आज़माईश और मुसलमान (पार्ट -1)
दुनिया मोमिन के लिए क़ैदख़ाना और काफ़िरों के लिए जन्नत है। मोमिन की जन्नत दुनिया के खात्मे के बाद की ज़िन्दगी में है यानि दुनिया आज़माइश की जगह है और इसमें तप कर जो कुंदन बनेगा वही दूसरी ज़िन्दगी में दर हक़ीक़त कामयाब होगा। यहाँ कई बार ऐसे मरहले भी आएंगे जब कलेजे मुंह को आने लगेंगे, मदद के तमाम रास्ते बंद दिखाई देंगे, ईमान बचाना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन जो इन हालात में भी ईमान को महफ़ूज़ रखे वही मोमिन कहलाने के लायक़ है।
अहले ईमान कभी यह न सोचें कि उन पर मुसीबत के बादल नहीं छाएंगे, इन्हें परेशान नहीं किया जायेगा, कोई भी ऐसा दौर नहीं गुज़रा कि जिसमें अहले हक़ को मुश्किलात का सामना न करना पड़ा हो. अंबिया की ज़िंदगीयां इस बात की गवाह हैं! ख़ुद नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मक्की ज़िन्दगी कितनी दुखदायी रही।
क़ुरआन में भी इस जानिब इशारा किया गया है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का इरशाद है:
اَمۡ حَسِبۡتُمۡ اَنۡ تَدۡخُلُوا الۡجَنَّۃَ وَ لَمَّا یَاۡتِکُمۡ مَّثَلُ الَّذِیۡنَ خَلَوۡا مِنۡ قَبۡلِکُمۡ ؕ مَسَّتۡہُمُ الۡبَاۡسَآءُ وَ الضَّرَّآءُ وَ زُلۡزِلُوۡا حَتّٰی یَقُوۡلَ الرَّسُوۡلُ وَ الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا مَعَہٗ مَتٰی نَصۡرُ اللّٰہِ ؕ اَلَاۤ اِنَّ نَصۡرَ اللّٰہِ قَرِیۡبٌ
क्या तुमने यह समझ रखा है कि तुम जन्नत में प्रवेश पा जाओगे जबकि अभी तुम पर वह परिस्थितियाँ गुज़री ही नहीं जो तुमसे पहले के लोगों पर गुज़री थीं। उनको कठिनाई और पीड़ा पहुँची और वह हिला मारे गये, यहाँ तक कि रसूल (सन्देष्टा) और उनके साथ ईमान लाने वाले पुकार उठे कि अल्लाह की सहायता कब आयेगी। याद रखो, अल्लाह की सहायता निकट है। [सूरह: 002 अल-बक़रह, आयत 214]
अज़माइशें कैसी होंगी, इस विषय में कुछ नमूने भी क़ुरआन में बयान हुए हैं! एक जगह है:
وَ لَنَبۡلُوَنَّکُمۡ بِشَیۡءٍ مِّنَ الۡخَوۡفِ وَ الۡجُوۡعِ وَ نَقۡصٍ مِّنَ الۡاَمۡوَالِ وَ الۡاَنۡفُسِ وَ الثَّمَرٰتِ ؕ وَ بَشِّرِ الصّٰبِرِیۡنَ
और हम तुम्हें एक एक चीज़ ज़रूर आज़माएंगे, कुछ डर और भूख से और कुछ को सम्पत्ति और जान और पैदावार की कमी से। और दृढ़ रहने वालों को ख़ुशख़बरी दे दो। [सूरह: 002 अल-बक़रह, आयत 155]
क़ुरआन एक जगह एक और वाकये के बारे में इशारा किया गया है :
قُتِلَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡأُخۡدُودِ ٱلنَّارِ ذَاتِ ٱلۡوَقُودِ إِذۡ هُمۡ عَلَيۡهَا قُعُودٞ وَهُمۡ عَلَىٰ مَا يَفۡعَلُونَ بِٱلۡمُؤۡمِنِينَ شُهُودٞ وَمَا نَقَمُواْ مِنۡهُمۡ إِلَّآ أَن يُؤۡمِنُواْ بِٱللَّهِ ٱلۡعَزِيزِ ٱلۡحَمِيدِ
नाश हुए खाई वाले। जिसमें भड़कते हुए ईधन की आग थी। जबकि वह उस पर बैठे हुए थे। और जो कुछ वह ईमान वालों के साथ कर रहे थे, वह उसको देख रहे थे। और उनसे उनकी शत्रुता इसके अतिरिक्त किसी कारण से न थी कि वह ईमान लाये अल्लाह पर जो प्रभुत्वशाली है, प्रशंसा वाला है। [सूरह 85 अल बुरुज आयत 4 से 8 तक]
