4. Hajj ka tareeka

4. Hajj ka tareeka


हज्ज करने का सही तरीका (सुन्नत के अनुसार)

हज्ज के रस्में तीन प्रकार के होते हैं:

  1. हज्ज-ए-इफराद (सिर्फ हज्ज)
  2. हज्ज-ए-क़िरान (हज्ज और उमरा साथ में)
  3. हज्ज-ए-तमत्तु (उमरा और हज्ज अलग-अलग)

पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हज्ज-ए-तमत्तु को सबसे अच्छा बताया है (सहीह बुखारी, हदीस 1563)। इसलिए, यहाँ हज्ज-ए-तमत्तु का सुन्नत तरीका बताया जा रहा है।

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हज्ज-ए-तमत्तु का पूरा तरीका (स्टेप बाय स्टेप)

पहला चरण: उमरा करना (8 ज़िल-हिज्जा से पहले)

  1. इहराम बाँधना (मीक़ात से पहले): नियत: "अल्लाहुम्मा लब्बैका उमरतन" (ऐ अल्लाह! मैं उमरा करने आया हूँ)। तलबिया पढ़ना: "लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक..." (सुन्नत है)। सफेद कपड़े (इहराम) पहनना (पुरुष), महिलाएं सामान्य पर्देदार कपड़े पहनें।
  2. मक्का पहुँचकर तवाफ करना: काबा का 7 चक्कर (तवाफ), हजर-ए-अस्वद (काले पत्थर) को चूमना या इशारा करना। मकाम-ए-इब्राहीम पर 2 रकात नमाज़ पढ़ना।
  3. सई करना (सफा-मरवा): सफा और मरवा के बीच 7 चक्कर लगाना।
  4. हलक या तकसीर (बाल कटवाना/मुंडवाना): पुरुष: बाल मुंडवाएं या छोटे करें। महिलाएं: उंगली के एक पोर के बराबर बाल काटें।

उमरा पूरा हो गया, अब इहराम खोल दें।

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दूसरा चरण: हज्ज के लिए इहराम (8 ज़िल-हिज्जा)

  1. 8 ज़िल-हिज्जा को फिर से इहराम बाँधें: नियत: "अल्लाहुम्मा लब्बैका हज्जन" (ऐ अल्लाह! मैं हज्ज करने आया हूँ)। तलबिया पढ़ते रहना (ज्यादा से ज्यादा)।
  2. मिना जाना (8 ज़िल-हिज्जा): दिनभर मिना में ठहरें, ज़ुहर, असर, मगरिब, ईशा और फज्र की नमाज़ पढ़ें।

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तीसरा चरण: 9 ज़िल-हिज्जा (अरफात का दिन – हज्ज का सबसे महत्वपूर्ण दिन)

  1. सुबह मिना से अरफात जाना: दोपहर (ज़ुहर और असर) की नमाज़ क़स्र (छोटी) करके पढ़ें। दुआ और इस्तिगफार करते रहें (यहाँ का हर पल बहुमूल्य है)।
  2. मगरिब से पहले मुज़दलिफा जाना: सूरज ढलने के बाद अरफात से मुज़दलिफा आएँ। यहाँ मगरिब और ईशा की नमाज़ मिलाकर पढ़ें। रात यहाँ गुज़ारें, सुबह फज्र की नमाज़ पढ़कर मशअरुल-हराम (जमरात के लिए पत्थर इकट्ठा करें)।

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चौथा चरण: 10 ज़िल-हिज्जा (ईद-उल-अधा – कुर्बानी का दिन)

  1. मुज़दलिफा से मिना आकर जमरात को पत्थर मारना (रमी): बड़ा शैतान (जमरात-उल-अक़बा) को 7 पत्थर मारें, हर पत्थर के साथ "अल्लाहु अकबर" कहें।
  2. कुर्बानी देना: अपनी ओर से या हुक्म के तहत जानवर की कुर्बानी करें (सुन्नत है)।
  3.  हलक या तकसीर (बाल कटवाना): अब हज्ज का इहराम खुल गया, सामान्य कपड़े पहन सकते हैं।
  4. मक्का जाकर तवाफ-ए-ज़ियारत करना: काबा का 7 चक्कर लगाएँ (यह हज्ज का फर्ज़ तवाफ है)।
  5. सफा-मरवा की सई करना (अगर उमरा में नहीं किया हो तो)।

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पाँचवा चरण: 11, 12 और 13 ज़िल-हिज्जा (अय्याम-ए-तश्रीक़)

  1. तीनों जमरात (बड़ा, मध्य, छोटा शैतान) को पत्थर मारना: हर रोज़ 21 पत्थर (7+7+7) मारें।दोपहर के बाद पत्थर मारना सुन्नत है।
  2. 13 ज़िल-हिज्जा को मक्का वापस जाना: विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करना (हज्ज का आखिरी काम)।

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महत्वपूर्ण सुन्नतें और आदाब:

  • तलबिया ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ें (खासकर इहराम के बाद)।
  • अरफात के दिन खूब दुआ करें (यहाँ की दुआ कबूल होती है)।
  • मुज़दलिफा में छोटे कंकड़ इकट्ठा करें (जमरात के लिए)।
  • कुर्बानी के बाद बाल कटवाएँ (पुरुषों के लिए मुंडवाना अफज़ल है)।
  • हज्ज के दौरान गुनाहों से बचें (झगड़ा, बुरी बातें, अश्लीलता आदि)।


 "हज्ज मबरूर (कबूल हज्ज) का बदला जन्नत के सिवा कुछ नहीं।"
(सहीह बुखारी, हदीस 1773)

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निष्कर्ष

  • हज्ज-ए-तमत्तु सबसे आसान और सुन्नत तरीका है।
  • 8 ज़िल-हिज्जा को हज्ज का इहराम बाँधें।
  • 9 ज़िल-हिज्जा अरफात में दिन बिताएँ (हज्ज का मुख्य दिन)।
  • 10 ज़िल-हिज्जा को कुर्बानी दें और बाल कटवाएँ।
  • 11-13 ज़िल-हिज्जा को जमरात को पत्थर मारें।


मेहनत और इख्लास के साथ हज्ज करें, ताकि अल्लाह आपका हज्ज क़बूल करे!

आमीन!


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