Maut ke baad zindagi aur qiyamat - Quran mein

Maut ke baad zindagi aur qiyamat - Quran mein


मौत के बाद ज़िंदगी और क़ियामत

क़ुरआन की रोशनी में

यहाँ उन सभी आयतों को सूचीबद्ध किया गया है जो मृत्यु के बाद जीवन, पुनरुत्थान (क़ियामत), हिसाब-किताब और जन्नत-जहन्नम की वास्तविकता को स्पष्ट करती हैं। ये आयतें विभिन्न सूरह में अलग-अलग संदर्भों में आई हैं, और मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि कोई भी महत्वपूर्ण आयत छूटने न पाए।  


1. मृत्यु और पुनरुत्थान की हक़ीक़त

  • सूरह अल-बक़रा (2:154)

"जो लोग अल्लाह की राह में मारे गए, उन्हें मुर्दा न कहो, बल्कि वे जीवित हैं, परंतु तुम समझ नहीं सकते।"  


  • सूरह अल-बक़रा (2:259)

"क्या उस व्यक्ति को नहीं देखा जिसका गुज़र एक ऐसी बस्ती से हुआ जो ओंधे मुंह पड़ी हुई थी   उसने कहा, ‘अल्लाह इसे मृत्यु के बाद कैसे जीवन देगा?’ तो अल्लाह ने उसे सौ वर्ष तक मृत्यु दी, फिर उसे जीवित किया और कहा, ‘तुम कितनी अवधि इस हालत में रहे?’ उसने कहा, ‘एक दिन या एक दिन का कुछ भाग।’ अल्लाह ने कहा, ‘नहीं, बल्कि सौ वर्ष इसी हालत में रहे।’"  


  • सूरह आले-इमरान (3:16)

"ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे, हमारे पापों को मिटा दे और हमें मृत्यु के बाद का जीवन सफलतापूर्वक प्रदान कर।"  


  • सूरह अन-निसा (4:87)

"अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं, और वह तुम सबको उस दिन इकट्ठा करेगा जिसमें कोई संदेह नहीं।"  


2. क़ब्र से उठाए जाने का प्रमाण

  • सूरह अल-हज्ज (22:6-7)

"वह अल्लाह ही है, जो सत्य है, और वही मरे हुए को जीवित करता है, और वही हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है। और यह कि क़ियामत निश्चित रूप से आएगी, इसमें कोई संदेह नहीं, और अल्लाह उन लोगों को पुनर्जीवित करेगा जो क़ब्रों में पड़े हुए हैं।"  


  •    सूरह यासीन (36:51-52)

"और जब सूर में फूँका जाएगा, तो वे तुरंत अपनी क़ब्रों से निकलकर अपने रब की ओर दौड़ेंगे। वे कहेंगे, 'हाय, हमें हमारी नींद से किसने उठाया?' यह तो वही वादा है जो रहमान ने किया था, और जिसे रसूलों ने सच कहा था।"  


  •  सूरह क़ाफ़ (50:43-44)

"निश्चय ही हम ही जीवित करने वाले हैं और हम ही मृत्यु देने वाले हैं, और हमारी ओर ही अंततः लौटकर आना है। जिस दिन धरती फट जाएगी और वे दौड़ते हुए बाहर आएँगे, ऐसा करना हमारे लिए अत्यधिक सरल है।"


  • सूरह अल क़यामह (75: 6-15) 

"पूछता है कि क़यामत का दिन कब होगा तो जब ऑंखे चकाचौन्ध में आ जाएँगी और चाँद गहन में लग जाएगा और सूरज और चाँद इकट्ठा कर दिए जाएँगे तो इन्सान कहेगा आज कहाँ भाग कर जाऊँ यक़ीन जानों कहीं पनाह नहीं उस रोज़ तुम्हारे परवरदिगार ही के पास ठिकाना है उस दिन आदमी को जो कुछ उसके आगे पीछे किया है बता दिया जाएगा बल्कि इन्सान तो अपने ऊपर आप गवाह है अगरचे वह अपने गुनाहों की उज्र व ज़रूर माज़ेरत पढ़ा करता रहे।"


3. हिसाब-किताब और न्याय का दिन

  •  सूरह अन-नहल (16:77)

"आकाशों और धरती के छिपे हुए रहस्य केवल अल्लाह ही जानता है। और क़ियामत का मामला तो पलक झपकने या उससे भी जल्दी का है।"  


  • सूरह अल-ज़ुमर (39:68)

