BLT aur Bollywood | Boycott bollywood

Bhagwa love trap aur boycott bollywood

BLT लव ट्रैप में हमारे क़ौम की नौजवान नस्ल के फसने का एक बहुत बड़ी वजह है मीडिया। आज मीडिया में मुस्लमान को एक बहुत ही खौफनाक किरदार बना के पेश किया जा रहा है जिसे हमारी क़ौम की लड़कियां भी मुतासिर हैं। और एक झूट को बार बार बोलने से उसे ही लोग सच समझने लगते हैं। आज हमारी क़ौम की लड़कियों का भी ब्रेन वाश किया जा रहा है और उसमे जो सबसे बड़ी वजह है वो है हक़ और बातिल में फ़र्क़ करने की सलाहियत न होना। 

दीन ए हक़ से दूरी 

हमारे क़ौम के अंदर तौहीद की गौर और फ़िक्र नहीं दी गयी, न ही अल्लाह सुबहान वा तआला का सही तार्रुफ़  कराया गया, बिद्दत और शिर्क, अन्धविश्वास जैसी चीज़ें हमारे मुआशरे में फैली हैं। जब हमारी क़ौम की लड़कियां जानती ही नहीं के उनका रब कौन है और उसके हुकुम की फरमाबरदारी करना क्यों ज़रूरी है, जब उन्हें यही पता नहीं होगा हराम हराम क्यों हैं और हलाल को अल्लाह ने हलाल क्यों किया, जब वो इस बात से अनजान रहेंगी के अल्लाह के सिवा किसी भी और की इबादत नहीं करना, अपने आस पास पीर बाबा दरगाह, मज़ार देखेंगी तो उन्हें बुत परस्ती में क्या बुरा है वो कैसे पता होगा? तब वो अपने ईमान की हिफाज़त कैसे करेंगी जब उनके ईमान में जो सबसे ज़रूरी चीज़ है वो ही नहीं होगी? वो है तौहीद और अल्लाह की वहदानियत। 

अपने बच्चो को सही दीन सिखाएं और तौहीद पर उन्हें क़ायम करें और खुद भी क़ायम हो। अभी भी देर नहीं हुई है, बच्चो को क़ुरआन को समझ कर पढ़ने की तालीम दें, चाहे वो किसी भी उम्र में हो और कुछ भी कर कर रहे हो, दीन की सही तालीम की शुरुआत आज से करिये।  

गुनाह का आम होना -

आज के दौर में गुनाह इतना आम हो गया है के अगर कोई गुनाह से बचने की कोशिश करता है तो उसका मज़ाक बनाया जाता है। उसको अकेला छोड़ दिया जाता है। उसको तरह तरह से गुनाह करने की दावत दी जाती है और तो और जब वो गुनाह करने से इंकार करता है तो  बैकवर्ड और कम दिमाग भी कह दिया जाता है। अगर कोई लड़की सही तरीके से पर्दा करने की कोशिश करती है तो उसे बुढ़िया कह कर चिढ़ाया जाता है। कोई लड़का अगर गाली न दे तो उसे न जाने क्या क्या ताने दिए जाते हैं।  

इस दौर में अगर कोई पाकदामन रहना चाहता है तो उसकी ज़िंदगी को उसके ही चाहने वाले, उसके घर वाले ही दूभर करते हैं और तरह तरह की बातें सुनाते हैं। 

बच्चे बचपन में छोटे कपडे पहन कर स्टेज पर मटकते हैं तो उनके माँ बाप ही ख़ुशी से तालियां पीटते हैं के न जाने क्या तीर मार के आया है। जब बचपन से गुनाह की तारीफ होते देखेगा तो बड़ा होकर पाक दामन और नेक बन जायेगा?

सही-गलत, हराम-हलाल, नेकी-गुनाह इसमें फर्क करने की तालीम दीजिये, और ये किसी एक दिन के भाषण से नहीं होगा, बल्कि हर रोज़ एक या दो चीज़ बताते रहने से धीरे धीरे फर्क आएगा। और आप जो अपनी ज़िन्दगी में कर रहे हैं वही बच्चा सीख रहा है। जब माँ ही सही तौर पर पर्दा नहीं करेगी, गाने गायेगी, म्यूजिक सुनेगी तो क्या बेटी टिकटॉक नहीं चलाएगी ? जब बाप को बच्चे हराम और हलाल में फर्क करते नहीं देखेंगे, फहश सिनेमा देखते हुए देखेंगे तो क्या पाक दामन बनेगे ?


