नमाज़: रब के सामने आज़िज़ी
क्या आप जानते हैं इंसान पूरी ज़िंदगी इतनी मेहनत करता है। दौलत कमाने के लिए अपने ख़ून पसीना एक कर देता है। इसी बीच वह इस चीज़ का भी ख़्याल नहीं करता कि हलाल और हराम क्या है?
पूरी ज़िंदगी ही हलाल और हराम में गुज़ार देता है।
जब उसके पास कुछ दौलत आ जाती है उससे वो एक छोटा सा बिजनेस शुरू करता है। जब उसका छोटा सा बिजनेस शुरू होता है शैतान उसके पास आता है और उसको कहता है कि तूने इतना छोटा बिजनेस शुरू किया है हालांकि तेरे दोस्त ने इतना बड़ा बिजनेस शुरू कर रखा है जबकि उसके दोस्त का बिज़नेस हराम की कमाई से बढ़ा हुआ होता हैं।
शैतान उस छोटे बिजनेस करने वालों को लालच देकर बड़े बिजनेस की दावत देता है। वह शख्स लालच में आकर हराम और हलाल को ना देखते हुए बड़ा बिजनेस शुरू कर देता है। इसी तरह हलाल और हराम में फ़र्क़ नहीं कर पाता यह लालच का सिलसिला चलता रहता है। शैतान अब उसके पास आता है अब उससे कहता है तूने बिजनेस तो शुरू कर लिया तू एक बाइक ले ले फिर वह बाइक भी ले लेता है फिर शैतान उसके पास आता है तूने बाइक तो ले ली एक कार भी ले ले वह अपने हलाल और हराम की कमाई से कार ले लेता हैं।
शैतान उसको लालच देकर रोज़ाना रास्ता भटकाता हैं। यह लालच का सिलसिला चलता रहता है अब उसके पास शैतान आकर कहता है। तूने कार तो ले ली एक घर और ले ले अब वह शख़्स एक घर भी ख़रीद लेता है। शैतान बड़ा ख़ुश होता है कि मैंने इसको बेवक़ूफ़ बनाकर हराम की कमाई से इसकी नस-नस में इसको पुर कर दिया।
शैतान के बहकाने पर उसने एक घर ख़रीदा घर ख़रीदने के बाद घर के दरवाज़े पर लिखा।
"हाज़ा मिन फज़लि रब्बी" (यह सब मेरे रब का फज़ल है)
शैतान सिर पकड़ कर रोता है कि इस बेवक़ूफ़ को मैंने पूरी ज़िंदगी गुमराह किया और इसने घर के आगे लिखा सब अल्लाह का फ़ज़ल है शैतान कहते हैं यह तो मुझसे भी बड़ा शैतान है।
बरहाल कहने का मक़सद यह है कि शैतान से भी बड़ी हमारी नफ़्स दुश्मन है। इस नफ़्स को अगर हमने कंट्रोल कर लिया शैतान ख़ुद-ब-खुद क़ाबू में आ जाएगा।
अच्छा यह जब पूरी ज़िंदगी इसने हराम और हलाल में तमीज़ ना करते हुए इतनी दौलत शोहरत इज़्ज़त बनाई है इसका मक़सद सिर्फ़ इतना था कि मेरा नाम हो और मेरी समाज में नाक रखी जाए।
इस नाक के चक्कर में इसने पूरी ज़िंदगी अल्लाह की नाफ़रमानी में गवां दी गोया सारा सिलसिला सारी बुनियाद नाक पर है।
इसीलिए अल्लाह तबारक व तआला ने इस नाक को ही अपने सामने नमाज में रगड़वाया यह एहसास दिलाने के लिए कि पूरी ज़िंदगी तूने इस नाक को बचाने के लिए क्या-क्या नहीं किया आज तूने इस नाक को ही मेरे सामने रगड़ दिया।
इसी को कहते हैं रब के सामने आजिज़ हो जाना पूरी दुनिया के सामने वह इंसान कभी झुका नहीं।
अल्लाह ने अपने सामने झुका कर उसको आजिज़ कर दिया।
उस शख़्स के अंडर में इतने ग़ुलाम काम करते थे। अल्लाह ने नमाज़ पढ़ा कर उसे ग़ुलाम बना दिया।
उस शख़्स का पूरे मोहल्ले में, गांव में, ज़िला में, शहर में नाम था। उसका उठना बैठना वीआईपी लोगों के लिए था। अल्लाह ने मस्जिद में बुलाकर उसको आम इंसान बना दिया फ़क़ीर, ग़रीब, अमीर, नेता, प्रधानमंत्री, कलेक्टर, साइंटिस्ट, सब एक ही लाइन में खड़े हो गए और अल्लाह के सामने ग़ुलाम बन गए।
इसी बात को अल्लामा इकबाल ने क्या खूब कहा,
एक ही सफ़ में खड़े हो गए सब महमूद ओ अयाज़,
अल्लाह के सामने सब गुनाहगार सब आजिज़ हैं।
इसीलिए अल्लाह ने फरमाया:-
जुड़े रहे इंशाअल्लाह "नमाज़ बुराई व बेहयाई से बचाव है" पर रौशनी डालेंगे।
मुहम्मद
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