क्या नबी नूर थे, या बशर? (पार्ट-3)
Table Of Content
- क्या नबी ﷺ नूरीमीनूरील्लाह थें?
- क्या नबी ﷺ के दो दाँत मे नूर था?
- जब इंसान नहीं थे तो नबी बशर नहीं, नूर होंगे
- मुसलमान यहूद व नसारा के तरीके पर
- नूरी मखलूक का खाना पीना
8. क्या नबी ﷺ नूरीमीनूरील्लाह थें?
अहले बरेलविया का ये अक़ीदा हैं की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सरापा नूर हैं नबी की मादा ऐ खिलक़त नूर हैं और वो दुनिया मे लिबास ऐ इंसानी पहन कर आये है
आइये नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ही पूछ लेते है वो नूर हैं या नहीं।
हदीस मुलाहिज़ा फरमाए:
اللهمَّ اجعلْ في قلبي نورًا، وفي لساني نورًا، وفي بصري نورًا، وفي سمعي نورًا، وعن يميني نورًا، وعن يساري نورًا، ومن فوقي نورًا، ومن تحتي نورًا، ومن أمامي نورًا، ومن خَلْفي نورًا، واجعلْ لي في نفسي نورًا، وأَعظِمْ لي نورًا
"ऐ अल्लाह! मेरे दिल मे नूर बना दे, और मेरी आँखों मे नूर बना दे, मेरे कानो मे नूर बना दे और मेरे दायें बायें नूर दे, मेरे सामने और पीछे नूर बना दे और मुझे नूर अता फरमा और मेरी ज़ुबान को नूर अता फरमा और मेरे पट्ठे मे नूर अता फरमा, मेरे गोश्त मे नूर अता फरमा और मेरे खून मे और चमड़े मे नूर बना दे और बड़ा कर मेरे लिए नूर या इलाही दे मुझे नूर।" [बुखारी 6316; मुस्लिम]
जो लोग नबी अलैहिस्सलाम को नूरीमीनूरील्लाह (अल्लाह से नूर निकला) मानते हैं उनका इस दुआ के बारेँ मे क्या तबसिरा होगा? जो दुआ नबी अलैहिस्सलाम हर सुबह की नमाज़ के वक़्त मांगते थे अगर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नूरीमीनूरील्लाह थे तो ये दुआ मांगने की क्या ज़रूरत थी?
और यक़ीनन इस तरह नबी अलैहिस्सलाम हिदायत के नूर बन गए, नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बोलते थे वो नूर ऐ हिदायत होती, सुनते वो नूर ऐ वहीय होती, आप का अमल वहीय इलाही की पैरवी होती। इस तरह आप अलैहिस्सलाम नूर ऐ हिदायत थे यानि नबी अलैहिस्सलाम का इख़लाक़ ऐ अज़ीमा क़ुरआन की तफसीर हैं। जैसा के,
सय्यदा आएशा रज़ि अन्हा ने फ़रमाया:
"आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इख़लाक़ क़ुरआन हैं।" [सहीह मुस्लिम सलातुल लेल]
और अगर कोई कहे की नबी अलैहिस्सलाम ने दुआ की है तो क्या नूर की नफी (रिजेक्ट)हो गई?
हो सकता हैं नबी और नूर बढ़ा रहे हो।
अर्ज़ हैं की अगर ऐसा हैं तो इसका जवाब भी क़ुरआन ने दिया है:
أَوَمَن كَانَ مَيْتًۭا فَأَحْيَيْنَـٰهُ وَجَعَلْنَا لَهُۥ نُورًۭا يَمْشِى بِهِۦ فِى ٱلنَّاسِ كَمَن مَّثَلُهُۥ فِى ٱلظُّلُمَـٰتِ لَيْسَ بِخَارِجٍۢ مِّنْهَا ۚ
"ऐसा शख्स जो मुर्दा था फिर हमने इसे ज़िंदा किया और हमने इसे एक ऐसा नूर दिया जिसे वो लिए हुए आदमियों मे चलता फिरता है। क्या ये शख्स उस शख्स के बराबर हो सकता हैं जो अंधेरों से निकल नहीं पाता?" [सूरह अनाम (6) 122]हिदायत का नूर अल्लाह सभी ईमान वालों को देता है जैसा की आयत ऊपर बता रही है। तो क्या सारे ईमान वाले नूरी मखलूक हो गए?
