Jannati aurton ki sardar kon-kon hain? (part-1)

Jannati aurton ki sardar asiya ra


जन्नती औरतों की सरदार (क़िस्त 1)


1. आसिया बिन्ते मुज़ाहिम रज़ि अल्लाहु अन्हा 

फ़िरऔन एक ज़ालिम शासक था उसकी हुकूमत मिस्र (Egypt) में थी। वह मिस्र आज वाला मिस्र न था। उसका क्षेत्रफल बहुत बड़ा था, फ़िरऔन ख़ुद को ख़ुदा समझता था और घमंड में अपनी जनता से कहता था कि "मैं तुम्हारा सबसे बड़ा रब (पालनहार) हूं"। जो उसकी बात नहीं मानता वह उसपर बहुत अत्याचार करता। बनी इस्राईल से तो उसे नफ़रत थी वह उन्हें देखना भी पसंद नहीं करता था, बनी इस्राईल की हैसियत उसके यहां कीड़े मकोड़ों से ज़्यादा न थी। 

एक दिन फ़िरऔन ने यह ख़्वाब देखा कि बनी इस्राईल का एक व्यक्ति उसकी सल्तनत को ख़त्म कर देगा। उस दिन से उसने यह ऐलान करा दिया कि बनी इस्राईल के यहां जो भी बच्चा पैदा हो उसे जान से मार डाला जाय। सूचना पाने के लिए उसने बनी इस्राईल के घरों पर जासूस बिठा दिये। जैसे ही बनी इस्राईल के यहां बच्चा पैदा होता यह जासूस फ़ौरन सूचना देते और पुलिस जाकर उस बच्चे को क़त्ल कर देती। लेकिन अल्लाह के फ़ैसले को भला कौन टाल सकता है फ़िरऔन की तमाम कोशिशों और निगरानी के बावजूद एक बच्चा पैदा हुआ और फ़िरऔन के घर में ही उस बच्चे का पालन पोषण हुआ और फ़िरऔन इस बात से बेख़बर रहा कि उसके सल्तनत को मिट्टी में मिलाने वाला ख़ुद उसके घर में पल रहा है।

हुआ यूं कि बनी इस्राईल के एक सम्मानित व्यक्ति इमरान के यहां एक बच्चे ने जन्म लिया तो मां को इशारा मिला कि उस बच्चे को एक संदूक़ में रख कर नील नदी के हवाले कर दे। मां के दिल में दोनों सूरतों में एक तरफ़ कुंआ और दूसरी तरफ़ खाई वाला मामला था। अगर वह बच्चे को नील नदी में न डाल कर अपने पास रख लेती है तो फ़िरऔन के सिपाहियों को किसी न किसी दिन ज़रूर सूचना मिलेगी औऱ फिर उसे क़त्ल कर दिया जाएगा, दूसरी तरफ़ नील नदी के हवाले करने पर भी बच्चे की ज़िंदगी की क्या उम्मीद की जा सकती थी। मां ने इशारा वाला रास्ता चुना औऱ बिना झिझक संदूक़ में रख कर नील नदी में डाल दिया। जब यह संदूक़ बहता हुआ दूसरे किनारे पर पहुंचा जहां फ़िरऔन का मनोरंजन स्थान था वहां उसके किसी दरबारी की नज़र संदूक़ पर पड़ी, लोगों ने संदूक़ निकाला और खोला तो देखा कि कुछ महीनों का एक बच्चा है, फ़िरऔन के ज़हन में थोड़ी देर के लिए यह ख़्याल आया कि कहीं यह बच्चा बनी इस्राईल का तो नहीं है लेकिन उसकी पत्नी बीच में आ गयी और उसने राय दी कि इस बच्चे को छोड़ दें हम उसे ग़ुलाम या बेटा बना लेंगे, फ़िरऔन ने पत्नी की बात मान ली और उस बच्चे का पालन पोषण फ़िरऔन के दरबार में हुआ कि जिसे तबाह व बर्बाद करना है वह उसके दरबार में रहकर तमाम तदबीर और मालूमात से वाक़िफ़ हो जाए और ग़ुलामी ज़हनियत से निकल कर उसके अंदर आज़ादी की रूह पैदा हो सके।

