ज़कात का निसाब
2, सोना (gold)
3, चांदी (silver)
4, तिजारत का सामान (business material)
5, जमीन की पैदावार (Land yield)
6, ऊंट (Camel)
7, बकरी या भेड़ (goat or sheep)
8, दफ़ीना (RIKAZ= buried treasure)
1, नक़दी (currency) में ज़कात
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में मूल मुद्रा (currency) दीनार था। उसके बाद दूसरे नंबर पर चांदी का दिरहम था, 20 दीनार से कम पर ज़कात नहीं थी। 20 दीनार होने पर आधा दीनार ज़कात मुक़र्रर थी जैसा कि हदीस में है।
عَنْ ابْنِ عُمَرَ وَعَائِشَةَ أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ يَأْخُذُ مِنْ كُلِّ عِشْرِينَ دِينَارًا فَصَاعِدًا نِصْفَ دِينَارٍ وَمِنْ الْأَرْبَعِينَ دِينَارًا دِينَارًا
नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर बीस दीनार पर आधा दीनार और 40 दीनार में एक दीनार के हिसाब से ज़कात लेते थे।
(सुनन इब्ने माजा हदीस नंबर 1791/ किताबुज़ ज़कात, सोने और चांदी की ज़कात का बयान)
20 दीनार का वज़न उस ज़माने में 7 1⁄2 तोला होता था, और एक तोला सोना का वज़न 11.66 ग्राम होता था। इस प्रकार साढ़े सात तोले का वज़न आज के पैमाने के हिसाब से 11.66×7.5=87.45 ग्राम बनता है। यानी आज के दौर में किसी के पास 87.45 ग्राम सोने के बराबर कैश लगभग चार लाख (400000) कैश हो तो उस पर ढाई प्रतिशत (2½%) ज़कात होगी वरना नहीं।
2, सोना (gold) में ज़कात
चूंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में सोने का सिक्का ही मूल मुद्रा (currency) थी इसलिए जिसके पास भी 87.45 ग्राम सोना यानी साढ़े सात तोला से ज़्यादा (चाहे किसी भी शक्ल में) हो तो उसपर ढाई प्रतिशत (2½%) ज़कात होगी।
3, चांदी (silver) में ज़ाक़त
5 औक़िया से कम में ज़कात नहीं जैसा कि हदीस में है
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया 5 औक़िया से कम चांदी में ज़कात नहीं है और 5 ऊंटों से कम में ज़कात नहीं है और 5 वस्क़ से कम ग़ल्ले में ज़कात नहीं है।
لَيْسَ فِيمَا دُونَ خَمْسِ أَوَاقٍ صَدَقَةٌ وَلَيْسَ فِيمَا دُونَ خَمْسِ ذَوْدٍ صَدَقَةٌ وَلَيْسَ فِيمَا دُونَ خَمْسِ أَوْسُقٍ صَدَقَةٌ
(सही बुख़ारी हदीस नंबर 1405, 1447, 1459/ किताबुज़ ज़कात, जो ज़कात अदा कर दे तो बाक़ी रक़म कंज़ में नहीं है, चांदी की ज़कात,)
एक औक़िया कितना होता है इसकी वज़ाहत भी हदीस में मौजूद है।
"मैं तुम्हारा यह ऊंट 4 दीनार में लेता हूं इस हिसाब से कि 1 दीनार 10 दिरहम का होता है। 4 दिनार का एक औक़िया होगा"
यानी 5 औक़िया चांदी 200 दिरहम हुई और 200 दिरहम का वज़न आज कल लगभग 612 ग्राम होता है। अगर किसी के पास 612 ग्राम या उस से ज़्यादा चांदी होगी तो उसपर ढाई प्रतिशत (2½%) ज़कात होगी।
أَخَذْتُهُ بِأَرْبَعَةِ دَنَانِيرَ وَهَذَا يَكُونُ وَقِيَّةً عَلَى حِسَابِ الدِّينَارِ بِعَشَرَةِ دَرَاهِمَ
(सही बुख़ारी 2718/ किताबुस शुरूत)
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4, तिजारत के सामान (business material) में ज़कात