इस आयत मे अल्लाह ताबीर हिदायत के नूर से ही दे रहा है की कुफ्र और गलाज़त के अँधेरे मे लोग पड़े थे अल्लाह ने उन्हें हिदायत (ईमान) की रौशनी दी इसी को नबी अलैहिस्सलाम हर सुबह की नमाज़ मे बढ़ाते थे।
9. क्या नबी ﷺ के दो दाँत मे नूर था?
अहले बरेलविया ने मानो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह का नूर का टुकड़ा साबित करके ही मानना हैं। बारहाल चलते हैं बरेलवी की दलीलो की तरफ,
एक हदीस पेश की जाती है:
हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि अन्हु बयान करते है,
"रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने के दो दाँत कुशादा थे, जब आप गुफ़्तगू करते तो ऐसा मालूम होता के आप के दो दाँतो से नूर बरस रहा है।" [सुनन दारमी हदीस 59; मिशक़ात 5797]
सुवाल:
नबी अलैहिस्सलाम को जब पूरा नूर मानते हो तो दो ही दाँतो मे नूर क्यों था?
अगर दो दाँत मे नूर था तो फिर बाकी हिस्सा इसका मतलब बशर था?
अल्लाह के नूर का अगर नबी अलैहिस्सलाम टुकड़ा हैं तो मूसा अलैहिस्सलाम ने सिर्फ अल्लाह की तजल्ली को देखा तो बेहोश हो गए तो सहाबी ने कैसे नबी अलैहिस्सलाम का हुलिया बयान कर दिया सहाबी बेहोश क्यों ना हुए?
10. जब इंसान नहीं थे तो नबी बशर नहीं, नूर होंगे
अहले बरेलविया के नज़दीक नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सबसे पहले नूर थे। इस पर ये एक हदीस बयान करते है,
1. हदीस मुलाहिज़ा फरमाए:
हज़रत अरबाज़ बिन सारिया रज़ि अन्हु नबी अलैहिस्सलाम से रिवायत करते हैं के,
"आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया मै तो उस वक़्त से अल्लाह के यहाँ आखिरी नबी लिखा हुआ था जब आदम अलैहिस्सलाम अभी मिट्टी की सूरत मे पड़े हुए थे। [मिशकात उल मसाबिह 5759]
इस हदीस से ये मसला निकालते है की जब कोई इंसान नहीं था नबी तब भी नबी थे मालूम हुआ जब इंसान नहीं थे तो नबी बशर नहीं होंगे नूर होंगे।
जवाब: ये हदीस कई साहबियों से मरवी है (इब्ने साद, तारीख उल कबीर) मे भी ये रिवायत आयी है।
इस हदीस पर जरह ना करते हुए सिर्फ हदीस पर बात की जाए तो भी इससे इन बरेलविया का मसला हल नहीं होगा क़्यूकि क़ुरआन और सहीह हदीस पहले ही एलान कर रहे हैं-
(1) "अल्लाह ने ज़मीन और आसमान की तकलीख से 50 हज़ार साल पहले सारी तकदीरे लिख दी थी।" [सहीह मुस्लिम]
(2) उबादा बिन सामित से मरवी हैं की नबी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया,
फ़रमाया तक़दीर लिख। इसने अल्लाह के बताने से क़यामत तक की सारी चीज़ो के बारेँ मे लिखा। [तिरमीज़ी 2155; अबू दाऊद 4700]
2. और एक हदीस मे है-
अली बिन अबी तालिब से मरवी है की नबी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
"हर शख्स का ठिकाना उसके जन्नती और जहन्नमी होने या नेक और बद होने का अल्लाह ने लिख रखा हैं।" [बुखारी; मुस्लिम]