बच्चा जब बड़ा हुआ तो उसके हाथों अनजाने में एक क़िबती का क़त्ल हो गया जिसका भेद खुलने पर मिस्र की धरती छोड़कर फ़रार का रास्ता इख़्तियार करना पड़ा और अन्ततः भागते भागते मदयन की धरती पर एक बुज़ुर्ग शुऐब के यहां पनाह मिली वहां दस वर्ष की ख़िदमत के बाद जब अपनी पत्नी के साथ मिस्र वापस हो रहे थे तो रास्ते में तुवा की मुक़द्दस घाटी में उन्हें रसूल बनाया गया और वह अब मूसा से रसूल "कलीमुल्लाह" मूसा हो गए। रसूल बनाकर उन्हें फ़िरऔन की तरफ़ तौहीद की दावत के लिए भेजा गया।

फ़िरऔन ने बड़ी मुख़ालिफ़त की और हर तरीक़े से मूसा को नीचा दिखाने की संभवतः कोशिश करता रहा। वह ढीठ और सरकश व्यक्ति था किसी भी सूरत में मूसा की बात मानने को तैयार नहीं हुआ लेकिन उसके दबदबे और शान व शौकत के बावजूद उसकी सल्तनत के कुछ लोग ईमान लाये। उनमें फ़िरऔन की पत्नी आसिया भी थीं। उन्होंने ने मूसा की दावत क़ुबूल कर ली और वह तौहीद (एकेश्वरवाद) की वाहक बन गईं। वह ऐसी दृढ़ संकल्प वाली महिला थी कि जैसे ही फ़िरऔन को पता चला, उसने डराया धमकाया ज़ुल्म व सितम के पहाड़ तोड़े, तरह तरह से दुख दिए लेकिन उन्होंने हर ज़ुल्म सहन किया लेकिन उनके क़दम नहीं डगमगाए।

आसिया बिन्ते मुज़ाहिम रज़ि अल्लाहु अन्हा को तौहीद की दावत क़ुबूल करने पर जो भयानक सज़ा दी गयी है लेकिन अल्लाह की रहमत उनके साथ रही उसके कुछ नमूने हदीस में मौजूद हैं-


1. उन्हें पहले धूप में खड़ा करके अज़ाब दिया गया।

كَانَتِ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ تُعَذَّبُ بِالشَّمْسِ، فَإِذَا انْصَرَفُوا عَنْهَا أَظَلَّتْهَا الْمَلَائِكَةُ بِأَجْنِحَتِهَا، وَكَانَتْ تَرَى بَيْتَهَا فِي الْجَنَّةِ
"फ़िरऔन की बीवी को धूप में अज़ाब दिया जाता था जब अज़ाब देने वाले चले जाते तो फ़रिश्ते उन पर साया कर लेते थे, उन्होंने जन्नत में अपने घर को देखा।" 
[मुस्तदरक हाकिम 3834]


2. जब फ़िरऔन उन्हें दीन ए इस्लाम से न फेर सका तो उनके हाथ पैरों में खूंटियां ठोंक दी।

اِنَّ فِرْعَوْنَ أَوْتَدَ لِامْرَأَتِهِ أَرْبَعَةَ أَوْتَادٍ فِى يَدَيهَا وَرِجْلَيْهَا، فَكَانُوا إِذَا تَفَرَقُوا عَنْهَا ظَلَّتْهَا الْمَلَائِكَةُ فقَالَتْ :   
"फ़िरऔन ने अपनी पत्नी के दोनों हाथों और पैरों में चार कीलें ठोंक दीं। जब फ़िरऔन के लोग उससे अलग होते तो फ़रिश्ते उस पर साया कर लेते थे, चुनांचे उन्होंने ने दुआ की।"

رَبِّ ٱبۡنِ لِي عِندَكَ بَيۡتٗا فِي ٱلۡجَنَّةِ وَنَجِّنِي مِن فِرۡعَوۡنَ وَعَمَلِهِۦ وَنَجِّنِي مِنَ ٱلۡقَوۡمِ ٱلظَّٰلِمِينَ
"ऐ मेरे रब! अपने पास जन्नत में मेरे लिए एक घर बना और मुझे फ़िरऔन और उसकी हरकतों से छुटकारा दिला और ज़ालिमों के पंजों से निजात दे।"

فَكَشَفَ لَهَا عَنْ بَيْتِهَا فِي الْجَنَّةِ
अल्लाह ने जन्नत में उनके घर से पर्दा हटा दिया (उन्हें अपना घर दिखाया)।

[मुसनद अबी या'ला: 4/1521, सहीह: 2508, मुसनद अहमद 11590 के तहत]


3. जब इसके बाद भी फ़िरऔन उन्हें किसी भी तरह क़ायल न कर सका तो ऐसे शहीद कर दिया।

एक रिवायत सूरह अल फ़ज्र आयत 11 ذِي الْأَوْتَادِ الَّذِينَ طَغَوْا فِي الْبِلَادِ} के तहत यह भी है- 

