Nabi saw ke paigambar hone ka saboot: Ummat

Nabi saw ke paigambar hone ka saboot: Ummat

हजरत मुहम्मद ﷺ के अल्लाह के पैग़म्बर होने के सबूत।

उम्मत (समुदाय)


पैगंबरी की हकीकत को समझने के लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले उम्मत (समुदाय) को समझें।


उम्मत (समुदाय) किसे कहते है?

उम्मत का लफ़्ज़ सिर्फ़ क़ौम के मानी में नहीं है, बल्कि एक पैगम्बर के आने के बाद उसकी दावत जिन-जिन लोगों तक पहुँचे वो सब उसकी उम्मत हैं। साथ ही इसके लिये ये भी ज़रूरी नहीं है कि पैगम्बर उनके बीच ज़िन्दा मौजूद हो, बल्कि पैगम्बर के बाद भी जब तक उसकी तालीम मौजूद रहे और हर शख़्स के लिये ये मालूम करना मुमकिन हो कि वो हक़ीक़त में किस चीज़ की तालीम देता था, उस वक़्त तक दुनिया के सब लोग उसकी उम्मत ही कहलाएँगे। इस लिहाज़ से मुहम्मद (ﷺ) के आने के बाद सारी दुनिया के इंसान आप (ﷺ) की उम्मत हैं और उस वक़्त तक रहेंगे जब तक क़ुरआन अपनी ख़ालिस सूरत (विशुद्ध रूप) में मौजूद रहेगा। 

किसी नए पैगम्बर के आने के सिलसिले में दो बातें समझ लेनी चाहियें, ताकि कोई ग़लतफ़हमी न हो।

1. पहली ये कि एक पैग़म्बर की दावत और तबलीग़ जहाँ-जहाँ तक पहुँच सकती हो, वहाँ के लिये वही पैग़म्बर काफी है। ये ज़रूरी नहीं है कि हर-हर बस्ती और हर-हर क़ौम में अलग-अलग ही पैग़म्बर भेजे जाएँ।

2. दूसरी ये कि एक पैग़म्बर की दावत और हिदायत की अलामतें और उसकी रहनुमाई के नक़्शे-क़दम जब तक महफ़ूज़ रहें, उस वक़्त तक किसी नए पैग़म्बर की ज़रूरत नहीं है। ये ज़रूरी नहीं है कि हर नस्ल और पीढ़ी के लिये अलग नबी भेजा जाए।

अब आप इन बातों को ध्यान में रखकर सोचें की पैगम्बर रोज रोज पैदा नहीं होते और न ही इसकी जरूरत है बल्कि पैगम्बर की जिंदगी असल में उसकी तालीम और रहनुमाई की जिंदगी होती है। जब तक किसी भी पैगम्बर की तालीम दुनिया में मौजूद है तब तक मानों की वह पैगम्बर खुद जिंदा है।

पिछले सब पैगम्बर अपनी तालीम और रहनुमाई की हैसियत से जिंदा नहीं है क्योंकि जो तालीम वो अल्लाह की तरफ से लाए थे दुनिया के लोगों ने उसको बदल डाला। जो किताब वो अल्लाह की तरफ से लाए थे उनमें से आज एक भी अपनी असल सूरत में मौजूद नहीं है उन लोगों ने अपने पैगंबरों की सीरत (जीवनी) को भी भुला दिया है पिछले पैगंबरों में से एक की भी सही और प्रमाणित जीवनी नहीं मिलती है जिसकी वजह से हमे उनकी जिंदगी के हालात का आज पता नहीं चल पाता। यह भी हम भरोसे के साथ नहीं कह सकते है कि, 

  • ये पैगम्बर किस समय या युग में पैदा हुए? 
  • क्या काम उन्होंने किए? 
  • किस तरह अपनी जिंदगी गुजारी? 
  • किन बातों की तालीम दी? 
  • और किन बातों से रोका?


इन सवालों का जवाब न होना ही पिछले सब पैगंबरों की तालीम और रहनुमाई की हैसियत से मौत है इस हैसियत से वो जिंदा नहीं है लेकिन अपनी तालीम और रहनुमाई की हैसियत से मुहम्मद ﷺ आज भी जिंदा है क्योंकि उनकी तालीम आज भी बिल्कुल अपनी खालिस सूरत में मौजूद है जिसमे आज तक भी कोई मिलावट नहीं हो पाई है और जो कुरआन उन पर अल्लाह की तरफ से नाजिल किया गया था वो आज भी वैसा ही महफूज है जैसा मुहम्मद ﷺ पर अल्लाह की तरफ से आया था। उसमे एक शब्द का भी अंतर नहीं आया है। मुहम्मद ﷺ की आज हमारे पास एक एक तालीम मौजूद है जो उन्होंने इस उम्मत को दी। आज 1400 साल गुजर जाने के बाद भी इतिहास में उनका जीवन ऐसा दिखाई देता है कि मानों हम उनको खुद देख रहे है। दुनिया में एक इंसान का भी जीवन इस तरह महफूज नहीं है जैसा मुहम्मद ﷺ का जीवन महफूज है। हम आज भी अपनी जिंदगी के हर मामले और हर शोबे में और हर समय मुहम्मद ﷺ की जिंदगी से तालीम हासिल कर सकते है और यही इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि मुहम्मद ﷺ के बाद किसी दूसरे पैगम्बर की जरूरत नहीं है।


