Ek mulhid (Athiest/nastik) ka aitraaj

Ek mulhid (Athiest/nastik) ka aitraaj


एक मुलहिद (Athiest/नास्तिक) का ऐतराज़

एक मुलहिद ने दो हदीस को सामने रख कर सुवाल खड़ा किया है आइये पहले हम उन हदीसों को सामने रखते हैं,


पहली हदीस:

नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"किसी अच्छे काम का अच्छा बदला देना सिला-रहमी नहीं है बल्कि सिला-रहमी करने वाला वो है कि जब उसके साथ सिला रहमी का मामला न किया जा रहा हो तब भी वो सिला रहमी करे।" [सहीह बुखारी: 5991]


दूसरी हदीस:

अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ी अल्लाह अन्हू से रिवायत है कि एक नाबीना (Blind) था उसकी एक उम्मे वलद (ऐसी लौंडी जिससे उसकी औलाद) थी और वो नबी ﷺ को गालियां बकती थी और बुरा भला कहती थी वो उसे मना करता था मगर मानती ना थी वह उसे से डांटता तो था मगर समझती ना थी। एक रात वो नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की बदगोई करने और आप (ﷺ) को गालियां देने लगी तो उस नाबीना ने एक बरछा लिया उसे उस लौंडी के पेट पर रखकर उस पर अपना बोझ डाल दिया और उस तरह उसे कत्ल कर डाला।

उस लौंडी के पांव में एक छोटा बच्चा आ गया और उसने उस जगह को खून से लथपथ कर दिया। जब सुबह हुई तो नबी ﷺ से इस कत्ल का ज़िक्र किया गया और लोग इकट्ठा हो गए तो आप ﷺ ने फ़रमाया: "मैं उस आदमी को अल्लाह की कसम देता हूं जिसने यह कारवाई की है और मेरा उस पर हक़ है कि वो खड़ा हो जाए।"  

तो वो नाबीना खड़ा हो गया 4 लोगों की गर्दन फलांगता हुआ आया। उसके कदम लरज़ रहे थे यहां तक कि नबी ﷺ के सामने आ बैठा और बोला अल्लाह के रसूल ﷺ मैं उसका क़ातिल हूं। 

ये आपको गालियां बकती और बुरा भला कहती थी। उसको मना करता था लेकिन यह बाज़ नहीं आती थी मैं इसे डाटा करता था लेकिन ये नहीं समझती थी। मेरे उससे दो बच्चे भी हैं जैसे कि मोती हो और मेरा बड़ा अच्छा साथ देने वाली थी। पिछली रात जब वह आपको गालियां देने लगी और बुरा भला कहने लगी तो मैंने छुरा लिया उसे उसके पेट पर रखा और उस पर अपना बोझ डाल दिया यहां तक के उसको क़त्ल कर डाला तो नबी ﷺ ने फ़रमाया, "ख़बरदार गवाह हो जाओ उस लौंडी का खून जायज़ है।" [अबू दाऊद: 4361]


अब उस मुलहिद का सुवाल ये है पहली हदीस में तो इस्लाम सिला रहमी की तलक़ीन करता है और दूसरी जगह सहाबी ख़ुद उस लौंडी के साथ सिला रहमी नहीं कर रहें तो इस बेचारी के साथ ऐसा ज़ुल्म क्यों किए सहाबी और रसूल ﷺ ने उन्हें कुछ बोला भी नही सज़ा भी नहीं दिया। ऐसा क्यों?


इसका जवाब हम देने की कोशिश करते हैं। (इंशा अल्लाह)

(01) पहले उस मुलहिद से हम ये पूछेंगे की क्या आपके पास ऐसी कोई दलील हैं जिससे ये साबित हो सके की सिला रेहमी वाली हदीस वो सहाबी जानते थे या ये सिला रहमी की हदीस वो क़त्ल से पहले की थी या बाद की अगर नहीं बता सकते तो दो हदीसो में तज़ाद (contradiction) कैसे साबित करेंगे?

(02) अगर कोई शख़्स आपकी मां या बाप को गाली दे या रोज़ाना बुरा भला कहे मना करने के बावाजूद भी उससे वो बाज़ ना आये तो क्या करेंगे आप? क्या ऐसे ही छोड़ देंगे या कुछ करेंगे?

