Sone mein Nivesh: Musalman ke liye Halal aur Haram Tareeqe

Gold-Investment

सोने में निवेश: 

मुसलमान के लिए हलाल और हराम तरीके

जब हलाल निवेश की बात आती है तो एक मुसलमान सबसे पहले सोने (Gold) में निवेश करने के बारे में सोचता है।

लेकिन जैसे ही वह बाज़ार में जाता है तो उसे तरह-तरह के ऑफ़र और स्कीमें घेर लेती हैं:

  • कोई कहता है: “स्कीम ले लो, मेकिंग चार्ज माफ़ है।”
  • कोई कहता है: “EMI पर ले लो, एक साथ पैसा नहीं लगेगा।”
  • कोई कहता है: “शेयर ले लो, GST नहीं लगेगा।”
  • कोई कहता है: “म्यूचुअल फंड ले लो, संभाल कर रखने का झंझट भी नहीं।”

लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सब तरीके शरीअत के हिसाब से हलाल हैं?

एक मुसलमान तो इसलिए सोने में पैसा लगाना चाहता था ताकि रिबा (सूद) से बच सके, लेकिन यहाँ उलझन और कंफ़्यूज़न और भी बढ़ जाती है।

तो आइए देखते हैं कि कौन सा तरीका हलाल है और किससे बचना चाहिए और अल्लाह तआला ने हमें किस तरह निवेश करने का हुक्म दिया है।


1. सोना रखना और उसमें निवेश करना

सोना खरीदकर अपने पास रखना हलाल है। नबी ﷺ ने सोना और चाँदी को माल (धन) माना और उस पर ज़कात का हुक्म दिया।

"और जो लोग सोना और चाँदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते, तो उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी दो।" [सूरह तौबा 9:34]

मतलब: सोना जमा करना जायज़ है। लेकिन उस पर ज़कात अदा करना और अल्लाह की राह में खर्च करना ज़रूरी है।


2. मर्दों के लिए सोना पहनना

नबी ﷺ ने मर्दों को सोना पहनने से मना किया।

हदीस:

अबू मूसा अल-अशअरी (रज़ि) से रिवायत है: "रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: सोने और रेशम का पहनना मेरी उम्मत की औरतों के लिए हलाल है और मर्दों के लिए हराम है।" [सुन्नन इब्न माजा, हदीस 3595 सहीह]

यानी मर्द सोना पहन नहीं सकते, लेकिन सोना रख सकते हैं, खरीद सकते हैं और उसमें निवेश कर सकते हैं। औरतें सोने के गहने पहन सकती हैं, और उनके लिए ज्वेलरी रखना व इस्तेमाल करना, निवेश करना हलाल है।


3. इस्लाम में सोने में निवेश का असल हुक्म

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: "सोना सोने के बदले, चाँदी चाँदी के बदले, बराबर तौल में और हाथों-हाथ होना चाहिए। जिसने ज़्यादा लिया या देर की, उसने रिबा किया।" [सहीह मुस्लिम, हदीस 1587]

यानी सोने की खरीद-बिक्री में दो शर्तें हैं:

  • 1. पैसा दो और उसी वक़्त सोना हाथ में लो।
  • 2. देर करना या उधार पर लेना = रिबा और हराम।


4. हलाल तरीका

  • फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, सिक्के, बिस्किट, बार)
  • पैसे उसी वक्त दो, और सोना उसी वक्त अपने हाथ में लो।
  • यही एकमात्र तरीका है जो पूरी तरह हलाल है।


5. हराम और नाजायज़ तरीके

i. ऑनलाइन गोल्ड / डिजिटल गोल्ड

  • पेमेंट अभी, डिलीवरी 2–4 दिन बाद।
  • शर्त टूटी → हराम।

ii. गोल्ड ETF / म्यूचुअल फंड

  • असल सोना हाथ में नहीं आता, सिर्फ़ यूनिट मिलती है।
  • मुतनाज़ा है, बचना बेहतर।

iii. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)

  • असल सोना नहीं, सिर्फ़ बॉन्ड + 2.5% ब्याज।
  • रिबा शामिल → हराम।

"अल्लाह ने तिजारत को हलाल और रिबा को हराम ठहराया है।" [सूरह बक़रा 2:275]

iv. गोल्ड फ्यूचर्स और ऑप्शंस (Derivatives)

  • असल सोना नहीं, सिर्फ़ भविष्य की क़ीमत पर सट्टा।
  • जुआ और ग़रर → हराम।

v. ज्वेलरी EMI स्कीमें

  • 11 महीने EMI दो, 12वाँ महीना फ्री, फिर सोना मिलेगा।
  • सोना हाथ में नहीं + EMI माफ़ करना ब्याज जैसा → हराम।

vi. गोल्ड माइनिंग शेयर

अगर कंपनी हलाल बिज़नेस करती है तो जायज़, वरना हराम।


नतीजा (Final Verdict)

निवेश का तरीका शरीअती हुक्म वजह/दलील
फिजिकल गोल्ड ✅ हलाल हाथों-हाथ पेमेंट और डिलीवरी
ऑनलाइन/डिजिटल गोल्ड ❌ हराम पेमेंट अभी, सोना बाद में; ETF/म्यूचुअल फंड में असल सोना हाथ में नहीं
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) ❌ हराम इसमें ब्याज (रिबा) शामिल
फ्यूचर्स/ऑप्शंस (Derivatives) ❌ हराम जुए (Maisir) और ग़रर (अनिश्चितता) जैसा है
ज्वेलरी EMI स्कीम ❌ हराम सोना देर से + ब्याज जैसी स्कीम
गोल्ड माइनिंग शेयर ⚠️ शर्त के साथ अगर कंपनी हलाल बिज़नेस करती है तो जायज़


आख़िरी नसीहत

  • एक मुसलमान का मक़सद निवेश में हलाल को पकड़ना और हराम से बचना होना चाहिए।
  • सोने में निवेश करना हलाल है, लेकिन सिर्फ़ उसी वक़्त जब पैसा दो और सोना हाथ में लो।
  • बाक़ी सारे रास्ते या तो हराम हैं, या शक़ी — और शक़ से बचना ही तक़वा है।

By Team Islamic Theology

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