा ख़िलाफ़ी नहीं करते,
◆ अपनी शहादत को क़ायम रख्ते हैं
◆ अपनी नमाज़ों की हिफ़ाज़त करते हैं।
(23 से 35)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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