Tagut ka inkar (yaani kufr bit-tagut) part-29

Tagut ka inkar (yaani kufr bit-tagut | taghoot)


ताग़ूत का इनकार [पार्ट-29]

(यानि कुफ्र बित-तागूत)


टोटलिटेरियनिज़्म (Totalitarianism) आज के दौर का ताग़ूत कैसे है?

टोटलिटेरियनिज़्म एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जिसमें राज्य या किसी नेता को पूरी शक्ति हासिल होती है और समाज के हर पहलू पर उसका पूर्ण नियंत्रण होता है। ऐसी सरकारें अपने नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कुचल देती हैं और राज्य की विचारधारा को सर्वोच्च बनाती हैं। इस्लामी दृष्टिकोण से, टोटलिटेरियनिज़्म एक ताग़ूत है, क्योंकि यह अल्लाह की सर्वोच्चता को चुनौती देता है और राज्य या किसी इंसान को अल्लाह के कानून से ऊपर रखता है।

टोटलिटेरियनिज़्म वह शासन प्रणाली है जिसमें राज्य या शासक का पूर्ण नियंत्रण होता है और नागरिकों की हर गतिविधि पर निगरानी की जाती है। इसमें सरकार की नीतियों का विरोध करने या उसके खिलाफ आवाज उठाने की कोई गुंजाइश नहीं होती। व्यक्तिगत आज़ादी और धार्मिक स्वतंत्रता पर भी रोक होती है।

इस्लाम में अल्लाह की सर्वोच्चता मानी जाती है और इंसान के ऊपर केवल अल्लाह का हुक्म चलता है। इस्लामी शरीअत के अनुसार, इंसान केवल अल्लाह की इबादत करता है और उसके आदेशों का पालन करता है। कुरआन कहता है:

"फैसला करना सिर्फ अल्लाह का हक़ है [कुरआन 6:57]

टोटलिटेरियनिज़्म इस्लामी उसूलों के खिलाफ़ है क्योंकि इसमें अल्लाह के बजाय इंसान या राज्य को सर्वोपरि बना दिया जाता है।


टोटलिटेरियनिज़्म के ताग़ूत होने के कारण

1. अल्लाह की जगह इंसानी हुकूमत:

टोटलिटेरियनिज़्म में शासक या राज्य को इतनी ताकत दी जाती है कि वह अल्लाह के कानूनों को नकारकर अपने खुद के नियम लागू करता है। कुरआन में साफ़ कहा गया है कि:

"तुम्हारे बीच जिस मामले में भी इख़्तिलाफ़ (मतभेद) हो, उसका फ़ैसला करना अल्लाह का काम है। वही अल्लाह मेरा रब है, उसी पर मैंने भरोसा किया और उसी की तरफ़ मैं रुजू करता (पलटता) हूँ।" [कुरआन 42:10]

इस्लाम में फैसले का अधिकार सिर्फ अल्लाह को है, लेकिन टोटलिटेरियनिज़्म में यह अधिकार इंसान या सरकार को दे दिया जाता है, जो ताग़ूत की परिभाषा में आता है।


2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और इबादत पर प्रतिबंध:

टोटलिटेरियनिज़्म में सरकार या नेता की सत्ता इतनी मजबूत होती है कि लोगों को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति नहीं दी जाती। इस्लाम में हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और अल्लाह की इबादत करने का हक़ है:

"दीन में कोई ज़बरदस्ती नहीं है..." [कुरआन 2:256]

जब किसी राज्य या शासन में इस स्वतंत्रता को कुचला जाता है, तो वह ताग़ूत बन जाता है क्योंकि वह इंसानों को अल्लाह की इबादत से रोकता है।


3. इंसानी अधिकारों का उल्लंघन:

टोटलिटेरियनिज़्म में शासक या सरकार अपने नागरिकों पर अत्याचार करती है और उनके अधिकारों का उल्लंघन करती है। इस्लाम में न्याय और मानवाधिकार की बहुत अहमियत है:

"अल्लाह न्याय करने वालों से प्यार करता है।" [कुरआन 60:8]

टोटलिटेरियनिज़्म इंसानी हुकूमत को अल्लाह के न्यायपूर्ण कानून के ऊपर रखता है, जो इसे ताग़ूत बनाता है।


टोटलिटेरियनिज़्म के खतरनाक असरात

1. अखलाकी पतन और अत्याचार:

टोटलिटेरियनिज़्म की वजह से समाज में अत्याचार, अन्याय और भ्रष्टाचार फैलता है। शासक या राज्य अपने नागरिकों के साथ जुल्म करता है और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को छीन लेता है। इस्लाम में हुकूमत का मकसद इंसाफ़ और भलाई फैलाना है, न कि जुल्म करना। हदीस में आता है:

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "इन्साफ़ करने वाले अल्लाह के यहाँ रहमान की दाएँ  तरफ़ नूर के मेंबरों पर  होंगे और  उसके दोनों हाथ दाएँ हैं, ये वही लोग  होंगे जो अपने फ़ैसलों, अपने अहल और ख़ानदान और जिनके ये ज़िम्मेदार हैं उनके मामले  में इन्साफ़ करते है।" [सहीह मुस्लिम : 1827]

"ज़ुल्म से बचो क्योंकि ज़ुल्म क़ियामत के दिन (दिलों पर छानेवाला) अँधेरा होगा।" [सहीह मुस्लिम : 2578]


2. दीन और अल्लाह से दूरी:

टोटलिटेरियनिज़्म की शासन प्रणाली में दीन को अक्सर हाशिए पर डाल दिया जाता है या उसका दमन किया जाता है। इससे लोग अल्लाह की इबादत और शरीअत से दूर हो जाते हैं। इस्लाम हमें ताग़ूत से बचने और अल्लाह की तरफ लौटने की शिक्षा देता है:

"दीन के मामले में कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं है। सही बात ग़लत ख़यालात से अलग छाँटकर रख दी गई है। अब जो कोई ताग़ूत का इनकार करके अल्लाह पर ईमान ले आया, उसने एक ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटनेवाला नहीं और अल्लाह [ जिसका सहारा उसने लिया है] सब कुछ सुननेवाला और जाननेवाला है।" [कुरआन  2:256]


इस्लाम में तौबा और वापसी

इस्लाम हर मुसलमान को ताग़ूत के खिलाफ खड़े होने और अल्लाह की इबादत पर ध्यान केंद्रित करने का हुक्म देता है। जब कोई इंसान या सरकार अल्लाह के कानून से दूर हो जाए, तो मुसलमानों को उसे चुनौती देनी चाहिए और खुद को अल्लाह के रास्ते पर लौटाना चाहिए।

टोटलिटेरियनिज़्म एक ऐसी विचारधारा है जो इंसानी कानून और सरकार को अल्लाह के आदेशों से ऊपर रखती है। इस्लाम के अनुसार, यह ताग़ूत की श्रेणी में आता है, क्योंकि यह अल्लाह की सर्वोच्चता को नकारता है, लोगों को उसकी इबादत से दूर करता है, और उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है।


- मुवाहिद


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