"और जब सूर में फूँका जाएगा, तो जो भी आकाशों और धरती में है, वह मर जाएगा, सिवाय उनके जिन्हें अल्लाह चाहे। फिर जब दोबारा सूर फूँका जाएगा, तो वे तुरंत खड़े होकर देखने लगेंगे।"  


  • सूरह अल-हाशर (59:18)

"ऐ ईमान वालों! अल्लाह से डरो और हर व्यक्ति यह देखे कि उसने कल (आख़िरत) के लिए क्या भेजा है।"  


  • सूरह अबस (80: 33-42)

जब क़यामत आ जायेगी तो उस दिन मनुष्य अपने भाई से दुर भागेगा, अपनी मैं और बाप से पीछा छुड़ाकर भागेगा अपने पत्नी और बेटों की तरफ़ से नज़र फेर लेगा उस दिन तो हर व्यक्ति ख़ुद को बचाने की सोच रहा होगा उस दिन कुछ चेहरे चमकते हुए होंगे वह ख़ुशी से मुस्कुरा रहे होंगे और कुछ चेहरे पर हवाइयां उड़ रही होंगी उनपर ज़िल्लत छा रही होगी और यह काफ़िर और फ़ाजिर लोग होंगे"


4. जन्नत और जहन्नम का सत्य

  • सूरह आराफ़ (7:42-43)

"और जो ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जन्नत में दाख़िल करेंगे, जहाँ वे हमेशा रहेंगे। और हम उनके दिलों से बैर-विद्वेष निकाल देंगे।"  


  • सूरह तौबा (9:72)

"अल्लाह ने मोमिन पुरुषों और महिलाओं से जन्नत का वादा किया है, जिसके नीचे नहरें बह रही होंगी।"  


  • सूरह यासीन (36:55-58)

"निश्चय ही जन्नत के लोग उस दिन आनंद में होंगे। वे और उनकी पत्नियाँ छाँव में तख्तों पर विराजमान होंगे। वहाँ उनके लिए फल होंगे और उनके लिए जो कुछ वे चाहेंगे।"  


  • सूरह अल-मुल्क (67:6-7)

"जिन लोगों ने अपने रब का इनकार किया, उनके लिए जहन्नम की सज़ा है। जब वे उसमें फेंके जाएँगे, तो वे उसकी भयंकर गर्जना सुनेंगे।"  


  • अल-हाक्का  (69: 13-37)

फिर जब सूर में एक (बार) फूँक मार दी जाएगी।

और ज़मीन और पहाड़ उठाकर एक ही बार में (टकरा कर) टुकड़े टुकड़े कर दिए जाएँगे तो उस दिन क़यामत आ ही जाएगी और आसमान फट जाएगा।'

तो वह उस दिन बहुत फुस फुसा होगा और फ़रिश्ते उनके किनारे पर होंगे और तुम्हारे परवरदिगार के अर्श को उस दिन आठ फ़रिश्ते उठाए होंगे उस दिन तुम सब के सब (ख़ुदा के सामने) पेश किए जाओगे और तुम्हारी कोई बात छुपी न रहेगी। जिसको कर्मपत्र दाहिने हाथ में दिया जाएगा तो वह (लोगो से) कहेगा ज़रा मेरा कर्मपत्र पढ़िए मैं तो जानता था कि मुझे मेरा हिसाब (किताब) ज़रूर मिलेगा फिर वह मन पसन्द ऐश में होगा बड़े आलीशान बाग़ में जिनके फल बहुत झुके हुए क़रीब होंगे जो कर्म तुम पिछले जीवन में करके आगे भेज चुके हो उसके बदले में मज़े से खाओ पियो।

जिसका कर्मपत्र बाएँ हाथ में दिया जाएगा तो वह कहेगा ऐ काश मुझे मेरा कर्मपत्र न दिया जाता और मुझे न मालूम होता कि मेरा हिसाब क्या है ऐ काश मौत ने (हमेशा के लिए मेरा) काम तमाम कर दिया होता (अफ़सोस) मेरा माल मेरे कुछ भी काम न आया (हाए) मेरी सल्तनत मिट्टी में मिल गयी (फिर हुक्म होगा) इसे गिरफ़्तार करके तौक़ पहना दो फिर इसे जहन्नुम में झोंक दो, फिर एक ज़ंजीर में जिसकी नाप सत्तर गज़ की है उसे ख़ूब जकड़ दो (क्यों कि) ये न तो अल्लाह ही पर ईमान लाता था और न मोहताज के खिलाने पर ज़ोर (लोगों को) देता था तो आज न उसका कोई ग़मख्वार है।'