एक पैगम्बर के बाद दूसरे पैगम्बर के आने की तीन वजह हो सकती है।

1. या तो पहले पैग़म्बर की तालीम और मार्गदर्शन मिट गया हो और उसे फिर प्रस्तुत करने की ज़रूरत हो।

2. या पहले पैग़म्बर की तालीम पूरी न हो और उसमें संशोधन या कुछ बढ़ाने की आवश्यकता हो।

3. या पहले पैग़म्बर की तालीम एक खास कौम तक सीमित हो और दूसरी कौम या कौमों के लिए दूसरे पैग़म्बर की आवश्यकता हो।

ये तीनों वजह मुहम्मद ﷺ के आने के बाद ही खत्म हो चुकी है।

1. हज़रत मुहम्मद (ﷺ) की तालीम जिंदा है और वह भी पूरी तरह महफूज हमारे पास मौजूद है जिससे हर समय मालूम किया जा सकता है कि मुहम्मद ﷺ का दीन क्या था? उनका मकसद किया था? कौनसी हिदायत आप ﷺ इंसानों के लिए लेकर आए थे? आप ﷺ ने किन कामों से रोका? और किन कामों को करने का हुक्म दिया? इसलिए जब मुहम्मद ﷺ का तालीम और मार्गदर्शन किया ही नहीं तो उसे फिर से पेश करने के लिए किसी नए पैगम्बर की जरूरत ही नहीं है।

2. हज़रत मुहम्मद ﷺ की तरफ से पूरी दुनिया को इस्लाम की सारी तालीम दी जा चुकी है और अब इसमें कुछ घटाने की जरूरत नहीं है और न कोई ऐसी कमी बाक़ी रह गई है जिसको पूरा करने के लिए किसी नए पैगम्बर के आने की ज़रूरत हो। इसलिए दूसरी वजह भी मुहम्मद ﷺ के आने के बाद खत्म हो गई।


"आज मैंने तुम्हारे दीन को तुम्हारे लिये मुकम्मल कर दिया है और अपनी नेमत तुम पर पूरी कर दी है और तुम्हारे लिये इस्लाम को तुम्हारे दीन की हैसियत से क़बूल कर लिया है।"

[कुरआन 5:3]


3- हज़रत मुहम्मद ﷺ किसी खास कौम के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए पैगम्बर बनाकर भेजे गए है और सभी कौमों और इंसानों के लिए आप ﷺ की तालीम काफी है इसलिए अब किसी खास कौम के लिए अलग से पैगम्बर के आने की जरूरत नहीं है इस तरफ मुहम्मद ﷺ के आने के बाद तीसरी वजह भी खत्म हो गई।


"और (ऐ नबी,) हमने तुमको तमाम ही इन्सानों के लिये ख़ुशख़बरी सुनानेवाला और ख़बरदार करनेवाला बनाकर भेजा है, मगर ज़्यादातर लोग जानते नहीं हैं।"

[कुरआन 34:28]


"ऐ नबी ! कहो कि “ऐ इंसानों ! मैं तुम सबकी तरफ़ उस ख़ुदा का पैग़म्बर हूँ जो ज़मीन और आसमानों की बादशाही का मालिक है, उसके सिवा कोई ख़ुदा नहीं है, वही ज़िन्दगी बख़्शता है और वही मौत देता है।"

[कुरआन 7:158]


"और (ऐ पैग़म्बर!) हमने तुम्हें सारे जहानों के लिये रहमत ही रहमत बनाकर भेजा है।"

[कुरआन 21:107]


مَا کَانَ مُحَمَّدٌ اَبَاۤ اَحَدٍ مِّنۡ رِّجَالِکُمۡ وَ لٰکِنۡ رَّسُوۡلَ اللّٰہِ وَ خَاتَمَ النَّبِیّٖنَ ؕ وَ کَانَ اللّٰہُ بِکُلِّ شَیۡءٍ عَلِیۡمًا

"(लोगो!) मुहम्मद तुम्हारे मर्दों में से किसी के बाप नहीं हैं, मगर वो अल्लाह के रसूल और आख़िरी नबी हैं और अल्लाह हर चीज़ का इल्म रखनेवाला है।"

[कुरआन 33:40]


इसीलिए हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को ‘‘ख़ातमुन्नबीयीन’’ (नबियों के समापक) कहा गया है, जिसका मतलब नुबूवत के सिलसिले को समाप्त कर देनेवाला होता है। अब दुनिया को किसी दूसरे पैगम्बर की ज़रूरत नहीं है, बल्कि केवल ऐसे लोगों की जरूरत है जो हज़रत मुहम्मद (ﷺ) के तरीक़े पर खुद भी चलें और दूसरों को भी चलाएं। आप ﷺ की तालीम को समझें और उसपर अमल करें और पूरी दुनिया में उस कानून को नाफिज करें जो आप ﷺ अल्लाह की तरफ से लेकर आए थे।


By इस्लामिक थियोलॉजी

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