Allah ki raah mein kharch karne ka tariqa

Allah ki raah mein kharch karne ka tariqa


अल्लाह की राह मे खर्च करने का तरीक़ा 

अल्लाह की राह मे खर्च करने का क्या तरीक़ा कुरआन मजीद में बयान किया गया हैं-


1. सिर्फ अल्लाह की खुशनूदी के लिऐ:

सबसे पहले चीज़ तो यही है के खर्च करने में सिर्फ अल्लाह की रज़ा और उसकी खुशी हासिल करना ही इंसान का मकसद होना चाहिए किसी को अपना एहसानमंद बनाने या दुनिया में नाम हासिल करने के लिए नही खर्च किया जाए। 

وَمَا تُنفِقُونَ إِلَّا ٱبْتِغَآءَ وَجْهِ ٱللَّهِ ۚ

"तुम जो कुछ भी खर्च करते हो उससे अल्लाह की रज़ा के सिवा तुम्हारा और कोई मकसद नहीं होता।"

[क़ुरआन 2: 272]


2. एहसान न जताया जाए:

दूसरी चीज़ ये है के किसी को रोटी खिलाकर, कपड़ा पहना कर, पैसे देकर, एहसान न जताया जाए जिससे उसके दिल को तकलीफ पहुंचे और यही बात हमे कुरआन में भी बताई गई है-

ٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمْوَٰلَهُمْ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ ثُمَّ لَا يُتْبِعُونَ مَآ أَنفَقُوا۟ مَنًّۭا وَلَآ أَذًۭى ۙ لَّهُمْ أَجْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ وَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ

"जो लोग अल्लाह की राह में खर्च करते हैं और फिर खर्च करके एहसान नहीं जताते और तकलीफ़ नहीं पहुंचाते, उनके लिए अल्लाह के यहां बदला है और उन्हें किसी नुक़सान का डर या रंज नहीं।"

[कुरआन 2:262]

रही वो ख़ैरात जिसके बाद तकलीफ़ पहुंचाई जाए तो इससे तो यही अच्छा है के मांगने वाले को नरमी से टाल दिया जाए और उससे कह दिया जाए कि भाई माफ कीजिए।


3. बेहतर माल दिया जाए:

तीसरी चीज़ यही है के अल्लाह की राह में बेहतर माल दिया जाए, बुरा छांट कर न दिया जाए। जो लोग किसी गरीब को देने के लिए फटे-पुराने कपड़े तलाश करते है या किसी फ़कीर को खिलाने के लिऐ बुरे से बुरा खाना निकालते है उस इंसान को ऐसे ही बदले की अल्लाह से भी उम्मीद रखनी चाहिए।

अगर हम ये सोचे कि कैसा भी है हम खर्च कर तो रहे है तो फिर अल्लाह भी आपके साथ ऐसा ही बदल रखेगा। बेशक अल्लाह अच्छी चीजों को पसंद करता है और बुरी चीजों को नापसन्द और यही बात हमे कुरआन में सूरह बकरा आयात 267 में बताया गया है कि, 

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَنفِقُوا۟ مِن طَيِّبَـٰتِ مَا كَسَبْتُمْ وَمِمَّآ أَخْرَجْنَا لَكُم مِّنَ ٱلْأَرْضِ ۖ وَلَا تَيَمَّمُوا۟ ٱلْخَبِيثَ مِنْهُ تُنفِقُونَ

"ऐ ईमानवालों! जो कुछ तुमने कमाया है और जो कुछ हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से निकाला उसमें से अच्छा माल अल्लाह कि राह में दो, ये ना करो के अल्लाह की राह में देने के लिऐ बुरे से बुरा तलाश करने लगो।"

[कुरआन 2 : 267]


4. माल जमा ना करे:

وَٱلَّذِينَ يَكْنِزُونَ ٱلذَّهَبَ وَٱلْفِضَّةَ وَلَا يُنفِقُونَهَا فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ فَبَشِّرْهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍۢ ٣٤

"और जो लोग सोना-चाँदी इकट्ठा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते, उन्हें दुखद अज़ाब की ख़बर सुनाओ।"

[कुरआन 9 : 34]


5. कंजूस न हों:

هانْتُمْ هُؤُلَاءِ تُدْعَوْنَ لِتُنْفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَمِنْكُمْ مَّنْ يَبْخَلُ وَمَنْ يَبْخَلُ فَإِنَّمَا يَبْخَلُ عَنْ نَّفْسِهِ وَاللَّهُ الْغَنِيُّ وَأَنْتُمُ الْفُقَرَاءُ وَ إِنْ تَتَوَلَّوْا يَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْ ثُمَّ لَا يَكُونُوا أَمْثَالَكُمْ

"तुम लोग ऐसे हो कि जब तुमसे ख़ुदा की राह में ख़र्च करने के लिए कहा जाता है, तो तुममें से बहुत-से लोग कंजूसी करते हैं और जो इस काम में कंजूसी करता है वह खुद अपने ही लिए कंजूसी करता है। अल्लाह तो ग़नी है। तुम ही उसके मुहताज हो। अगर तुमने ख़ुदा के काम में ख़र्च करने से मुँह मोड़ा तो वह तुम्हारी जगह दूसरी क़ौम को ले आएगा और वे तुम जैसे न होंगे।" 

[कुरआन, 47:38]

यह है उस ज़कात की हक़ीक़त जो आपके दीन का एक स्तंभ है। इसको दुनिया की हुकूमतों के टैक्सों की तरह सिर्फ़ एक टैक्स न समझिए; बल्कि असल में यह इस्लाम की रूह और जान है।

यह हक़ीक़त में ईमान का इमतिहान है। जिस तरह इमतिहानों में बैठकर एक दर्जे से दूसरे दर्जे में आदमी तरक़्क़ी करता है, यहाँ तक कि आख़िरी इमतिहान देकर ग्रेजुएट बनता है, उसी तरह ख़ुदा के यहाँ भी कई इमतिहान हैं, जिनसे आदमी को गुज़रना पड़ता है, और जब वह चौथे इमतिहान यानी माल की कुरबानी का इमतिहान कामयाबी के साथ दे देता है, तब वह पूरा मुसलमान बनता है, हालाँकि यह आख़िरी इमतिहान नहीं है।


आपकी दीनी बहन 
इक़रा 

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