और न पीप के सिवा (उसके लिए) कुछ खाना है जिसको गुनेहगारों के सिवा कोई नहीं खाएगा।


  • अल-मारिज (70: 8-16)

जिस दिन आसमान पिघले हुए ताँबे के समान हो जाएगा और पहाड़ धुनके हुए ऊन जैसे हो जाएंगे मुजरिम एक दूसरे को देखते होंगे लेकिन कोई किसी दोस्त को न पूछेगा बल्कि मुजरिम तो यह चाहेगा कि काश उस दिन के अज़ाब के बदले उसके बेटों और उसकी बीवी और उसके भाई और उसके परिवार को जिसमें वह रहता था और जितने आदमी ज़मीन पर हैं सब को ले ले और उसको छुटकारा दे दें (मगर) ये हरगिज़ न होगा वह तो जहन्नुम की वह भड़कती आग होगी जो खाल उधेड़ कर रख देगी।


  • सूरह अन नबा (78 18-30)

"जिस दिन सूर फूँका जाएगा और तुम लोग गिरोह गिरोह हाज़िर होगे और आसमान खोल दिए जाएँगे तो (उसमें) दरवाज़े हो जाएँगे और पहाड़ (अपनी जगह से) चलाए जाएँगे तो रेत होकर रह जाएँगे बेशक जहन्नुम घात में है सरकशों का (वही) ठिकाना है उसमें मुद्दतों पड़े झींकते रहेंगें न वहाँ ठन्डक का मज़ा चखेंगे और न खौलते हुए पानी और बहती हुई पीप के सिवा कुछ पीने को मिलेगा-(ये उनकी कारस्तानियों का) पूरा पूरा बदला है बेशक ये लोग आख़ेरत के हिसाब की उम्मीद ही न रखते थे और इन लोगो हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया और हमने हर चीज़ को लिख कर मनज़बत कर रखा है तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे"


5. पुनर्जीवन का इनकार करने वालों का खंडन

  • सूरह अल-जासिया (45:24-26)

"वे कहते हैं, 'हमारी दुनिया की ज़िंदगी के अलावा कोई और ज़िंदगी नहीं। हम मरते और जीते हैं, और हमें बस समय नष्ट कर देता है।' लेकिन उनके पास इसका कोई प्रमाण नहीं, वे केवल अनुमान लगा रहे हैं। कह दो, 'अल्लाह ही तुम्हें जीवन देता है, फिर वह तुम्हें मृत्यु देता है, फिर वह तुम्हें क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं।'"  


  • सूरह अल-इन्फ़ितार (82:6-8)

"ऐ मनुष्य! तुझे अपने कृपालु रब से किस चीज़ ने धोखे में डाल दिया, जिसने तुझे पैदा किया, तुझे संतुलित बनाया और तुझे सही ढंग से गढ़ा?"  


  • सूरह अल मुमेनून (23: 12-16)

अल्लाह रब्बुल आलमीन फरमाता है, 

हमने इन्सान को मिट्टी के सत् से बनाया,

फिर उसे एक महफ़ूज़ जगह टपकी हुई बूँद में तब्दील किया,

फिर उस बूँद को लोथड़े की शक्ल दी, फिर लोथड़े को बोटी बना दिया, फिर बोटी की हड्डियाँ बनाईं, फिर हड्डियों पर गोश्त चढ़ाया,फिर उसे एक दूसरा ही जानदार बना खड़ा किया। तो बड़ा ही बरकतवाला है अल्लाह, सब कारीगरों से अच्छा कारीगर।

फिर उसके बाद तुमको ज़रूर मरना है,

फिर क़ियामत के दिन तुम ज़रूर उठाए जाओगे।


  • अल वाकिया (56: 47- 56,)

वह कहते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी।


निष्कर्ष

क़ुरआन स्पष्ट रूप से बताता है कि मृत्यु के बाद जीवन अवश्यंभावी है। अल्लाह ने संसार को एक परीक्षा-स्थल बनाया है, जहाँ हर व्यक्ति को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा। पुनरुत्थान के दिन हर आत्मा अपने कार्यों के अनुसार बदला पाएगी—या तो जन्नत की अनंत नेमतें, या जहन्नम की भयंकर यातनाएँ।  

इसलिए, हर इंसान को अपने जीवन का उद्देश्य समझना चाहिए और क़ुरआन और सुन्नत के मार्गदर्शन पर चलकर अपने आख़िरत को सँवारने का प्रयास करना चाहिए।

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