5. Haj ki Duayein | Hajj mein padhi jane wali duayein

 

हज में पढ़ने वाली दुआएँ (हदीस और कुरआन से)

हज के दौरान ज़िक्र, दुआ और इस्तिग़फ़ार करना बहुत सवाब का काम है। यहाँ हज के हर चरण में पढ़ने वाली प्रमाणित दुआएँ दी जा रही हैं:

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1. इहराम बाँधते समय की दुआ

जब आप मीक़ात पर इहराम बाँधें, तो नियत करें:

फिर तलबिया पढ़ें (यह हज का महत्वपूर्ण ज़िक्र है):

 لَبَّيْكَ اللَّهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، إِنَّ الْحَمْدَ وَالنِّعْمَةَ لَكَ وَالْمُلْكَ، لَا شَرِيكَ لَكَ

"लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लक लब्बैक, इन्नल-हम्दा वन-निमता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक"

(हदीस: सहीह बुखारी 1549, मुस्लिम 1184)


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2. काबा का तवाफ़ करते समय की दुआएँ

(क) हजर-ए-अस्वद को चूमते या इशारा करते समय:

 بِسْمِ اللَّهِ، اللَّهُ أَكْبَرُ

"बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर"

(हदीस: मुस्लिम 1218)


(ख) तवाफ़ के दौरान रुक्न-ए-यमनी के पास:

 رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ

"रब्बना आतिना फिद-दुनया हसनतन व फिल-आखिरति हसनतन व किना अज़ाबन-नार"

(कुरआन 2:201)


(ग) मुल्तज़म (काबा का दरवाज़ा और हजर-ए-अस्वद के बीच) पर दुआ:

यहाँ अपनी ज़रूरतों के लिए दिल से दुआ माँगें।

(हदीस: इब्न माजा 2954)

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3. सफा-मरवा की सई के दौरान की दुआ

सफा पर चढ़ते समय पढ़ें:

 إِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِنْ شَعَائِرِ اللَّهِ

"इन्नस-सफा वल-मरवता मिन शा'आइरिल्लाह"

(कुरआन 2:158)

फिर 3 बार यह दुआ पढ़ें:

 اللَّهُ أَكْبَرُ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ

अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाह वहदहू ला शरीका लह, लहुल-मुल्कु व लहुल-हम्दु व हुवा अला कुल्लि शयइन क़दीर

(हदीस: मुस्लिम 1218)

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4. अरफात के दिन (9 ज़ुल-हिज्जा) की दुआएँ

यह हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यहाँ सबसे ज़्यादा दुआ कबूल होती है।

(क) अरफात में सबसे अच्छी दुआ:

 لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ

"ला इलाहा इल्लल्लाह वहदहू ला शरीका लह, लहुल-मुल्कु व लहुल-हम्दु व हुवा अला कुल्लि शयइन क़दीर"

(हदीस: तिर्मिज़ी 3585)


(ख) पैगंबर (ﷺ) की पसंदीदा दुआ:

 سُبْحَانَ اللَّهِ، وَالْحَمْدُ لِلَّهِ، وَلَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ، وَاللَّهُ أَكْبَرُ

(सुभानल्लाह, वल-हम्दु लिल्लाह, व ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर)

(हदीस: मुस्लिम 2692)


(ग) अपनी ज़रूरतों के लिए दुआ:

अरफात में अपने, परिवार और सभी मुसलमानों के लिए खूब दुआ करें।

(हदीस: तिर्मिज़ी 3585 के तहत अरफात के दिन दुआ की अहमियत बयान की गई है)


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5. जमरात (शैतान को पत्थर मारते समय) की दुआ

हर पत्थर फेंकते हुए कहें:

 اللَّهُ أَكْبَرُ، رَبِّ اغْفِرْ لِي وَارْحَمْنِي وَاهْدِنِي وَارْزُقْنِي

"अल्लाहु अकबर, रब्बिग़फिर ली वर-हम्नी वह्दिनी वर-ज़ुक़्नी"

(हदीस: बुखारी 1751, मुस्लिम 1296)

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निष्कर्ष:

हज में ज़िक्र और दुआ पर खास ध्यान दें।

तलबिया ज्यादा से ज्यादा पढ़ें।

अरफात के दिन खूब दुआ करें (यह सबसे बड़ा मौका है)।


अल्लाह आपके हज को कबूल करे और आपकी सभी दुआएँ कबूल करे! आमीन!


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