Jannat (Part-4): Shaan (glory of paradise)

Jannat (Part-4): Shaan (glory of paradise)


जन्नत (पार्ट-4): जन्नत की शान 


یُبَشِّرُہُمۡ رَبُّہُمۡ بِرَحۡمَۃٍ مِّنۡہُ وَ رِضۡوَانٍ وَّ جَنّٰتٍ لَّہُمۡ فِیۡہَا نَعِیۡمٌ مُّقِیۡمٌ ﴿ۙ۲۱﴾
"उनका रब उन्हें अपनी रहमत और ख़ुशनूदी और ऐसी जन्नतों की ख़ुशख़बरी देता है जहाँ उनके लिये हमेशा रहनेवाले ऐश के सामान हैं।"
[क़ुरआन 9: 21]

गुजिस्ता आर्टिकल में हम ने जन्नत की बेशुमार नेमतों के बारे में जाना और समझा अब आगे की तहरीर में हम जन्नत की शान क्या होगी ये जाएंगे।  

ये दुनियां फानी है जो एक दिन ख़त्म हो जानें वाली है और हमें वापस अल्लाह की तरफ़ पलटना है। इस आरज़ी दुनियां को भी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने बेशुमार नेमतों से नवाज़ा है और इस दुनियां को बनाने का एक ख़ास मक़सद है, रब ए बारी तआला ने अपनी इबादत के लिए जिन्न और इंसान को पैदा फरमाया। दुनियां को आलम ए इंसानियत के लिय इम्तेहानगाह करार दिया। अब ये हमारे नफ्स के उपर है की हम अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करते हुए नेक बंदे बने, उसके सामने झुकें, इबादत करें, नमाज़ कायम करें, जकात, रोजा, इस्तेताअत हो तो हज करें, फर्ज़ इबादतों को पूरा कर नबी ﷺ की सुन्नतों पर अमल करें और अपने माबूद ए हकीकी को राज़ी कर ले जिस से जन्नत पा लें या फिर अल्लाह रब ए ज़ुल्लजलाल की नाफरमानी कर के ख़ुद को और अपने आले औलाद को जहन्नुम का ईंधन बना दें।

इरशाद ए बारी तआला है: 

"उनका हाल ये होता है कि अपने रब की ख़ुशनूदी के लिये सब्र से काम लेते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं, हमारी दी हुई रोज़ी में से खुले और छिपे ख़र्च करते हैं और बुराई को भलाई से दूर करते हैं। आख़िरत का घर इन्हीं लोगों के लिये है।" [क़ुरआन 13: 22] 

आख़िरत का घर यानी जन्नत उनके लिए है जो ईमान लाये और नेक अमल किये। जन्नत की शान, उसकी नेमतों और ख़ूबियों का बयांन करना और इस दुनिया में उन्हें समझाना यहाँ तक की उनका तसव्वुर करना भी हमारे लिए ना-मुमकिन है पर कुछ अहादीस में इसकी शान का तज़किरा मिलता है। जन्नत की शान का जायजा कुछ अहदीस से देखते हैं जो इस तरह है-


जन्नत में एक हाथ जगह 

हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि कितनी चीज़ों पर सूरज निकलता और डूबता है तो इस बात का अंदाज़ा कैसे लगा सकते हैं की जन्नत में एक हाथ जगह में क्या क्या होगा, वो कितनी बड़ी होगी और वो कितनी ख़ूबसूरत होगी। 

"जन्नत में एक (कमान) हाथ जगह दुनिया की उन तमाम चीज़ों से बेहतर है जिन पर सूरज निकलता डूबता है।" [बुख़ारी 2793]


जन्नत सिर्फ मोमिनों के लिए 

ये शान वाली जन्नत सिर्फ उन नेक और पहरेज़गार मोमिनों के लिए होगी जो शिर्क और बिदअत जैसे बुराइयों से खुद को बचाते रहे। 

नबी (ﷺ) ने फ़रमाया, 
शानवाला अल्लाह अहले-जन्नत से फ़रमाएगा: "ऐ अहले-जन्नत!" 
वो कहेंगे: लब्बैक, ऐ हमारे रब! ज़हे नसीब कि तेरे सामने हाज़िर हैं और भलाई तेरे हाथों में है। 
चुनांचे वो फ़रमाएगा: क्या तुम राज़ी हो गए हो? 
वो सब कहेंगे: ऐ हमारे रब! हम राज़ी क्यों न हों जबकि तूने हमें वो कुछ अता कर दिया है जो तूने अपनी सारी मख़लूक़ में से किसी को नहीं दिया। 
वो फ़रमाएगा: क्या मैं तुम्हें इससे भी बेहतर न दूँ? 
तो वो कहेंगे: ऐ रब! (जो तूने दे दिया है) इससे बेहतर क्या है? 
वो फ़रमाएगा : मैं तुम पर अपनी रिज़ा नाज़िल करता हूँ, इसके बाद मैं तुमसे कभी नाराज़ न हूँगा।
[सहीह मुस्लिम 7140]


