न्यू ईयर और इस दिन होने वाली खुराफातें
इस विषय पे लिखने से पहले मे जानता हूँ, कुछ लोगो को मुझसे इख़्तिलाफ भी होगा और कुछ को इत्तेफ़ाक़ भी होगा। क्यूंकि इस मोज़ू पे बहुत से वीडियो और तक़रीरे आपको सोशल मीडिया पे मिल जायेंगी। इंशाअल्लाह, यहाँ मै कुछ पॉइंट्स मे इस मोज़ू को लेकर चलने कि कोशिश करूँगा-
▪️इस विषय में सबसे पहला जो मसला आता है। वह है क्या हैप्पी न्यू यर की मुबारकबाद देना जाएज़ है?
▪️ कुछ आलिम इसको हराम कहते हैं।
▪️ कुछ आलिम इसको यहूदियों और ईसाइयों का तरीक़ा कहते हैं।
▪️ कुछ आलिम इसको कहते हैं यह शिर्क है।
लेकिन सच बात ये हैं ये ना शिर्क है ना बिदअत ना हराम ना ग़ैर का तरीक़ा। ये एक दुनियावी प्रतिक्रिया है जिसका दीन से कोई ताल्लुक नहीं है।
अगर कोई नये साल के दिन किसी को नये साल कि मुबारकबाद देता है। तो इसमें कोई हर्ज नहीं है क्यूंकि वो इंसान ये मुबारकबाद देने को दीन नहीं समझ रहा और ये नहीं जान रहा कि इससे मुझे सवाब मिलेगा। (वल्लाहु आलम)
हदीस ऐ रसूल मे आता है, हज़रत आयशा रज़ि अन्हा से नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा,
ऐ आयशा, "जो मेरे इस अम्र (दीन ) मे कोई ऐसी चीज दाखिल करेगा जो इसमें पहले से मौजूद वो आमल रद्द है।" [सहीह बुखारी 2697]
यहाँ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दीन मे चीज दाखिल करने से मना किया है लेकिन हैप्पी न्यू ईयर, ये दीन नहीं है दुनियावी एक्टिविटी है।
मिसाल के तौर पर, माइक मे अज़ान देना
ये माइक नबी और सहाबा के दौर मे नहीं था। अब हम माइक मे अज़ान देतें हैं वो माइक हमारे दीन का हिस्सा नहीं लेकिन माइक से निकलने वाली अज़ान और उसके कलीमात दीन है।
ठीक उसी तरह हैप्पी न्यू ईयर दीन का हिस्सा नहीं ना ये हराम होगा ना शिर्क लेकिन इसमें जो अमल होते हैं उसमे हराम है, ज़िना है, ना जाएज़ है, वो आगे तफसील मे आएगा।
फिर एक हदीस बयान कि जाती है कि,
"जिसने किसी क़ौम का तरीक़ा इख्तियार किया वो उन्ही मे से हो गया।" [अबू दाऊद 4031]
तो कहते हैं देखो हैप्पी न्यू ईयर ये ग़ैर का तरीक़ा है, लिहाज़ा उनका तरीक़ा इख़्तियार करना दुरुस्त नहीं।
तो अर्ज़ है कि ये हदीस मे भी दीन मज़हबी एक्टिविटी मुराद है। ग़ैर मज़हब के लोग ईसाई, यहूदी भी इसको दीन का हिस्सा नहीं मानते और ना ही उनकी किताबों मे बाइबिल मे इसका ज़िक्र मिलता है तो कैसे ये उनका तरीक़ा होगा?
खुलासा कलाम ये है अगर कोई नये साल की मुबारकबाद देता है तो फतवा ना लगाया जाये उसपे बल्कि इसको दुनियावी मामलात समझें।
अब आते हैं इस दिन किये जाने वाले अमलो पर-
1.ज़िना:
अल्लाह तआला क़ुरआन मे फरमाता है,
وَ لَا تَقْرَبُوا الزِّنٰۤى اِنَّهٗ كَانَ فَاحِشَةًؕ-وَ سَآءَ سَبِیْلًا
"और तुम ज़िना के क़रीब भी मत जाना बेशक ये बहुत बुरा रास्ता है।" [सूरेह इसरा 32]
इस आयत मे अल्लाह तआला वाज़ेह फरमा रहा है ज़िना करना तो बहुत दूर कि बात है उसके क़रीब भी मत जाओ। यानी ज़िना इतना संगीन गुनाह है कि उसके पास से गुजरने को भी मना किया गया है। अब अंदाजा करें जब ज़िना के क़रीब जाने को भी अल्लाह ने मना किया है तो ज़िना करने पर कितना बड़ा अज़ाब होगा।
हदीस ऐ रसूल है,
हज़रत अबू हुरेरा रज़ि अन्हु से रिवायत है नबी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया :-
"जब आदमी ज़िना करता है तो ईमान उससे निकल जाता है और बादल के टुकड़े कि तरह उसके ऊपर लटका रहता है फिर ज़ब ज़िना से अलग होता है तो दोबारा ईमान उसकी तरफ लोट आता है।" [अबू दाऊद 4690]
ऐ मुस्लिमो गौर करो हदीस पे,
क्या ग़ैरत हमारी मर चुकी है?