وَتَدَ فِرْعَوْنَ لِامْرَأَتِهِ أَرْبَعَةَ أَوْتَادٍ، ثُمَّ جَعَلَ عَلَى ظَهْرِهَا رَحًى عَظِيمًا حَتَّى مَاتَتْ
"फ़िरऔन ने अपनी बीवी के चार कीलें ठोंक दीं फिर उनकी पीठ पर एक भारी पत्थर रख दिया उसी से वह शहीद हो गईं।"
[मुस्तदरक हाकिम 3929]


आसिया रज़ि अल्लाहु अन्हा की ईमान पर इस इस्तेक़ामत (मज़बूती) की वजह से दुनिया और आख़िरत दोनों में उनका नाम अमर हो गया और वह कमाल को पहुंचीं जहां कोई औरत न पहुंच सकी। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके विषय में फ़रमाया,

كَمَلَ مِنْ الرِّجَالِ كَثِيرٌ وَلَمْ يَكْمُلْ مِنْ النِّسَاءِ إِلَّا آسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ وَمَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَإِنَّ فَضْلَ عَائِشَةَ عَلَى النِّسَاءِ كَفَضْلِ الثَّرِيدِ عَلَى سَائِرِ الطَّعَامِ
"मर्दो में कमाल को बहुत लोग पहुंचे हैं लेकिन औरतों में केवल फ़िरऔन की बीवी आसिया, मरयम बिन्ते इमरान ही पहुँची हैं और आयेशा की फ़ज़ीलत औरतों पर ऐसी है जैसे तमाम खानों पर सरीद को फ़ज़ीलत हासिल है।"
[सही बुख़ारी 3411, 3433/ किताबुल मनाक़िब अहादीसूल अंबिया , सूरह अत तहरीम आयत 11 की तफ़्सीर में, मिश्कातुल मसाबीह 5724]


 حَسْبُكَ مِنْ نِسَاءِ الْعَالَمِينَ مَرْيَمُ ابْنَةُ عِمْرَانَ وَخَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ بِنْتُ مُحَمَّدٍ وَآسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ
"तमाम दुनिया की औरतों में मरयम बिन्ते इमरान, ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद और फ़िरऔन की बीवी आसिया तुम्हारे लिए काफ़ी हैं"
[जामे तिर्मिज़ी 3878/ किताबुल मनाक़िब अन रसूलिल्लाह ख़दीजा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत के विषय में, मिश्कातुल मसाबीह 6190]


आसिया रज़ि अल्लाहु अन्हा जन्नत में औरतों की सरदार होंगी 


أَفْضَلُ نِسَاءِ أَهْلِ الْجَنَّةِ خَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ بِنْتُ مُحَمَّدٍ وَمَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَآسِيَةُ بِنْتُ مُزَاحِمٍ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ
"जन्नत की औरतों में ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद, मरयम बिन्ते इमरान, और फ़िरऔन की बीवी आसिया फ़ज़ीलत वाली हैं"
[अस सिलसिला अस सहीहा 3470, मुसनद अहमद 10557]


سَيِّداتُ نِسَاءِ أَهْلِ الْجَنَّةِ بَعْدَ مَرْيَمَ بنتِ عِمْرَانَ، فَاطِمَةُ، وَخَدِيجَةُ، وَآسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ
"जन्नत की औरतों की सरदार मरयम बिन्ते इमरान, फ़ातिमा, ख़दीजा और फ़िरऔन की बीवी आसिया हैं"
[अस सिलसिला अस सहीहा 3507]


سَيِّدَاتُ نِسَاءِ الْجَنَّةِ أَرْبَعٌ مَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَخَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ ابْنَةُ مُحَمَّدٍ وَآسِيَةُ"
"जन्नत की औरतों में चार सरदार होंगी मरयम बिन्ते इमरान, फ़ातिमा बिन्ते रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, और आसिया होंगी"
[मुस्तदरक हाकिम 4853, मुसनद अहमद 10412/ मुसनद बनी हाशिम अब्दुल्लाह बिन अब्बास]



आसिम अकरम अबु अदीम फ़लाही


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1 टिप्पणियाँ

  1. Chalo Allhumdulliah tmne ek Sequence ke tehet hadeeso ko lagaya i appreciate your work buddy ✌ Jazakallah kher And isi tarah har topic sequence ke saath banate raho

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