जन्नत में दाख़िल होने वाला
आख़िरी शख़्स
लोगों ने पूछा: या रसूलुल्लाह! क्या हम अपने रब को क़ियामत में देख सकेंगे?
आप ने (जवाब के लिये) पूछा क्या तुम्हें चौदहवीं रात के चाँद के देखने में जबकि उसके क़रीब कहीं बादल भी न हो शुबह होता है?
लोग बोले हरगिज़ नहीं या रसूलुल्लाह!
फिर आप ने पूछा और क्या तुम्हें सूरज के देखने में जबकि उसके क़रीब कहीं बादल भी न हो शुबह होता है।
लोगों ने कहा कि नहीं या रसूलुल्लाह!
फिर आप ने फ़रमाया कि रब्बुल-इज़्ज़त को तुम इसी तरह देखोगे। लोग क़ियामत के दिन जमा किये जाएँगे। फिर अल्लाह तआला फ़रमाएगा कि जिसने जिसकी बन्दगी (और पैरवी) की होगी वो उसके साथ हो जाए।
चुनांचे बहुत से लोग सूरज के पीछे हो लेंगे, बहुत से चाँद के और बहुत से उनके साथ हो लेंगे जो दुनिया में ताग़ूत बने हुए थे।
ये उम्मत बाक़ी रह जाएगी (जो सिर्फ़ एक ख़ुदा की परस्तार और पैरोकार होगी)। इसमें मुनाफ़िक़ भी होंगे।
फिर अल्लाह तआला एक नई सूरत में आएगा और उन से कहेगा कि मैं तुम्हारा रब हूँ।
वो मुनाफ़िक़ कहेंगे कि हम यहीं अपने रब के आने तक खड़े रहेंगे। जब हमारा रब आएगा तो हम उसे पहचान लेंगे।
फिर शानवाला अल्लाह उन के पास (ऐसी सूरत में जिसे वो पहचान लें) आएगा और फ़रमाएगा कि मैं तुम्हारा रब हूँ।
वो भी कहेंगे कि बेशक तू हमारा रब है।
फिर अल्लाह तआला बुलाएगा। पुल-सिरात जहन्नम के बीचों-बीच रखा जाएगा और
नबी करीम (सल्ल०) फ़रमाते हैं कि मैं अपनी उम्मत के साथ उस से गुज़रने वाला सबसे पहला रसूल हूँगा।
उस दिन सिवा नबियों के कोई भी बात न कर सकेगा और नबी भी सिर्फ़ ये कहेंगे कि ऐ अल्लाह! मुझे महफ़ूज़ रखियो! ऐ अल्लाह! मुझे महफ़ूज़ रखियो!
जहन्नम में सअदान के काँटों की तरह आँकड़े होंगे। सअदान के काँटे तो तुमने देखे होंगे?
सहाबा (रज़ि०) ने कहा, हाँ! (आप ने फ़रमाया) तो वो सअदान के काँटों की तरह होंगे। अलबत्ता उनकी लम्बाई और चौड़ाई को सिवा अल्लाह तआला के और कोई नहीं जानता। ये आँकड़े लोगों को उन के काम के मुताबिक़ खींच लेंगे। बहुत से लोग अपने अमल की वजह से हलाक होंगे। बहुत से टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे। फिर उन की नजात होगी।
जहन्नमियों में से अल्लाह तआला जिस पर रहम फ़रमाना चाहेगा तो फ़रिश्तों को हुक्म देगा कि जो ख़ालिस अल्लाह तआला ही की इबादत करते थे उन्हें बाहर निकाल लो। चुनांचे उन को वो बाहर निकालेंगे और एक ख़ुदा के माननेवाले को सजदे के आसार से पहचानेंगे।
अल्लाह तआला ने जहन्नम पर सजदे के आसार का जलाना हराम कर दिया है। चुनांचे ये जब जहन्नम से निकाले जाएँगे तो असरे-सजदा के सिवा उनके जिस्म के तमाम ही हिस्सों को आग जला चुकी होगी।
जब जहन्नम से बाहर होंगे तो बिल्कुल जल चुके होंगे। इसलिये उन पर आबे-हयात डाला जाएगा। जिससे वो इस तरह उभर आएँगे जैसे सैलाब के कूड़े-करकट पर सैलाब के थमने के बाद सब्ज़ा उभर आता है।
फिर अल्लाह तआला बन्दों के हिसाब से फ़ारिग़ हो जाएगा।
लेकिन एक शख़्स जन्नत और दोज़ख़ के बीच अब भी बाक़ी रह जाएगा।
ये जन्नत में दाख़िल होने वाला आख़िरी दोज़ख़ी शख़्स होगा। उसका मुँह दोज़ख़ की तरफ़ होगा। इसलिये कहेगा कि ऐ मेरे रब! मेरे मुँह को दोज़ख़ की तरफ़ से फेर दे। क्योंकि उसकी बदबू मुझको मारे डालती है और उसकी चमक मुझे जलाए देती है।
अल्लाह तआला पूछेगा कि अगर तेरी ये तमन्ना पूरी कर दूँ तो तू दोबारा कोई नया सवाल तो नहीं करेगा?