असहाबे उख़दूद कौन थे, इसकी वज़ाहत अहादीस से होती है। राजा के सामने लोगों ने कैसी ईमानी जुरअत का सुबूत दिया:
सैयदना सुहैब रज़ि से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: तुम से पहले लोगों में एक राजा था और उस के यहाँ एक जादूगर था। जब वह जादूगर बूढ़ा हो गया तो राजा से बोला कि मैं बूढ़ा हो गया हूँ, मेरे पास कोई लड़का भेज कि इसे जादू सिखा दूँ। राजा ने उसके पास एक लड़का भेजा, वह जादू सिखाने लगा । इस लड़के आने जाने के रास्ते में एक राहिब (साधू) (ईसाई दरवेश यानी पादरी प्रवासी अद्दुनिया) था, वह लड़का उसके पास बैठा और उसका वाज़ (speech) सुना तो उसे उसकी बातें अच्छी लगीं। अब जादूगर के पास जाता तो राहिब के पास से होकर निकलता और उसके पास बैठता, फिर जब जादूगर के पास जाता तो जादूगर उसे (देर से आने के कारण) मारता। अंततः लड़के ने जादूगर के मार की शिकायत राहिब से की तो राहिब ने कहा कि जब तू जादूगर से डरे, तो यह कह दिया कर कि मेरे घर वालों ने मुझे रोक रखा था और जब तू अपने घर वालों से डरे तो कह दिया कर कि जादूगर ने मुझे रोक रखा था। इसी हालत में वह लड़का रहा कि अचानक एक बड़े दरिंदे पर से गुज़र हुआ कि जिसने लोगों का रास्ता बंद कर रखा था। लड़के ने कहा कि आज मैं मालूम करता हूँ कि जादूगर बेहतर है या राहिब बेहतर है। उसने एक पत्थर लिया और कहा कि ईलाही अगर तुझे राहिब का तरीका जादूगर के तरीके से अधिक पसंद है, तो इस जानवर को क़त्ल कर दे ताकि लोगों का गुजरना आसान हो जाए। फिर उसने पत्थर फेंक कर मारा तो वह जानवर मर गया और लोगों का आना जाना आसान हो गया। फिर वह लड़का राहिब के पास आया और उस से पूरा हाल बयान किया तो वह बोला कि बेटा तू मुझसे बढ़ गया है, वास्तव में तेरा रुतबा यहां तक पहुंचा जो मैं देखता हूँ और तुम जल्द ही आज़माये जाओगे। फिर यदि आजमाया जाए तो मेरा नाम न बतलाना। इस लड़के का यह हाल हो गया कि अंधे और कोढ़ी को अच्छा करने लगा और हर प्रकार की बीमारी का इलाज करने लगा। यह हाल जब राजा के एक मंत्री का हुआ कि वह अंधा हो गया था जब उस ने चर्चा सुनी तो उस लड़के के पास कई उपहार लाया और कहने लगा कि यह सब माल तेरा है यदि मुझे अच्छा कर दे। लड़के ने कहा कि मैं किसी को अच्छा नहीं करता, अच्छा करना तो अल्लाह का काम है, यदि अल्लाह पर ईमान लाए तो मैं अल्लाह से दुआ करूँगा तो वह तुझे अच्छा कर देगा। वह मंत्री अल्लाह पर ईमान लाया तो अल्लाह ने उसे अच्छा किया। वह राजा के पास गया और उसके पास बैठा जैसे कि बैठा करता था। राजा ने कहा कि तेरी आंख किसने ठीक की? मंत्री ने कहा कि मेरे मालिक ने।
राजा ने कहा कि मेरे इलावा तेरा मालिक कौन है?
मंत्री ने कहा कि मेरा और तेरा मालिक अल्लाह है। राजा ने उसे पकड़ा और पीड़ा देना शुरू किया, यहाँ तक कि उसने लड़के का नाम ले लिया। वह लड़का बुलाया गया।
राजा ने उस से कहा, हे बेटा तू जादू में इस स्तर पर पहुंचा कि अंधे और कोढ़ी को अच्छा करता है और बड़े बड़े काम करता है?
