क़ुबूल है...!!!
लडक़ी की रजामंदी
निकाह के लिए लड़की का राज़ी होना बेहद जरूरी है इसे हम कुछ हदीस की दलाइल से समझेंगे:
बेवा का निकाह उस वक़्त तक न किया जाये जब तक उसकी इजाजत न ली जाये और कुँवारी औरत का निकाह भी उस वक़्त तक न किया जाये जब तक उसकी इजाज़त न मिल जाये।
सहाबा ने पूछा, “या रसूलल्लाह ﷺ. कुँवारी औरत इजाज़त कैसी देगी?”
आप सल्ल. ने जवाब दिया, "उसकी सूरत ये है की वो खामोश रहे। ये ख़ामोशी ही उसकी इजाज़त समझी जाएगी।”
सुनन अबू दाऊद - 2094]
एक दुसरी हदीस में है,
"कुँवारी बच्ची (के निकाह के बारे में) खुद उससे मशवरा करो और उसकी खामोशी उसकी इजाजत होगी।"
[सिलसिला सहीहा हदीस न०- 1433]
"कुँवारी यतीम बच्ची से भी उसके निकाह के बारे में पूछा जायेगा, फिर अगर वो खामोश रहे तो यही उसकी इजाजत है और अगर वो इन्कार कर दे तो फिर उस पर ज्यादती न की जाये।"
[मिश्कात हदीस न०- 3133,अबू दाऊद -2093 ,तिर्मिज़ी - 1109 ,नसाई - 3272]
"जब आदमी अपनी बेटी की शादी करे तो पहले उससे इजाजत ले ले।"
[सिलसिला सहीहा 1428]
[सिलसिला सहीहा हदीस न०- 1432]
हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि. से रिवायत है कि रसूलल्लाह ﷺ ने फरमाया:
"बेवा औरत (अपने शौहर को चुनने में) अपने आप पर अपने वली से ज्यादा हक़ रखती है और कुँवारी से भी इज़ाज़त तलब की जाएगी और उसकी इजाजत उसकी खामोशी है।"
[सहीह मुस्लिम हदीस न०- 3476; अबू दाऊद - 2098; तिर्मिज़ी - 1108; नसई - 3262; इब्ने माजा - 1870]
वजाहत:
- इन अहादीस से पता चलता है कि जिस तरह शरियत ने मर्द को अपनी बीवी को पसन्द करने का हक़ दिया है ठीक वैसे ही लड़की को भी अपना शौहर चुनने , अपनी पसन्द नापसन्द को ख़ास अहमियत दी है।
- हमारे समाज में निकाह करते वक़्त होता ये है कि घर वाले अपनी मर्ज़ी लड़की पर थोप देते हैं
- औरत की मर्ज़ी और उसकी पसन्द और ना पसंद को प्राथमिकता नहीं दी जाती और बाज़ दफा तो उसका निकाह जबरदस्ती कर दिया जाता है ये सुन्नत के खिलाफ़ है।
- याद रखें ये हमारे नबी ﷺ की तालीमात नहीं है। हमारे नबी ﷺ ने दौर ए जहलियत में औरतों को ख़ास मकाम और हक़ दिलाया।
- हम सुन्नत की खिलाफ़ वर्जी कर के अपनी बेटियों को ऐसे इंसान को सौंप देते हैं जिससे उसका न दिल मिलता है न दिमाग और फिर पुरी ज़िंदगी दुखदायी बन जाती है।
- इससे आए दिन कलह होती रहती है और बेटियां घुट घुट कर इसका दंश झेल रही होती हैं
- इस वजह से कई बार लड़कियां और लड़के भी मानसिक तनाव में बीमार रहने लगते हैं।
- जबरदस्ती से थोपे गए रिश्ते के नतीजे भयंकर होते हैं मान लीजिए कि अगर इस रिश्ते को पारिवारिक दबाव में लोग निभाएं भी तो आगे चल कर झगड़े और लड़ाइयां होती रहती है और अगर औलाद होती है तो इसका असर सीधे तौर पर बच्चो की परवरिश पर पड़ता है।
लड़की कब निकाह खत्म कर सकती है?
