इस्लाम में पैसा और निवेश
1. पैसा और रिज़्क़ (رزق) का असली मायना
इस्लाम में पैसा और माल को रिज़्क़ (رزق) कहा गया है।
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
وَمَا مِن دَابَّةٍ فِي ٱلۡأَرۡضِ إِلَّا عَلَى ٱللَّهِ رِزۡقُهَا
“ज़मीन पर चलने वाला कोई भी जीव ऐसा नहीं है जिसकी रोज़ी अल्लाह के ज़िम्मे न हो।”
[सूरह हूद 11:6]
और कुरआन में अल्लाह ने मुसलमानों को चेताया कि अपनी रोज़ी और माल को नाजायज़ या बेवजह बरबाद न करें:
“और अपने माल को उन बेवकूफ़ों के हवाले न करो, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए उपाय (इस्तेमाल) बनाया है; [मफ़हूम सूरह निसा 4:5]
2. हलाल कमाई की अहमियत
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
طَلَبُ الْحَلَالِ فَرِيضَةٌ بَعْدَ الْفَرِيضَةِ
“हलाल कमाई की तलाश फ़र्ज़ है, फ़र्ज़ (इबादत) के बाद।” [शुअबुल ईमान, बैहक़ी, हदीस: 4933]
मतलब मुसलमान पर फ़र्ज़ है कि वह हलाल तरीक़े से कमाई करे।
3. हराम कमाई और धोखाधड़ी से बचाव
कुरआन में अल्लाह ने फ़रमाया:
يَا أَيُّهَا ٱلَّذِينَ آمَنُواْ لَا تَأۡكُلُواْ ٱلرِّبَوٰٓاْ أَضۡعَٰفٗا مُّضَٰعَفَةٗۖ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمۡ تُفۡلِحُونَ
“ऐ ईमान वालों! दोगुना-तिगुना करके सूद मत खाओ, और अल्लाह से डरें ताकि कामयाब हो सको।” [सूरह आले-इमरान 3:130]
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
إن الله إذا حرّم شيئاً حرّم ثمنه
“अल्लाह जब किसी चीज़ को हराम करता है तो उसके दाम (कीमत) को भी हराम कर देता है।” [अबू दाऊद, हदीस: 3488]
4. निवेश (Investment) की इस्लामी हिकमत
अल्लाह ने फ़रमाया:
وَأَنفِقُوا۟ مِمَّا جَعَلَكُم مُّسۡتَخۡلَفِينَ فِيهِ
“और उस माल में से खर्च करो, जिसमें उसने तुम्हें अपना नायब (ट्रस्टी) बनाया है।” [सूरह हदीद 57:7]
मतलब: पैसा अल्लाह की अमानत (امانت) है, इसे हलाल तरीक़े से खर्च और निवेश करना चाहिए।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
نِعْمَ الْمَالُ الصَّالِحُ لِلرَّجُلِ الصَّالِحِ
“नेक आदमी के हाथों में अच्छा (हलाल) माल होना बहुत अच्छा है।” [मुस्नद अहमद, हदीस: 17096]
5. माल को बेवकूफों के हवाले करने और बरबाद करने से मना
कुरआन में अल्लाह ने चेतावनी दी:
"और अल्लाह की राह में खर्च करो और अपने ही हाथों से अपने-आपको तबाही में न डालो, और अच्छे से अच्छा तरीक़ा अपनाओ।" [मफ़हूम सूरह बकरा 2:195]
6. हलाल निवेश के तरीके
i. गोल्ड और सिल्वर (सोना-चांदी): सोना और चांदी खरीदना और बेचना हलाल है।
शर्त: नकद लेन-देन हो और हराम कारोबार में इस्तेमाल न हो।
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प।
2. रीयल एस्टेट (जायदाद/मकान-जमीन): ज़मीन, मकान, फ्लैट, प्लॉट में निवेश करना हलाल है। किराये पर देना और उससे आय (Rent) लेना भी हलाल है। बशर्ते कि उस प्रॉपर्टी को हराम मकसद (जैसे शराब की दुकान, जुए का अड्डा) के लिए न दिया जाए।
3. हलाल बिज़नेस / ट्रेडिंग: हलाल प्रोडक्ट्स (जैसे कपड़े, खाने-पीने का सामान, किताबें, टेक्नोलॉजी) में कारोबार करना। साझेदारी (Partnership) या मुशारका/मुदारबा (इस्लामी बिज़नेस मॉडल) के तहत इन्वेस्टमेंट करना।
4. शेयर मार्केट (Halal Stocks): इस्लाम में शेयर बाज़ार में निवेश तभी जायज़ है जब:
- कंपनी का बिज़नेस हलाल हो (जैसे IT, FMCG, हेल्थकेयर)।
- उसमें शराब, जुआ, सूद-आधारित बैंकिंग, पोर्नोग्राफी आदि न हो।
- क़र्ज़ और रिबा वाले शेयरों से बचा जाए।
इसके लिए कई जगह Shariah-compliant index भी बने हैं
5. सुकूक (Islamic Bonds): यह इस्लामी तरीके से बनाए गए बॉन्ड होते हैं, जिनमें ब्याज (Interest) नहीं लिया जाता। इसके बजाय निवेशक को बिज़नेस/प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी और मुनाफ़ा दिया जाता है।
6. हलाल म्यूचुअल फंड (Shariah-compliant Mutual Funds): भारत और दुनिया भर में कुछ म्यूचुअल फंड ऐसे हैं जो सिर्फ़ हलाल कंपनियों में निवेश करते हैं। खाड़ी देशों (UAE, Saudi, Malaysia) में भी कई इस्लामी फंड उपलब्ध हैं।
7. हलाल ट्रेडिंग (Commodities / Agriculture): अनाज, फल-सब्ज़ी, हलाल मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में निवेश। खेती-बाड़ी (Agriculture Land) खरीदकर उस पर हलाल फ़सलों का कारोबार करना।
7. किन निवेशों से बचना चाहिए? (हराम)
- ब्याज (Riba) आधारित बैंक और फ़ाइनेंस।
- शराब, जुआ, सूअर से जुड़े कारोबार।
- क्रिप्टोकरेंसी (अधिकतर उलमा की राय में अभी शुब्हा या हराम)।
- जुआ/लॉटरी जैसी स्कीमें।
- MLM (Multi Level Marketing) और Ponzi Schemes
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