जो भी सामान बिज़नेस के मक़सद से लिया गया हो चाहे वह मुस्तक़िल बिज़नेस हो या अस्थाई (temporary) अगर वह 87.45 ग्राम गोल्ड की क़ीमत के बराबर है तो उसपर ढाई फ़ीसद (2½%) ज़कात देनी होगी।
नोट:- ज़कात तिजारत के सामान पर नही होगी बल्कि उसकी असल मालियत पर होगी। इसलिए जिस दिन साल पूरा हो रहा हो उस दिन सामान की क़ीमत का अंदाज़ा लगाया जाएगा और उसके साथ फ़ायदे के वह रक़म भी जोड़ी जाएगी जो उसके पास बैलेंस में है
(मुनाफ़ा की रकम जो ख़र्च हो गई हो उसपर ज़कात नहीं होगी, ऐसे सामान ढोने वाली गाड़ियों और और माल तैयार करने वाली मशीनों पर भी ज़कात नहीं होगी चाहे वह कितनी ही क़ीमती क्यों न हों) फिर अगर वह माल ज़कात के निसाब को पहुंचता हो तो उसपर ढाई फ़ीसद ज़कात होगी।
5, ज़मीन की पैदावार (Land yield) में ज़कात
ज़मीन से होने वाली हर पैदावार अगर वह 5 वस्क़ या उस से ज़्यादा हो तो उस पर ज़कात होगी जैसा कि हदीस में ऊपर आ चुका है।
एक वस्क़ में 60 साअ होता था। एक साअ आज के पैमाने के मुताबिक़ लगभग 2 किलो 400 ग्राम होता है। चुनांचे एक वस्क़ 60×2.4=144 किलो ग्राम हुआ। चूंकि 5 वस्क़ पे ज़कात है इसलिए 144×5=720 किलोग्राम पर ज़कात होगी। लेकिन इसमें ज़कात अलग नियम से निकलेगी। अगर सिर्फ़ बारिश के पानी से पैदावार हुई हो तो ज़कात दसवां हिस्सा यानी 720 किलो में 72 किलो और अगर सिंचाई जैसे ट्यूबवेल, नहर या तालाब वगैरह से हुई हो तो पैदावार का बीसवां हिस्सा यानी 720 किलो में 36 किलोग्राम ज़कात होगी।
(देखे सही बुख़ारी हदीस 1483/ किताबुज़ ज़कात, बारिश के पानी और बहते हुए (नहर, तालाब के) पानी पर ज़कात के बयान में)
6, ऊंट (Camel) में ज़कात
5 ऊंट से कम पर ज़कात नहीं है लेकिन जैसे ही 5 ऊंट किसी के पास होगा उस पर ज़कात फ़र्ज़ हो जाएगी। ऊंटों पर ज़कात निम्न प्रकार होगी
5 से 9 ऊंट पर एक बकरी
9 से 14 ऊंट पर 2 बकरी
15 से 19 ऊंट पर 3 बकरी
20 से 24 ऊंट पर 4 बकरी
25 से 35 ऊंटों पर एक साल की ऊंटनी
36 से 45 ऊंटों पर 2 साल की ऊंटनी
46 से 60 ऊंटों पर 3 साल की ऊंटनी
61 से 75 ऊंटों पर 4 साल की ऊंटनी
76 से 90 ऊंटों पर 2 साल की 2 ऊंटनी
91 से 120 ऊंटों पर 3 साल की 2 ऊंटनी
उसके बाद प्रत्येक 40 ऊंटों 2 साल की ऊंटनी और प्रत्येक 50 ऊंटों 3 साल की 1 ऊंटनी
(देखें हदीस सही बुख़ारी 1454)
7, बकरी या भेड़ (goat or sheep) में ज़कात
40 से कम बकरियों पर कोई ज़कात नहीं। जब 40 हो जाएं तो 40 से 120 तक एक बकरी, 121 से 200 तक 2 बकरी और 200 से 300 तक 3 बकरी, 301 से 400 तक 4 बकरी, फिर हर 100 बकरी पर एक बकरी ज़कात है।
(देखें हदीस सही बुख़ारी 1454)
8, दफ़ीना (RIKAZ= buried treasure) पर ज़कात
ज़मीन से निकलने वाली धातु या ज़मीन में दबाया गया माल मिले तो उसपर बीस फ़ीसद ज़कात होगी। जैसा कि हदीस में है।
وَفِي الرِّكَازِ الْخُمُسُ
और रिकाज़ में 5वां हिस्सा है।
(सही बुख़ारी हदीस नंबर 1499/ किताबुज़ ज़कात , रिकाज़ में पांचवां हिस्सा है)
नक़दी के मुतअल्लिक़ सवाल-जवाब
