7. Arfa ka Roza

 


(यौम-ए-अरफा) का रोज़ा

9 ज़ुल-हिज्जा (यौम-ए-अरफा) का रोज़ा इस्लाम में बहुत फ़ज़ीलत वाला है।


फ़ज़ीलत (हदीस के अनुसार):

1. पिछले और आने वाले साल के गुनाह माफ़:

   - नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया:  

 "अरफा के दिन का रोज़ा पिछले एक साल और आने वाले एक साल के (छोटे) गुनाहों का कफ़्फ़ारा बन जाता है।"

  (सहीह मुस्लिम, हदीस 1162)

2. हज्ज वालों के लिए सुन्नत नहीं:

   - अगर आप हज्ज पर हैं, तो अरफा के दिन रोज़ा न रखें (क्योंकि हाजी के लिए इस दिन खाना-पीना सुन्नत है ताकि दुआ के लिए ताकत रहे)।  

   - लेकिन गैर-हाजियों के लिए यह रोज़ा बहुत सवाब वाला है।

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क्या करें? 

- 9 ज़ुल-हिज्जा को रोज़ा रखें (अगर हज्ज पर नहीं हैं)।  

- ज़िक्र-औ-इस्तिग़फ़ार ज्यादा करें (यह दिन दुआओं के कबूल होने का है)।  

- दान करें और ग़रीबों की मदद करें।  

"अरफा के दिन अल्लाह जहन्नम से सबसे ज़्यादा लोगों को आज़ाद करता है।"

(सहीह मुस्लिम, हदीस 1348)


अल्लाह हमें इस महीने की बरकतों से फ़ायदा उठाने की तौफ़ीक़ दे। आमीन! 🤲


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