ईद उल-फ़ित्र के अहकाम व मसाइल
इस्लाम में ईद
सवाल 1: इस्लाम में कौन-कौन सी ईदें मशरू हैं?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: इस्लाम में तीन ईदें मशरू हैं:
ईद उल-फ़ित्र: रमज़ान का रोज़ा पूरा करने की खुशी में।
ईद उल-अज़हा: ज़िल-हिज्जा के दस दिन पूरे होने की मुनासिबत से।
यौमुल जुमा: यह साप्ताहिक ईद है, हफ्ता खत्म होने की मुनासिबत से लेकिन इस दिन नमाजे जुमा के अलावा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। (मजमूअ अल-फतावा 16/191)
मर्दों और औरतों के लिए ईद की नमाज़ का हुक्म
सवाल 2: मर्दों के लिए ईद की नमाज़ का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ मर्दों के लिए फर्ज़-ऐ-ऐन है। (मजमूअ अल-फतावा 16/214)
इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ज़्यादातर अहल-ए-इल्म के नज़दीक ईद की नमाज़ फर्ज़-ए-किफ़ाया है (यानी अगर कुछ लोग अदा कर लें तो बाकियों से गिर जाती है, लेकिन अगर कोई भी ना पढ़े तो सब गुनहगार होंगे)।
जबकि कुछ अहल-ए-इल्म इसे फर्ज़-ऐ-ऐन मानते हैं, और दलीलों की रोशनी में यही राय ज़्यादा सही लगती है। (मजमूअ अल-फतावा 13/7)
नतीजा: ईद उल-फ़ित्र और ईद उल-अज़हा की नमाज़ फर्ज़-ए-किफ़ाया है, लेकिन कुछ अहल-ए-इल्म इसे जुमा की नमाज़ की तरह फर्ज़-ऐ-ऐन भी मानते हैं, इसलिए किसी भी मुसलमान को इसे छोड़ना नहीं चाहिए। (अल-लज्नह अद-दैमा 8/284)
सवाल 3: औरतों के लिए ईद की नमाज़ का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: औरतों का ईद की नमाज़ के लिए जाना सुन्नत है, बशर्ते कि हिजाब में रहें, खुशबू आदि ना लगाएं। (मजमूअ अल-फतावा 13/7)
अल-लज्नह अद-दैमा फ़रमाती है: ईद की नमाज़ के लिए औरतों का जाना सुन्नत-ए-मुअक्कदा है, लेकिन बिना परदे और बनाव-सिंगार के नहीं। (अल-लज्नह अद-दैमा 8/287)
इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: औरतों को ईदगाह जाने का हुक्म देना चाहिए ताकि वे ख़ैर का नज़ारा करें, नमाज़ और दुआओं में मुसलमानों के साथ शरीक हो सकें। (मजमूअ अल-फतावा 16/211)
मुसाफिर के लिए ईद की नमाज़ का हुक्म
सवाल 4: मुसाफिर के लिए ईद की नमाज़ का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: मुसाफिर के लिए ईद की नमाज़ मशरू नहीं है, लेकिन अगर वह ऐसी जगह मौजूद है जहां ईद की नमाज़ होती है, तो उसके लिए भी इसमें शरीक होना बेहतर है। (मजमूअ अल-फतावा 16/236)
ईद की नमाज़ की क़ज़ा
सवाल 5: अगर ईद की नमाज़ छूट जाए तो इसकी क़ज़ा करने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ छूट जाए तो उसकी क़ज़ा नहीं है। (मजमूअ अल-फतावा 16/214)
ईद की मुबारकबाद
सवाल 6: क्या ईद की मुबारकबादी के लिए असलाफ़ से कोई ख़ास अल्फ़ाज़ मंसूब हैं?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: कुछ सहाबा से ईद की मुबारकबाद देना साबित है। अगर यह साबित ना भी हो, तब भी यह एक आम रिवाज बन चुका है, क्योंकि रमज़ान और क़ियाम की तक़मील के बाद लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं। (मजमूअ अल-फतावा 16/208)
इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर कोई अपने मुस्लिम भाई से कहे "तक़ब्बल अल्लाहु मिन्ना वा मिंकुं" (अल्लाह हमारी और तुम्हारी नेक अमल क़ुबूल फरमाए) तो इसमें कोई हरज नहीं। (मजमूअ अल-फतावा 13/25)
