Tagut ka inkar (yaani kufr bit-tagut) part-28

Tagut ka inkar (yaani kufr bit-tagut | taghoot)


ताग़ूत का इनकार [पार्ट-28]

(यानि कुफ्र बित-तागूत)


हेडोनिज़्म (Hedonism) आज के दौर का ताग़ूत कैसे है?

हेडोनिज़्म (Hedonism) एक ऐसी विचारधारा है जो इंसानी जीवन का मकसद सिर्फ़ आनंद, खुशी, और इच्छाओं की पूर्ति मानती है। इस दर्शन के मुताबिक, जीवन में सबसे अहम चीज़ व्यक्तिगत सुख (pleasure) है, और इंसान को वही करना चाहिए जिससे उसे ज्यादा से ज्यादा खुशी मिले। इस्लाम के अनुसार, हेडोनिज़्म को ताग़ूत का रूप है, क्योंकि यह इंसान को अल्लाह की इबादत और उसकी निर्धारित सीमाओं से दूर करके अपनी इच्छाओं और जुनून का गुलाम बना देता है। इसके अनुयायी मानते हैं कि जो कुछ भी खुशी और सुख देता है, उसे ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए, चाहे वह नैतिक हो या अनैतिक।

इस्लाम इंसान के जीवन के लिए एक संतुलित मार्ग प्रस्तुत करता है, जहां इच्छाओं को नियंत्रित करने और अल्लाह की इबादत को प्राथमिकता देने की तालीम दी जाती है। कुरआन और हदीस में बार-बार इंसान को उसकी इच्छाओं और जुनून को काबू में रखने की हिदायत दी गई है।

कुरआन में अल्लाह ने कहा:

"क्या तुमने उस व्यक्ति को देखा जिसने अपनी इच्छाओं (हवस) को अपना इलाह (माबूद) बना लिया है?" [कुरआन 25:43]

इस आयत में अल्लाह ने स्पष्ट रूप से बताया कि जब इंसान अपनी इच्छाओं और इच्छाओं का गुलाम बन जाता है, तो वह दरअसल उसे अपने माबूद की तरह मानता है, जो ताग़ूत की एक प्रकार है।


हेडोनिज़्म क्यों ताग़ूत है?

1. इंसानी इच्छाओं की इबादत:

हेडोनिज़्म में इंसान अपनी इच्छाओं और खुशियों को सर्वोपरि मानता है और उन्हें पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह अल्लाह की इबादत और उसके आदेशों से सीधा टकराव है। इस्लाम में, इंसान को उसकी इच्छाओं पर काबू रखने का हुक्म दिया गया है, ताकि वह अल्लाह के हुक्म की तामील कर सके। जब इंसान अपनी इच्छाओं को अल्लाह से ज़्यादा अहमियत देता है, तो वह ताग़ूत का रास्ता अपना लेता है।

कुरआन में अल्लाह ने फरमाया:

"असल में ये अपनी ख़ाहिशों के पीछे चलते हैं, और उस शख़्स से बढ़कर कौन गुमराह होगा जो ख़ुदाई हिदायत के बिना बस अपनी ख़ाहिशों की पैरवी करे? अल्लाह ऐसे ज़ालिमों को हरगिज़ हिदायत नहीं देता।" [कुरआन 28:50]

यह आयत यह साबित करती है कि इच्छाओं की अंधी पैरवी इंसान को गुमराह कर देती है और यह इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ़ है।


2. दुनिया की मोहब्बत और आख़िरत की अनदेखी:

हेडोनिज़्म में इंसान सिर्फ़ इस दुनिया के सुखों और आनंद की खोज में लगा रहता है, जबकि इस्लाम इंसान को यह सिखाता है कि असली और स्थायी जीवन आख़िरत का है। अगर कोई इंसान सिर्फ़ इस दुनिया के आनंद और सुख में खो जाता है, तो वह आख़िरत की तैयारी से बेपरवाह हो जाता है, जो कि ताग़ूत की निशानी है।

कुरआन में अल्लाह ने फरमाया:

"ये दुनिया की ज़िन्दगी तो कुछ दिन की है, हमेशा रहने की जगह आख़िरत ही है।" [कुरआन 40:39]


3. अखलाकी पतन और फितरती सीमाओं का उल्लंघन:

हेडोनिज़्म इंसान को नैतिक और धार्मिक सीमाओं का उल्लंघन करने के लिए प्रेरित करता है। इस्लाम में, इंसान के लिए एक स्पष्ट नैतिक ढांचा (ethical framework) है, और इसे पार करना गुनाह है। उदाहरण के लिए, ज़िना (व्यभिचार), शराब, और अन्य प्रकार की अनैतिक गतिविधियाँ हेडोनिज़्म की विचारधारा में आमतौर पर स्वीकार्य मानी जाती हैं, जबकि इस्लाम इन्हें हराम करार देता है।


हेडोनिज़्म के खतरनाक असरात

1. आख़िरत से दूरी:

हेडोनिज़्म इंसान को इस कदर दुनिया के आनंद और सुख में उलझा देता है कि वह अपनी आख़िरत को भूल जाता है। जबकि इस्लाम में यह सिखाया गया है कि इंसान को अपनी आख़िरत की फिक्र करनी चाहिए और दुनिया के सुखों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए।

कुरआन में अल्लाह ने फरमाया:

"मगर तुम लोग दुनिया की ज़िन्दगी को तरजीह देते हो। हालाँकि आख़िरत बेहतर है और बाक़ी रहनेवाली है।" [कुरआन 87:16-17]


2. अखलाक़ी पतन:

हेडोनिज़्म के कारण समाज में नैतिकता का पतन होता है। इस विचारधारा में इंसान केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति पर ध्यान देता है, चाहे इससे समाज और परिवार पर कोई भी असर पड़े। नतीजतन, अनैतिक गतिविधियाँ जैसे कि ज़िना, शराबखोरी, जुआ और अन्य बुराइयाँ समाज में बढ़ती हैं।


इस्लाम में तौबा और वापसी

इस्लाम में इंसान को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना और अल्लाह की इबादत में अपना जीवन समर्पित करना सिखाया जाता है। जो लोग हेडोनिज़्म जैसी विचारधाराओं की ओर चले जाते हैं, उनके लिए तौबा का दरवाजा हमेशा खुला है। अल्लाह हर उस इंसान को माफ़ कर देता है जो सच्चे दिल से तौबा करता है और अपनी गलतियों से लौट आता है।

कुरआन में अल्लाह ने फरमाया:

"जो लोग तौबा करते हैं और अपने अमल सुधारते हैं, अल्लाह उन्हें माफ़ कर देता है।" [कुरआन 25:70]

हेडोनिज़्म (Hedonism) आज के दौर का ताग़ूत इसलिए है क्योंकि यह इंसान को अल्लाह की इबादत और उसकी हिदायतों से दूर करके उसे उसकी इच्छाओं का गुलाम बना देता है। इस्लाम इंसान को अपनी इच्छाओं पर काबू रखने और अल्लाह के आदेशों का पालन करने की शिक्षा देता है, जबकि हेडोनिज़्म इसे पूरी तरह से नजरअंदाज करता है।


- मुवाहिद


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