दुनिया की हर चीज़ से बेहतर

जन्नत में चाबुक (lash) बराबर जगह दुनिया और उसमें मौजूद तमाम नेमतों से अफजल है। ये दुनिया बहुत बड़ी है इसके हर कोने को देख पाना किसी इंसान के लिए मुमकिन नहीं है क्यूंकि कुछ जगह ऐसी भी है जहाँ जाना सिर्फ लोगों का ख्वाब है। दुनिया में तरह तरह की चीज़ें मौजूद हैं बहुत थोड़ा हिस्सा ही हम देख पाते है। अलग अलग जगह अलग अलग तरह की चीज़ें मौजूद है और हम उन्हें देखने की ख्वाइश तो करते हैं पर देख नहीं पाते और जो वीडियोस में देखते भी है तो हैरान रह जाते हैं। अब सोचें, इस हदीस के मुताबिक़ जन्नत की क्या शान होगी? 

''जन्नत में एक कोड़े (चाबुक) के बराबर जगह दुनिया और दुनिया की हर चीज़ (जो कुछ दुनिया में है) से बेहतर है।" [बुख़ारी 3250]


दुनियावी नाम वाली चीज़ें 

जन्नत की हर चीज़ दुनिया की हर चीज़ से आला और अफ़ज़ल है सिर्फ नाम एक जैसा है बाकि ज़ायक़ा मुख़्तलिफ़ और ऐसा होगा कि खानेवाले का दिल खुश हो जाये। 

"जन्नत की कोई चीज़ भी दुनिया की चीज़ से नहीं मिलती सिवाए नामों के।'' [सिलसिला अहादीस ए सहीया: 2188]


आँखों की ठंडक 

जन्नत की शान का अंदाज़ा लगाना हमारे लिए नामुमकिन है। 

“अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है कि मैंने अपने नेकूकार बन्दों के लिये वो चीज़ें तैयार रखी हैं जिन्हें किसी आँख ने न देखा और किसी कान ने न सुना और न किसी इन्सान के दिल में उन का कभी गुमान और ख़याल पैदा हुआ। अल्लाह की उन नेमतों से जानकारी और आगाही तो अलग रही (उन का किसी को गुमान और ख़याल भी पैदा नहीं हुआ)। फिर नबी करीम (ﷺ) ने इस आयत की तिलावत की فلا تعلم نفس ما أخفي لهم من قرة أعين جزاء بما كانوا يعملون‏ कि "इसलिये किसी मोमिन को मालूम नहीं जो सामान आँखों की ठंडक का ( जन्नत में) उन के लिये छिपा कर रखा गया है ये बदला है उन के नेक अमलों का जो दुनिया में करते रहे।" (सूरह सजदा आयत नंबर 18)'' [बुख़ारी 4780, मुस्लिम 2824]


नाख़ून के बराबर नेमत 

अगर जन्नत की एक छोटे नाखून के बराबर नेमत दुनिया में आ जाये तो ज़मीन और आसमान जगमगा उठे तो फिर अगर सारी नेमतें दुनिया में ज़ाहिर हो जाये तो क्या होगा?  

"जन्नत की नेमतों में से कोई एक नेमत नाख़ून के बराबर है दुनिया में ज़हीर हो जाए तो ज़मीन वा आसमां रोशन हो जाए।" [रियाद अस-सालिहीन 1025]


जन्नत की ख़ुशबू चालीस साल की मुसाफ़त से आएगी

जिस जगह से आने वाली खुशबू चालीस साल की मुसाफत से आएगी उसकी शान का अंदाज़ा लगाना हम इंसानों के लिए मुमकिन नहीं है। 

''जो शख़्स ऐसी जान को मार डाले जिससे अहद कर चुका हो (उसकी अमान दे चुका हो) जैसे ज़िम्मी काफ़िर को तो वो जन्नत की ख़ुशबू भी न सूँघेगा (हालाँकि जाए कि उसमें दाख़िल हो) हालाँकि जन्नत की ख़ुशबू चालीस बरस की राह से मालूम होती है।'' [बुख़ारी 6914]


मोमिन का ज़ेवर 

जन्नत में मोमिनों को सोने, चंदी और मोतियों के ज़ेवर पहनाये जायेंगे। जो शख़्स अच्छी तरह वुज़ू करता होगा के उसे सारे आज़ा पानी से तर हो जाये तो उसे इतना ज़ेवर पहनाया जायेगा के उसका वो आज़ा ढक जाएँ। 