3. इसी तरह क़ुरआन मे अल्लाह फरमाता है:
"हर दाना, हर खुशकी और पानी की चीज़े लिखी हुई हैं (लोहे मेजफूज़ मे)।" [सूरह अनआम (6) 59]
4. इसी तरह क़ुरआन फिर फरमाता है:
وَإِذْ أَخَذَ ٱللَّهُ مِيثَـٰقَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ لَمَآ ءَاتَيْتُكُم مِّن كِتَـٰبٍۢ وَحِكْمَةٍۢ ثُمَّ جَآءَكُمْ رَسُولٌۭ مُّصَدِّقٌۭ لِّمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهِۦ وَلَتَنصُرُنَّهُۥ ۚ قَالَ ءَأَقْرَرْتُمْ وَأَخَذْتُمْ عَلَىٰ ذَٰلِكُمْ إِصْرِى ۖ قَالُوٓا۟ أَقْرَرْنَا ۚ
"अल्लाह ने नबियों से अहद लिया के मे तुम्हे किताब वा हिकमत दू फिर तुम्हारे पास वह रसूल आये जो तुम्हारे पास की चीज़ो को सच बताये तो तुम इस पर ईमान लाना और इसकी मदद करना क्या तुम इकरार करते हो? सब ने कहा हम इकरार करते हैं।" [सूरह इमरान (3) 81]
5. एक जगह अल्लाह इरशाद फरमाता है:
وَإِذْ أَخَذَ رَبُّكَ مِنۢ بَنِىٓ ءَادَمَ مِن ظُهُورِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَأَشْهَدَهُمْ عَلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ أَلَسْتُ بِرَبِّكُمْ ۖ قَالُوا۟ بَلَىٰ ۛ شَهِدْنَآ ۛ
"रब ने आदम की पुश्त से इनकी औलाद को निकाला और इनसे इन्ही के मुताल्लिक इकरार लिया के मै तुम्हारा रब नहीं हूँ? सबने कहा क्यों नहीं! हम इकरार करते है।" [सूरह आराफ (7) 172]
इन आयतो और सहीह हदीसो से मालूम हुआ-
(1) अल्लाह ने आसमान और ज़मीन सूरज चाँद और तारों से पहले कलम को पैदा किया और क़यामत तक की तमाम चीज़ो की तक़दीर लिख दी।
(2) आलम ऐ अरवाह मे अल्लाह ने तमाम नबियों से इकरार लिया की मै तुम्हे नुबूवत और किताब दूंगा जब मेरा आखिरी नबी आये तो तुम उसकी तस्दीक करना और मदद करना, सबने इकरार किया गोया अभी आदम अलैहिस्सलाम का पुतला नहीं बना और अभी रूहे आलम ऐ अरवाह मे हैं। उस वक़्त तमाम नबियों को नुबुवत और किताब की बशारत मिल चुकी थी गोया अभी आदम अलैहिस्सलाम जिस्म और रूह के दरमियान थे उस वक़्त ये सब भी नबी थे।
(3) अल्लाह तआला ने आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त से तमाम जुररियत को निकाला और इकरार लिया क्या मे तुम्हारा रब नहीं?
आदम अलैहिस्सलाम से लेकर क़यामत तक आने वाली रुहो ने इकरार किया बेशक़ तू हमारा रब है गोया अभी आदम अलैहिस्सलाम रूह और जिस्म के दरमियान थे उस वक़्त भी फिरौन, नमरूद भी मौजूद थे और वो काफिर थे क्यूंकि ज़मीन और आसमान के और तमाम अरवाहो के पचास हज़ार साल पहले की तकदीरे लिख दी गई थी।
जिस तरह अभी आदम जिस्म और रूह के दरमियान थे और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस वक़्त भी नबी थे तो इसी तरह अगर ये कहा जाए की उस वक़्त फिरौन, नमरूद भी मौजूद थे और काफिर थे तो इसमें हैरत कैसी?
