इंसान के जिस्म का हर हिस्सा इसी अनुपात में बना है । हाथ, पैर, चेहरा हर हिस्से मे Golden ratio का Perfection नज़र आ रहा है, कान भी इस spiral डिज़ाइन में बने हैं। यहाँ तक के ये Golden ratio हमारे DNA के डिज़ाइन में भी मौजूद है। Fibonacci Sequence...
GOLDEN RATIO- Fibonacci Sequence
Mathematics is the language with which God has written the Universe. – Gallileo Galilie
अल्लाह ने इस दुनिया को एक पूर्णत उत्तम रूप दिया है, इस सृष्टि का हर कण हर ज़र्रा खूबसूरती से परिपूर्ण है। किसी भी रचना को बनाने और उसको हर तरह से कामिल और बेहतरीन बनाने के लिए, कोई भी इंजीनियर, डिज़ाइनर पहले सारे फ़ॉर्मूला और गणित जोड़ के एक प्रारुप तैयार करता है। और उसके बाद उसको अमल करता है। तब कहीं एक वर्किंग ढांचा तैयार होता है। और वो मॉडल ज़रूरी नहीं मास्टर पीस हो।
लेकिन अल्लाह ने इस क़ायनात को ना सिर्फ़ मास्टरपीस बनाया, बल्कि हर ज़र्रे में खूबसूरती भर दी। अल्लाह के सृष्टि बनाने में परफेक्ट फ़ॉर्मूलो में से एक फ़ॉर्मूला डिस्कवर किया साइंटिस्ट लियोनारडो फिबोनाची (12 सदी) ने।
अल्लाह ने कुदरत को एक बहुत ही स्पेशल फ़ॉर्मूले में डिजाइन किया है। प्रकृति में जितने पैटर्न अल्लाह ने बनाए, वो एक गणित के फ़ॉर्मूला और क्रम में बनाए, और इसके प्रमाण सम्मोहित करने वाले हैं। अल्लाह अपनी कृतियों में बेहद सम्वेदनशील और सटीक है, और किसी रचना में असंतुलन या त्रुटियां नहीं करता।
इस फ़ॉर्मूला का नाम साइंटिस्ट के नाम पर फिबोनाची सीरीज रखा गया, इसे Golden Ratio, Divine Ratio नाम भी दिया गया।
इन पैटर्न से कई जगह ख़ूबसूरती और संतुलन बनता है, और बहुत से जीव में ये पैटर्न जिंदा रहने के लिए और ग्रोथ के लिए ज़रूरी होते हैं। जी हाँ, ये सारे फैट्स वैज्ञानिकों द्वारा साबित किए जा चुके हैं। और ये सिर्फ़ एक फ़ॉर्मूला डिस्कवर हुआ है अब तक, और हमसे कितनी ही बेहतरीन कारीगरी छुपी हुई हैं।
फिबोनाच्ची श्रेणी का गणित ( Mathematics of Fibonacci sequence)
फिबोनाच्ची श्रेणी को बनाना बहोत ही आसान है, उसमे अगली संख्या को खोजने के लिए पिछली दो क्रमशः संख्या का जोड़ करना होता है|जैसे की ,
Fibonacci Sequence: 0, 0+1=1, 1+1 = 2, 2+1=3, 2+3=53+5=8...
जो कि अंत मे इस तरह नज़र आती है-
0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144, 233, 377, 610, 987, 1597…… है|
प्रथम संख्या 0 है और दूसरी संख्या 1 है अब अगर हमें तीसरी संख्या चाहिए तो हमें प्रथम और दूसरी संख्या का जोड़ करना होगा जैसे की,
तीसरी संख्या = प्रथम संख्या + दूसरी संख्या = 0+1=1
चौथी संख्या = दूसरी संख्या + तीसरी संख्या = 1+1 = 2
पांचवी संख्या= तीसरी संख्या + चौथी संख्या =2+1=3
छठी संख्या = चौथी संख्या + पांचवी संख्या = 2+3=5
सातवी संख्या = पांचवी संख्या + छट्ठी संख्या = 3+5=8 ……..
पहली नज़र में ये कुछ आम सी संख्या दिखाई देती हैं, जो किसी गणित की जोड़ से मिली, मगर ये फ़ॉर्मूला इस सृष्टि की बहुत सारी खूबसूरत चीज़ों को बनाने का फ़ॉर्मूला है।
Golden Ratio
फिबोनाची सीरीज की संख्या जब ज़्यादा बढ़ जाती हैं, तो गोल्डन रेशिओ प्राप्त होता है। कैसे?
