हज्ज करने का सही तरीका (सुन्नत के अनुसार)
हज्ज के रस्में तीन प्रकार के होते हैं:
- हज्ज-ए-इफराद (सिर्फ हज्ज)
- हज्ज-ए-क़िरान (हज्ज और उमरा साथ में)
- हज्ज-ए-तमत्तु (उमरा और हज्ज अलग-अलग)
पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हज्ज-ए-तमत्तु को सबसे अच्छा बताया है (सहीह बुखारी, हदीस 1563)। इसलिए, यहाँ हज्ज-ए-तमत्तु का सुन्नत तरीका बताया जा रहा है।
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हज्ज-ए-तमत्तु का पूरा तरीका (स्टेप बाय स्टेप)
पहला चरण: उमरा करना (8 ज़िल-हिज्जा से पहले)
- इहराम बाँधना (मीक़ात से पहले): नियत: "अल्लाहुम्मा लब्बैका उमरतन" (ऐ अल्लाह! मैं उमरा करने आया हूँ)। तलबिया पढ़ना: "लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक..." (सुन्नत है)। सफेद कपड़े (इहराम) पहनना (पुरुष), महिलाएं सामान्य पर्देदार कपड़े पहनें।
- मक्का पहुँचकर तवाफ करना: काबा का 7 चक्कर (तवाफ), हजर-ए-अस्वद (काले पत्थर) को चूमना या इशारा करना। मकाम-ए-इब्राहीम पर 2 रकात नमाज़ पढ़ना।
- सई करना (सफा-मरवा): सफा और मरवा के बीच 7 चक्कर लगाना।
- हलक या तकसीर (बाल कटवाना/मुंडवाना): पुरुष: बाल मुंडवाएं या छोटे करें। महिलाएं: उंगली के एक पोर के बराबर बाल काटें।
उमरा पूरा हो गया, अब इहराम खोल दें।
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दूसरा चरण: हज्ज के लिए इहराम (8 ज़िल-हिज्जा)
- 8 ज़िल-हिज्जा को फिर से इहराम बाँधें: नियत: "अल्लाहुम्मा लब्बैका हज्जन" (ऐ अल्लाह! मैं हज्ज करने आया हूँ)। तलबिया पढ़ते रहना (ज्यादा से ज्यादा)।
- मिना जाना (8 ज़िल-हिज्जा): दिनभर मिना में ठहरें, ज़ुहर, असर, मगरिब, ईशा और फज्र की नमाज़ पढ़ें।
---तीसरा चरण: 9 ज़िल-हिज्जा (अरफात का दिन – हज्ज का सबसे महत्वपूर्ण दिन)
- सुबह मिना से अरफात जाना: दोपहर (ज़ुहर और असर) की नमाज़ क़स्र (छोटी) करके पढ़ें। दुआ और इस्तिगफार करते रहें (यहाँ का हर पल बहुमूल्य है)।
- मगरिब से पहले मुज़दलिफा जाना: सूरज ढलने के बाद अरफात से मुज़दलिफा आएँ। यहाँ मगरिब और ईशा की नमाज़ मिलाकर पढ़ें। रात यहाँ गुज़ारें, सुबह फज्र की नमाज़ पढ़कर मशअरुल-हराम (जमरात के लिए पत्थर इकट्ठा करें)।
---चौथा चरण: 10 ज़िल-हिज्जा (ईद-उल-अधा – कुर्बानी का दिन)
- मुज़दलिफा से मिना आकर जमरात को पत्थर मारना (रमी): बड़ा शैतान (जमरात-उल-अक़बा) को 7 पत्थर मारें, हर पत्थर के साथ "अल्लाहु अकबर" कहें।
- कुर्बानी देना: अपनी ओर से या हुक्म के तहत जानवर की कुर्बानी करें (सुन्नत है)।
- हलक या तकसीर (बाल कटवाना): अब हज्ज का इहराम खुल गया, सामान्य कपड़े पहन सकते हैं।
- मक्का जाकर तवाफ-ए-ज़ियारत करना: काबा का 7 चक्कर लगाएँ (यह हज्ज का फर्ज़ तवाफ है)।
- सफा-मरवा की सई करना (अगर उमरा में नहीं किया हो तो)।
---पाँचवा चरण: 11, 12 और 13 ज़िल-हिज्जा (अय्याम-ए-तश्रीक़)
- तीनों जमरात (बड़ा, मध्य, छोटा शैतान) को पत्थर मारना: हर रोज़ 21 पत्थर (7+7+7) मारें।दोपहर के बाद पत्थर मारना सुन्नत है।
- 13 ज़िल-हिज्जा को मक्का वापस जाना: विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करना (हज्ज का आखिरी काम)।
---महत्वपूर्ण सुन्नतें और आदाब:
- तलबिया ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ें (खासकर इहराम के बाद)।
- अरफात के दिन खूब दुआ करें (यहाँ की दुआ कबूल होती है)।
- मुज़दलिफा में छोटे कंकड़ इकट्ठा करें (जमरात के लिए)।
- कुर्बानी के बाद बाल कटवाएँ (पुरुषों के लिए मुंडवाना अफज़ल है)।
- हज्ज के दौरान गुनाहों से बचें (झगड़ा, बुरी बातें, अश्लीलता आदि)।
"हज्ज मबरूर (कबूल हज्ज) का बदला जन्नत के सिवा कुछ नहीं।"
(सहीह बुखारी, हदीस 1773)
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निष्कर्ष
- हज्ज-ए-तमत्तु सबसे आसान और सुन्नत तरीका है।
- 8 ज़िल-हिज्जा को हज्ज का इहराम बाँधें।
- 9 ज़िल-हिज्जा अरफात में दिन बिताएँ (हज्ज का मुख्य दिन)।
- 10 ज़िल-हिज्जा को कुर्बानी दें और बाल कटवाएँ।
- 11-13 ज़िल-हिज्जा को जमरात को पत्थर मारें।
मेहनत और इख्लास के साथ हज्ज करें, ताकि अल्लाह आपका हज्ज क़बूल करे!
आमीन!
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