तो मालूम हुआ अगर नबी अलैहिस्सलाम ने ये बात कही भी के अभी आदम अलैहिस्सलाम पुतला और रूह के दरमियान थे मै उस वक़्त भी नबी था तो इस बात पर अहले बिदअत को उधम मचाने की ज़रूरत नहीं क्यूंकि क़ुरआन के बयान से तमाम नबी उस वक़्त भी नबी थे और सबने इकरार लिया यहाँ तक के क़यामत तक के पैदा होने वाले तमाम इंसान उस वक़्त थे और तक़दीर के लिखें के मुताबिक़ यहूद, नसारा, काफिर, मोमिन सब थे।
जैसा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने और पिछले नबियों ने दज्जाल की पेशगोई की गोया आलम ऐ अरवाह और तकदीर की रूह से मुराद दज्जाल है हालांकि वो अभी आया भी नहीं और इमाम मेहंदी भी आएंगे जबकि उनकी आने की बशारत तब मिली जबके उनके पुस्ते भी पैदा नहीं हुए थे। गोया आलम ऐ अरवाह और तक़दीर मे लिखें थे, आदम अलैहिस्सलाम की पुश्त से अभी जुररियत भी नहीं निकली और वो रूह और जिस्म के दरमियान थे उस वक़्त भी मेहंदी, इमाम मेहंदी थे।
मालूम हुआ इससे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का वजूद सबसे पहले होना साबित नहीं होता अल्लाह ने क़ुरआन मे फरमाया:
وَيَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلرُّوحِ ۖ قُلِ ٱلرُّوحُ مِنْ أَمْرِ رَبِّى وَمَآ أُوتِيتُم مِّنَ ٱلْعِلْمِ إِلَّا قَلِيلًۭا
"ऐ नबी, लोग तुमसे रूह के बारेँ मे पूछते है कह दो रूह तो अल्लाह का कलमा (हुक्म) है।" [सूरह बनी इजराइल (17) 85]मालूम हुआ तमाम रूहो को अल्लाह ने कलमा कुन कहकर पैदा किया कोई भी रूह अल्लाह के नूर से नहीं बनी बल्कि कलमा कुन से बनी है। आदम अलैहिस्सलाम और तमाम जिस्म मिट्टी से बने हैं।
मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम भी आदम अलैहिस्सलाम की औलादो मे से हैं लिहाज़ा आप भी मिट्टी से बने हैं और इसको अहमद रज़ा खान ने भी माना है।
[देखिये फतावा अफ्रीका सफा 85"1236 हिजरी]
11. मुसलमान यहूद व नसारा के तरीके पर
उम्मत कहाँ आ चुकी है नबी की बहुर्मती करने मे यहूदी, ईसाई से भी चार हाथ आगे हो चुकी है इसलिए मेरे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा था की,
सहाबा ने कहा: "या रसूलुल्लाह, अगले लोगो से मुराद क्या है?"
नबी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: "यहूद नसारा"
[तिर्मिज़ी 2140]
बात बिलकुल सही है ईसाईयों ने नबी ईसा को अल्लाह का बेटा बना दिया और बरेलवियों ने अल्लाह के नूर से नबी अलैहिस्सलाम को बना दिया।
नबी का बशर होना नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सिफात है, कमाल है नूर बशर से कमतर होता है।आइये क़ुरआन से पूछ लेते है नबी को कमतर कौन समझता है-
क़ुरआन कहता है:
فَلَمَّا رَأَيْنَهُۥٓ أَكْبَرْنَهُۥ وَقَطَّعْنَ أَيْدِيَهُنَّ وَقُلْنَ حَـٰشَ لِلَّهِ مَا هَـٰذَا بَشَرًا إِنْ هَـٰذَآ إِلَّا مَلَكٌۭ كَرِيمٌۭ
"इन औरतों ने जब इसे देखा तो अपने हाथ काट लिये और ज़ुबान से निकल गया माशा अल्लाह ये हरगिज़ इंसान नहीं ये तो यकीनन कोई फरिश्ता है।" [सूरह यूसुफ (12) 31]