फिबोनाच्ची श्रेणी के दो क्रमश पद को डिवाइड करने पर जो जवाब मिलाता है उसे गोल्डन अनुपात(Golden ratio) कहा जाता है| फिबोनाच्ची के क्रमश दो अंक 5 और 8 है, अगर 8 को पांच से भाग दिया जाए तो जवाब 1.6 के आसपास ही आएगा और यही है Golden ratio. यानी फिबोनाच्ची सीरीज के हर अगली संख्या को उसकी पहले वाली संख्या से भाग देने पर लगातार एक ही जवाब मिलता है,1.6, शुरू के 4 संख्या को छोड़कर।
Golden ratio ϕ = 1:1.6
अब इसका अंदाजा 1:1 और 1:1.6 में फर्क़ समझें-
Golden Ratio को आयातकार बनाया जाए तो वो इस तरह दिखेगा-
और अगर हम इस ratio का इस्तेमाल कर के बढ़ते हुए rectangle बनाए तो हमें हमे एक spiral मिलेगा, ये spiral एक निर्धारित ratio में बाहरी तरफ बढ़ता हुआ दिखेगा।
लेकिन इस Golden spiral का कुदरत और अल्लाह के निज़ाम से क्या ताल्लुक?
जी, अल्लाह की हिकमत इतनी ज़्यादा है कि किसी फ़ॉर्मूला में नहीं समा सकती, लेकिन ये हमारी क़ायनात के अंदर मौजूद कई खूबसूरत चीज़ों में नज़र आता है।
बहुत से पेड़ इस ratio में फलते फूलते हैं
सूरज मुखी के बीजों में, पाइनकोन, पाइनएप्पल Golden ratio हर जगह नज़र आ जाएगा।
अगर तुम अल्लाह की नेमतो को गिनना चाहो तो गिन नहीं सकते। हकीकत तो ये है के इंसान बड़ा बे इन्साफ़ और नाशुक्रा है।
कुरआन 14:34
और ये सीक्वेन्स सिर्फ छोटे स्तर पे ही नहीं, बल्कि बहुत बड़े स्तर पे भी देखा जा सकता है- तूफ़ान, भँवर, चक्रवात, लहरों में भी यही गणित का सिधांत काम करता है।
गर्भ के foetus से ग्रहीय चक्र में, और milky way galaxy के spiral भी इसी Golden ratio के अनुपात में हैं।
इंसान के जिस्म का हर हिस्सा इसी अनुपात में बना है । हाथ, पैर, चेहरा हर हिस्से मे Golden ratio का Perfection नज़र आ रहा है।
यक़ीनन हमने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाल कर पैदा किया है
कुर’आन 95:4
यहां तक के कान भी इस spiral डिज़ाइन में बने हैं। ये Golden ratio हमारे DNA के डिज़ाइन में भी मौजूद है।
साइंटिस्ट्स ने खोज की है के Golden ratio हमारे मस्तिष्क, फेफड़ों, के लिए अनिवार्य है।
ये universe एक हैरान कर देने वाले सटीक फिजिकल कांस्टेंट पे आधारित है, और ये नियम इतने अभूतपूर्व हैं के इनका इंकार करना science के भी बस की बात नहीं। और ये fine tuning physical constants की ही universe के अस्तित्व में आने की वजह है। कोई हैरानी की बात नहीं, इंसान ये बेहतरीन कारीगरी देख कर खुद ब खुद उस ताकत के सजदे में झुक जाएगा जिसने ये बेहतरीन सृष्टि की रचना की और इतनी सटीक और खूबसूरत तख्लीक की। हम ईश्वर की अद्भुत रचना हैं। हमारा universe सूझ बूझ के साथ डिज़ाइन किया गया और बनाया गया। एक एक ज़र्रा बारीकी और सटीक गणना के साथ तैयार किया गया है।
जब से इस दुनिया की बुनियाद रखी गई है, ईश्वर की अद्भुत अदृश्य शक्ति और असीमित कलाकृतियों में दिव्य ताकत आसानी से देखी और समझी जा सकती है। यह एक अटल सत्य है जिसे चाहे जितना भी झुठलाया जाए बदला नहीं जा सकता। हमें उस ईश्वर के नत मस्तक होने में कैसी हिचकिचाहट जिसकी ताकत असीमित है और जो किसी की मदद के बिना ऐसी बेजोड़ रचना करता है?
ये सारी सटीक डिज़ाइन क्या बिना किसी खालिक के, बिना creator के मुमकिन है?
अल्लाह जो कुछ चाहता है पैदा करता है।
कुरआन 24:45
दुनिया का कानून बनाने वाला कौन?
