Jannat (Part-5) wusat (The vastness of the paradise)

Jannat (Part-5) wusat (The vastness of the paradise)


जन्नत (पार्ट-5): जन्नत की वुसअत


जन्नत का ज़िक्र होते ही हमारे ज़ेहन में तरह तरह की बातें आती है जैसे जन्नत में क्या होगा, हम वहां कैसे रहेंगे, कब तक रहेंगे, हमारे साथ कौन रहेगा वग़ैरह वग़ैरह और इन बातों के बारे में हम "जन्नत की मौजूदगी का सबूत, जन्नत के दरजात, नेमतें और शान" में पढ़ चुकें है। एक दूसरा सवाल भी आता है की जन्नत कितनी बड़ी होगी।?

आज हम इस आर्टिकल में क़ुरआन ओ सुन्नत की रौशनी में "जन्नत की वुसअत" के बारे में जानेंगे-


1. ज़मीन और आसमानों जैसा

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने जन्नत की वुसअत ज़मीन और तमाम आसमानों जैसा बताया है पर हम इस बात का इल्म नहीं रखते की ज़मीन और आसमानों की वुसअत कितनी है। इसलिए इसकी वुसत का तसव्वुर करना भी हमारे लिए मुमकिन नहीं है।

"दौड़कर चलो उस राह पर जो तुम्हारे रब की बख़्शिश और उस जन्नत की तरफ़ जाती है जिसका फैलाव ज़मीन और आसमानों जैसा है, और वो अल्लाह से डरनेवाले उन लोगों के लिये तैयार की गई है।" [क़ुरआन 3: 133]

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, "जन्नत में सौ दर्जे हैं और हर दो दर्जे के बीच इतना ही फ़ासला है जितना आसमान और ज़मीन के बीच है। दर्जे के एतिबार से फ़िरदौस आला जन्नत है। उसी से जन्नत की चारों नहरें बहती हैं और उसी के ऊपर अर्श है। इसलिये जब तुम अल्लाह से जन्नत माँगो तो फ़िरदौस माँगो। [तिर्मिज़ी 2531]


2. छुपी हुई आँखों की ठण्डक

जन्नत सिर्फ मुत्तक़ी ईमानवालों के लिए तैयार की गई है। इसका इल्म किसीको नहीं कि ये हकीकत में कैसी होगी, कुछ बातें हैं जो बताई गई हैं पर कुछ का हमें तभी पता चलेगा जब हम जन्नत में जायेंगे।   

"फिर जैसा कुछ आँखों की ठण्डक का सामान उनके आमाल के बदले में उनके लिये छिपाकर रखा गया है, उसकी किसी को ख़बर नहीं है।" [क़ुरआन 32: 17]


3. एक बड़ी सल्तनत

क़ुरआन की इस आयत से पता चलता है की जन्नत एक बहुत बड़ी सल्तनत है जिसका तसव्वुर करना हमारे लिए मुमकिन नहीं है। 

"वहाँ जिधर भी तुम निगाह डालोगे नेमतें-ही-नेमतें और एक बड़ी सल्तनत का सरो-सामान तुम्हें नज़र आएगा।" [क़ुरआन 76:20]


4. जन्नत के एक पेड़ की वुसअत 

जन्नत का सिर्फ एक पेड़ इतना बड़ा और घना होगा के एक घुड़सवार सौ सालों तक उसके निचे चलता रहेगा फिर भी उसे पार नहीं कर पायेगा। इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जन्नत कितनी बड़ी होगी। 

नबी करीम (ﷺ) ने फ़रमाया, "जन्नत में एक पेड़ है जिसके साये में एक सवार सौ साल तक चल सकता है और फिर भी उसको तय न कर सकेगा।" [बुख़ारी 3251]


5. आख़िरी जन्नती को दुनिया से दस गुना ज़्यादा जगह

सबसे आख़िर में जन्नत में दाख़िल होने वाले जन्नती को इस दुनिया से 10 गुनाह वसी ममलकत अता की जाएगी।

नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, "मैं ख़ूब जानता हूँ कि अहले-जहन्नम में से कौन सबसे आख़िर में वहाँ से निकलेगा और अहले-जन्नत में कौन सबसे आख़िर में उसमें दाख़िल होगा। एक शख़्स जहन्नम से घुटनों के बल घिसटते हुए निकलेगा और अल्लाह तआला उस से कहेगा कि जाओ और जन्नत में दाख़िल हो जाओ वो जन्नत के पास आएगा लेकिन उसे ऐसा मालूम होगा कि जन्नत भरी हुई है। चुनांचे वो वापस आएगा और कहा करेगा: ऐ मेरे रब ! मैंने जन्नत को भरा हुआ पाया अल्लाह तआला फिर उस से कहेगा कि जाओ और जन्नत में दाख़िल हो जाओ। वो फिर आएगा लेकिन उसे ऐसा मालूम होगा कि जन्नत भरी हुई है वो वापस लौटेगा और कहेगा कि ऐ मेरे रब! मैंने जन्नत को भरा हुआ पाया। अल्लाह तआला फ़रमाएगा जाओ और जन्नत में दाख़िल हो जाओ तुम्हें दुनिया और उससे दस गुना दिया जाता है या (अल्लाह तआला फ़रमाएगा कि) तुम्हें दुनिया के दस गुना दिया जाता है। वो शख़्स कहेगा तू मेरा मज़ाक़ बनाता है हालाँकि तू शहनशाह है। मैंने देखा कि इस बात पर रसूलुल्लाह (सल्ल०) हँस दिये और आप के आगे के दाँत मुबारक ज़ाहिर हो गए और कहा जाता है कि वो जन्नत का सबसे कम दर्जे वाला शख़्स होगा।" [सहीह बुख़ारी 6571; सहीह मुस्लिम 186]


6. एक और मख़लूक़ की पैदाइश

जन्नत में आख़िरी आदमी को इस दुनिया से 10 गुनाह ज़्यादा जगह अता करने के बाद भी जगह बच जाएगी। जिसे भरने के लिए अल्लाह तआला नई मख़लूक पैदा फरमायेगा। इससे पता चलता है जन्नत इतनी बड़ी है की उसमे एक मख्लूक़ को डालने पर भी जगह बाक़ी रह जाएगी। 

नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, ''दोज़ख़ियों को बराबर दोज़ख़ में डाला जाता रहेगा और वो कहे जाएगी कि क्या अभी और है। यहाँ तक कि रब्बुल-आलमीन उस पर अपना क़दम रख देगा और फिर उसका एक हिस्सा दूसरे हिस्से से मिल जाएगा और उस वक़्त वो कहेगी कि बस-बस तेरी इज़्ज़त और करम की क़सम! और जन्नत में जगह बाक़ी रह जाएगी। यहाँ तक कि अल्लाह उसके लिये एक और मख़लूक़ पैदा कर देगा और वो लोग जन्नत के बाक़ी हिस्से में रहेंगे।" [सहीह बुख़ारी 7384; सहीह मुस्लिम 2848]


7. सौ दर्जे और हर दर्जे के दरमियान फासला 

जन्नत के 100 दर्जे है हर दर्जे के दरमियान इतना फर्क है जितना ज़मीन और आसमान के दरमियां फ़साला है। जब दो दर्जों के दरमियान इतना फैसला है तो 100 दर्जों के दरमियान ज़मीन और आसमान का सौ गुना फैसला होगा।  

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: लोगों को छोड़ दो, वो अमल करते रहें, इसलिये कि जन्नत में सौ दर्जे हैं और एक दर्जे से दूसरे दर्जे के बीच इतना ही फ़ासला है जितना कि ज़मीन और आसमान के बीच का, फ़िरदौस जन्नत का आला और सबसे अच्छा दर्जा है, उसी के ऊपर रहमान का अर्श है और उसी से जन्नत की नहरें (मीहान, जिहान, फ़रात और नाइल) बहती हैं, इसलिये जब तुम अल्लाह से जन्नत माँगो तो जन्नतुल-फ़िरदौस माँगो। [तिर्मिज़ी 2530]


इन शा अल्लाह अगले पार्ट में हम "जन्नत के दरवाज़े" के मुतअल्लिक़ पढ़ेंगे। 

दुआ है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमें तमाम गुनाहों से पाक कर दें, हमे नेकोंकार लोगों में शामिल कर दे, हम सब मुस्लामानों को जन्नतुल फिरदौस में जगह दे और अपना दीदार नसीब फरमाए।  

आमीन


Posted By Islamic Theology

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