मीडिया -

हमारे मुल्क में आज चारो तरफ एक खौफ का माहौल नज़र आ रहा है, हिन्दू भाई मुसलमानों से ख़ौफ़ज़दा हैं और मुसलमान नफरत के शिकार हिन्दुओं से। ये माहौल बनाया जा रहा है के कभी भी दंगे हो जाये या कोई भी दूसरे से नफरत करता रहे। रोज़ नयी नयी न्यूज़ मिर्च मसाला लगा कर परोसी जा रही है। और ये सारा खेल रचानी वाली है मीडिया। 

1. न्यूज़ चैनल -

आज से कुछ साल पहले जब टी वी नया नया आया था और फहाशि की शुरुआत हो रही थी तब मुसलमानो के लिए ये पसोपेश थी के क्या हम टीवी देख सकते हैं या नहीं ? तब कुछ उलेमा ने कहा के नाच गाना देखना सख्त हराम है मगर न्यूज़ चैनल, न्यूज़ देखने के मक़सद से देखा जा सकता है। यही न्यूज़ चैनल आज मुसलमानो को एक टेर्ररिस्ट और आतंकवादी बना कर रोज़ पूरे देश के सामने परोसते हैं। आज मुसलमान को चाहिए के ऐसे सरे न्यूज़ चैनल को भी देखना बंद कर दे। क्युकी ये न सिर्फ फेक न्यूज़ फैला रहे हैं बल्कि आपकी आने वाली नस्लों की तबाही और बर्बादी का कारण बन चुके हैं। 

आज ही सारे न्यूज़ चैनल घर में चलाना बंद कर दें। न सिर्फ आप उनके गुनाह में शरीक हो रहे हैं, बल्कि आप उनको फण्ड भी दे रहे हैं।  आपके एक व्यू से उनको विज्ञापन मिलता है और उसी से उनको पैसा मिलता है।  

2. बॉलीवुड -

हमारे मुआशरे के बहुत से मुस्लिम नौजवान शाहरुख़ खान, सलमान खान जैसे नाम के मुस्लमान अभिनेता को अपना रोलमॉडल मने हुए हैं। इनकी हर मूवी और प्रोग्राम हिट करने की ज़िम्मेदारी हमारे मुस्लमान युवा अपने कंधो पर उठाये हुए हैं। और इसको बड़ा नेक काम समझते हैं। जब कोई बड़ा संघठन इन खान हीरो का बायकाट करते हैं तो हमारे मुसलमान लड़के लड़किया पूरी जान और ईमान के साथ इनकी मूवी हिट करने की ज़िम्मेदारी उठा लेते हैं। 

यही बॉलीवुड है जिसमे हर महीने सिर्फ और सिर्फ ऐसी मूवी बन रही है जिसमे न सिर्फ मुस्लमान किरदार को आतंकवादी, ज़ालिम , खुनी, बेईमान, धोकेबाज़ दिखा कर नैरेटिव बनाया जा रहा है। और चाहे कोई खान और या कोई दूसरा अभिनेता, हर कहानी में कहीं न कहीं यही दिखाया जा रहा है। 

क्या हमारे मुआशरे के नौजवान को नहीं मालूम के फाहशी, म्यूजिक, झूट, और तमाम तरह के हराम काम और गुनाह से लबरेज़ होती है ये सिनेमा ? सब जानते हुए अपने दुनिया और आख़िरत को बर्बाद करने की ज़िम्मेदारी हमारे मुस्लिम नौजवान कब तक उठाएंगे? 

बायकाट बॉलीवुड किसी कट्टर सन्घठन को नहीं बल्कि मुस्लिम मुआशरे को करना चाहिए।  और ४ दिन नहीं बल्कि सारी ज़िन्दगी के लिए। क्युकी बॉलीवुड की कोई भी मूवी देख कर आप उनके प्रोपेगंडा में उनकी मदद करके अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं और अपने खिलाफ उन्हें मज़बूत  कर रहे हैं बल्कि अपनी आख़िरत  फहश और गुनाहो  चीज़ देख के बर्बाद कर रहे हैं। 

इसके अलावा हम अपनी औलादों को तरबियत में यही दिखा रहे हैं लड़का लड़की शादी न करके तमाम दुनिया के गुनाहो में मुब्तिला हैं लेकिन वो दोनों बहुत ही मासूम और अच्छे हैं और माँ बाप जो अपने बच्चो को इस दलदल से रोकने की कोशिश करते है वो ही सारी मुसीबत की जड़ हैं, वो प्यार मुहब्बत के दुश्मन और ज़ालिम हैं। लगभग हर टीवी सीरियल और बॉलीवुड की यही कहानी होती है। और बचपन से हर दिन ये ज़हर थोड़ा थोड़ा, माँ बाप अपने बच्चो को देते हैं, इन्ही सिनेमा के ज़रिये। और जब बच्चे ये अपनी ज़िन्दगी में भी करने पर आमादा हो जाते हैं तब माँ बाप कहते हैं क्या कमी रह गयी थी हमारी तरबियत में? हमारा क्या गुनाह था जो हमे ये सजा मिली?