हमारे यूनिवर्स में कुछ फिज़िकल कांस्टेंट काम कर रहे है, जब हम अपने स्कूल समय मे थे तो फ़िज़िक्स के फार्मूले में कुछ कांस्टेंट आते जिन्हें हम फिज़िकल कांस्टेंट कहते थे, अगर हमारे यूनिवर्स को इन फिज़िकल कांस्टेंट की एक खास वैल्यू नही मिली होती तो यहाँ ज़िंदगी का आगाज़ ही नही हो पाता अगर हम इन फिज़िकल कांस्टेंट की वैल्यू में थोड़ा सा भी चेंज कर दे, जरा सी इसकी वेल्यू ज्यादा कर दें या जरा सी भी इसकी वैल्यू कम कर दे तो यहाँ ज़िंदगी की शुरुआत नही हो पाती, ज़िंदगी हमारे यूनिवर्स में मुमकिन ही नही थी।
हमारा यूनिवर्स इन कांस्टेंट की नुमेरिकल वैल्यू से ट्यून है जिस तरह हमें रेड़ियो में किसी खास स्टेशन को सुनने के लिए उस खास स्टेशन की आवृत्ति (Frequency) को ट्यून करना पड़ता है, उसी तरह यहाँ ज़िंदगी को पनपने के लिए हमारा यूनिवर्स इन कांस्टेंट की वैल्यू से बहुत ही नेरोरेंस पर जाकर ट्यून है, जिसे हम फ़ाईन ट्यूनिंग कहते हैं। अगर हमारे यूनिवर्स को फिज़िकल कांस्टेंट की एक खास वैल्यू न मिली होती तो ज़िंदगी यहाँ मौजूद नही होती।
हमारे यूनीवर्स में हर एक चीज़ कुछ नियम और कानून के साथ चल रही है। जैसे सूरज, milky way galaxy में एक निश्चित ऑर्बिट में घूम रहा है, और अपनी धुरी पे घूम रहा है, और सूरज लगातार एनर्जी बना रहा है, सौर ऊर्जा पृथ्वी के जीवन का अभिन्न अंग है, सौर ऊर्जा के बिना जिंदगी की उत्पत्ति सम्भव नहीं।
इसी तरह चाँद, पृथ्वी का इकलौता स्वाभाविक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चक्कर लगाता, और अपनी धुरी पे लगातार घूमता है, चांद ही मानव की ज़िंदगी को एक रिद्म देता है, और पृथ्वी के वातावरण को regulate करता है। चांद की वजह से ही ज्वार भाटा बनता है। और हमारे ऋतुओं को गति और आयाम देने मे चांद ही की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
और सितारे, आदि ये सब एक कानून के आदि ये सब एक कानून के तहत चल रहे है। रात और दिन का लगातार एक दूसरे के बाद आना दुनिया मे अलग अलग मौसम का पाया जाना आदि ऐसे ही दुनिया की हर चीज़ एक कानून का पालन कर रही है।
वो दिन के अन्दर रात को और रात के अन्दर दिन को पिरोता हुआ ले आता है। चाँद और सूरज को उसने ख़िदमत में लगा रखा है। ये सब कुछ एक मुक़र्रर वक़्त तक चले जा रहा है। वही अल्लाह (जिसके ये सारे काम हैं) तुम्हारा रब है।
कुरआन 31:29
और खुद इंसान भी इस दुनिया मे ताबेदारी के साथ चलते है। इंसान यहाँ कुछ कानून के तहत बंधे हुए है और इंसान उन कानून की खिलाफ अर्ज़ी नही कर सकता। मिसाल के तौर पर कानून यह है कि हमारा जिस्म थकेगा तो हम सोएंगे हमें नींद आएगी, इंसान बच्चे से जवान होता है फिर बूढ़ा होता है और फिर इंसान को मौत आती है और इंसान के शरीर का हर एक अंग भी किसी न किसी कानून का पालन कर रहा है। इंसान और दुनिया की सारी मख्लूकात किसी न किसी कानून का पालन कर रही है इंसान और दुनिया की सारी मख्लूकात किसी न किसी कानून की ताबेदार है। तो जब हम सब ताबेदार है तो साबित हुआ की कोई हाकिम भी मौजूद है जिसकी ताबेदार हो रही है, ऐसा हरगिज नही हो सकता कि हम ताबेदार तो हो लेकिन हाकिम कोई न हो।
नास्तिक ( Atheist ) की अक़्ल यहाँ उसका साथ छोड़ देती है, वो कहता है कि हम ताबेदार तो है पर कानून के ताबेदार है अल्लाह के नहीं।
हम ये कहते है कि आप कानून का पालन उस वक़्त तक नही कर सकते जब तक कि उसका कोई बनाने वाला न हो। जब कानून बनेगा और उसका कोई बनानेवाला होगा तब ही हम कानून का पालन कर सकते है, ऐसा कभी नही हो सकता कि कानून खुद व खुद बन जाये और हम उसका पालन करने लग जाए। जब हम सब ताबेदार है सब महकूम है तो हाकिम का होना जरूरी है और उसी हाकिम को हम अल्लाह कहते हैं।
4 टिप्पणियाँ
Behetreen
जवाब देंहटाएंJazak ALLAH
जवाब देंहटाएंGreat article
जवाब देंहटाएंBahut shanadar information
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।