(03) इस वाक़िये से नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अल्हम्दुलिल्लाह सिला रहमी साबित हो रही है क्यूंकि इस्लाम में ख़ून करने पर क़िसास (बदला) लेने को कहा गया है लेकिन नबी अलैहिस्सलाम ने सहाबी से कोई क़िसास नहीं लिया इससे ये बात वाज़ह हो गयी की नबी ﷺ ने उन नाबीना सहाबी के साथ सिला रहमी का मुज़ाहिरा पेश किया, तो इससे नबी ﷺ का हदीस पर अमल भी पैरा है।

(04) नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर इस हदीस को लेकर कोई इल्ज़ाम नहीं लगेगा क्यूंकि यहाँ वो क़त्ल नबी ﷺ ने नहीं बल्कि सहाबी ने किया था और अगर वो सहाबी नबी ﷺ को ये बताते की वो गालियां देती है तो बिल यक़ीन नबी ﷺ उसको बर्दाश्त कर लेते लेकिन क़त्ल करने का हुक्म ना देतें। अब उन्होंने क़त्ल किया और सज़ा नहीं दी ये नबी अलैहिस्सलाम की सिला रहमी ही तो हैं जो उन नाबीना सहाबी के साथ किया।

(05) सबसे अहम बात ये है की अगर गाली सुनने के बाद वो नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास जाते और तब नबी ﷺ उनको हुक्म देतें की उसको क़त्ल कर दो तब आपका ऐतिराज़ दुरुस्त था हमारा ईमान है नबी अलैहिस्सलाम के बड़े बड़े दुश्मनों ने नबी ﷺ को गालियां दी नबी ﷺ के पत्थर मारे लेकिन नबी ﷺ ने पलट कर जवाब ना दिया। ये बात हिस्ट्रीकल और RELIGIOUS दोनों में दर्ज हैं अब यहाँ से नबी ﷺ तो बरी हुए।

(06) अब रहा ये की उन सहाबी ने क़त्ल किया और इस्लाम में क़त्ल का बदला क़त्ल है लेकिन इस वाक़िया से ये दलील मिल रही है। बाज़ अवक़ात मांफी भी इस्लाम ने दी है। इस वाक़िये से हमें पता चला क्यूंकि उससे सहाबी का ईमान साबित हो रहा है कि गुस्ताख़ ए रसूल की यही सज़ा होनी चाहिय।

(07) सिला रहमी की भी इस्लाम ने कैटेगरी बताई है, इस्लाम में कुफ़्र की माफ़ी नहीं, शिर्क की मांफी नहीं, इन गुनाहो से सिला रहमी का सहारा लेकर बच नहीं सकते क्यूंकि जहाँ तक इस्लाम सिला रहमी का ज्ञान देता है वहीँ कुछ कंडीशन में ये सिला रेहमी लागू नहीं होगी। आपसी मुठभेड़ में तो सिला रेहमी करना ज़रूरी है। लेकिन यहाँ बात आई थी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को गाली देने की अब ज़रा सोचें वो गाली कैसी गाली होगी की एक नाबीना सहाबी ने उस लौंडी को क़त्ल कर दिया क्यूंकि ये उसका हमेशा का अमल बन गया था। इंसान एक बार सब्र कर सकता है बार बार तो किसी को बर्दाश्त नहीं होता वो गाली भी क्या गाली हो की सहाबी इतने गुस्से में आ गए कोई मुलहिद बता दे वो क्या गालियां होंगी?

(08) साइंस भी कहता है हर इंसान की अपनी अलग अलग सोच और नज़रिया और फीलिंग्स होती है अब हर इंसान का बर्दाश्त करने का माददा एक जैसा नहीं होता सबसे ज़्यादा दुख तो उन सहाबी को ही होना चाहिए था क्यूंकि उस लौंडी से उनकी दो बेटियां जन्मी थी लेकिन ये उन सहाबी का ईमान था की नबी ﷺ के ख़िलाफ़ गालियां ना सुनी और हदीस ख़ुद बता रही है सहाबी कहते हैं मैं मना करता था लेकिन मानती ना थी इससे साबित हो रहा है एक हद्द तक सहाबी ने उसको समझाया था।

(09) अंत में अब नास्तिक से मेरा सुवाल हैं अगर कोई व्यक्ति आपको क़त्ल करने की नियत से आये क्या आप उसके साथ सिला रहमी करेंगे या उसको क़त्ल करेंगे नास्तिक की मंतिक से तो जब वो क़त्ल करने आये तो बर्दाश्त करके उससे खुद क़त्ल करा लेना चाहिए क्यूंकि सिला रहमी रखनी हैं अब मैं जानता हूं नास्तिक यही कहेगा जो मुझे मारने आएगा में डिफेन्स करूँगा तो नास्तिक साहब यही कुछ कंडीशन इस्लाम ने सिखाई है कोई नबी ﷺ को गाली दे गुस्ताख़ी करे तो उसके साथ कोम्प्रोमाईज़ नहीं बल्कि सज़ा देना ज़रूरी होगा।


आपका दीनी भाई 
मुहम्मद

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3 टिप्पणियाँ

  1. इस मुनकिर ने एक चैनल डिबेट में हजरत अबु बक्र रजियाल्लाहू से एक हदीस भी कोट की थी कि आपने काफिर लोगो को तकलीफ पहोचने के लिए उनके बुतों, लात और उज़्जा के शर्मगाहों को चाटने का हुक्म दिया था। क्या यह सही है या फिर उस मुनकिर की ओर से झूठ कहा गया है।

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  2. sahi hai... mazeed detail ke liye whatsapp par contact karein... Feroz Shaikh

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