नक़दी के मुतअल्लिक़ यह सवाल किया जा सकता है कि इसका निसाब सोना (gold) के बराबर क्यों होगा चांदी के बराबर क्यों नहीं? तो इसका जवाब यह है कि:
(1) ज़कात फ़र्ज़ होने के वक़्त मूल नक़दी गोल्ड थी और हर चीज़ का तअल्लुक़ मूल से होता है जैसे आज इंटरनेशनल लेवल पर डॉलर को हासिल है इसलिए जो भी तय होता है उसकी क़ीमत डॉलर के हिसाब से ही तय होती है।
(2) आज भी देश की जो मुद्रा छापी जाती है उसका आधार भी गोल्ड ही है।
(3) हमारे यहां मूल नक़दी रुपया है और पैसा उसका अंश है इसलिए जो भी तय होगा वह रुपये से होगा न कि पैसे से। इसी तरह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दौर में मूल मुद्रा (main currency) दीनार थी और दिरहम दीनार का अंश था। इसलिए नक़दी का हिसाब गोल्ड से लगाया जाएगा।
(3) जिस ज़माने में चांदी का निसाब मुक़र्रर किया गया था उस वक़्त साढ़े सात (7½) तोला सोना और साढ़े बावन (52½) तोले चांदी की क़ीमत बराबर थी लेकिन जैसे-जैसे दौर आगे बढ़ता गया सोने की क़ीमत में उछाल आता गया और चांदी बहुत पीछे रह गई आज नतीजा यह है कि एक तोला सोना और 1 किलो चांदी की क़ीमत लगभग बराबर हो गई है।
(4) अगर नक़दी को साढ़े बावन तोले चांदी के बराबर क़रार दिया जाय तो लगभग 45000 रुपए पर ज़कात वाजिब हो जाएगी हालांकि 45000 तो इंसान की निजी ज़रूरतों में ख़र्च हो जाते हैं।
(5) 20 दीनार या 87.45 ग्राम सोने की क़ीमत लगभग 400000 होती है अब ज़रा गोल्ड की क़ीमत की तुलना (comparison) कुछ और चीज़ों से करते हैं जिन पर उस ज़माने में ज़कात फ़र्ज़ की गई थी जैसा कि पीछे आ चुका है। 5 ऊंट पर एक बकरी ज़कात है। आज के दौर में एक ऊंट की क़ीमत लगभग 80000 है इस तरह 5 ऊंटों की क़ीमत लगभग चार लाख (400000) बनती है और उसपर फ़र्ज़ ज़कात एक बकरी की क़ीमत लगभग 10000 होती है। ऐसे ही 40 बकरियों की क़ीमत भी लगभग उतना ही होती है जितने गोल्ड और ऊंट की होती है।
(6) अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुख़्तलिफ़ चीज़ों के लिए अलग-अलग निसाब निर्धारित किया है। इसलिए जिसके पास जो चीज़ भी होगी उसी के निसाब के अनुसार ज़कात देनी होगी जैसे अगर किसी के पास सोना और चांदी दोनों हो तो सोने का सोने के निसाब के अनुसार और चांदी का चांदी के निसाब के अनुसार ज़कात देनी होगी। ऐसा नहीं होगा कि अगर किसी के पास 2 तोला सोना और 50 तोला चांदी हो तो चांदी के निसाब के मुताबिक़ ज़कात निकाल दी जाय बल्कि चांदी अलग वस्तु है और सोना अलग जिंस (वस्तु) और चूंकि दोनों अपने अपने निसाब को नहीं पहुंचते इसलिए किसी पर ज़कात नहीं होगी।
(7) सबसे अहम और आख़िरी बात यह ही हदीस में ख़ुद ज़िक्र है कि बीस दीनार पर आधा दीनार ज़कात होगी। हदीस ऊपर आ चुकी है।
इन शा अल्लाह अगली किस्त में "ज़कात फ़र्ज़ होने की शर्तें" के बारे में जानेंगे।
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
1 टिप्पणियाँ
Mashallah bahut badhiya Bhai
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।