अबू-हाज़िम से रिवायत है, उन्होंने कहा : मैं अबू-हुरैरा (रज़ि०) के पीछे खड़ा था। और वो नमाज़ के लिये वुज़ू कर रहे थे, वो अपना हाथ आगे बढ़ाते, यहाँ तक कि बग़ल तक पहुँच जाता, मैंने उनसे पूछा : ऐ अबू-हुरैरा (रज़ि०)! ये किस तरह का वुज़ू है? उन्होंने जवाब दिया : ऐ फ़र्रुख़ की औलाद (ऐ बनी फ़ारस ) ! आप यहाँ हो? अगर मुझे पता होता कि आप लोग यहाँ खड़े हो तो मैं इस तरह वुज़ू न करता। मैंने अपने दोस्त ﷺ को फ़रमाते हुए सुना था: "मोमिन का ज़ेवर वहाँ पहुँचेगा जहाँ उसके वुज़ू का पानी पहुँचेगा।" [सहीह मुस्लिम 250]


जन्नत की एक झलक

सारी जिंदगी दुख और मुसीबतों में बसर करने वाला शक्स जन्नत की एक झलक देखते ही दुनिया के सारे दुख और गम भूल जयेगा। अनस-बिन-मालिक (रज़ि०) कहते हैं कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

 क़ियामत के दिन अहले-दोज़ख़ में से उस शख़्स को लाया जाएगा जो दुनिया में सबसे ज़्यादा ख़ुशहाल था, उसे दोज़ख़ में एक बार डुबकी दी जाएगी, फिर उससे पूछा जाएगा कि ऐ आदम के बेटे! क्या तूने दुनिया में कभी आराम देखा था? क्या तुझपर कभी चैन भी गुज़रा था?
वो कहेगा कि अल्लाह की क़सम! ऐ मेरे रब ! कभी नहीं, और अहले-जन्नत में से एक ऐसा शख़्स लाया जाएगा जो दुनिया में सब लोगों से सख़्त तर तकलीफ़ में रहा था, जन्नत में एक बार डुबकी दी जाएगी, फिर उससे पूछा जाएगा कि ऐ आदम के बेटे! तूने कभी तकलीफ़ भी देखी है? क्या तुझपर शिद्दत और रंज भी गुज़रा था? 

वो कहेगा कि अल्लाह की क़सम! मुझपर तो कभी तकलीफ़ नहीं गुज़री और मैंने तो कभी शिद्दत और सख़्ती नहीं देखी।  [सहीह मुस्लिम 7088]


एहले जन्नत की हसरत

जन्नत की नेमतें और दरजात देखने के बाद एहले जन्नत की हसरत होगी काश हमने अपनी ज़िन्दगी में वो वक़्त भी अल्लाह की याद में गुज़ारा होता जो दूसरे कामों या फ़िज़ूल कामो में निकाल दिया। 

"अहले जन्नत को किसी चीज़ पर इतनी हसरत नहीं होगी जितनी उस लम्हे पर जो दुनिया में अल्लाह की याद के बगैर गुजर गया।'' [तबरानी, सही जामे सगीर 5322]


मौत को मौत 

जन्नत में मौत होती है तो जन्नती लोग जन्नत की नेमतों को देख कर ख़ुशी से मर जाते। 

"जब अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में और जहन्नमियों को जहन्नम में दाख़िल कर देगा तो मौत को खींचते हुए उस दीवार तक लाया जाएगा जो जन्नत और जहन्नम के बीच है। 
फिर कहा जाएगा: ऐ जन्नतियों! तो वो डरते हुए झाँकेंगे, 
फिर कहा जाएगा: ऐ जहन्नमियों! तो वो शफ़ाअत की उम्मीद में ख़ुश हो कर झाँकेंगे, 
 फिर जन्नतियों और जहन्नमियों से कहा जाएगा: क्या तुम इसे जानते हो? 
तो ये भी कहेंगे और वो भी कहेंगे: हम ने उसे पहचान लिया ये वही मौत है, जो हमारे ऊपर वकील थी फिर वो जन्नत और जहन्नम की बीच वाली दीवार पर लिटा कर यकबारगी ज़बह कर दी जाएगी, 
फिर कहा जाएगा: ऐ जन्नतियों! हमेशा (जन्नत में) रहना है, मौत नहीं आएगी, 
ऐ जहन्नमियों! हमेशा (जहन्नम में) रहना है, मौत नहीं आएगी। [तिर्मिज़ी 2557]


सुभान अल्लाह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने बंदों पर कितना मेहरबान हैं। एक तरफ दुनियां की बेशुमार नेमतें और फिर जन्नत की बेशुमार नेमतें इसके बाद अहले जन्नत को अल्लाह का दीदार। 

अल्लाह हू अक़बर!

अल्लाह हू अक़बर!

अल्लाह हू अक़बर!

दुआ है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमें तमाम गुनाहों से पाक कर दें, हमे नेकोंकार लोगों में शामिल कर दे, हम सब मुस्लामानों को जन्नतुल फिरदौस में जगह दे और अपना दीदार नसीब फरमाए।  

आमीन


Posted By Islamic Theology

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