ज़िना करते वक़्त ईमान ही निकल जाता है ज़रा इस बात का तुझे अंदाजा है कि अगर ज़िना करते वक़्त तेरी मौत आ गयीं तो बेईमान मरेगा।
क्या तु चाहता है तु काफिेर होकर मरे?
मेरे ऐ नादान भाई-बहनो, वक़्त का नबी कह रहा है ईमान निकल जाता है, कोई हिस्ट्री, साइंस, मैथ का टीचर नहीं कह रहा। वो नबी जिसकी ज़ुबान से वही निकलता है वो अल्लाह कहलाना चाहता है।
अल्लाह हमें इस कबीरा गुनाह से बचाये।
इतनी सख्त वइद (warning) के बा वजूद क़ौम का हाल है कि गर्ल फ्रेंड, बॉय फ्रेंड 31st की काली रात को न्यू ईयर की पार्टी मे शामिल होते हैं। कुछ वक़्त के बाद लड़का लड़की को नशेदार चीज पिलाता है या लड़की खुद शराब पीती हैं। कुछ देर बाद लड़का लड़की पूरी तरह बे हयाई पर उतर आते हैं।
ऐ " बनी आदम
तुम्हे शर्म नहीं आयी घर से कहकर निकले की दोस्तों के साथ पार्टी मे जा रहा हूँ।
क्या भूल गया दुनिया को धोका दे सकता है लेकिन उस अल्लाह को क्या जवाब देगा जो हर चीज की खबर रखता है तुम बातिन और ज़ाहिर जो करते हो सब जानता है?
ऐ इंसान ज़रा तन्हाई मे बैठ कर सोच, अगर तू ज़िना करते वक़्त मर गया, तेरे घर वालों पे क्या बीतेगी की किस हाल मे मेरी औलाद मरी है। तेरे माँ बाप तेरे मरने के बाद कितनो का मुँ बंद करेंगे की मेरा बेटा /बेटी किस अमल करते वक़्त मरे।
तु मुंकर नकीर को क्या जवाब देगा?
तु अल्लाह से क्या कहेगा की मे किस अमल को करके आया हूँ?
इसीलिए ऐ इंसान अभी भी वक़्त है अल्लाह से डर जा किसी गरीब की मदद कर दे पार्टी मे पैसे उडाने से अच्छा है। किसी गरीब को खाना खिला उसका दिन पार्टी वाला बना दे।
अल्लाह तआला क़ुरआन मे फरमाता है,
कहो: जो कुछ तुम्हारी ज़रूरत से ज़्यादा हो। इस तरह अल्लाह तुम्हारे लिये साफ़-साफ़ अहकाम बयान करता है, शायद कि तुम दुनिया और आख़िरत दोनों की फ़िक्र करो।
[सूरह बक़रह 219]
बेशक तेरा रब बड़ा रेहम वाला है।
2. शराब:
हमारे कुछ मुस्लमान भाई शराब पीने से परहेज नहीं करते। उन्हें बस खुद की ज़िन्दगी से मतलब है, खुद के शौक पूरे करने है, शराब हराम है क्योंकि यह नशीली होती है जिससे लोगों का दिमाग खराब हो जाता है। अल्लाह ने हर उस चीज़ को हराम किया है जो हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाती है।
हदीस ऐ रसूल है,
"हर नशाआवर चीज़ खम्र है और हर खम्र हराम है।" [सहीह मुस्लिम 2003]
पर उन्हें इससे क्या, उन्हें शराब में लज्जत मिलती है बाकि इससे फर्क नहीं पड़ता ये हराम है या हलाल।
अल्लाह तआला क़ुरआन मे फरमाता है,
कहो: "इन दोनों चीज़ों में बड़ी ख़राबी है; हालाँकि इनमें लोगों के लिये कुछ फ़ायदे भी हैं, मगर इनका गुनाह इनके फ़ायदे से बहुत ज़्यादा है।"
[सूरह बक़रह 219]
"शैतान तो ये चाहता है कि शराब और जुए के ज़रिए से तुम्हारे बीच दुश्मनी और बुग़्ज़ व हसद डाल दे और तुम्हें ख़ुदा की याद से और नमाज़ से रोक दे। फिर क्या तुम इन चीज़ों से बाज़ रहोगे? [सूराह मायदा 91]
मैंने पूछा: आए अल्लाह के रसूल (ﷺ)! "तीनातिल खबाली" क्या चीज़ है?