बन्दा कहेगा नहीं तेरी बुज़ुर्गी (पाकी) की क़सम! और जैसे-जैसे अल्लाह चाहेगा वो क़ौल और क़रार करेगा।
आख़िर अल्लाह तआला जहन्नम की तरफ़ से उसका मुँह फेर देगा।
जब वो जन्नत की तरफ़ मुँह करेगा और उसकी हरियाली नज़रों के सामने आई तो अल्लाह ने जितनी देर चाहा वो चुप रहेगा।
लेकिन फिर बोल पड़ेगा। ऐ अल्लाह! मुझे जन्नत के दरवाज़े के क़रीब पहुँचा दे।
अल्लाह तआला पूछेगा किया तूने अहद और पैमान नहीं बाँधा था कि इस एक सवाल के सिवा और कोई सवाल तू नहीं करेगा।
बन्दा कहेगा ऐ मेरे रब! मुझे तेरी मख़लूक़ में सबसे ज़्यादा बद-नसीब न होना चाहिये।
अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त फ़रमाएगा कि फिर क्या ज़मानत है कि अगर तेरी ये तमन्ना पूरी कर दी गई तो दूसरा कोई सवाल तू नहीं करेगा।
बन्दा कहेगा नहीं तेरी इज़्ज़त की क़सम अब दूसरा सवाल कोई तुझ से नहीं करूँगा।
चुनांचे अपने रब से हर तरह अहद और पैमान बाँधेगा और जन्नत के दरवाज़े तक पहुँचा दिया जाएगा।
दरवाज़े पर पहुँच कर जब जन्नत की ताज़गी और ख़ुशियों को देखेगा तो जब तक अल्लाह तआला चाहेगा वो बन्दा चुप रहेगा।
लेकिन आख़िर बोल पड़ेगा कि ऐ अल्लाह! मुझे जन्नत के अन्दर पहुँचा दे।
अल्लाह तआला फ़रमाएगा, अफ़सोस ऐ इब्ने-आदम! तू ऐसा दग़ाबाज़ क्यों बन गया?
क्या (अभी ) तू ने अहद और पैमान नहीं बाँधा था कि जो कुछ मुझे दिया गया उस से ज़्यादा और कुछ न माँगूँगा।
बन्दा कहेगा ऐ रब! मुझे अपनी सबसे ज़्यादा बद-नसीब मख़लूक़ न बना।
अल्लाह पाक हँस देगा और उसे जन्नत में भी दाख़ले की इजाज़त अता फ़रमा देगा और फिर फ़रमाएगा माँग क्या है तेरी तमन्ना।
चुनांचे वो अपनी तमन्नाएँ (अल्लाह तआला के सामने) रखेगा और जब तमाम तमन्नाएँ ख़त्म हो जाएँगी तो,
अल्लाह तआला फ़रमाएगा कि फ़ुलाँ चीज़ और माँगो, फ़ुलाँ चीज़ का मज़ीद सवाल करो। ख़ुद अल्लाह पाक ही याद-दिहानी कराएगा और जब वो तमाम तमन्नाएँ पूरी हो जाएँगी तो फ़रमाएगा कि तुम्हें ये सब और इतनी ही और दी गईं या उस से दस गुना और ज़्यादा तुम्हें दी गईं।
सहीह बुख़ारी: 806
Book 10, Hadith 201
Vol. 1, Book 12, Hadith 770
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