क्या एक पैगम्बर को झुठलाना तमाम पैगंबरों के झुटलाने के बराबर है?
किसी शख्स का अल्लाह के सिर्फ एक पैग़म्बर को झुठलाना सभी पैगंबरों के झुटलाने के बराबर है क्योंकि एक पैग़म्बर को भी झुठलाना असल में उस दावत और पैग़ाम को झुठलाना है जिसे लेकर वो अल्लाह की तरफ़ से आता है इसलिये जो शख़्स या गरोह किसी एक पैग़म्बर का भी इनकार कर दे वो अल्लाह की निगाह में तमाम पैग़म्बरों का इनकार करनेवाला है। ये एक बड़ी अहम् उसूली हक़ीक़त है जिसे क़ुरआन में जगह-जगह अलग-अलग तरीक़ों से बयान किया गया है। यहाँ तक कि वो लोग भी इनकारी ठहराए गए हैं जो सिर्फ़ एक पैग़म्बर का इनकार करते हों और बाक़ी तमाम पैग़म्बरों को मानते हों, इसलिये कि जो शख़्स असल रिसालत के पैग़ाम का माननेवाला है वो तो लाज़िमन हर पैग़म्बर को मानेगा। मगर जो शख़्स किसी पैग़म्बर का इनकार करता है वो अगर दूसरे पैग़म्बरों को मानता भी है तो किसी तरफ़दारी या बाप-दादा की पैरवी की बुनियाद पर मानता है, पैग़म्बरी के असल पैग़ाम को नहीं मानता, वरना मुमकिन न था कि वही हक़ (सत्य) एक पेश करे तो ये उसे मान ले और वही दूसरा पेश करे तो ये उसका इनकार कर दे।
एक पैगम्बर का इनकार सभी पैगंबरों का इनकार करना है इस बात को कुरान ने अलग अलग कौम के लिए कहा है जबकि उस कौम ने सिर्फ एक पैगम्बर का इनकार किया था।
"यही हाल नूह की क़ौम का हुआ जब उन्होंने रसूलों को झुठलाया। हमने उनको डुबो दिया और दुनिया भर के लोगों के लिये सबक़ लेने लायक़ निशानी बना दिया और उन ज़ालिमों के लिये एक दर्दनाक अज़ाब हमने जुटा रखा है।"
[कुरआन 25:37]
"नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया।"
[कुरआन 26:105]
"आद ने रसूलों को झुठलाया।"
[कुरआन 26:123]
"समूद ने रसूलों को झुठलाया।"
[कुरआन 26:141]
"ऐकावालों ने रसूलों (पैग़म्बरों) को झुठलाया।"
[कुरआन 26:176]
"और ऐका वाले, और तुब्बा की क़ौम के लोग भी झुटला चुके हैं। हरेक ने रसूलों को झुटलाया और आख़िरकार मेरा डरावा उनपर सच साबित हो गया।"
[कुरआन 50:14]
इन सब कौमों ने अपने रसूलों की रिसालत को भी झुटलाया और उनकी दी हुई इस ख़बर को भी झुटलाया के तुम मरने के बाद फिर उठाए जाओगे।
अगरचे हर क़ौम ने सिर्फ़ उस रसूल को झुटलाया जो उसके पास भेजा गया था, मगर चूँकि वो उस ख़बर को झुटला रही थी जिसे तमाम रसूल एकमत होकर पेश करते रहे हैं, इसलिये एक रसूल को झुटलाना दरहक़ीक़त तमाम रसूलों को झुटला देना था। इसके इलावा इन क़ौमों में से हर एक ने महज़ अपने यहाँ आने वाले रसूल ही की रिसालत का इनकार न किया था, बल्कि वो सिरे से यह बात माने के लिये तैय्यार न थीं के इंसानों की हिदायत के लिये कोई इंसान अल्लाह तआला की तरफ़ से मामूर हो कर आ सकता है, इसलिये वो सिरे से रिसालत ही का इनकार करती थीं और उनमें से किसी का जुर्म भी सिर्फ़ एक रसूल के झुठलाने तक महदूद न था।
जवाब: अल्लाह ने हर समुदाय (उम्मत) की तरफ अपने रसूल भेजे है लेकिन अल्लाह ने कुरान में सब रसूलों का जिक्र नहीं किया है बल्कि कुछ रसूलों का जिक्र किया है। जैसाकि अल्लाह खुद कुरान में।कहता है कि:
ऐ नबी, "तुमसे पहले हम बहुत-से रसूल भेज चुके हैं, जिनमें से कुछ के हालात हमने तुमको बताए हैं और कुछ के नहीं बताए।"
[कुरआन 40:78]
"हमने उन रसूलों पर भी वही भेजी जिनकी चर्चा हम इससे पहले तुमसे कर चुके हैं और उन रसूलों पर भी जिनकी चर्चा तुमसे नहीं की।"
[कुरआन 4:164]
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