वह बोला कि मैं तो किसी को अच्छा नहीं करता बल्कि अल्लाह अच्छा करता है। राजा ने उसे पकड़ा और मारता रहा, यहां तक कि उसने राहिब का नाम बता दिया। राहिब (भिक्षु) पकड़ लिया गया। उसे कहा गया कि अपने धर्म से फिर जा। उस ने इंकार किया तो राजा ने एक आरा मंगवाया और राहिब सर पर रख कर उसे चीर डाला, यहां तक कि राहिब दो टुकड़े होकर गिर पड़ा। फिर वह मंत्री बुलाया गया, उससे कहा गया कि अपने धर्म से फिर जा, वह भी न माना इसकी मांग पर भी आरा रखा गया और चीर डाला यहाँ तक कि वह भी दो टुकड़े होकर गिर पड़ा। फिर वह लड़का बुलाया गया, उससे कहा कि अपने धर्म से पलट जा, उसने भी इनकार किया। तब राजा ने उसे अपने कुछ साथियों के हवाले किया और कहा कि उसे फुलां पहाड़ पर ले जाकर शिखर पर चढ़ाओ, जब तुम शिखर पर पहुंचो तो उस लड़के से पूछो, अगर वे अपने धर्म से फिर जाए तो खैर नहीं तो नीचे धक्का दे दो। वह उसे ले गए और पहाड़ पर चढ़ाया। लड़के ने प्रार्थना की कि ऐ मेरे अल्लाह जिस तरह भी हो तू मुझे इनकी बुराई (शर) से बचा। पहाड़ हिला और वह सब गिर पड़े। वह लड़का राजा के पास आया। राजा ने पूछा कि तुम्हारे साथी कहां गए? उसने कहा कि अल्लाह ने मुझे उनकी बुराई से बचा लिया। फिर राजा ने अपने कुछ साथियों के हवाले किया और कहा कि यह एक नाव में नदी के अंदर ले जाओ, अगर यह अपने धर्म से फिर जाए तो खैर, अन्यथा उसे नदी में धकेल देना। वे इसे ले गए। लड़के ने कहा कि ऐ मेरे अल्लाह तू मुझे जिस तरह चाहे उनकी बुराई से बचा ले। वह नाव औंधी हो गई और लड़के को छोड़ सब डूब गए और लड़का बच कर, फिर राजा के पास आ गया। राजा ने उससे पूछा कि तुम्हारे साथी कहां गए? वह बोला कि अल्लाह ने मुझे उनकी बुराई से बचा लिया। फिर लड़के ने राजा से कहा, मुझे तब तक नहीं मार सकेगा, जब तक कि जो तरीका मैं बतलाउं वह न करे। राजा ने कहा कि वह क्या है? उसने कहा कि अगर सभी लोगों को एक मैदान में जमा करके मुझे एक लकड़ी पर सूली दे, फिर मेरे तरकश से एक तीर लेकर कमान के अंदर रख, फिर कह कि अल्लाह के नाम से मारता हूँ जो इस लड़के का मालिक है। फिर तीर मार। यदि ऐसा होगा तो मुझे क़त्ल कर लोगे। राजा ने सब लोगों को एक मैदान में जमा किया, उस लड़के को पेड़ के तने पर लटकाया, तरकश में से एक तीर लिया और तीर कमान के अंदर रख कर यह कहते हुए मारा कि अल्लाह के नाम से मारता हूँ जो इस लड़के का मालिक है। वह तीर लड़के कनपटी पर लगा। उसने अपना हाथ तीर लगने की जगह पर रखा और मर गया। लोगों ने यह हाल देखकर कहा कि हम तो उस लड़के के मालिक पर ईमान लाते है, हम इस लड़के के मालिक पर ईमान लाते है, हमने इस लड़के के मालिक पर ईमान लाया। किसी ने राजा से कहा कि अल्लाह की क़सम! जिस से तू डरता था वही हुआ, यानी लोग ईमान ले आए। राजा ने मार्गों के नालों पर खनदकें (गढ़े) खुदावाने का आदेश दिया। फिर खनदकें खोदी गईं और उनमें खूब आग भड़काई गई और कहा कि जो व्यक्ति इस धर्म से (यानी लड़के के दीन से) न फिरे, उसे इन खाइयों में धकेल दो, या कहा जाए कि इन खाइयों में गिरे। लोगों ने ऐसा ही किया, यहां तक कि एक औरत आई जिसके साथ उसका बच्चा भी था, उस औरत में आग में गिरने से झिझक महसूस की तो बच्चे ने कहा कि हे माँ! सब्र कर तू सच्चे धर्म पर है।```
[सहीह मुस्लिम हदीस नम्बर 5996. कितबुज़ ज़ुहद वर रक़ाएक. बाब क़िस्सतु असहाबिल उख़दूद वस साहिर वर राहिब वल ग़ुलाम; मुसनद अहमद: किताब, बाक़ी मुसनदुल अंसार ..बाब हदीस सुहैब रज़ि अल्लाहु अन्हु]
लोग आसान समझते हैं मुसलमां होना!
जारी है.....
आसिम अकरम अबु अदीम फ़लाही
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