क्या क़ुरआन में अरबी ग्रामर की गलती है?
जवाब : क़ुरआन में किसी भी ग्रामर की गलती का होना मुमकिन नहीं है। क़ुरआन अल्लाह का कलाम है, जो बिल्कुल पाक और जिसमे कोई गलती नहीं है। जब सहाबा-ए-किराम ने क़ुरआन लिखा, तो उन्होंने वही (ईश प्रकाशना) को लिखा जो नबी मुहम्मद ﷺ पर नाज़िल हुई थी, और यह वही (ईश प्रकाशना) अल्लाह की हिदायत के ज़रिये थी, इसमें कोई इंसानी गलती का सवाल ही नहीं उठता।
अगर लोग यह कहते हैं कि क़ुरआन में ग्रामर की गलतियाँ हैं, तो वह अक्सर अरबी के उसूल को ग़लत समझते हैं। क़ुरआन जिस अरबी भाषा में उतारा गया है, वह अरबी भाषा का सबसे शुद्ध, उत्कृष्ट और उच्चतम स्तर का रूप है। जो सबसे फसीह और बालाग़त वाली ज़ुबान है। कुछ लोग जो ग्रामर के अहकाम आज के दौर के अरबी पे लगाते हैं, वह यह बात भूल जाते हैं कि क़ुरआन के वक़्त का अरबी उनके आज के फहम से ज़्यादा गहरा और मुकम्मल था।
कुछ अहम पॉइंट्स:
1. क़ुरआन एक हिफ़ाज़त-शुदा किताब है:
अल्लाह ने क़ुरआन की हिफ़ाज़त का वादा किया है, और यह वादा आज तक पूरा होता आया है। (सूरह अल-हिज्र, 15:9)
2. लिखने में कोई गलती का सवाल नहीं:
सहाबा-ए-किराम ने क़ुरआन को बहुत एहतियात से लिखा, और जो गलती का शक होता, उसे नबी ﷺ की ज़िंदगी में ही दुरुस्त कर दिया जाता। हज़रत ज़ैद बिन साबित और दूसरे सहाबा ने क़ुरआन लिखने और हिफ़्ज़ करने में बहुत एहतियात से काम लिया था।
3. क़ुरआन के नुस्खे और क़िराअत:
क़ुरआन की मुख्तलिफ़ क़िराअत (उच्चारण) अरबी ज़ुबान के उसूल पर आधारित हैं, और यह मुख्तलिफ़ क़िराअत भी वही (ईश प्रकाशना) का हिस्सा हैं, इसमें ग्रामर की कोई contradiction नहीं होती।
इसलिए, क़ुरआन में ग्रामर की गलती होने का दावा बिल्कुल बे-बुनियाद है। यह अल्लाह की किताब है, जो हर तरीके से कामिल है।
लेखक : मुवाहिद
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