(1) हजरत खन्सा बिन्ते ख़ज़ाम रज़ि बयान करती हैं " कि वो बेवा थी, और उनके वालिद ने उनका निकाह कर दिया। खन्सा रज़ि को यह निकाह मन्जूर नहीं था तो वो रसूलल्लाह सल्ल. की खिदमत में हाजिर हुई और अपना मामला बयान किया। इस पर आप सल्ल. ने उनका निकाह फस्ख (खत्म) कर दिया। [सहीह बुखारी - 5138,5139,6945,6969; इब्ने माज़ा - 1873; अबू दाऊद हदीस- 2101]
2) हजरत आयशा रज़ि बयान करती है कि एक नौजवान औरत नबी सल्ल. के पास आई और उसने अर्ज़ किया, “मेरे बाप ने मेरा निकाह अपने भतीजे से कर दिया है। ताकि मेरी वजह से उसकी जिल्लत खत्म हो जाये।”
इस पर नबी सल्ल. ने उसके वालिद को बुलाया और फिर फैसला उस औरत के हक़ में किया और उसे इख्तियार दे दिया। (चाहे निकाह कायम रखे या चाहे निकाह खत्म करे)
तो उस औरत ने कहा, “मेरे वालिद ने जो (निकाह) किया वो मैंने मान लिया है। लेकिन मेरा मक़सद ये था कि औरतों को ये मालूम हो जाये कि उनके वालिदों को उन पर (जबरन निकाह कर देने का) कोई इख्तियार नहीं पहुँचता।” [इब्ने माज़ा - 1874, नसाई - 3271]
3) हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि. से रिवायत है कि एक कुँवारी लड़की नबी सल्ल. के पास आई और जिक्र किया कि उसके वालिद ने उसका निकाह कर दिया है हालाँकि वो उस शख्स को नापंसद करती है । तो नबी सल्ल. ने उसे इख्तियार दे दिया। (चाहे निकाह कायम रखे या चाहे निकाह खत्म करे) [इब्ने माजा - 1875, अबू दाऊद - 2096, 2097]
लड़की की मर्ज़ी के बगैर निकाह बातिल है।
वजाहत:
1. उपर्युक्त अहादीस से कुछ चंद बाते निकल कर सामने आती हैं:_
- ये बात स्पष्ट होती है कि निकाह के मामले में संरक्षक को लड़की पर जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।अगर इस तरह कोई जोर जबरजस्ती से किसी लड़की का निकाह करता है तो हालात को देखते हुए शरियत ऐसे निकाह को खत्म करने की इजाज़त देती है
- इमाम नववी रह. कहते हैं कि इस मसले पर उम्मत का इज्माअ है [मिश्कात 3128 की शरह]
- पहली हदीस से ये बात साफ़ पता चलती है कि अगर तलाकशुदा या बेवा औरत का निकाह उसकी मर्ज़ी के खिलाफ किया जाये तो उसे पूरा हक़ है कि वो इस निकाह को अदालत में जाकर फस्ख(खत्म) करवा सकती है।
- ऊपर की तीसरी हदीस विशेष रूप से कुँवारी लड़की के बारे में है। ये हदीस जो इब्ने अब्बास रज़ि से रिवायत है इसका हुक्म उस सूरत में है जब निकाह की हुई लड़की की विदाई (रुखसती )न हुई हो। यानी रुखसती से पहले उस औरत को पूरा हक़ है कि वो अपने शौहर के घर न जाये।
- अगर रुखसती हो गयी है तो रुखसती के बाद खुला या तलाक़ शरीयत के हद को मद्देनजर रख कर ही उसे अपने शौहर से अलग होने का हक मिल सकता है।
- यहां इस बात का भी ख्याल रखा जाए कि निकाह को ख़त्म करने का हक अदालत का ही होगा सबसे पहले मामला काजी के पास जायेगा, फिर शरई तरीके से इस निकाह को खत्म किया जायेगा,।
निकाह में वली की इजाज़त
क्या निकाह में वली की इजाजत ज़रूरी है?
