Khauf - dil ki bechaini

Khauf - dil ki bechaini


ख़ौफ़ - दिल की बेचैनी

खौफ दिल की बेचैनी का नाम है जब इंसान हराम काम करता है तो उसका दिल अल्लाह के खौफ से लरज़ जाता है इसी तरह अल्लाह ने जिन कामों को करने का हुक्म दिया है उसे छोड़ने से भी दिल बेचैन हो जाता है उन पर अमल करके क़ुबूल ना होना जेसे शक़ मे रहता हैं। इसका नाम खौफ ऐ इलाही हैं। 

एक मोमिन को इस तरह का खौफ होना भी चाहिए क्योंकि अल्लाह का खौफ इबादत है और तोहिद में शामिल है। 

कुरान में इससे से रिलेटेड बहुत सी वर्सेस आए हैं :- 

अल्लाह फरमाता है :-

"जितनी ताकत रखते हो अल्लाह से डरो।" [सूरह तगाबुन 16]

"ऐ नबी, हमने आपको गवाही देने वाला बशारत देने वाला और डराने वाला बनाकर भेजा है।" [सूरह एहज़ाब 45]

"यह खबर देने वाला शैतान ही है जो अपने दोस्तों से डराता है तुम उन काफिरों से ना डरो और मेरा खौफ रखो अगर तुम मुसलमान हो।" [सूरह इमरान 175]

"बस ईमान वाले तो ऐसे होते हैं कि जब अल्लाह का जिक्र आता है तो उनके दिल डर जाते हैं।" [सूरह अनफाल 02]

"यकीनन जो लोग रब की हैबत से डरते हैं।" [सूरह मोमिनून 57]

"और मुझसे ही डरो।" [सूरह बक़रा 40)

इन आयात से मालूम होता है कि सिर्फ अल्लाह से ही डरना चाहिए यहां एक बात की वजाहत करते हुए आगे चलता हूं ताकि टॉपिक बिल्कुल साफ हो जाए। 


ख़ौफ़ की अक़्साम:

डरने का मुस्तहिक सिर्फ अल्लाह है उसके मुकाबले में किसी से डरना इबादत में शिर्क कहलाएगा इसकी दो सूरत बन सकती है। 

1 पहली सूरत :- बन्दों से डर कर दीन पर अमल करना छोड़ दे।  

इसकी मिसाल :- जैसी कोई बंदा सऊदी अरब मे बुलंद आवाज़ से आमीन कहता है जब अपने मुल्क मे जाते हैँ तो लोगो के डर से ये अमल तर्क कर देते हैँ। 

2 दूसरी सूरत :- ग़ैर अल्लाह से इस तरह डरना या डरने का अक़ीदा रखना के वो अल्लाह के बिना खुद से नुकसान पहुँचा सकता है।  

इसकी मिसाल :- बुत, वली, जिन, मय्यत और ख्याली भटकती रूहे आदि। 


इस बात का ज़िक्र अल्लाह ने इस अंदाज़ मे किया है :- 

"यह शैतान है जो तुमको अपने दोस्तों से डराता है, तुम उनसे न डरो बल्कि मुझसे डरो अगर तुम मोमिन हो।" [सूरह इमरान 175]

इसीलिए किसी सूरत में अल्लाह के अलावा दिल में दूसरों का डर नहीं पैदा किया जाएगा फायदे और नुकसान का मालिक सिर्फ अल्लाह ही है अल्लाह के हुकुम के बगैर कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता  

अल्लाह फरमाता है :-

"और अगर अल्लाह तुमको कोई नुक़सान पहुँचाए तो उसके सिवा कोई उसका दूर करने वाला नहीं, और अगर अल्लाह तुमको कोई भलाई पहुँचाए तो वह हर चीज़ पर क़ादिर है।" [सूरह अनाम 17]

हाँ तबयी खौफ इस खौफ से अलग है वो फितरी चीज़ है सांप को देखकर जानवरों को देखकर इंसान डरता है यह डर अल्लाह के मुकाबले में नहीं होता यह सिर्फ फितरतन ऐसा होता है जैसा की मूसा अलैहिस्सलाम सांप से डर गए। 

अल्लाह का फरमान है :-

अल्लाह ने मूसा से कहा, "और ज़रा अपनी लाठी को नीचे फेंको। फिर जब उन्होंने लाठी को देखा कि वह इस तरह हरकत कर रही है जैसे वह कोई साँप हो, तो वह पीठ फेरकर भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा। (इरशाद हुआ-) मूसा! डरो नहीं, जिनको पैग़म्बर बनाया जाता है उनको मेरे हुज़ूर (बारगाह में) कोई अन्देशा नहीं होता।" [सूरह नमल 10]

"ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो जैसा कि उससे डरना चाहिए, और तुमको मौत न आए मगर इस हाल में कि तुम मुस्लिम हो।" [सूरह इमरान 102]


एक हदीस मे आता है हज़रत माज़ बिन जबल से नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूछते हैं :-

ऐ मुआज़-बिन-जबल! "मैंने कहा कि मैं हाज़िर हूँ , अल्लाह के रसूल! आपने फ़रमाया : "क्या जानते हो कि बन्दों पर शानवाले अल्लाह का क्या हक़ है? मैंने कहा कि अल्लाह और  उस का रसूल ज़्यादा आगाह हैं, फ़रमाया : "बन्दों पर शानवाले अल्लाह का हक़ ये है कि  उसकी बन्दगी करें और  उसके साथ किसी को शरीक  न करें।" [सूरह मुस्लिम 30]

जिस बंदे ने अल्लाह की इबादत की और उसके साथ किसी को शामिल नहीं किया उसने अल्लाह का हक अदा कर दिया।  

हम जहां भी रहे तन्हाई हो या ग्रुप  सफर हो या हज़र रात हो या दिन हमेशा अल्लाह का डर अख्तियार करना है उसका खौफ खाना है और उससे डरते रहना है। 

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है :- 

"जहां भी रहो अल्लाह से डरते रहो बुराई के बाद (जो तुम से हो जाए ) भलाई करो जो बुराई को मिटा दे और लोगों के साथ उसने अखलाक से पेश आओ।" [तिरमीज़ी 1987 हसन]


तुम जहां भी रहो अल्लाह से डरो: 

बहुत ही शार्ट कलिमा है हम तन्हाई में होते हैं साथ में नेट व मोबाइल होता है उसमे ख्वाहिशात नफ़्स का हर सामान मौजूद है अल्लाह का खौफ नहीं होगा तो यहां बुराई करने से नहीं रख सकते अल्लाह का खौफ होगा तो इस बुराई से रुक जाएंगे।  


आज हमारे पास हर तरह का खौफ है:

गरीबी का खौफ है, दुश्मन का खौफ है, नौकरी चले जाने का ख़ौफ़ है,  सैलरी कट जाने का खौफ है, बीमारी का खौफ है।   

अगर खौफ नहीं है तो अल्लाह का खौफ नहीं है  जब के सिर्फ अल्लाह का खौफ होना चाहिए।  

अल्लाह फरमाता है :-

"और मुझ ही से डरो।" [सूरह बक़रा 40]

अल्लाह ताला हमें  तन्हाई के गुनाहों से बचाए  और अपना हो हमारे दिल में पैदा कर दे  और हमारी आखिरत को अल्लाह ताला बना दे 

आमीन


तहरीर : मकबूल अहमद सल्फी हफीजाउल्लाह
तर्जमा: मुहम्मद रज़ा सल्फी

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