Shauhar aur biwi ke rishte mein kadwahat kyun aati hai?

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शौहर बीवी में कड़वाहट

शौहर और बीवी के रिश्ते में कड़वाहट क्यों आती है? 

और इस्लाम के मुताबिक उसे कैसे दूर किया जाए?

शादी ज़िन्दगी का बहुत अहम रिश्ता होता है। जब दो लोग शादी करते हैं, तो सिर्फ दो लोग नहीं, बल्कि दो दिल, दो सोचें, और दो अलग मिज़ाज एक साथ आते हैं।

शादी के शुरू में सब कुछ अच्छा लगता है मोहब्बत, हँसी, वादे, उम्मीदें। लेकिन धीरे-धीरे, जब असल ज़िन्दगी शुरू होती है खर्चे, जिम्मेदारियाँ, बच्चे, घर वालों की उम्मीदें तब असली इम्तिहान शुरू होता है।

आजकल बहुत से रिश्तों में कड़वाहट, झगड़े और तलाक की नौबत आ जाती है। लेकिन क्या ये सब अचानक होता है? नहीं! चलिए जानते हैं कि असल में क्या वजहें होती हैं और इस्लाम क्या हल बताता है।


1. एक-दूसरे को समझने की कमी:

  • शादी के शुरू में जो बातें प्यारी लगती थीं, वही बातें कुछ महीनों बाद चुभने लगती हैं।
  • शौहर सोचता है: "बीवी मेरी बात नहीं समझती।"
  • बीवी सोचती है: "ये मुझे इग्नोर करता है।"

असल में दोनों अपनी-अपनी परेशानी में फँसे होते हैं, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं करते। बात करने की जगह चुप्पी, ताने और गुस्सा ले लेते हैं।

हल: रोज़ थोड़ी देर सिर्फ बैठकर एक-दूसरे की बातें सुनो — बिना टोके, बिना सलाह दिए। सिर्फ सुनो।


2. अहमियत और इज़्ज़त की कमी:

  • शादी के कुछ समय बाद, लोग एक-दूसरे की अहमियत भूल जाते हैं। न तारीफ करते हैं, न शुक्रिया कहते हैं।
  • बीवी दिनभर घर संभालती है लेकिन शौहर कहता है: "तुम करती ही क्या हो?"
  • शौहर दिनभर मेहनत करता है लेकिन बीवी कहती है: "पैसे ही तो कमाते हो, और क्या?"

हल:

  • बीवी की तारीफ करो, चाहे छोटी बात ही क्यों न हो।
  • शौहर की मेहनत की कदर करो, और शुक्रिया कहा करो।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "जो लोगों का शुक्रिया अदा नहीं करता, वह अल्लाह का भी शुक्रिया अदा नहीं करता।" [सुनन अबू दाऊद 4811]


3. गुस्सा और बेहिसाबी लड़ाई:

आजकल लोगों में सब्र की बहुत कमी हो गई है। छोटी सी बात पर गुस्सा आ जाता है, और मुँह से ऐसे अल्फाज़ निकलते हैं जो रिश्ते तोड़ देते हैं।


जैसे:

  • "तुमसे तो शादी ही ग़लती थी।"
  • "मेरे नसीब ही ख़राब हैं।"
  • "तुम्हारे घर वालों ने बिगाड़ा है।"

ये बातें कभी-कभी नफरत की नींव बन जाती हैं।

हल:

  • गुस्से में कभी फैसला मत करो और मुँह से तल्ख बातें मत कहो।
  • अगर गुस्सा बहुत बढ़े, तो वुज़ू कर लो, चुप हो जाओ, या जगह बदल लो।


4. दूसरों की दखलअंदाज़ी:

  • बहुत से झगड़ों की जड़ होती है बाहर के लोग।
  • माँ-बाप, बहन-भाई, दोस्त सब अपनी सलाह देने लगते हैं।
  • बीवी अपनी माँ को बताती है, शौहर अपने दोस्त को सुनाता है।

रिश्तों में जब हर कोई अपनी राय देने लगे, तो झगड़े बढ़ जाते हैं।

हल:

  • जो बात आपस में सुलझ सकती है, उसे बाहर न निकालो।
  • बाहर वालों की हर बात पर भरोसा मत करो।
  • अपने रिश्ते को प्राइवेट रखो, बुराई नहीं फैलाओ।


5. माली परेशानी और उम्मीदों का टकराव:

कई बार बीवी को वो सब नहीं मिल पाता जो वो शादी से पहले सोचती है गहने, घूमना-फिरना, अकेला घर, तो वो मायूस हो जाती है। शौहर सोचता है कि मैं तो दिन-रात मेहनत कर रहा हूँ, फिर भी ये खुश क्यों नहीं?

हल:

  • दोनों एक-दूसरे की हालात को समझें।
  • मिल-बाँट कर फैसले लें।
  • एक-दूसरे की तकलीफ में साथ खड़े रहें।

कुरआन कहता है, “अगर वो मुफ़लिस भी होंगे तो अल्लाह उन्हें अपने फज़ल से ग़नी कर देगा” [सूरह नूर 32]


6. रिश्ता कैसे मजबूत किया जाए?

  • दुआ में एक-दूसरे का नाम लो।
  • हर दिन एक अच्छा लफ्ज़ बोलो।
  • हर झगड़े का इलाज तलाक नहीं होता।
  • कभी अकेले में एक-दूसरे की आँखों में देख कर बातें करो, जैसे पहली बार शादी के बाद की थीं।
  • रिश्ते को वक़्त दो, जैसे बाग़ को पानी देते हैं।


7. इस्लाम का नजरिया:

शादी एक ‘मुआहदा’ (पक्का वादा) है अल्लाह के नाम पर दो लोगों का।

कुरआन कहता है: "वे तुम्हारा लिबास हैं और तुम उनके लिबास हो।" [सूरह बक़रह 187]

यानी, शौहर और बीवी एक-दूसरे की ढाल हैं, ज़रूरत हैं, और ज़िन्दगी की सबसे बड़ी राहत हैं।


हर रिश्ता एक पेड़ की तरह होता है। अगर उसे रोज़ पानी (मोहब्बत), धूप (समझदारी), और हवा (सब्र) मिले तो वो फल देता है। लेकिन अगर उसे छोड़ दिया जाए, ताने दिए जाएँ, और काटा जाए तो वो सूख जाता है।

तो आईए, अपने रिश्तों को फिर से जीने की कोशिश करें इस्लाम की रोशनी और मोहब्बत के साथ।

"निकाह को बोझ नहीं, रहमत समझिए तब ही सुकून मिलेगा"


By Islamic Theology

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