जी, वली की इजाजत के बगैर निकाह नहीं होता
हम इसे कुछ अहादिस की रोशनी में देखेंगे -
"जिस औरत ने अपने वली की इजाजत के बगैर निकाह किया, उसका निकाह बातिल है; उसका निकाह बातिल है; उसका निकाह बातिल है।" (यानी ये बात आप ﷺ. ने तीन बार कही।)
(अबू दाऊद - 2083,2084; इब्ने माज़ा -1879; तिर्मिज़ी - 1102; मिश्कात - 3131]
"कोई औरत किसी औरत का (वली बनकर) निक़ाह न कराये, और न कोई औरत खुद ही अपना निकाह करे। बेशक बदकार औरत वही है जो अपना निकाह खुद करती है।"
[माज़ा हदीस न०- 1882मिश्कात - 3137]
वजाहत:
उपर्युक्त अहादीस से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि शरीयत ए इस्लामिया में लड़की के वली (संरक्षक) की इजाजत को बहुत ही खास मकाम हासिल है।
इस मसले पर कुरआन में भी कुछ आयते मिलती हैं।
फरमाने बारी तआला है:
"अपनी औरतों (यानी मुस्लिम औरतों) का निकाह मुशरिक मर्दों से कभी न करना।" [क़ुरआन 2:221]
वजाहत:
इस आयत में अल्लाह रब्बुल इज़्जत ने औरतों के बजाय उनके वलियों को खिताब किया है, अब यहां ये बात भी स्पष्ट है कि अगर औरत को खुद अपना निकाह करने का हक़ होता तो उन्हें ये हुक्म दिया जाता ‘तुम अपना निकाह मुशरिक मर्दों से न करो’।
क़ुरआन की दूसरी आयत में अल्लाह फरमाता है:
"तुममें से जो लोग बेनिकाह हो उनके निकाह कर दो।" [क़ुरआन 24:32]
हजरत आयशा रज़ि से रिवायत है कि आप फरमाती थी:
जमाना ए जाहिलियत में चार तरह से निकाह होता था। एक किस्म वो है जो लोगों में आज कल मशहूर है कि एक आदमी किसी आदमी(वली) के पास उसकी बेटी या जेरे परवरिश लड़की के लिए निकाह का पैगाम भेजता है और उसका मेहर देकर उससे निकाह कर लेता है। (इसके बाद निक़ाह की तीन किस्में और बताई और फिर आखिर में फरमाया) जब मुहम्मद ﷺ. हक़ के साथ रसूल बन कर तशरीफ़ लाये तो आप ﷺ. ने जाहिलियत के सभी निकाह के तरीकों को खत्म कर दिया और जो आज कल मशहूर(पहला तरीका) है उसे बाकी रखा। [सहीह बुखारी - 5127]
इन अहादीस से भी पता चला कि आप ﷺ. ने सिर्फ उस निक़ाह को जायज़ करार दिया जिसमें वली को निक़ाह का पैगाम दिया जाये।
इन सभी दलाइल से स्पष्ट है कि निक़ाह में वली की मर्ज़ी बहुत अहम है।
वली कौन है?
औरत का सबसे पहला वली (लड़की का सरपरस्त जो घर का मुखिया हो) उसका बाप होता है, अगर बाप न हो उसका दादा होता है। इन दोनों के बाद फिर भाई, भतीजा या चाचा औरत के वली बन सकते हैं। अगर कोई भी वली न हो तो हाकिम ए वक़्त वली होता है। इसी के साथ ये भी क्लियर करते चलें कि शरीयत ए इस्लामिया में कोई औरत, किसी औरत की वली नहीं बन सकती। वली होनें के लिए मर्द का होना जरूरी है।
वली की इजाज़त क्यों ज़रूरी है?
अल हम दुलिल्लाह, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने दीन ए इस्लाम को इंसान के लिए इतना आसान बनाया है कि लोग अपनी जिन्दगी को पुर सुकून गुजारें अल्लाह चाहता है कि जिस बेटी को घर वालों ने बड़े नाज से पाला पोसा है तो तो संरक्षक उसके अच्छे बुरे मुस्तकबिल का ख्याल रखें,
- हमारे बड़ों के पास हम से ज्यादा अनुभव होता है ज़िंदगी गुजारने का उसे बेहतर अंजाम देने का ,वे हमारे फ्यूचर को संवारने के लिए हर वक्त जिद्दोजाहद करते हैं।
- बाज़ लड़कियों में दुनियावी लिहाज से समझ की कमी होती है और फिर ना समझी में वो गलत राह पर चल पड़ती हैं।
- फितनो के इस दौर में ये बात आम हो गई है जिस तरह से आज मुस्लिम बच्चियां भाग कर मुर्तद हो रही है, और बातिल निज़ाम इसका साथ दे रहा है अपने वली की बिना इजाजत शादी कर के अपनी दीन और दुनियां दोनों खराब कर रही हैं। अफ़सोस!
- वक्त की नज़ाकत कहती हैं कि आओ कुरान की तरह अपने औलाद को दीन ए इस्लाम सिखाएं उन्हें बचपन से बताएं कि शरीअत किसी के साथ नाइंसाफी नहीं करती।
- आज जिस तरह से दुश्मन ए इस्लाम मुस्लिम बच्चियों को आज़ादी के नाम पर बरगला कर अपना एजेंडा हासिल कर रही है आने वाले दिनों में हमारी नस्लें तबाह हो जायेगी।
निकाह की फजीलत की अगली कड़ी में कुछ ख़ास बिंदु पर बात होगी "इंशा अल्लाह"
तब तक दुआओं में याद रखें।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त बातों को लिखने पढ़ने से ज्यादा अमल की तौफीक अता फरमाए आमीन 🤲
1 टिप्पणियाँ
good
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।