मालूम हुआ अम्बिया की गैर मामूली खुसूसियात वा इम्तियाज़ की बिना पर उन्हें इंसानियत से निकाल कर नूरानी मखलूक करार देना हर दौर के ऐसे लोगों का सेवह रहा है, जो नबूअत और इसके मुकाम से ना आशना होते है।
इसी तरह इंसान को कमतर समझना और नबूअत के लायक न समझना शैतानों का रवय्या है।
क़ुरआन कहता है:
قَالَ لَمْ أَكُن لِّأَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهُۥ مِن صَلْصَـٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ
"वह बोला मैं ऐसा नहीं के इस इंसान को सज्दा करूँ जिसे तूने काली और सड़ी हुई खनखनाती मिट्टी से बनाया है।" [सूरह हिज्र (15) 33]
मालूम हुआ शैतान के इंकार की वजह आदम अलैहिस्सलाम का खाकी और वशर होना बतलाया जिसका मतलब ये हुआ कि इंसान यानी बशर को इसकी बशरियत की बिना पर हकीर और कमतर समझना ये शैतान का फलसफा है ये किसी मोमिन का अकीदा नहीं हो सकता।
तमाम फ़रिश्ते नूर से बने हैं लेकिन अल्लाह तआला ने नूर को बशर के आगे यानी मिट्टी के आगे झुका दिया ये बरेलवी नबी अलैहिस्सलाम को नूर समझते हैं गोया इसमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की गुस्ताखी है नूर से अफ़ज़ल मिट्टी है इसलिए अल्लाह ने सजदा कराया आदम (मिट्टी) को।
चुनाचे अल्लाह क़ुरआन मे फरमाता है:
لَّقَدْ كَانَ لَكُمْ فِى رَسُولِ ٱللَّهِ أُسْوَةٌ
"नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) तुम्हारे लिए बेहतरीन आइडियल (ideal) है।" [सूरह एहज़ाब (33) 21]
मालूम हुआ अल्लाह ने हमारे लिए बेहतरीन नमूने के तौर पर नबी अलैहिस्सलाम को हमारे लिए भेजा अगर हम फ़रिश्ते होते तो अल्लाह फ़रिश्ते को ही हमारे लिए भेजता।
जैसा की अल्लाह ने क़ुरआन मे फ़रमाया:
لَّوْ كَانَ فِى ٱلْأَرْضِ مَلَـٰٓئِكَةٌۭ يَمْشُونَ مُطْمَئِنِّينَ لَنَزَّلْنَا عَلَيْهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ مَلَكًۭا رَّسُولًۭا
ये इतनी ज़बरदस्त दलील से जिससे इनके नूरी अक़ीदे की धज्जियाँ उड़ जाती है।
12. नूरी मखलूक का खाना पीना
(1) आइये चलते हैं क़ुरआन की तरफ:
-وَلَقَدْ جَآءَتْ رُسُلُنَآ إِبْرَٰهِيمَ بِٱلْبُشْرَىٰ قَالُوا۟ سَلَـٰمًۭا ۖ قَالَ سَلَـٰمٌۭ ۖ فَمَا لَبِثَ أَن جَآءَ بِعِجْلٍ حَنِيذٍۢ - فَلَمَّا رَءَآ أَيْدِيَهُمْ لَا تَصِلُ إِلَيْهِ نَكِرَهُمْ وَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةًۭ ۚ قَالُوا۟ لَا تَخَفْ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمِ لُوطٍۢ
"फरिश्ते इब्राहीम के पास खुशखबरी लेकर पहुँचे सलाम कहा इन्होंने भी सलाम कहा बगैर ताखीर के गाय का भुना गोश्त ले आये। अब जो देखा कि इनके हाथ भी इसकी तरफ नहीं बढ़ते तो इनको अजनबी समझकर दिल ही दिल में खौफ करने लगे। इन्होंने कहा डरो मत हम कौमें लूत की तरफ भेजे हुए आये हैं।" [सूरह हुद (11) 69-70]