आप ﷺ ने फरमाया: जहन्नमियों की पीप है।
[तबरानी शरीफ जिल्द 24, साफा 178]
3. घर पर न्यू ईयर की पार्टी का इंतेज़ाम:
कुछ निकाह शुदा मॉडर्न इस्लामी भाई बहन का भी अलग हंगामा है, बेहयाई है की अपने घर मे इस दिन पार्टी की महफ़िल सजायी जाती है, शराब मंगाई जाती है और यहाँ तक की अपने कुंवारे दोस्तों, शादीशुदा दोस्तो सबको को बुलाया जाता है और पूरी रात म्यूजिक और शराब के साथ अपनी बीवी को ग़ैर मेहरमो के साथ नचाते हैं। इत्तेफ़ाक़ से बीवी का दिल शोहर के दोस्त पे आ जाता है। अंजाम ये होता है दोस्त की गन्दी नज़र उसकी बीवी पर पड़ती है। दोनों बे हयायी कर बैठे, अब शोहर को तलाक़ की नौबत आ जाती है।
किसी ने कहा था शराब पी?
तुम अल्लाह की हदो को तोड़ोगे तो क्या तुम्हारी हद तुम्हारे दोस्त नहीं तोड़ सकते?
बाज़ आ जा वक़्त है अभी घर मे बीवी का पर्दा रख, उसको क़ुरआन सिखा, नमाज़ सिखा, दोस्तों की गन्दी निगाहो से बच अल्लाह तआला बरकत देगा।
4. बदगुमानी: साल के पहले दिन को बेहतरीन बनाओ
लोगों का मानना है साल का पहला दिन अच्छा होगा तो पूरा साल अच्छा गुज़रेगा। पहले तो ये बात गैर मुस्लिमों मे आम थी पर अब हमारे मॉडर्न मुस्लिम भाई बहनो मे भी देखी जा रहा है। इस दिन नए कपड़े पहनना, स्पेशल डिश बनाना, पिकनिक मनाने जाना या मूवीज देखने जाना, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिल कर उन्हें मुबारकबाद देना वगैरह एक रस्म सी बनतीं जा रही है।
अजीब हाल होता जा रहा है हमारे मुआशरे का, किसी की बीमारी पर उसकी तीमारदारी के लिए हमारे वक़्त नहीं है, किसी दूर के रिश्तेदार की मौत पर हम ऑफिस से छुट्टी नहीं ले पा रहे, किसी की माली मदद आपके पास पैसे नहीं हैं और न्यू ईयर पर फ़िज़ूल कामों के लिए आप तैयार खड़े हैं। खुद भी गलत करते हैं और अपने बच्चो को भी गुमराही के दलदल में डाल रहे हैं।
क्या आपका अक़ीदह सिर्फ इस एक दिन पर रह गया?
क्या इस दिन के खैर से गुजर जाने पर आने वाली मुसीबतें खत्म हो जाएंगी?
"अच्छी और बुरी तक़दीर पर भी ईमान लाओ।" [मुस्लिम 93]
5. शोर-गुल और चोरी:
अब सोचें वाली बात ये है के इस दिन लोग हर जगह सैर सपाटे के लिए निकालते है, हर जगह भीड़ ऊपर से ये चोरी। अब सारे चोर गैर मुस्लिम तो नहीं होते उनमे होते है।
आप इस बात से नावाकिफ नहीं होंगे कि हमारे देश में मुजरिम को किस तरह सजा दी जाती है और इस तरह के इवेंट्स पर हम चोर को सज़ा दिलाने के बजाये उन्हें चोरी करने का मौका फ़राहम कराते हैं।
इन गुनाहो के अलावा भी बहुत से गुनाह हैं जो हम न्यू ईयर के नाम पर जाने अनजाने अंजाम दे रहे हैं।
हम जानते हैं, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद कुछ घंटो या कुछ दिनों तक इन बातों पर अमल कर लेंगे और फिर वही दुनियावी ज़िन्दगी में मशगूल हो जायेंगे।
अल्लाह के वास्ते बस इस बार अमल करलें और अपने अपनों को भी अमल करने की ताक़ीद करें।
कोई नहीं जानता कब मौत का फरिश्ता रूह कब्ज़ कर ले जाये। हो सकता है, आप का और आपके अपनों का अमल करना मौत से पहले नजात का ज़रिया बन जाये।
अल्लाह हमें अपने नबी के एहकाम पर चलने की तौफीक दे।
मुहम्मद
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।