Allah se dhokha aur bagawat (part-5) | 2. Imamo ki taqleed

Allah se dhokha aur bagawat (part-5) | 2. Imamo ki taqleed


अल्लाह से धोका और बगावत (मुसलमान ज़िम्मेदार)

5. सुन्नत ए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से हटकर इमामो की अंधाधुन तकलीद 

5.2. सनद का महत्व


कल हमने ये जाना कि कैसे नबी ﷺ के दुनिया से जाने के बाद लोगो ने नबी ﷺ  की तरफ झूठी हदीसे मंसूब की जाने लगी इसी वजह से मुहद्दिसीन मैदान में आए और उन्होंने हदीस को किताब में लिखना शुरू किया ताकि कोई शख़्स नबी ﷺ की तरफ किसी तरह का झूठ मंसूब न कर सके। यही वजह है इस्लाम में सनद (Chain of narration) को बहुत अहम समझा जाता है। इससे हम पता लगा सकते हैं की सनद में आए रावी (Narraters) कौन हैं? कहीं वो झूठे तो नहीं, कहीं बिदाती तो नहीं, इसीलिए मुहद्दसीन बड़ी एहतियात से सनद के एक एक रावी को चेक करने के बाद अपनी हदीस में जगह देते थे। जिस रावी के बारे में कोई मुहद्दिस ये कह देता था की ये रावी झूठा है या ज़ईफ है तो उससे हदीस लिखने वाले माहिर हदीस नहीं लेते थे।


सनद का दीन में महत्व:

सनद chain of narration को कहते हैं नबी ﷺ के ज़माने में कोई हदीस पर अमल करने के लिए सनद की ज़रूरत नहीं होती थी क्योंकि ज़िंदा सुन्नत मौजूद थी यानी सुन्नत पर अमल करने वाले सहाबा ने उसको अपने अमल में ला रखा था। तो उन्हें लिखने की ज़रूरत पेश नहीं आती थी क्योंकि जो अमल हमारी प्रैक्टिस में होता है वो हमे याद रहता है। लेकिन जब सहाबा के बाद वाला ज़माना आया उसमे हदीस झूठी बयान की जाने लगी तो सनद का सिलसिला शुरू हुआ। जब हम किसी हदीस को लिखेंगे पहले देखेंगे ये हदीस बयान करने वाला कौन था कैसा था और किस तरह का था। अगर उस शख़्स में ये पाया जाता की वो ज़ईफ है या झूठा है तो वो हदीस फैब्रिकेटेड मानी जाती थी। उसके बाद ऑथर ऑफ़ हदीस बुक्स अपनी किताब में निशानदेही कर देते थे की हमने जिससे हदीस ली है वो शख्स झूठा है या ज़ईफ है। अगर ऑथर ऑफ़ बुक नहीं भी लिखता था तो बाद वाले मुहद्दसीन लिख देते थे की ये हदीस में फलां रावी शख्स झूठा था या ज़ईफ था। ये जरूरी नहीं होता की हर मुहद्दीस जिस किताब में हदीस लिख रहा हैं वो उसके नीचे लिख कर बता दे की ये हदीस ज़ईफ है या झूठी है। बल्कि मुहद्दिस का काम होता है हदीस लिखना बाद में रिचैक करने वाले उन रावियो के हालत ए जिंदगी को देखकर कहते हैं फलाना हदीस सहीह नहीं या ज़ईफ है या झूठी है। ये झूठी हदीस उस रावी की बायोग्राफी की वजह से ज़ईफ या झूठी होती थी। न की सिर्फ झूठ के देने से झूठी हो जाती थी।

अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहीमाउल्लाह कहते हैं, "सनद दीन का हिस्सा हैं, अगर दीन में सनद नहीं तो को मन में आए हर शख्स नबी ﷺ की तरफ झूठी बात मंसूब कर दे।" [मुकदमा सहीह मुस्लिम]

इससे पता चलता है सनद बहुत जरूरी है, हदीस को कुबूल करने के लिए वरना हर शख्स नबी ﷺ की तरफ अपने मन से बात मंसूब कर दे।

जैसे की मशहूर वाकिया है की नबी ﷺ एक जगह से रोज़ाना गुजरते थे तो एक बूढ़ी औरत नबी ﷺ पर कूड़ा डाल दिया करती थी। हमेशा ऐसा ही करती जब भी नबी ﷺ वहां से गुजरते थे। एक दिन नबी ﷺ उस जगह से गुज़र रहे थे तो कूड़ा नबी ﷺ के ऊपर नहीं आया तो उन्होंने (नबीﷺ ) ने पूछा फलां औरत दिख नही रही। किसी ने बताया कि वो बीमार है फिर नबी ﷺ उसकी इयादत करने के लिए गए। तो वो बूढ़ी औरत बहुत खुश हुई है कितना बा अख्लाक नबी है।

खुलासा : ये हदीस दुनिया की किसी सहीह किताब में मौजूद नहीं है। ये एक नबी ﷺ पर बुहतान है झूठी बात है। ना इसकी किसी किताब में सनद है और न की इस हदीस की कोई किताब है ये सिर्फ हवा हवाई बातें हैं।

इस झूठी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की सनद कितनी जरूरी है दीन में हालांकि नबी ﷺ का अख्लाक वाकई बहुत आला तरीन था लेकिन झूठी बात से नबी ﷺ के अखलाक साबित नहीं होते सनद से साबित होते है।

अंदाजा लगाया जब सहाबा के सामने कोई नबी ﷺ की बुराई या कुछ तल्ख बात नबी की शान में कह देता था तो सहाबा गुस्से में आ जाते थे, तलवारे निकाल लेते थे की ए अल्लाह के रसूल मुझे इजाजत दीजिए में इसकी गर्दन उड़ा दूं। तो सोचे जो औरत रोज़ाना नबी ﷺ पर कूड़ा फेंकती थी क्या सहाबा बर्दाश्त कर सकते थे ये ना हुरमरती?

लिहाजा ये सब बनी बनाई बाते हैं। इस्लाम में नबी ﷺ के अख्लाक क़ुरआन और सही हदीस से साबित हैं न की झूठी हदीस से। 

नबी ﷺ ने इरशाद फ़रमाया, "कोई शख़्स मेरी तरफ झूठी हदीस मंसूब करे वो अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।" [सहीह मुस्लिम 04]

तो नबी ﷺ की तरफ झूठ जब मंसूब होने लगा तो मुहद्दसीन ने छान पटक करके रावियों के हालत पर पूरी पूरी किताबे लिख दी की फलां रावी कहां रहता था? किसका बेटा था? किसका शागिर्द और किसका उस्ताद था? सच्चा था या झूठा? हजारों किताबे बायोग्राफी पर लिखी जा चुकी हैं।


बने रहे इन शा अल्लाह आगे तारीखी बाते जानने की कोशिश करेंगे

अल्लाह दीन समझने की तौफीक अता फरमाए।

आमीन 

जुड़े रहे आगे हम बताएंगे की उम्मत के अंदर कौन-कौन सी बिदअते ईजाद की गयीं हैं।


आपका दीनी भाई
मुहम्मद रज़ा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...