सवाल 7: ईद की नमाज़ के बाद मुसाफ़ा और गले मिलने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: इसमें कोई हरज नहीं, क्योंकि लोग इसे इबादत समझकर नहीं, बल्कि आदत और एहतराम के तौर पर करते हैं। और जब तक कोई आदत शरीयत में ममनूअ (रुकी हुई) ना हो, उसकी अस्ल इबाहत (जायज़) ही होती है। (मजमूअ अल-फतावा 16/209)
ईद की नमाज़ के आदाब
सवाल 8: ईद की नमाज़ के क्या आदाब हैं?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:
- तकबीर कहना।
- ईद उल-फ़ित्र के लिए निकलने से पहले ताक़ (विषम संख्या में) खजूर खाना।
- अच्छे कपड़े पहनना (मर्दों के लिए, औरतों को ईदगाह जाते वक्त ज़ेब-ओ-ज़ीनत नहीं करनी चाहिए)।
- ग़ुस्ल करना।
- एक-दूसरे को मुबारकबाद देना।
ईदगाह आते-जाते रास्ता बदलना। (मजमूअ अल-फतावा 16/216-223)
सवाल 9: ईद उल-फ़ित्र और ईद उल-अज़हा की नमाज़ से पहले क्या सुन्नत है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:
ईद उल-फ़ित्र: ईदगाह जाने से पहले ताक़ खजूर खाना।
ईद उल-अज़हा: नमाज़ के बाद क़ुर्बानी का गोश्त खाना। (मजमूअ अल-फतावा 16/234)
सवाल 10: ईदगाह पैदल जाना सुन्नत है या सवारी से?
जवाब: पैदल जाना सुन्नत है, लेकिन ज़रूरत हो तो सवारी से जाने में कोई हरज नहीं। (मजमूअ अल-फतावा 16/235)
सवाल 11: ईद के दिन रास्ता बदलकर आने-जाने की क्या हिकमत है?
जवाब: रसूलुल्लाह ﷺ की सुन्नत पर अमल करना।
- ईद की नमाज़ का हर जगह इज़हार करना।
- रास्ते के फकीरों से मुलाकात और उनकी मदद करना।
- दोनों रास्तों का क़यामत के दिन गवाही देना। (मजमूअ अल-फतावा 16/237)
ईद की नमाज़ पढ़ने की जगह
सवाल 12: मस्जिदों में ईद की नमाज़ पढ़ने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: बिला उज़्र मस्जिदों में ईद की नमाज़ पढ़ना मकरूह है, क्योंकि ईद की नमाज़ मैदान में पढ़ना मस्नून है। (मजमूअ अल-फतावा 16/230)
सवाल 13: क्या सहराओं में ईद की नमाज़ पढ़ना मशरू है?
जवाब: इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ शहरों और गाँवों में पढ़ी जाएगी, सहराओं में ईद की नमाज़ पढ़ना मशरू नहीं है। (मजमूअ अल-फतावा 13/9)
सवाल 14: स्पोर्ट्स स्टेडियम में नमाज़-ए-ईद के इनक़ाद (आयोजन) का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर स्पोर्ट्स स्टेडियम साफ-सुथरा और नजासत से पाक हो, तो इस जगह ईद की नमाज़ मुनाक़िद करने में कोई हरज नहीं है।
अगर ईद की नमाज़ के लिए स्टेडियम से अच्छी कोई मुक़र्रर जगह हो, तो यह ज़्यादा बेहतर है। (मजमूअ अल-फतावा 13/11)
एक ही शहर में कई जगह नमाज़-ए-ईद
सवाल 15: एक ही शहर में कई जगह नमाज़-ए-ईद मुनाक़िद करने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर ज़रूरत हो, तो एक ही शहर में कई जगह नमाज़-ए-ईद मुनाक़िद करने में कोई हरज नहीं, जैसा कि नमाज़-ए-जुमा की ज़रूरत होती है। (मजमूअ अल-फतावा 16/224)
नमाज़-ए-ईद का वक़्त
सवाल 16: ईद की नमाज़ का क्या वक़्त है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ का वक़्त सूरज के एक नेज़ा बुलंद होने के बाद शुरू होता है और ज़वाल तक रहता है, मगर सुन्नत यह है कि ईद-उल-अज़हा की नमाज़ जल्दी पढ़ी जाए।
ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ थोड़ी ताख़ीर (देरी) से पढ़ी जाए।
