Nikah se pehle (Part 1) | Kamiyab Azdawaji Zindagi Ki Kunji

Nikah: Kamiyab Azdawaji Zindagi Ki Kunji


निकाह से मुतअल्लिक अहम मालूमात

साहिब-ए-इस्तिताअत को निकाह करने का हुक्म दिया गया है। जहाँ निकाह करना सुन्नत है, वहाँ यह भी ज़रूरी है कि निकाह शरीअ़ी तरीक़े से किया जाए, और फिर शोहर बीवी दोनों को एक-दूसरे के हक़ूक़ अदा करने चाहिए।

A. निकाह से पहले (Before Nikah) (पार्ट - 1)

i. निकाह की अहमियत, फ़ज़ीलत और तरगीब

  1. जब कोई शख़्स निकाह कर लेता है तो अपना आधा ईमान मुकम्मल कर लेता है, उसे चाहिए कि बाकी आधे ईमान के मामले में अल्लाह से डरता रहे। (सहीह अल-जामि़: 6148)
  2. निकाह मेरी सुन्नत है, पस जिसने मेरी सुन्नत से इ’राज़ किया, उसका मुझसे कोई तअल्लुक़ नहीं। (सहीह अल-जामि़: 6807)
  3. निकाह के ज़रिए फ़क़्र ओ फ़ाक़ा का ख़ातमा (सूरह नूर: आयत 32)
  4. निकाह बाइस-ए-राहत ओ इतमिनान (सूरह रूम: आयत 21)
  5. निकाह ग़ुज़श्ता अंबिया की सुन्नत (सूरह रअ़्द: आयत 38)
  6. निकाह मुहम्मद ﷺ की सुन्नत (सहीह अल-जामि़: 6807)
  7. निकाह निस्फ़ दीन (सहीह अल-जामि़: 430)
  8. पाकदामनी की नीयत से निकाह करने वाले के लिए मदद-ए-इलाही का ऐलान। (तिर्मिज़ी: 1655, सहीह)
  9. निकाह मुहब्बत ओ उल्फ़त का बेहतरीन ज़रिया (इब्न माजह: 1847, सहीह)
  10. सालिहा बीवी दुनिया का बेहतरीन सामान है (मुस्लिम: 1467)
  11. सालिहा बीवी आदमी की ख़ुश-नसीबी की अलामत है (अत-तरगीब: 1914)

ii. निकाह की हिकमतें

  1. इस्लामी निकाह में इंसानियत और हैवानियत में फ़र्क़
  2. ज़िम्मेदारी का एहसास
  3. बड़ी बीमारियों से पाक मुश्तमिल मुआशरे की तश्कील
  4. पाकदामनी
  5. नफ़्सानी राहत
  6. नसबों की हिफ़ाज़त
  7. नसल-ए-इंसानी का बक़ा
  8. कस्रत-ए-नसल और तादाद
  9. ज़िम्मेदार और ज़िम्मेदारी का एहसास
  10. ज़ौजैन के दरमियान उनस ओ मुहब्बत
  11. मवद्दत ओ रहमत
  12. ज़ौजैन एक-दूसरे का लिबास हैं (सूरह अल-बक़रह: 187) यानी एक-दूसरे के ऐब छुपाना भी और एक-दूसरे के लिए ज़ीनत का ज़रिया बनना भी
  13. बरोज़-ए-हश्र उम्मत की कस्रत पर नबी ﷺ की ख़ुशी
  14. दीन की तबलीग़-ओ-नशर-ओ-इशाअत
  15. रहबानियत से निज़ात
  16. इत्तिबा-ए-सुन्नत का मज़हर

iii. औसाफ़-ए-ज़ौजैन और शादी के इंतिख़ाब में ध्यान रखने की चीज़ें

(शरीक-ए-हयात का इंतिख़ाब करने के चंद रहनुमा उसूल)

  1. दींदार (बुख़ारी: 5090)
  2. अच्छे माहौल का परवरदह
  3. संज़ीदा
  4. मक़सद-ए-हयात से वाक़िफ़
  5. दीनी इल्म का शग़फ़
  6. माली और ज़ौजी ज़िम्मेदारियों का एहसास
  7. शादी से पहले देखना (सूरह निसा: 3)
  8. तय्यबून और तय्यबात रहना, ख़बीसून और ख़बीसात से बचना
  9. इस्तिख़ारा
  10. मशवरा
  11. दुआ
  12. मुआमलात में एतिदाल और जाँच-पड़ताल
  13. तवक्कुल मा'अ असबाब
  14. वदूद और वलूद लड़की (ख़ानदान से पता चलता है कि वफ़ा-शिआर और साहिब-ए-औलाद बनने के लायक है या नहीं)
  15. ऐब और मोहलिक बीमारियों को न छुपाए
  16. मस्लहत को अपनाए, सिर्फ़ शौक़ के पीछे न चले
  17. मशवरा देने वाले अमानत का मज़ाहिरा करें
  18. जहाँ ग़ीबत जाइज़ है उनमें से एक निकाह का अहम मशवरा है — हर अच्छी या बुरी बात बता दें ताकि फैसला सोच-समझकर हो, बाद में निकाह टूटने से बेहतर है कि पहले ही स्पष्टता आ जाए (क़ूलू क़ौलन सदीदा)
  19. सालाहियत और सालिहात
  20. छोटों पर शफ़क़त और बड़ों का एहतिराम करने वाले 
  21. दीन के लिए क़ुर्बानियाँ देने वाले 
  22. एक-दूसरे का ख़याल रखने वाले 
  23. ग़रीब और ज़रूरतमंद का ख़याल रखने वाले 
  24. अक़ीदा-ए-सहीहा, शिर्क ओ बिदअ़त से पाक, आमाल-ए-सालिहा के पायकर, बद-अख़लाक़ी और बुरी आदत से पाक 
  25. इल्म, अमल, दावत ओ इस्लाह और सब्र के हामिल
  26. “जब औरत पाँच नमाज़ें अदा करे, रमज़ान के रोज़े रखे, अपनी शर्मगाह की हिफ़ाज़त करे, और अपने शोहर की इताअत करे तो उससे कहा जाएगा: जन्नत के जिस दरवाज़े से चाहो जन्नत में दाख़िल हो जाओ।” (इब्न हिब्बान: 4163, सहीह अल-जामि़: 660)
  27. लड़का नफ़क़ा, सुक्ना, किस्वह और माली ज़िम्मेदारियाँ उठाने के क़ाबिल हो 
  28. “ला तुदार्रूहुन्न” — किसी क़िस्म का ज़रर न पहुँचाए शरीअ़त के एतिबार से कोई मुबहम ऐब छुपाकर किसी को नुक़सान में न डाले, जैसे नामर्दानी वग़ैरा मुतव्वल किताबों या उलमा-ए-रासिख़ीन से रुजू करें


जमा व तरतीब: शेख अरशद बशीर उमरी मदनी हाफिजहुल्लाह
हिंदी तर्जुमा : टीम इस्लामिक थिओलॉजी 


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