Allah se dhokha aur bagawat (part-3) | 5. ijtemai dua

Allah se dhokha aur bagawat (part-3) | 5. ijtemai dua

 

अल्लाह से धोका और बगावत (मुसलमान ज़िम्मेदार)

3. बिदअत का आगाज़ और बचाव (पार्ट 03)

3.5. नमाज़ के बाद इजतीमाई दुआ करना


लोगों के दरमियान मशहूर बिदअत - दुआ के लिए इकट्ठा होना, जिसे बाज़ लोग मुस्तहब भी समझते हैं, लोग प्रोग्राम बनाकर एक वक्त मुकर्रर करके, इसमें जमा होते हैं। एक दुआ करता है और दूसरे लोग उसे पर आमीन कहते हैं। आमतौर पर यह बिदअत फर्ज़ नमाज़ो के बाद होती है, हमने उसका एक बहुत ज्यादा मुशाहिदा किया है और ये बिदअत खास तौर पर शामियों, हिंदुस्तानी और पाकिस्तानियों में बहुत ज्यादा मशहूर व मारूफ है।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस बारे में कोई सही या हसन हदीस मरवी नहीं और ना किसी सलफ सालिहीन से फेल साबित है।

इमाम इब्ने तहमिया रहिमाहुल्लाह फरमाते हैं, "किसी ने भी यह नकल नहीं किया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब लोगों को नमाज पढ़ाते तो नमाज़ से फ़ारिग होने के बाद मुक़्तदियों (नमाज़ियो) के साथ मिलकर इजतीमाई दुआ करते। ना फज्र में और ना असर में और ना किसी दूसरी नमाज में। यह बात साबित है। बल्कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से यह साबित है कि आप नमाज के बाद अपने साहबा की तरफ अपना रुख करते और अल्लाह का जिक्र करते थे और वह उन्हें नमाज से फ़ारिग होने के बाद अज़कार सिखाते थे।" [मजमूआ उल फतावा 02/467]

शातबी ने कहा, "हमेशा इजतीमाई तौर पर दुआ करना नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अमल से साबित नहीं है।" [अल ऐतिसाम 01/219]

इस सिलसिले में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से एक हदीस है, फ़रमाया,

"कोई गिरोह अगर इकट्ठा हो बाज़ (यानी एक) दुआ करें बाक़ी बाक़ी तमाम लोग उस पर आमीन कहें तो अल्लाह जरुर उनकी दुआ कबूल फरमाता है।" [तबरानी फिल कबीर 04/22 हदीस 2536] 

लेकिन यें हदीस ज़इफ है।

और इसकी दलील यह भी है कि तीन लोग जब बनी इसराइल में किसी गुफा में फंसे थे तो उन्होंने अलग-अलग दुआ की थी। एक साथ नहीं की बल्कि अपोजिट एक हदीस भी मौजूद है जो सही है।

अबू उस्मान हिंदी (ताबई) से साबित है के एक आमिल (गवर्नर) ने उमर बिन खत्ताब रज़ि अन्हु की तरफ ख़त लिखा के यहाँ कुछ लोग मुसलमान और उनके अमीर के लिए इजतिमाई दुआ करते है, तो हज़रत उमर ने उनका जवाब भेजा, "उन्हें अपने साथ ले आओ" वह उन्हें ले आया और हजरत उमर ने अपने दरबान को कह रखा था के कोड़े तैयार रखना चुनाँचे "जब उनके पास आए तो उनके अमीर को हजरत उमर ने कोड़े लगाए।" [मुसन्नफ इब्ने अबी शेबा हदीस ज़इफ सुफियान सोरी की तदलीस है]

लेकिन एहनाफ़ (बरेलवी, देवबंदी) के नज़दीक सुफियान की तदलीस क़ुबूल है।

तो खुलासा ये है इस तरह दुआ करना साबित नहीं।


अल्लाह ताला हमें बिदअत से बचाये। अल्लाह दीन समझने की तौफीक अता फरमाए।

आमीन 

जुड़े रहे आगे हम बताएंगे की उम्मत के अंदर कौन-कौन सी बिदअते ईजाद की गयीं हैं।


आपका दीनी भाई
मुहम्मद रज़ा

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