जैसा कि रसूलुल्लाह ﷺ के मुतअल्लिक मर्वी है कि ईद-उल-अज़हा की नमाज़ सूरज के एक नेज़ा बुलंद होने के बाद पढ़ते थे और ईद-उल-फ़ित्र की नमाज़ सूरज के दो नेज़ा बुलंद होने के बाद पढ़ते थे। (मजमूअ अल-फतावा 16/229)
ईद में तहिय्यतुल मस्जिद पढ़ने का हुक्म
सवाल 17: ईद की नमाज़ से पहले तहिय्यतुल मस्जिद पढ़ने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर ईद की नमाज़ मस्जिद में अदा की जाए, तो ऐसी सूरत में तहिय्यतुल मस्जिद पढ़ना मशरू (शरीअत के मुताबिक) है।
अगर ईद की नमाज़ ईदगाह में पढ़ी जाए, तो ऐसी सूरत में तहिय्यतुल मस्जिद पढ़ना मशरू नहीं है। (मजमूअ अल-फतावा 13/15-16)
सवाल 18: ईद की नमाज़ के लिए ईदगाह में आने वाले के लिए तहिय्यतुल मस्जिद का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: राजिह (प्रबल) क़ौल यह है कि जो भी शख्स ईदगाह में आए, वह दो रकात तहिय्यतुल मस्जिद पढ़े बग़ैर न बैठे। (मजमूअ अल-फतावा 16/252)
सवाल 19: क्या ईदगाह के वही अहकाम (नियम) हैं जो मस्जिदों के हैं?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: सुन्नत से यही ज़ाहिर होता है कि ईदगाह भी मस्जिदों के हुक्म में हैं। (मजमूअ अल-फतावा 16/251)
ईद की नमाज़ में अज़ान और इक़ामत का हुक्म
सवाल 20: क्या ईद की नमाज़ के लिए अज़ान और इक़ामत कही जाएगी?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ के लिए अज़ान और इक़ामत मशरू नहीं है। (मजमूअ अल-फतावा 16/237)
नमाज़ ईद के लिए ऐलान करने का हुक्म
सवाल 21: नमाज़ ईद के लिए ("الصلاۃ جامعۃ" जैसे अल्फ़ाज़ से) ऐलान करने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न बाज़ रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: नमाज़ ईद के लिए ऐलान करने की कोई दलील नहीं है बल्कि यह बिद'अत है। (मजमू अल-फतावा 13/23)
"الصلاۃ جامعۃ" या इस जैसे दूसरे कलिमात से ईद की नमाज़ का ऐलान करना जाइज़ नहीं है बल्कि बिद'अत है। (अल-लजना अद-दाइम 8/316)
नमाज़ ईद का तरीका
सवाल 22: नमाज़ ईद का क्या तरीका है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: पहली रकअत में तकबीर तहरीमा के बाद दुआए इस्तिफ्ताह पढ़ी जाएगी, उसके बाद सात तकबीरात ज़वाएद, फिर सूरह फ़ातिहा और उसके साथ कोई और सूरह, मसलन "सूरह अल-अ'ला" या "सूरह क़ाफ़"।
दूसरी रकअत में तकबीर कह कर खड़े होने के बाद पांच तकबीरात ज़वाएद, फिर सूरह फ़ातिहा और उसके साथ कोई और सूरह, अगर पहली रकअत में "सूरह अल-अ'ला" पढ़ी है तो दूसरी में "सूरह अल-ग़ाशिया", और अगर पहली में "सूरह क़ाफ़" तो दूसरी में "सूरह अल-क़मर" पढ़ना मसनून है। (मजमू अल-फतावा 16/223)
सवाल 23: नमाज़ ईद में तकबीरात ज़वाएद ना कही जाएं तो इसका क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर ईद की नमाज़ में तकबीरात ज़वाएद ना कही जाएं तो नमाज़ सहीह होगी क्योंकि यह सुन्नत हैं। (मजमू अल-फतावा 16/238)
सवाल 24: नमाज़ ईद में दुआए इस्तिफ्ताह कब पढ़ी जाएगी?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: नमाज़ ईद में दुआए इस्तिफ्ताह तकबीर तहरीमा के बाद पढ़ी जाएगी, लेकिन तकबीरात ज़वाएद के बाद भी पढ़ें तो कोई हर्ज नहीं। (मजमू अल-फतावा 16/240)
सवाल 25: ईदैन की तकबीरात ज़वाएद में रफ़' अल-यदैन करने का क्या हुक्म है?
