हजरत मुहम्मद ﷺ के अल्लाह के पैग़म्बर होने के सबूत।
"कुरआन"
मुहम्मद ﷺ के अल्लाह की तरफ से होना का सबसे बड़ा सबूत कुरआन है।
• कुरआन ऐसी किताब है जिस जैसी किताब तमाम दुनिया के लोग मिलकर भी बैठ जाए तो नहीं ला सकते है। जो कानून कुरआन ने बता दिए है उससे बेहतर कोई कानून नहीं हो सकता है और दुनिया के सब इंटेलेक्चुअल मिलकर भी कुरआन के जैसा कानून नहीं बना सकते है।
• कुरआन एक मोजिज़ा (चमत्कार) से कम नहीं है कि लोगों में से एक उम्मी (बिना पढ़े-लिखे) शख़्स ने वो किताब पेश की है जिसमें शुरू से अब तक कि तमाम आसमानी किताबों के मज़ामीन और तालीमात का इत्र निकालकर रख दिया गया है। इन्सान की हिदायत और रहनुमाई के लिये उन किताबों में जो कुछ था, वो सब न सिर्फ़ ये कि इसमें जमा कर दिया गया, बल्कि उसको ऐसा खोलकर वाज़ेह भी कर दिया गया कि रेगिस्तान में रहनेवाले बद्दू (देहाती) तक उसको समझकर फ़ायदा उठा सकते हैं। इसलिए ही अल्लाह ने मुहम्मद ﷺ के सच्चे पैगम्बर होने पर बार बार कुरआन को दलील के तौर पर पेश किया है। यहां तक की इंकार करने वालों की तरफ से जब भी कोई मोजिज़ा (चमत्कार) की मांग की गई तो अल्लाह ने कुरआन को ही बतौर मोजिज़ा (चमत्कार) पेश किया है।
• अगर कुरआन अल्लाह की तरफ से नहीं होता तो इसमें बहुत विरोधाभास (contradiction) होता इसकी अपनी बातें खुद एक दूसरे के विपरीत होती।
लेकिन कुरआन में हमे एक भी विरोधाभास (contradiction) नहीं मिलता जो इस बात का खुला सबूत है कि कुरआन अल्लाह की तरफ से पैगम्बर मुहम्मद ﷺ पर नाजिल किया गया है अगर ये इंसान का कलाम होता तो जरूर इसमें विरोधाभास (contradiction) पाया जाता क्योंकि दुनिया की हकीकत का असल इल्म (ज्ञान) इस दुनिया के बनाने वाले को ही होगा, किसी इंसान को नहीं।
• कुरआन के अल्लाह का कलाम होने का एक सबूत ये भी है कि कुरआन ने जो जो पेशनगोई (भविष्यवाणी) की, वह हर्फ वा हर्फ पूरी हुई। और आज तक कुरआन की एक बात भी गलत साबित नहीं हो सकी जोकि इसके अल्लाह की तरफ से होने का खुला सबूत है।
• कुरआन कायनात की तखलीक से लेकर इंसानों की पैदाइश तक का जिक्र करता है। और इसके साथ ही कायनात में काम करने वाले कानून का भी जिक्र करता है। लेकिन कुरआन की आज तक एक बात भी सत्य के खिलाफ नहीं गई है इस बात की गवाही आज खुद हमें मॉडर्न साइंस के जरिए मिल गई है। कुरआन में 6 हजार से ज्यादा आयतें (निशानियां) है जिसमे से 1 हजार से ज्यादा आयतें (निशानियां) साइंस के बारे में बात करती है। और आज तक कुरआन की एक बात भी साइंस के खिलाफ नहीं गई है।
मुहम्मद ﷺ के अल्लाह की तरफ से होना का कुरआन इतना बड़ा सबूत है कि इसे एक आर्टिकल में लिख पाना मुमकिन नहीं है इसके लिए हमारी एक सीरीज कुरआन नाम से आयेगी जिसमे कुरआन के अल्लाह के कलाम होने पर तफसील से बात की जायेगी। इंशा अल्लाह
आप सब से गुजारिश है कि जुड़े रहे इस्लामिक थियोलॉजी ब्लॉग के साथ और हमारी आने वाली सीरीज कुरआन को भी जरूर पढ़ें।
By- इस्लामिक थियोलॉजी
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