याद रखें बच्चे वही करते हैं जो वो देखते हैं और सीखते हैं। आप ये सोचते हैं के हमारे खानदान में किसी ने नहीं किया फिर हमारे बच्चो ने कहाँ से सीखा ? ये इसी सिनेमा से सीखा और आप ने साथ बैठ कर तारीफ कर कर के सिखाया है। 

माँ बाप खुद भी गुनाह करते रहे और अपनी औलादों ये ज़हर देकर बड़ा किया की उनकी रगो में ये गुनाह बन के दौड़ने लगा। आज ही ये सारी मीडिया का ज़हर का डोज़ अपने घर से बाहर निकालें। और बॉलीवुड और टीवी  बायकाट करें।  अगर आपके घर के और लोग राज़ी न हो तो अकेले ही बायकाट करें, जिस कमरे में टीवी चल रहा हो गाना चल रहा हो वहां से हट जाएं. अगर बच्चे आपकी सुनते हो तो उन्हें भी देखने सुनने न दें। और अगर वो अब आपकी सुनते न हो तो उन्हें सलाह दें ज़बरदस्ती न करें। उन्हें रोज़ समझाये और उसके दुष्परिणाम से अवगत करते रहे। लव ट्रैप के बारे में अपने घर में बात करें और बच्चो को इससे होशियार  करते रहे। 

सावधान रहे सतर्क रहे।  सावधानी हटी दुर्घटना घटी। 

पैसे देकर तो छोड़ें, कोई आपको मुफ्त में भी डीवीडी या टेलीग्राम पे भेज दे तो भी न देखें। 

3. यूट्यूब -

और  इतना ही नहीं, बहुत से युवा एतुरगुल गाज़ी, पाकिस्तानी ड्रामे, और कुछ मुस्लिम व्लॉगर के बकवास से भरे वीडियो को ये सोच कर देखते हैं के ये नेक काम है और इसे देखने से हमे गुनाह नहीं होगा। यक़ीन जाने कोई ड्रामे के किरदार मुस्लमान होने से या किसी यूटूबर व्लॉगर के मुस्लमान होने से, उस गुनाह में कोई कमी नहीं आएगी। 

बहुत सी लड़कियां हिजाब पहन लेती हैं और नीचे बहुत ही चुस्त कपडे और वो इतने मेकअप करके, यूट्यूब पे दीन की बातें बता रही हैं। ये कोई सवाब का काम नहीं है, और न ही ये वो पर्दा है जिसका हुकुम हमारे खालिक मालिक और रब ने हमे दिया है। 

यूट्यूब पर कई इस्लामिक स्कॉलर्स के बयां होते हैं, क़ुरान का तर्जुमा है, किरात है। अगर आपके पास वक़्त है तो उसका सही इस्तेमाल करें। 

सोशल मीडिया -

व्हाट्सप्प, इंस्टाग्राम, फेसबुक -

और इन सब पे भरी ये सोशल मीडिया ऐप्प्स जिनके बाद तो किसी को घर से निकलने की ज़रूरत ही नहीं, सरे गुनाह करने का जरिया आपके हाथ में है. जिससे चाहो बात करो, बहार बुरखे में निकलो और स्टेटस में बे हिजाब खुले बाल मेकअप में फोटो लगा दो। अगर आप बिना परदे घर से बहार निकलती हैं तो सिर्फ चाँद लोग जो उस वक़्त मौजूद थे वो आपको बे पर्दा देखेंगे, लेकिन अगर आप अपना फोटो वीडियो स्टेटस में लगाती हैं तो  देखेगा चाहे वो उस वक़्त मौजूद हो या नहीं , लोग आपका फोटो सेव कर लेंगे और आइंदा कई तरीके काम हो सकते हैं जिनका अंदाज़ा भी आप लगा नहीं सकती आज की टेक्नोलॉजी के दौर में। 

इन सभी एप्प का उतना ही इस्तेमाल करें जिससे आप इनके जाल में उलझ न जाये। अपना ID या नंबर हर किसी को न दें। अपनी या अपने घर की औरतों फोटो स्टेटस या सोशल मीडिया पर न डालें। 

हमारे रब का हर हुकुम हमारी खैर ख़्वाही और हमारी इस्लाह के ही लिए है। जब जब कोई क़ौम अल्लाह के हुकुम की खिलाफ वर्ज़ी करती है और गुनाहो जाती है और तौहीद और ईमान को तर्क कर  देती है। तो अल्लाह का अज़ाब उस क़ौम पर आता ही है। और अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करता बल्कि लोग खुद ही अपने आप पर ज़ुल्म करते हैं। 

ये जो ज़ुल्म हम अपनेआप पर कर रहे हैं इसे बंद करें, इंशाल्लाह, अल्लाह की मदद क़रीब ही है।  


- फिज़ा खान 

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3 टिप्पणियाँ

  1. लोग अपने दोस्तों के दीन पर होते है और आज मुसलमानों मे यही हो रहा है कि मुस्लिम लड़कियां गैर मुस्लिम को अपना दोस्त बना रही है इसी वजह से वो गैर मज़हब मे आसानी से चली जा रही है

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  2. ALLAH hme Deen smjhne ki toufeek ata frmaye

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