जवाब: ईदैन की तकबीरात में रफ़' अल-यदैन करना मुस्तहब (पसंदीदा) है। (फ़िक़्ह अद-दुरर अस-सनिय्या 1743)
सवाल 26: ईदैन की नमाज़ में तकबीरात ज़वाएद के दरमियान कौन सी दुआ पढ़ी जाएगी?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: इस मौके पर कोई खास दुआ मुनक़ूल नहीं है, बल्कि इस दौरान अल्लाह की हम्द व सना और नबी करीम ﷺ पर दुरूद पढ़ी जाएगी, और कुछ भी ना पढ़ें तो भी कोई हर्ज नहीं। (मजमू अल-फतावा 16/241)
सवाल 27: अगर कोई शख्स तकबीरात ज़वाएद भूल जाए और क़िराअत शुरू कर दे तो इसका क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: अगर कोई तकबीरात ज़वाएद भूल जाए और क़िराअत शुरू कर दे तो तकबीरात ज़वाएद साक़ित हो जाएंगी, क्योंकि इनका वक्त निकल चुका है, जैसे कि दुआए इस्तिफ्ताह भूल जाए और क़िराअत शुरू कर दे तो वह भी साक़ित हो जाती है। (मजमू अल-फतावा 16/244)
ईद का ख़ुत्बा
सवाल 31: नमाज़ ईद से पहले खुत्बा देने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: नमाज़ ईद से पहले खुत्बा देना बिद'अत है, कई सहाबा से इसका इनकार मुनक़ूल है। (मजमू अल-फतावा 16/249)
सवाल 32: ईद में एक खुत्बा है या दो?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद की नमाज़ में एक ही खुत्बा सुन्नत है लेकिन अगर दो खुत्बे दे दिए जाएं तो भी कोई हर्ज नहीं। (मजमू अल-फतावा 16/248)
सवाल 33: ईद का खुत्बा इस्तिग़फ़ार से शुरू किया जाएगा या तकबीर से?
जवाब: इस्तिग़फ़ार से खुत्बा नहीं शुरू किया जाएगा क्योंकि ऐसा किसी से मुनक़ूल नहीं।
तकबीर या तहमीद से शुरू करने में उलमा का इख़्तिलाफ़ है, लेकिन दोनों सही हैं। (मजमू अल-फतावा 16/248)
सवाल 34: ईद का खुत्बा सुनने का क्या हुक्म है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईद का खुत्बा सुनना वाजिब नहीं है, जो चाहे सुने और जो चाहे चला जाए। (मजमू अल-फतावा 16/249)
ईदैन की तकबीर
सवाल 38: ईद उल-अज़्हा में तकबीर मुतलक और तकबीर मुक़य्यद किसे कहते हैं?
जवाब: तकबीर मुतलक: ज़िल-हिज्जा के पहले दिन से अय्यामे तशरीक के आख़िरी दिन तक हर वक्त कही जाने वाली तकबीर।
तकबीर मुक़य्यद: यौमे अरफ़ा की फ़जर से लेकर अय्यामे तशरीक के आख़िरी दिन अस्र की नमाज़ तक हर फर्ज़ नमाज़ के बाद कही जाने वाली तकबीर। (अल-लजना अद-दाइमा 8/312)
सवाल 39: ईदुल-फ़ित्र की तकबीर का वक्त कब से कब तक है?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं: ईदुल-फ़ित्र की तकबीर का वक्त चाँद नज़र आने से लेकर ईद की नमाज़ शुरू होने तक है। (मजमू अल-फतावा 16/259)
सवाल 40: तकबीरात ईद के अल्फ़ाज़ क्या हैं?
जवाब: इब्न उथैमीन रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं:
اللهُ أكبر اللهُ أكبر، لا إلهَ إلَّا الله، واللهُ أكبر اللهُ أكبر، ولله الحَمْد.
الله أكبر، الله أكبر، الله أكبر لا إله إلا الله والله أكبر الله أكبر الله أكبر ولله الحمد.
(मजमू अल-फतावा 16/259)
By Muhammad Raza
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