मालूम हुआ कि अगर कोई नूरी मखलूक इंसानी शक्ल में भी दुनियां में आयेगा तो वो खाना पीना नहीं खायेगा। ये आयत इतनी जबरजस्त दलील पेश करती है कि बातिल परस्त औंधे मूंह गिर पड़ते हैं , नूरी मखलूक को ना भूक लगती है ना प्यास ना उनके दर्द होता है ना खून निकलता है और ना ही उनके बीवी बच्चे खानदान होते हैं इस के बरअक्स मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बीवी , बच्चे , खानदान , मां , बाप और रिश्तेदार सब थे और आप को ताईफ में ज़ख़्मी किया गया तो आप के खून निकला और जूतियां खून से भर गयी नबी को दर्द भी हुआ।
(2) अल्लाह ने क़ुरआन मे फ़रमाया:
مَّا ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ مَرْيَمَ إِلَّا رَسُولٌۭ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ ٱلرُّسُلُ وَأُمُّهُۥ صِدِّيقَةٌۭ ۖ كَانَا يَأْكُلَانِ ٱلطَّعَامَ ۗ
"मसीह मरियम का बेटा तो सिर्फ एक पैगम्बर ही तो है और इससे पहले भी कई पैगम्बर गुजर चुके हैं और इसकी मां एक सिद्दीका (सच्ची) थी दोनों खाना खाते थे।" [सूरह मायदा (5) 75]
वह खाना खाते थे इस लिए वह अल्लाह के जुज़ (टुकड़ा) नहीं थे , अल्लाह चाहता तो कायनात की बड़ी से बड़ी चीज़ की मिसाल दे सकता था लेकिन अल्लाह ने बशरियत के लिए सिर्फ खाना खाने की मिसाल देकर अल्लाह और बन्दे का फर्क वाजे किया और इसमें इतनी हिमकत पोशीदा है कि अक्ल वाला सज्दे में गिर जाऐ जो खाने का मोहताज़ हो वो अल्लाह का टुकड़ा कैसे हो सकता है?
(3) अल्लाह ने क़ुरआन मे फ़रमाया:
وَمَآ أَرْسَلْنَا قَبْلَكَ مِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ إِلَّآ إِنَّهُمْ لَيَأْكُلُونَ ٱلطَّعَامَ
"हमने आप से पहले जितने रसूल भेजे सबके सब खाना भी खाते थे।" [सूरह फुरकान (25) 20]
(4) अल्लाह ने क़ुरआन मे फ़रमाया:
هَـٰذَآ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُكُمْ يَأْكُلُ مِمَّا تَأْكُلُونَ مِنْهُ وَيَشْرَبُ مِمَّا تَشْرَبُونَ
"ये तो तुम जैसा इंसान है तुम्हारी ही खुराक ये भी खाता है और तुम्हारे पीने का पानी ये भी पीता है।" [सूरह मोमेनून (23) 33]
अल्लाह का कलाम हिकमतों से भरा है नबियों के मुताल्लिक बार - बार खाने की दलील बयान करना इसकी अहमियत को जाहिर करता है कि सारे नवी वशर और खाने पीने के मोहताज थे वो नूरी या अल्लाह का टुकड़ा कैसे हो सकते थे
(5) अल्लाह ने क़ुरआन मे फ़रमाया:
لَقَدۡ مَنَّ اللّٰهُ عَلَى الۡمُؤۡمِنِيۡنَ اِذۡ بَعَثَ فِيۡهِمۡ رَسُوۡلًا مِّنۡ اَنۡفُسِهِمۡ يَتۡلُوۡا عَلَيۡهِمۡ اٰيٰتِهٖ وَيُزَكِّيۡهِمۡ وَيُعَلِّمُهُمُ الۡكِتٰبَ وَالۡحِكۡمَةَ ۚ
"अल्लाह ने मोमिनो पर बड़ा एहसान किया के इनमे इन्ही मे से एक पैग़म्बर भेजा और इनको अल्लाह की आयते पढ़-पढ़ कर सुनाता।" [सूरह इमरान (3) 164]
इस आयत मे लफ्ज़ अंफुसाकुम आया है जिसका मतलब तुम्हारी नफ़्स मे से ही भेजा।
और बरेलीविया फिरके को यहाँ जवाब भी मिल गया क्यूंकि शुरू मे अल्लाह ने फरमाया की हमने मोमिनो पर एहसान किया यानी अब बरेलवी बहाना नहीं बना सकते की अल्लाह काफिरो से कहलवा रहा है।
मुहम्मद
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