Kya Allah ne adam alaihissalam ko apni surat par banaya?

Kya Allah ne adam alaihissalam ko apni surat par banaya?


क्या अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को अपनी सूरत पर बनाया?

इब्न तैमिया रहिमहुल्लाह का जवाब,

नबी ﷺ ने फरमाया:

ان الله خلق آدم على صورته

"बेशक अल्लाह ने आदम को अपनी सूरत पर बनाया।" [बुख़ारी 6227, मुस्लिम 2612]


इसका मुख़्तसर (छोटा) जवाब

नबी ﷺ की यह हदीस अल्लाह के इस फरमान के खिलाफ नहीं है:

ليس كمثله شيء

"अल्लाह की मिस्ल (समान) कोई चीज़ नहीं।" [सूरह अश-शूरा 11]

अगर अल्लाह आपको दोनों बातों में तालमेल बिठाने (Tatbeeq) की तौफीक दे, तो ऐसा जरूर करें। और अगर यह आसान न हो, तो कह दें:

امنا به كل من عند ربنا

"हम उस पर ईमान लाए, सब कुछ हमारे रब की तरफ से है।" [सूरह आले-इमरान 7]

हमारा अकीदा यह है कि अल्लाह की कोई मिस्ल (समानता) नहीं है और हम इस अकीदे के साथ सर झुका कर तस्लीम करते हैं। यह अल्लाह का कलाम है और यह उसके रसूल ﷺ का भी कलाम है। दोनों सच्चे हैं और उनमें टकराव नहीं हो सकता।

इस हदीस का सही मतलब यह है कि अल्लाह ने आदम को एक बेहतरीन सूरत में बनाया, न कि अल्लाह की सूरत आदम जैसी है।


तफ्सीली जवाब:

जिसने यह बात कही कि "अल्लाह ने आदम को अपनी सूरत पर बनाया", वे नबी ﷺ हैं। और वही नबी ﷺ यह भी कहते हैं:

"जन्नत में दाखिल होने वाला पहला गिरोह चांद की सूरत में होगा।" [बुख़ारी 3253]


अब सवाल यह है:

  1. क्या यह समझा जाए कि वे हर तरह से चांद की शक्ल में होंगे? 
  2. यानी उनके न आँखें होंगी, न नाक, न मुँह?
  3. या इसका मतलब यह है कि वे इंसानी शक्ल में ही होंगे, लेकिन उनका हुस्न, जमाल और चमक चांद जैसी होगी?

अगर पहली बात मानी जाए, तो इसका मतलब होगा कि वे इंसान नहीं, बल्कि पत्थर होंगे! लेकिन अगर दूसरी बात मानी जाए, तो फिर गलतफहमी दूर हो जाती है।

इसका असली मतलब यह है कि एक चीज़ का दूसरी चीज़ की सूरत पर होना, इसका मतलब यह नहीं कि वे हर ऐतबार से एक जैसी होंगी।


दूसरी तशरीह:

अगर कोई इस बात को समझने से क़ासिर रहे और इस पर अड़ा रहे कि इससे मुमासलत (समानता) ही साबित होती है, तो उसका एक और जवाब यह है:

इस हदीस में "अपनी सूरत" कहने का मतलब यह नहीं कि अल्लाह की कोई इंसानी सूरत है। बल्कि यह वैसी ही इज़ाफ़त (संलग्नता) है, जैसी अल्लाह ने अपने बारे में कहा:

"और मैंने उसमें अपनी रूह फूँक दी।" [सूरह स्वाद 72]

इसका मतलब यह नहीं कि अल्लाह ने अपनी रूह का कोई हिस्सा आदम को दे दिया। बल्कि इसका मतलब यह है कि अल्लाह ने एक रूह पैदा की और उसे आदम में फूँका।

इसी तरह, जब हम कहते हैं "इबादुल्लाह" (अल्लाह के बंदे), तो इसमें हर इंसान (मोमिन, काफिर, शहीद, सिद्दीक, नबी) आ जाते हैं। लेकिन जब हम कहते हैं "मुहम्मद अब्दुल्लाह" (मुहम्मद अल्लाह के खास बंदे हैं), तो यह एक ख़ास इज़ाफ़त होती है।

इसी तरह, जब नबी ﷺ ने कहा कि "अल्लाह ने आदम को अपनी सूरत पर बनाया", तो इसका सही मतलब यह है कि आदम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने एक बेहतरीन और खूबसूरत सूरत में पैदा किया।

"और बेशक हमने तुम्हें पैदा किया, फिर तुम्हारी सूरत बनाई, फिर हमने फरिश्तों से कहा, आदम को सज्दा करो।" [सूरह अल-आ'राफ़ 11]


नतीजा (निष्कर्ष):

आदम अलैहिस्सलाम का अल्लाह की सूरत पर होने का मतलब यह है कि अल्लाह ने उन्हें एक खूबसूरत और बेहतरीन शक्ल में बनाया, न कि अल्लाह और आदम में कोई समानता है।

अल्लाह हमें सही समझ अता फरमाए, आमीन!


मुहम्मद रज़ा सलफी

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